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![]() नई दिल्ली। भारत के महारजिस्ट्रार ने राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर (एनपीआर) के लिए 66.68 करोड़ लोगों के आंकड़े एकत्र कर लिए हैं जबकि देश भर से 3.12 करोड़ लोगों के बायोमीट्रिक हासिल किए गए हैं। तटवर्ती इलाकों के एनपीआर के तहत 31.78 लाख से अधिक कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। गृह मंत्री पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि एनपीआर परियोजना रूकी हुई है क्योंकि नंदन निलेकनी के नेतृत्व वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने एनपीआर के आंकडे एकत्र करने से इन्कार कर दिया है। इसके बाद सरकार ने यूआईडीएआई को निर्देश दिया कि वह देश के हर नागरिक को विशिष्ट पहचान नंबर जारी करने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय के तहत आने वाले भारत के महारजिस्ट्रार द्वारा एकत्र बायोमीट्रिक आंकड़े स्वीकार करे। ऐसा दूसरी बार हुआ जब चिदंबरम ने यूआईडीएआई के कथित असहयोग का मुद्दा इतने उच्च स्तर पर उठाया। यूआईडीएआई योजना आयोग के तहत आता है। मुंबई में 2008 के आतंकी हमले के बाद सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले किए थे, जिनमें एनपीआर परियोजना शामिल है।
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बड़ी संख्या में नाबालिग कश्मीरी जेल में बंद : बाल आयोग
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कश्मीर में बाल अधिकारों के संदर्भ में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) के कथित दुरुपयोग की आलोचना करते हुए कहा है कि इस कानून के तहत पथराव जैसी घटनाओं के आरोप में बड़ी संख्या में नाबालिग बच्चे पकड़े गए और आज भी वह घाटी की जेलों में बंद हैं। आयोग के एक दल ने 24-28 जून को श्रीनगर सहित कश्मीर के कई इलाकों का दौरा किया और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाल अधिकार की स्थिति के बारे में चर्चा की। इस दल में बाल आयोग के दो सदस्य विनोद कुमार टिक्कू और डॉक्टर योगेश दुबे शामिल थे। आयोग का यह दल जल्द ही इस दौरे के संदर्भ में एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा। टिक्कू ने कहा कि हमने हरवान और निशाद इलाकों में बाल आश्रय गृहों का दौरा किया। हमने पाया कि पथराव के कई आरोपी नाबालिगों को वहां रखा गया है। इनको आफ्सपा के तहत पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि हमें राज्य प्रशासन के अधिकारियों के जरिए यह जानकारी मिली है कि कश्मीर की जेलों में कई बच्चे पथराव के आरोप में बंद हैं। इन्हें भी आफ्सपा के तहत पकड़ा गया है। उल्लेखनीय है कि आफ्सपा के तहत किसी को भी संज्ञेय अपराध के मामले में बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। सुरक्षा बलों को विशेषाधिकार देने वाले इस कानून का विरोध भी होता रहा है। कश्मीर का दौरा करने वाले इस दल ने राज्य के श्रम, शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग के इस दल ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा से भी भेंट की। टिक्कू के मुताबिक राज्य सरकार ने उन्हें सूचित किया है कि वहां बाल अधिकार संरक्षण आयोग जल्द गठित किया जाएगा और इस सम्बंध में एक विधेयक विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
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चीन के शासन में हांगकांग ने किए 15 साल पूरे
