27-11-2014, 01:15 AM | #101 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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कर्म की व्याख्या हर किसी इन्सान ने अपने अपने विचारो अनुसार की है किन्तु जहाँ तक मेने सुना है समझा है पवित्रा जी की आप कितनेभी पुण्य कर्म करो फिर भी पाप कर्म का फल भुगतना तो पड़ता ही है इन्सान को . यदि पाप करके फिर १०० गरीब को खाना खिला दिया तो उस इन्सान का पाप कभी धुल नही सकता एक न एक दिन उसे उसके पापों की सजा मिलती ही है फिर वो चाहे किसी भी रूप में क्यों न हो. कहते हैं न की अनजाने में किये पाप की सजा भी भुगतनी ही पड़ती है जिसका सबसेबड़ा उदहारण है भगवन रामचंद्र जी के पिता दसरथ जी जिन्होंने श्रवण कुमार को अनजाने में मृग समझकर तीर चलाया और उसकी मृत्यु के कारन राजा दसरथ बने थे जिसकी सजा उन्हें मिली और पुत्र वि योग में ही उनके प्राण गए .. जब त्रेता युग में पाप से छुटकारा पुण्यों द्वारा नही हो पाता था तो सोचिये अभी तो कलियुग है keise मानव छूट सकता है अपने पापो की सजा से . और अब बात आती है जब जो मिले उसमे संतुष्ट रहना की ..प्रारब्ध समझकर चुपचाप सह लेना .यहाँ में इतना कहूँगी की एईसी स्थिति मानव की तब आती है जब वो संसार के सभी मोहमाया से विलग हो गया हो , या फिर कोई साधू या संत हो जो हर दुःख और ख़ुशी में एक जेइसा रह सकता है क्यूंकि सांसारिक मानव के लिए सर्वथा त्याग असंभव है क्यूंकि उसपर हजारो जिम्मेदारियां है कर्त्तव्य है उसके और कई चीजे और परिस्थियाँ उसके जीवन के लिए बेहद जरुरी होतीं हैं जेइसे की घर का मुखिया है उसे बच्चो की परिवार की देखभाल के लिए सबका ख्याल रखना जरुरी है वो ये कहकर नही बैठ सकता की जो है उसमे खुश रहो हमे जो भगवन देगा उसमे चला लो एइसा सर्वथा असंभव है जीवन के लिए,, क्यूंकि हम समाज में देखते हैं की हम अपने लिए बाद में जीते है अपनो के लिए पहले जीते हैं हमे कोई चीज़ न मिले चलेगा किन्तु अपनों को कुछ उनकी आवश्यकतानुसार नही दे सकते तब बहुत दुःख होता है इन्सान को ... और कर्म को तो हरेक युग में पहले रखा गया है भगवन कृष्णा ने अर्जुन का साथ तब दिया जब उसने खुद युध्द करने को तेयार हुआऔर हाँ कही. हाँ आप यदि कर्म करते हो और साथ साथ भगवन का सहारा लेते हो तब आपके भाग्य की रेखा अवश्य चमकती है क्यूंकि मेहनत और लगन से काम करने वाले का साथ भगवन देते ही है . कही सुना पढ़ा होगा आप सबने भी की, दिल से और लगन से यदि आप मेहनत कुछ मांगोगे तो सारी कायनात उसे आपको मिलाने में लग जाती है. आपकी की गई मेहनत कभी विफल नही जाती किन्तु भगवन भी उसका ही साथ देते हैं जो खुदका साथ देता है . |
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27-11-2014, 04:08 PM | #102 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
मैं रजनीश जी और सोनी पुष्पा जी की इस बात से सहमत हूँ की ज़िन्दगी में कर्म करना आवश्यक है। हम एक समाज में रहते हैं जहाँ हमें अपने साथ -साथ अपनों का भी ध्यान रखना पड़ता हैं और उसके लिए प्रयास भी करने पड़ते हैं। हम सब कुछ भगवान के ऊपर छोड़ कर नहीं रह सकते। अगर हमें खाना खाना है तो हमें कमाना भी पड़ेगा और बनाना भी पड़ेगा। हाँ लेकिन कर्म के साथ भाग्य का भी जीवन में बहुत महत्व है ,क्योंकि कई बार हम अपने जीवन में कोई चीज बहुत शिद्दत से पाना चाहते हैं और उसके लिए प्रयास भी बहुत करते हैं मगर वो चीज हमें नहीं मिल पाती। हर इंसान अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ पाना चाहता है ,मगर हर किसी को सवश्रेष्ठ मिलता नहीं है और यही भाग्य होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है की" तुम सिर्फ कर्म करो फल की इच्छा मत करो" ,इसलिए हमें हमेशा अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने चाहियें और अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि हमें अच्छा फल मिले।
