24-09-2015, 08:33 PM | #1121 | |
Member
Join Date: May 2014
Location: Mumbai
Posts: 225
Rep Power: 17 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
निर्धन के दीपक सी बुझती सी मूक व्यथायें, प्राणों की चित्रपटी में आँकी सी करुण कथायें. (महादेवी वर्मा) |
|
25-09-2015, 12:35 AM | #1122 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
ताक़त मिरे पर में आ गयी है आवारा परिंदों को मुबारक हरयाली शजर में आ गयी है (शजर = पेड़) (मुज़फ्फ़र हनफ़ी)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
26-09-2015, 07:48 PM | #1123 |
Member
Join Date: May 2014
Location: Mumbai
Posts: 225
Rep Power: 17 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
|
26-09-2015, 10:53 PM | #1124 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
रहते हैं अनजान अपरिचित कोल्हू के...... घेरे के मारे इस धरती के वासी अगनित! जिनके हिस्से सतत, अनवरत, निशि वासर श्रम पर श्रम करना ओवर टाइम लगाना नींद गवाना यंत्रों के संग यंत्रवत होते जाना! (उपेन्द्र नाथ अश्क़)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
30-09-2015, 08:47 PM | #1125 | |
Member
Join Date: May 2014
Location: Mumbai
Posts: 225
Rep Power: 17 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
नर्तन कर, नर्तन कर, नागिन, मेरे जीवन के आँगन में! तू प्रलय काल के मेघों का कज्जल-सा कालापन लेकर, तू नवल सृष्टि की ऊषा की नव द्युति अपने अंगों में भर, बड़वाग्नि-विलोडि़त अंबुधि की उत्तुंग तरंगों से गति ले, रथ युत रवि-शशि को बंदी कर दृग-कोयों का रच बंदीघर, कौंधती तड़ित को जिह्वा-सी विष-मधुमय दाँतों में दाबे, तू प्रकट हुई सहसा कैसे मेरी जगती में, जीवन में? नर्तन कर, नर्तन कर, नागिन, मेरे जीवन के आँगन में! तू मनमोहिनी रंभा-सी, तू रुपवती रति रानी-सी, तू मोहमयी उर्वशी सदृश, तू मनमयी इंद्राणी-सी, तू दयामयी जगदंबा-सी तू मृत्यु सदृश कटु, क्रुर, निठुर, तू लयंकारी कलिका सदृश, तू भयंकारी रूद्राणी-सी, तू प्रीति, भीति, आसक्ति, घृणा की एक विषम संज्ञा बनकर, परिवर्तित होने को आई मेरे आगे क्षण-प्रतिक्षण में। नर्तन कर, नर्तन कर, नागिन, मेरे जीवन के आँगन में! (हरिवंश राय बच्चन) |
|
01-10-2015, 11:35 PM | #1126 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
मर भी जायेंगे किसी रोज़ मुहब्बत में 'क़मर' ज़िन्दगी है तो कभी काम भी आ जायेगी (क़मर मुरादाबादी)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
02-10-2015, 07:34 PM | #1127 |
Member
Join Date: May 2014
Location: Mumbai
Posts: 225
Rep Power: 17 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
|
02-10-2015, 11:26 PM | #1128 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
दीन छुड़ाया, धरम छुड़ाया...........देस छुड़ाया लोगों ने (कैफ़ भोपाली)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
03-10-2015, 10:13 PM | #1129 | |
Member
Join Date: May 2014
Location: Mumbai
Posts: 225
Rep Power: 17 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
न मास्को में मिला औन र चीन ओ पैरिस में भला मिलेगा कहाँ बम्बई की गलियों में ये इंतिज़ार-ए-मुसलसल ये जाँ-कनी ये अज़ाब हर एक लम्हा जहन्नम हर एक ख़्वाब सराब ('बाकर' मेंहदी) |
|
03-10-2015, 11:45 PM | #1130 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
बढ़के मंजिल तेरे क़दमों की बालाएं लेती दिल से इक बार तो मंजिल को पुकारा होता (दिवाकर राही)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
Bookmarks |
Tags |
अन्ताक्षरी, कविता, गजल, गीत, शायरी, शेर, antakshari |
|
|