22-03-2011, 02:03 AM | #101 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
चाहता वो है, मुहब्बत मे नुमाइश भी रहे आसमाँ चूमे मेरे पँख तेरी रहमत से और किसी पेड की डाली पर रिहाइश भी रहे उसने सौंपा नही मुझे मेरे हिस्से का वजूद उसकी कोशिश है की मुझसे मेरी रंजिश भी रहे मुझको मालूम है मेरा है वो मै उसका हूँ उसकी चाहत है की रस्मों की ये बंदिश भी रहे मौसमों मे रहे 'विश्वास' के कुछ ऐसे रिश्ते कुछ अदावत भी रहे थोडी नवाज़िश भी रहे
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22-03-2011, 02:04 AM | #102 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा कोई ख़्वाबों में आकार बस लिया दो पल तो हंगामा मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है , साजिश है उसे बाहों में खुलकर कास लिया दो पल तो हंगामा जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा ये जज्बातों, मुलाकातों हंसी रातों का हंगामा जवानी के क़यामत दौर में यह सोचते हैं सब ये हंगामे की रातें हैं या है रातों का हंगामा कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा इबारत से गुनाहों तक की मंजिल में है हंगामा ज़रा-सी पी के आये बस तो महफ़िल में है हंगामा कभी बचपन, जवानी और बुढापे में है हंगामा जेहन में है कभी तो फिर कभी दिल में है हंगामा हुए पैदा तो धरती पर हुआ आबाद हंगामा जवानी को हमारी कर गया बर्बाद हंगामा हमारे भाल पर तकदीर ने ये लिख दिया जैसे हमारे सामने है और हमारे बाद हंगामा
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22-03-2011, 02:06 AM | #103 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
जब भी चिड़ियों को बुलाकर प्यार से दाने दिए,
इस नई तहज़ीब ने इस पर कई ताने दिए। जिन उजालों ने किया अंधी गुफ़ाओं से रिहा, बेड़ियाँ पहनाके हमने उनको तकख़ाने दिए। हमने माँगी थी ज़रा-सी रोशनी घर के लिए, आपने जलती हुई बस्ती के नज़राने दिए। हादसे ऐसे भी गुज़रे उनके मेरे दरमियाँ, लब रहे ख़ामोश और आँखों ने अफ़साने दिए। ज़िंदगी खुशबू से अब तक इसलिए महरूम है, हमने जिस्मों को चमन, रूहों को वीराने दिए। आस्मानों को भी सजदों के लिए झुकना पड़ा, वो भी क्या सदियाँ थीं, जिनने ऐसे दिवाने दिए। ज़िंदगी चादर है, धुलके साफ़ हो जायेगी फिर, इसलिए हमने भी इसमें दाग़ लग जाने दिए। हाथ में तेज़ाब में फ़ाहे थे मरहम की जगह, दोस्तों ने कब हमारे ज़ख्म मुरझाने दिए। ज़िंदगी का ग़म नहीं, ग़म है हमें इस बात का, उनने मुर्दे भी नहीं, क़ब्रों में दफ़नाने दिए।
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22-03-2011, 02:07 AM | #104 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़फे जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है
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22-03-2011, 02:08 AM | #105 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
ऐसा अपनापन भी क्या जो अजनबी महसूस हो, साथ रहकर भी मुझे तेरी कमी महसूस हो। आग बस्ती में लगाकर बोलते हैं, यूँ जलो, दूर से देखे कोई तो रोशनी महसूस हो। भीड़ के लोगों सुनो, ये हुक्म है दरबार का, भूख से ऐसे गिरी कि बन्दगी महसूस हो। नाम था उसका बगावत कातिलों ने इसलिये, क़त्ल भी ऐसे किया कि खुदकुशी महसूस हो। शाख़ पर बैठे परिन्दे कह रहे थे कान में, क्या रिहाई है कि हरदम बेबसी महसूस हो। फूल मत दे मुझको, लेकिन बोल तो फूलों से बोल, जिनको सुनकर तितलियाँ-सी ताज़गी महसूस हो। आप उस ख़ाली जगह पे नाम लिख़ देना मेरा, जब हरइक राय में किसी राय की कमी महसूस हो। शर्त मुर्दों से लगाकर काट दी आधी सदी, अब तो करवट लो कि जिससे ज़िंदगी महसूस हो। हो अगर जज़्बे अमल की बेकली इंसान में, सर पे तपती दोपहर भी चाँदनी महसूस हो। सिर्फ़ इतने पर बदल सकता है दुनिया का निज़ाम, कोई रोय, आँख में सबकी नमी महसूस हो। दे रहा हूँ आपको अपना पता मैं इसलिए, याद कर लेना कभी, मेरी कमी महसूस हो।
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22-03-2011, 02:10 AM | #106 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