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27-11-2014, 10:14 PM | #103 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
कर्म तो मुख्य हैं जीवन में , और भाग्यवादी होकर भी नहीं जीना चाहिए। यहाँ मैंने उन बातों को भगवान के ऊपर छोड़ने के लिए कहा है जो हमारे वश में नहीं होती।
हर बार ज़िन्दगी वैसे नहीं चलती जैसे हम चलाना चाहते हैं। बहुत बार हम शिद्दत से ही चाहते हैं चीज़ों को पर फिर भी हमें वो मिलती नहीं। आप कह सकते हैं कि चाहत में कहीं कमी होगी इसलिए ही नहीं मिली पर ऐसा नहीं होता। अब जो चीज़ मिली नहीं उसके बारे में सोच कर दुखी होते रहने से बेहतर है कि किस्मत मान कर उसे स्वीकार किया जाये।
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28-11-2014, 10:23 PM | #104 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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अगर आपके मन के अनुसार सारे कार्य हो रहे है, यह तो बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन अगर मन मे अनुसार नहीं हो रहा है, ये तो और भी अच्छी बात है, क्योंकि अगर आपके मन के अनुसार नहीं हो रहा है तो ये तो भगवान की मर्जी है, और भगवान की मर्जी से अच्छी बात और क्या हो सकता है। |
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28-11-2014, 11:04 PM | #105 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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आपने शायद मेरा ये पोस्ट नहीं देखा। …मैं भी आपकी ही सोच की समर्थक हूँ। http://myhindiforum.com/showpost.php...5&postcount=98
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19-01-2015, 10:43 PM | #106 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
आज हम कितने भयभीत हो चुके हैं , इतने भयभीत कि किसी का छोटा सा सन्देश भी हमें मजबूर कर देता है ऐसे काम करने के लिये जिसके बारे में हमें अच्छे से पता है कि ये मूर्खतापूर्ण है। ऐसा हो ही नहीं सकता फिर भी भय इतना होता है मन में कि हम अपने विवेक को उपेक्षित कर देते हैं ।
अक्सर आपके पास ऐसे सन्देश आते होंगे कि - "इस सन्देश को नौ लोगों को भेजें आपको कोई अच्छी खबर मिलेगी , और अगर आप नहीं भेजेंगे तो कुछ बुरा होगा" । और आप में से कुछ लोग इस भय से कि कहीं आपके साथ कुछ बुरा ना हो जाये , ऐसे सन्देशों को आगे भेज भी देते होंगे। हम नहीं सोचते कि कैसे कोइ एक सन्देश हमारी किस्मत बना या बिगाड सकता है ? हम नहीं सोचते कि जाने-अन्जाने हम अन्धविश्वास को बढावा दे रहे हैं । सोचिये कि आपने तो वो सन्देश आगे नौ लोगों को भेज दिया पर जिन नौ लोगों को आपने वो सन्देश भेजा है , वो आगे उस सन्देश को नौ और लोगों को नहीं भेज पाये तब? उनके मन में एक भय बैठ जायेगा , कि अब उनके साथ जरूर कुछ बुरा होगा । और क्या पता वो भय उनके लिये आगे जाकर अवसाद का कारण बन जाये ? क्या तब ये गुनाह नहीं होगा , क्या उनके उस अवसाद की एक वजह आप नहीं होंगे? हम कितने विवेकहीन हो गये हैं , बिना सोचे कि कोई एक सन्देश हमारे जीवन में क्या होगा और क्या नहीं , अच्छा होगा या बुरा , ये कैसे निर्धारित कर सकता है , हम भेड्चाल का हिस्सा बन जाते हैं और अन्जाने में अन्धविश्वास को बढावा देते हैं । एक बात हमेशा याद रखिये अगर आप सही हैं तो कोई भी आपका अहित नहीं कर सकता और अगर आप गलत हैं तो कोई भी आपके लिये मददगार नहीं हो सकता । इसलिये बिना किसी भय के जीवन जियें , अच्छे कर्म करें और किसी का भी अहित न सोचें (उनका भी नहीं जिन्होंने आपका अहित किया हो) याद रखें What goes around Comes around , इसलिये सिर्फ खुद के कर्मों क ध्यान रखें , बाकि यहाँ न्याय सभी के साथ होता ही है , चाहे जल्दी या कुछ देर से । और हाँ ना ही खुद ऐसे सन्देश लोगों को भेजें , और ना ही दूसरों को भेजने दें ।