हांगकांग। पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग के चीनी शासन में आने के 15 साल पूरे होने के मौके पर राष्ट्रपति हु जिन्ताओ को यहां रविवार को प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया। इस अवसर पर हांगकांग के नए नेता ने भी कार्यभार संभाला। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के करीबी माने जाने वाले नए मुख्य कार्यकारी और करोड़पति संपत्ति सलाहकार लेउंग चुन इंग ने कहा कि मैं हांगकांग मूलभूत कानून को बचाने की शपथ लेता हूं। मूलभूत कानून हांगकांग का संक्षिप्त संविधान है जो पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश में ‘एक देश दो व्यवस्था’ मॉडल के तहत नागरिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इस मॉडल को1997 में अपनाया गया जब हांगकांग की चीन में वापसी हुई। हू की यात्रा और उद्घाटन समारोह को विरोध का सामना करना पड़ा जिसके कारण सुरक्षा व्यवस्था एकदम कड़ी कर दी गई और समारोह स्थल पर सैंकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए । 2 हजार 300 अतिथियों के समक्ष राष्ट्रपति ने जैसे ही भाषण देना शुरू किया, एक प्रदर्शनकारी ने बार बार चिल्ला कर कहा कि एकदलीय शासन का अंत करो। प्रदर्शनकारी ने चार जून 1989 में बीजिंग के थ्येनमन चौराहे पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का भी हवाला दिया। उसे तत्काल वहां से ले जाया गया ।
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चीन के साथ द्वीपों के विवाद को लेकर वियतनाम में प्रदर्शन
हनोई। दक्षिणी चीनी सागर में विवादित द्वीपों को लेकर पिछले एक हफ्ते से बढ़ते तनाव के बीच वियतनाम की जनता ने रविवार को हनोई की सड़कों पर चीन के खिलाफ विरोधस्वरूप जुलूस निकाला और नारेबाजी की। राजधानी में चीनी दूतावास की ओर करीब 200 प्रदर्शनकारियों ने झंडे लेकर बारिश में जुलूस निकाला। पुलिस ने यातायात बंद कर दिया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने का प्रयास नहीं किया। हालांकि दूतावास के आसपास के इलाके की नाकेबंदी कर दी गई। चीन की इस घोषणा के बाद प्रदर्शन किया गया कि वह तेल और गैस के उत्खनन के लिए अंतर्राष्ट्रीय निविदा जारी करेगा। हनोई इस योजना का विरोध कर रहा है।
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हांगकांग में नए नेता ने शपथ ली
हांगकांग। चीनी कम्युनिस्ट शासन के करीबी करोड़पति प्रॉपर्टी कंसल्टेंट लियुंग चुन यिंग ने हांगकांग के नए मुख्य कार्यपालक अधिकारी के तौर पर रविवार को शपथ ली। लियुंग ने चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ के समथ शपथ के दौरान मंदारिन भाषा में कहा कि मैं हांगकांग आधारभूत कानून (बेसिक लॉ) की रक्षा की शपथ लेता हूं। इसके बाद हार्बर फ्रंट हॉल में उपस्थित करीब 2300 अतिथियों के सामने उन्होंने देश के प्रमुख से हाथ मिलाया। लियुंग ने चीनी और हांगकांग के ध्वजों की पृष्ठभूमि में अपनी सरकार के सदस्य के तौर पर काम करने की शपथ ली। आधारभूत कानून (बेसिक लॉ) हांगकांग का छोटा संविधान है। उन्होंने ऐसे समय पर शपथ ली, जब हांगकांग हस्तांतरण की 15 वीं वर्षगांठ मना रहा है। प्रदर्शनकारियों ने ज्यादा आजादी के लिए हू को निशाना बनाया और स्थानीय मामलों में बीजिंग के दखल पर आवाज बुलंद की। लियुंग का मार्च में चयन हुआ था।
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वरिष्ठ नागरिक को लुटियंस जोन में मिला मकान का कब्जा
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने यहां लुटियंस जोन में एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी को उसके मकान का कब्जा दिला दिया और कहा कि यदि किराएदार को सिर्फ इस वजह से मुकदमे को लंबा खींचने की अनुमति दी जाती है कि उसने मालिक के खाते में एक बड़ी राशि स्थानांतरित कर दी थी तो यह ‘न्याय का उपहास’ होगा। