14-11-2011, 05:47 PM | #111 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
मेलबर्न ! आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने एक उत्परिवर्ती जीन खोज निकालने का दावा किया है जो एक तरह के त्वचा कैंसर (मेलानोमा) के खतरे को बढाता है। एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वेस्टमीड मिलेनियम इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च के ग्राहम मान ने बताया कि इस उत्परिवर्ती जीन को एमआईटीएफ के नाम से जाना जाता है जो आमतौर पर उन लोगों में पाया जाता है जिनके शरीर पर कई तिल होते हैं और जिनके पूर्वज ‘मेलानोमा’ से ग्रसित रहे होते हैं। उन्होंने बताया कि कई नमूनों के अध्ययन में पाया गया कि करीब दो लाख आस्ट्रेलियाई नागरिकों में यह जीन मौजूद है। यह शोध विज्ञान जर्नल ‘नेचर’ के हालिया अंक में प्रकाशित किया गया है। मान ने कहा कि यह शोध लोगों के बेहतर उपचार के लिए उम्मीद की एक किरण की तरह है। उन्होंने कहा कि हम ऐसी उम्मीद करते हैं क्योंकि हम इस बात को समझते हैं कि प्रणाली कैसे काम करती है, इसे सुरक्षित दवा के माध्यम से रोका जा सकता है।
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14-11-2011, 05:58 PM | #112 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
सीएसएमसीआरआई ने औद्योगिक कचरे से बनाये मूल्य संवर्धित उत्पाद
अहमदाबाद ! केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान :सीएसएमसीआरआई: ने रंग बनाने वाली इकाइयों से निकलने वाले हानिकारक कचरे को मूल्य संवर्धित उत्पादों में तब्दील करने की मानक प्रक्रियाएं विकसित की हैं। इस तरह के उत्पादों का उर्वरक, प्लास्टिक और डिटर्जेंट निर्माण से जुड़े उद्योगों में इस्तेमाल हो सकता है। गुजरात रंग बनाने वाली निर्माण इकाइयों का गढ माना जाता है। इन उद्योगों से टनों की मात्रा में तरल अपशिष्ट निकलता है जो पर्यावरण के लिये हानिकारक होता है। अगर अनुसंधान संस्थान के शोध पर उद्योगों ने अमल किया तो इससे रंग बनाने वाले उद्योग के चलते होने वाले प्रदूषण को महत्वपूर्ण रूप से कम किया जा सकेगा। संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक एम आर गांधी ने बताया, ‘‘हमने रंग बनाने वाली इकाइयों से निकलने वाले अमोनियम कार्बोनेट, पतले सल्फरिक एसिड और अमोनियम क्लोराइड जैसे अपशिष्ट को तब्दील करने की कुछ प्रक्रियाओं का मानकीकरण किया है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘इन प्रक्रियाओं के जरिये रंग बनाने वाली इकाइयों से निकलने वाले पदार्थों को सफलतापूर्वक सिंथेटिक हाइड्रो टेलसाइट, जियोलाइट ए तथा अमोमिनयम सल्फाइट जैसे मूल्य संवर्धित उत्पादों में तब्दील किया जा सकता है और इससे तरल अपशिष्ट नहीं की मात्रा में निकलेगा।’’ इस तरह की प्रक्रिया को अपनाने में उर्वरक तथा औद्योगिक उत्पाद बनाने वाली सरकार संचालित इकाई गुजरात राज्य उर्वरक तथा रसायन (जीएसएफसी) ने दिलचस्पी दिखायी है।
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14-11-2011, 06:25 PM | #113 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
अपना वजूद बचाने के लिए मेंढक ले लेते हैं एक दूसरे की जान
मेलबर्न ! एक नये अध्ययन के मुताबिक समुद्री मेंढक अपना वजूद बचाने के लिए अपनी बिरदारी के अन्य मेंढकों के खिलाफ एक खास तरह का जहरीला रसायन उगलते हैं क्योंकि उनके बीच भी अस्तित्व की लड़ाई होती है। सिडनी विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानियों ने पाया कि यह समुद्री मेंढक जल में एक खास तरह का रसायन उगलकर एक दूसरे से संपर्क साधते हैं और अपना वजूद बचाने के लिए एक दूसरे की जान ले लेते हैं। इस तथ्य से शहरी इलाकों में उनकी संख्या को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। अध्ययन दल के प्रमुख जीवविज्ञानी रिक शाइन ने बताया कि समुद्री मेंढक रसायन उगलते हैं जो जल के जरिए अन्य मेंढकों तक पहुंचता है और इस आधार पर वे निर्णय करते हैं। प्रो. शाइन ने बताया कि मेंढक अपने विकास के चरण में यदि बार - बार इन रसायनों को ग्रहण करते हैं तो संभवत: तनाव से उनकी मौत हो जाती है। इसके अलावा उनके ताजा अंडों से एक खास तरह का रसायन निकलता है जो दूसरे मेंढकों को बीमार कर देता है और उनके अंडों को नष्ट कर देता है। इस ‘आकर्षणकारी रसायन’ का बड़ा फायदा यह है कि भविष्य के प्रतिद्वंदियों का सफाया कर देता है क्योंकि एक समुद्री मेंढक ही दूसरे मेंढक का कट्टर दुश्मन होता है। उन्होंने बताया कि हम इन रसायनों को प्राप्त कर सकते हैं और मेंढकों को फंसाने के लिए जाल बुन सकते हैं।
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14-11-2011, 06:52 PM | #114 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
नए तरीके से होगा पार्किंसन का उपचार...