आपसे किसने कहा स्वर्णिम शिखर बनकर दिखो, शौक दिखने का है तो फिर नींव के अंदर दिखो। ‘चल पड़ी तो गर्द बनकर आस्मानों पर दिखो, और अगर बैठो कहीं, तो मील का पत्थर दिखो। सिर्फ़ दिखने के लिए दिखना कोई दिखना नहीं, आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो। ज़िंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं, पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो। आपको महसूस होगी तब हरइक दिल की जलन, जब किसी धागे-सा जलकर मोम के भीतर दिखो। एक ज़ुगनू ने कहा मैं भी तुम्हारे साथ हूँ, वक़्त की इस धुंध में तुम रोशनी बनकर दिखो। एक मर्यादा बनी है हम सभी के वास्ते, गर तुम्हें बनना है मोती सीप के अंदर दिखो। पंछी ! इनसे आ रही है, कातिलों की आहटें, लड़के इन पूजाघरों से अपनी शाख़ों पर दिखो। डर न जाए फूल बनने से कोई नाजुक कली, तुम ना खिलते फूल पर तितली के टूटे पर दिखो। कोई ऐसी शक्ल तो मुझको दिखे इस भीड़ में, मैं जिसे देखूँ उसी में तुम मुझे अक्सर दिखो। ऐशगाहें चाहती हैं सब लुटा चुकने के बाद, तुम किसी तंदूर में हँसते हुए जलकर दिखो।
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22-03-2011, 02:13 AM | #107 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
आस होगी, न आसरा होगा
आने वाले दिनों में क्या होगा मैं तुझे भूल जाऊंगा इक दिन वक्त सब कुछ बदल चुका होगा नाम हमने लिखा था आंखों में आंसुओं ने मिटा दिया होगा कितना दुश्वार था सफ़र उसका वो सरे-शाम सो गया होगा पतझड़ों की कहानियां पढ़ना सारा मंज़र किताब-सा होगा आसमां भर गया परिन्दों से पेड़ कोई हरा गिरा होगा
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22-03-2011, 03:22 AM | #108 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
उफक़ के दरीचे से किरनों ने झांका
फ़ज़ा तन गई, रास्ते मुस्कुराये सिमटने लगी नर्म कुहरे की चादर जवां शाख़सारों ने घूंघट उठाये परिन्दों की आवाज़ से खेत चौंके पुरअसरार लै में रहट गुनगुनाये हसीं शबनम-आलूद पगडंडियों से लिपटने लगे-सब्ज़ पेड़ों के साये वो दूर एक टीले पे आंचल सा झलका तसव्वुर में लाखों दिये झिलमिलाये
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Last edited by Sikandar_Khan; 22-03-2011 at 03:38 AM. Reason: edit |
22-03-2011, 03:22 AM | #109 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
अंधियारी रात के आंगन में ये सुबह के क़दमों की आहट
ये भीगी-भीगी सर्द हवा, ये हल्की-हल्की धंधलाहट गाड़ी में हूं तनहा महवे-सफ़र और नींद नहीं है आंखों में भूले-बिसरे रूमानों के ख़्वाबों की ज़मीं है आंखों में अगले दिन हाथ हिलाते हैं, पिछली पीतें याद आती हैं गुमगश्ता ख़ुशियां आंखों में आंसू बनकर लहराती है सीने वे वीरां गोशों में इक टीस-सी करवट लेती है नाकाम उमंगें रोती हैं उम्मीद सहारे देती है वो राहें ज़हन में६ घूमती हैं जिन राहों से आज आया हूं कितनी उम्मीद से पहुंचा था, कितनी मायूसी लाया हूं
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Last edited by Sikandar_Khan; 22-03-2011 at 03:45 AM. Reason: edit |
22-03-2011, 03:25 AM | #110 |
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Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!
अहदे-गुमगश्ता की तसवीर दिखाती क्यों हो ?
एक आवारा-ए-मंज़िल को२ सताती क्यों हो ? वो हसीं अहद३ जो शर्मिंदा-ए-ईफ़ा न हुआ४, उस हंसी अहद का मफ़हूम जताती क्यों हो ? ज़िन्दगी शो’ला-ए-बेबाक५ बना लो अपनी, ख़ुद को ख़ाकस्तरे-ख़ामोश६ बनाती क्यों हो ? मैं तसव्वुफ़ के७ मराहिल का८ नहीं हूं क़ायल९, मेरी तसवीर पे तुम फूल चढ़ाती क्यों हो ? कौन कहता है कि आहें हैं मसाइब का१॰ इलाज, जान को अपनी अ़बस११ रोग लगाती क्यों हो ? एक सरकश से१२ मोहब्बत की तमन्ना रखकर, ख़ुद को आईन के१३ फंदे में फंसाती क्यों हो ? मैं समझता हूं तक़ददुस१४ को तमददुन१५ का फ़रेब, तुम रसूमात को१६ ईमान बनाती क्यों हो ? जब तुम्हें मुझसे ज़ियादा है ज़माने का ख़याल, फिर मेरी याद में यूं अश्क१७ बहाती क्यों हो ? त़ुम में हिम्मत है तो दुनिया से बगावत कर दो। वर्ना मां-बाप जहां कहते हैं शादी कर लो।। १. फुर्सत, अवकाश २. जिसकी कोई मंज़िल न हो ३. प्रण ४. जो पूरा न हुआ ५. धृष्ट शोला ६. मौन राख ७. सूफ़ीवाद ८. सीढ़ियों का ९. अनुयायी १॰. विपदाओं का ११. व्यर्थ १२. उद्दण्ड १३. कानून के १४. पवित्रता १५. संस्कृति १६. रीति-रिवाजों को १७. आंसू
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