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश इना मल्होत्रा ने अशोक कुमार अग्रवाल को मकान का कब्जा दिलाने के पक्ष में आदेश पारित किया। अग्रवाल ने अपना फ्लैट दमन निवासी केतन पटेल को किराए पर दिया था और अब उन्होंने इसे वापस पाने के लिए अदालत से गुहार लगाई थी। अदालत ने कहा कि यदि हर किराएदार मालिक के खाते में पर्याप्त राशि आॅनलाइन स्थानांतरित कर अपने तरीके से मुकदमे को लंबा खींचेगा और संपत्ति बेचने से मालिक को रोकने के लिए बाधा खड़ी करेगा तो यह न्याय का उपहास होगा। इसने कहा कि प्रतिवादी की कार्रवाई कानूनी अड़चनें खड़ा करने का प्रयास है। अग्रवाल ने अपने निवेदन में कहा था कि वह सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए हैं और उनको सरकार की ओर से आवंटित मकान खाली करना होगा। उन्होंने कहा कि इसलिए उन्हें दिल्ली के भगवान दास रोड पर व्हाइट हाउस स्थित मकान का कब्जा चाहिए। उन्होंने यह मकान 45 हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से पटेल को किराए पर दे रखा था और उन्होंने पट्टा समझौता विस्तारित नहीं किया तथा पटेल से मकान खाली करने का आग्रह किया। अग्रवाल ने कहा कि पटेल ने उस समय कोई ध्यान नहीं दिया जब किराए पर रहने की उसकी अवधि 31 मई 2011 को खत्म हो गई। उन्होंने गत 11 नवम्बर को पटेल को महीने के अंत तक फ्लैट खाली करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा। उन्होंने कहा कि पटेल ने आश्वासन दिया था कि वह 10 दिसंबर 2011 तक मकान खाली कर देगा, लेकिन उन्हें मकान की बहुत जरूरत थी, इसलिए वह उसे 30 नवम्बर के बाद समय देने को तैयार नहीं हुए। अग्रवाल ने कहा कि पटेल ने जून 2011 से किराया नहीं दिया, लेकिन दिसंबर 2011 में उसने कोई सूचना दिए बगैर उनके खाते में 50 लाख रुपए स्थानांतरित कर दिए। पटेल ने कहा कि अग्रवाल ने अपना फ्लैट बेचने की इच्छा व्यक्त की थी और बिक्री करार 1.75 करोड़ रुपए का हुआ। पटेल ने आरोप लगाया कि उसने 50 लाख रुपए नकद और अन्य 50 लाख रुपए करार के अनुरूप अग्रवाल के खाते में स्थानांतरित किए थे। अग्रवाल ने हालांकि, किसी करार निष्पादन तथा 50 लाख रुपए नकद मिलने से इन्कार किया और कहा कि पटेल ने बगैर किसी अनुमति और सूचना के 50 लाख रुपए उसके खाते में इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से स्थानांतरित किए। अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि पटेल ने स्वीकार किया है कि उसने अपने द्वारा कथित तौर पर जमा कराई गई राशि की कोई रसीद या पावती हासिल नहीं की। अदालत ने कहा कि यह काफी अविश्वसनीय है कि इतनी बड़ी राशि बिना किसी रसीद के दी जाएगी। पटेल द्वारा अग्रवाल के खाते में 50 लाख रुपए जमा कराए जाने पर अदालत ने कहा कि बिक्री से सम्बंधित बातचीत की पुष्टि के बिना किसी के खाते में केवल राशि स्थानांतरित कर देना, कानूनी रूप से मान्य नहीं है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि अग्रवाल का फ्लैट दिल्ली के आलीशान इलाके में है, जबकि पटेल इसके सिर्फ 1.75 करोड़ रुपए में बिकने की बात कर रहा है। इसने उल्लेख किया कि दिल्ली की किसी दूरस्थ कालोनी में डीडीए के फ्लैट की भी काफी कीमत होगी।
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ड्यूटी से इतर घायल होने पर सैन्यकर्मी को नहीं मिलेगी विकलांगता पेंशन: न्यायालय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई सैन्यकर्मी सालाना छुट्टियों के दौरान किसी दुर्घटना में चोटिल हो जाता है तो वह विकलांगता पेंशन का दावा नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति डॉ. बी एस चौहान और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने कहा है कि ऐसे मामलों में दुर्घटना के कारण और विकलांगता पेंशन का दावा करने की सैन्यकर्मी की पात्रता के बारे में अदालतों को मेडिकल बोर्ड के निष्कर्ष में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि विकलांगता पेंशन का दावा करने वाले सैन्यकर्मी को यह सिद्ध करना पड़ेगा कि उसके चोटिल होने का