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20-01-2015, 05:07 PM | #107 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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20-01-2015, 10:15 PM | #108 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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इसलिये ऐसे अन्धविश्वास से हमें मुक्त होना ही चाहिये।
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24-01-2015, 01:11 AM | #109 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
First Deserve then Desire इन्सान की अनन्त इच्छाएँ होती हैं । हर इन्सान जीवन में सब कुछ पा लेना चाहता है , बहुत अमीर होना चाहता है , असल में सबसे अमीर होना चाहता है , बहुत सफल , बहुत प्रसिद्ध , बहुत ऊँचा जाना चाहता है । हमारी इतनी बडी-बडी इच्छाएँ होती हैं , पर क्या कभी हम सोचते हैं कि जो हम पाना चाहते हैं , उसे पाने की काबिलियत हमारे पास है भी कि नहीं? बिना किसी योग्यता के अगर हम सिर्फ सपने देखेंगे तो हमें सिर्फ निराशा ही मिलेगी । जो हम पाना चाहते हैं , उसे पाने से पहले खुद को इस काबिल बनाइये कि आप उसे सम्भाल सकें । जीवन में चमत्कार होते हैं , पर जीवन सिर्फ चमत्कारों के भरोसे नहीं चलता । भविष्य को जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम खुद अपने भविष्य की रचना करें । सिर्फ चमत्कार की उम्मीद ना करके , प्रयास भी करें । और याद रखें हमें वही मिलता है जो हम पाने के लायक होते हैं , तो अगर आप जीवन से कुछ ज्यादा चाहते हैं तो पहले लायक बनें फिर इच्छा करें । मन्जिलें उन्हें मिलती हैं जिनके कदमों में जान होती है,
पन्खों से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है
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25-01-2015, 01:14 AM | #110 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
धन्यवाद पवित्रा जी ..आपकी बात से मै पूरी तरह से सहमत हूँ पवित्रा जी ,.. कल्पना कीउड़ान लेने से कोई सच में ऊपर नही पहुँच जाता . कभी जीवन के अनुभव हमे सिखलाते हैं , कभी हमारी मेहनत और कभी हमारे बड़ों का साथ और मार्गदर्शन और सबसे बड़ी बात हमारी मेहनत हमे आगे बढ़ा सकती है . और हमारे सपनो को साकार करने में हम समर्थ हो पाते हैं .. मन की दृढ़ता . मेहनत , और ज्ञान ये सब जीवन में आगे बढ़ने और सपने पुरे करने के सच्चे साधन हैं बाकि चमत्कार तो करोडो में से शायद एक के साथ होते होंगे हर कोई इतने नसीबो वाला नही होता की उन्हें beithe-- beithe सब मिल जाय ...
पर हाँ साथ इतना कहना जरुर चाहूंगी कि , जो इंसान सपने देखता है वो ही उन्हें पूरा करने के लिए आगे बढ़ता है , मेहनत करता है. और उसके ही सपने पुरे करने में भगवअन साथ देते हैं क्यूंकि श्री मद भगवदगीता के सिध्धांत के अनुसार भगवानश्री कृष्ण ने खुद कहा है की तुम कर्म करो फल मुझपर छोड़ो . इसलिए सपने जरुर देखो सपने होंगे तो ही जीवन आगे बढेगा ... चमत्कार या अन्धविश्वास को दूर ही रखना चहिये खुद से नही तो जो सपने आपको जीवन में आगे बढ़ने वाले होते हैं वो ही सपने आपके जीवन को बर्बाद कर सकते है क्युकी एक उदहारण दूंगी यहाँमै की किसी झूठे ज्योतिष की बातो में आकार कोई अपना सारा बैंक बैलेंस दान में दे दे या किसी भगवन के आशीर्वाद प्राप्त होंगे एइसा समझ के इंसान घरबार छोड़ करके रात दिन अनावश्यक अन्धविश्वासी कर्मकाण्ड में लगा रहे . |
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