सम्बंध सरकारी ड्यूटी के निष्पादन से है। न्यायालय ने कहा कि यदि कोई सैन्यकर्मी अपनी सालाना छुट्टियों के दौरान गृह नगर में किसी सड़क दुर्घटना में घायल होने के कारण विकलांग हो जाता है तो ऐसी स्थिति में इसे सैन्य सेवा के मत्थे नहीं मढ़ा जा सकता है। ऐसा व्यक्ति विकलांगता पेंशन का हकदार नहीं है। न्यायाधीशों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केन्द्र सरकार की याचिका पर यह व्यवस्था दी। उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा था कि वह तलविन्दर सिंह को विकलांगता पेंशन दे। तलविन्दर सिंह छुट्टियों में अपने घर गया था जहां एक दुर्घटना में उसकी आंख चोटिल हो गई थी। न्यायालय ने कहा कि चूंकि तलविन्दर को ड्यूटी के दौरान न तो चोट लगी थी और न ही सैन्य सेवा के दौरान इसमें इजाफा हुआ, इसलिए वह विकलांगता पेंशन पाने का हकदार नहीं है। तलविन्दर सिंह 23 मई, 1987 को सिख रेजीमेन्ट में भर्ती हुआ था। वह 31 मार्च 1990 को दो महीने की छुट्टी पर घर गया था जहां उसकी आंख में ‘गुल्ली’ लग गई थी। इससे उसकी आंख बुरी तरह जख्मी हो गई थी। सेना के मेडिकल बोर्ड का आकलन था कि इस चोट के कारण तलविन्दर जीवन भर के लिए 30 फीसदी विकलांग हो गया था। हालांकि इस विकलांगता का उसकी सैन्य सेवा से कोई सम्बंध नहीं था।
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आरक्षण सेवा में धांधली की जांच कर सकता है सीवीसी
नई दिल्ली। तत्काल आरक्षण सेवा में अनियमितता की शिकायतों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) यह जानने के लिए जांच करने पर विचार कर रहा है कि क्या रेलवे अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीवीसी तत्काल टिकट वितरण में कथित अनियमितताओं और रेलवे अधिकारियों की दलालों के साथ कथित मिलीभगत की खुद के अधिकारियों या रेल मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी के जरिए जांच कर सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि आयोग तत्काल योजना में कथित अनियमितताओं की खबरों से अवगत है। यह तथ्यात्मक स्थिति जानने और गड़बड़ी का पता लगाने के लिए मामले की जांच पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जांच समिति के गठन पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। सीवीसी शीर्ष सतर्कता संस्थान के रूप में काम करता है और केंद्र सरकार के तहत सभी सतर्कता गतिविधियों पर नजर रखता है। यह विभिन्न संगठनों तथा विभागों को योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा और उनके सतर्कता कार्य में सुधार की सलाह देता है। अधिकारियों ने कहा कि आयोग को भी तत्काल योजना में कथित अनियमितताओं की कुछ शिकायतें मिली हैं। सीवीसी के सचिव केडी त्रिपाठी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। वह आयोग के प्रवक्ता के रूप में भी काम करते हैं। अधिकारी ने कहा कि यदि जांच का आदेश दिया जाता है तो यह रेलवे अधिकारियों तथा दलालों के कथित गठजोड़ पर आधारित होगी। यह योजना में संभावित खामियों को भी देखेगी। रेलवे ने फैसला किया है कि 10 जुलाई से तत्काल सेवा के तहत टिकट की बिक्री यात्रा से एक दिन पहले वर्तमान समय प्रात: आठ बजे की बजाय प्रात:10 बजे से शुरू होगी।
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सरकारी मदद से विदेश पढ़ने जा रहे हैं महाराष्ट्र के किसान
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने अपने किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार इन किसानों को अध्ययन के लिए विदेश भेजने में आने वाले खर्च के कुछ हिस्से का भुगतान अपने पास से करेगी। इस साल की शुरूआत में 172 किसानों का दल महाराष्ट्र से यूरोप गया था। अम्सटर्डम में उन्होंने डेयरियों, पनीर उत्पादन यूनिटों में काम देखा और फिर जर्मनी में सौर ऊर्जा पर आधारित हरित घरों को भी देखा। इस अध्ययन यात्रा का आधा खर्च राज्य सरकार ने उठाया था। अगला दल इस महीने के आखिर में यूरोप जाएगा। इस योजना के लिए दस करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। सरकार की योजना किसानों को दक्षिणी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भेजने की भी है। कृषि मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि किसान खेती की नई तकनीकों के साथ-साथ मार्केटिंग की रणनीतियां, स्थानीय कृषि के तरीके, उनकी प्रोसेसिंग और संरक्षण के तरीके भी सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसानों ने बूंद-बूंद रिसाव से सिंचाई की तकनीक सीखने के लिए ब्राजील और इसराइल जाने की भी इच्छा जताई है। इस अध्ययन यात्रा पर जाने के लिए किसानों का चुनाव पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होता है। इसके लिए आवेदन क्षेत्रीय कार्यालय में जमा कराने होते हैं। कृषि विभाग के दो अधिकारी और किसानों की मदद के लिए एक अनुवादक इस दल के साथ जाते हैं। अब राज्य सरकार कृषि कॉलेजों से कृषि विशेषज्ञों को भी साथ लेने की सोच रही है।
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अशरफ ने जरदारी को मिली छूट का बचाव किया
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री रजा परवेज अशरफ ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को मिली छूट का बचाव किया और कहा कि यह तभी खत्म होगा जब वह अपने पद से हटेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से शुरू करने के लिए 12 जुलाई की समय सीमा तय की है। अशरफ ने संवाददाताओं से कहा कि कानून के मुताबिक वह (जरदारी) लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए राष्ट्रपति हैं और वह जब तक पद पर रहेंगे तब तक छूट के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि सभी कानूनी विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर सरकार को यही सलाह दिया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अशरफ को 12 जुलाई तक का समय दिया ताकि वे स्विस अधिकारियों को जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से शुरू करने के लिए कह सकें। अशरफ के पूर्ववर्ती युसूफ रजा गिलानी द्वारा जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले शुरू करने के शीर्ष अदालत के आदेश पर कार्रवाई नहीं करने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी पाया और उन्हें अयोग्य ठहराया था। गिलानी और अशरफ ने जोर देकर कहा है कि राष्ट्रपति को पाकिस्तान और विदेशों में अभियोजन चलाए जाने से छूट हासिल है। सुप्रीम कोर्ट दिसंबर 2009 से ही सरकार पर जरदारी के खिलाफ मामले फिर से शुरू करने के लिए दबाव बना रहा है। शीर्ष अदालत ने उस समय पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ द्वारा दिए गए क्षमादान को रद्द कर दिया था। इस क्षमादान से जरदारी तथा आठ हजार अन्य लोगों को लाभ मिला था। यह पूछे जाने पर कि क्या वे जरदारी के खिलाफ मामले शुरू करने के लिए स्विस अधिकारियों को लिखेंगे इस पर अशरफ ने कहा कि वह अपना फैसला 12 जुलाई को घोषित करेंगे। उन्होंने कहा कि यह छूट न केवल पाकिस्तान के राष्ट्रपति बल्कि विश्व के सभी राष्ट्रपतियों को मिली है। अशरफ ने कहा कि राष्ट्रपति के छूट के मामले को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है जबकि इस मामले पर कोई अस्पष्टता नहीं है। पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कोई सही फैसला नहीं होगा तो यह देश में अव्यवस्था फैल सकती है। इसलिए हमें इस तरह के फैसलों से बचना चाहिए और एक उचित फैसला लेना चाहिए जो देश को नुकसान नहीं पहुंचाए।
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