वाशिंगटन ! क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्टेम कोशिकाओं से बदलकर अब पार्किंसन बीमारी का इलाज हो सकेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इसके लिए एक नया तरीका ईजाद कर लिया है। फ्लोरे न्यूरोसाइंसेज इंस्टीट्यूट और मेलबर्न विश्वविद्यालय की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय टीम का कहना है कि नयी तकनीक को कठिन परिस्थितियों में भी उपयोग के लिए विकसित किया जा सकता है। पार्किंसन बीमारी से डोपामाइन का निर्माण करने वाले मस्तिष्क उतकों का समूह नष्ट हो जाता है, जो मस्तिष्क से नियंत्रण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रथम चरण में डोपामाइन मस्तिष्क उतक निर्माण का काम होता है, जो कि पार्किंसन बीमारी में खत्म हो जाता है। टीम की अगुवाई कर रही क्लेर पेरिस ने कहा इसके बाद मस्तिष्क में होने वाले बदलाव को पता लगाकर इसे परिष्कृत करने की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया की कुछ सीमाएं भी हैं। केवल 30 प्रतिशत उतक ही डोपामाइन मस्तिष्क उतक का रूप ले पाते हैं। इसमें कुछ जोखिम भी है क्योंकि स्टेम कोशिकाएं फिर से बढ सकती हैं और यह ट्यूमर का रुप ले सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि टीम प्रभावित उतक को सिरे से समाप्त करने पर भी काम कर रही है। कुल मिलाकर टीम अब इस पूरी प्रक्रिया के चिकित्सकीय परीक्षण करने के करीब पहुंच चुकी है।
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14-11-2011, 07:15 PM | #115 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
कैंसर का खात्मा करने आ गई चमत्कारिक दवा
लंदन ! वैज्ञानिकों का दावा है कि अब उन्होने कैंसर का खात्मा करने वाली एक नई चमत्कारिक दवा की खोज कर ली है। उनका यहां तक दावा है कि इससे कैंसर के खतरनाक से खतरनाक स्वरूपों को जड़ से मिटाया जा सकेगा। ‘नेचर मेडिसिन जर्नल’ में छपे एक लेख में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोध करने वाली अंतर्राष्ट्रीय टीम का दावा है कि केजी-5 नाम की इस दवाई से कैंसर कोशिकाओं को मारा जा सकता है। इसके असर से ट्यूमर की कोशिकओ की गणना नहीं बढती। ट्यूमर और कैंसर के मरीजों के लिये उम्मीद बनी यह दवा बाजार में पांच साल में उपलब्ध हो पायेगी। टीम का नेतृत्व करने वाले प्रो. डेविड चेरेश का कहना है कि इस दवा से कैंसर कोशिकाओं की संख्या नहीं बढ पाती और कोशिकायें मृत हो जाती हैं। ‘आरएएफ’ नाम के एक एंजाइम की संरचना में परिवर्तन कर यह दवाई अपने काम को अंजाम देती है जिससे साइड इफैक्ट भी नहीं होता।
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14-11-2011, 08:13 PM | #116 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
खत्म हो सकती है बोतल में सॉस के चिपकने की समस्या
लंदन ! उन महिलाओं के लिए एक अच्छी खबर है जिन्हें सॉस को कैचप बोतल से निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने एक परभक्षी (कीट-पतंगों का भक्षण करने वाले) पौधे पर आधारित एक बहुत ज्यादा फिसलन वाला पदार्थ तैयार किया है। अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक दल के मुताबिक पदार्थ के रासायनिक गुण इसे तेल और पानी दोनों के प्रति प्रतिरोधी बनाते हैं। इसका मतलब है बिना कोई शेष बचे ये इसमें से फिसल जाते हैं। शोधकर्ता इस पदार्थ के लिए नेपेन्थेस नामक कलश पादप (पिचर प्लांट) से प्रेरित हुए। इस पादप का बाहरी भाग इसकी बांसुरी के आकार की पत्तियों के शीर्ष पर बहुत ही चिकना होता है, जिससे कीट-पतंगे अंदर मौजूद पाचक रस में नीचे फिसल जाते हैं। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि पादप की पत्तियों की बनावट स्पंज जैसी होती है जो पानी से नम रहती है। यह कीटों के पैरों पर उत्पन्न तेल को चिपकने से रोकती है। दल ने बहुत ही चिकनी और फिसलन भरी सतह बनाने के लिए टेफ्लॉन की स्पंज जैसी पर्त के छेदों में ‘लुब्रिकेटिंग फिल्म’ डालकर पौधे की नकल की। शोधकर्ताओं ने पहले ही इसको दर्शाया था कि सबसे ज्यादा चिपकने वाला जैम नए पदार्थ से आसानी से फिसलता है।
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14-11-2011, 08:15 PM | #117 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
महाविस्फोट के बाद पैदा हुए गैस के दो बादलों का पता चला
वाशिंगटन ! खगोल वैज्ञानिकों ने गैस के ऐसे दो बादलों का पता लगाया है, जिसके बारे में उनका मानना है कि ब्रह्मांड का निर्माण करने वाले महाविस्फोट (बिगबैंग) के कुछ ही मिनट बाद यह बन गए थे। खगोल वैज्ञानिकों ने बताया कि गैस के इन बादलों की सर्वप्रथम की गई इस खोज में व्यापक रूप से स्वीकृत उस सिद्धांत का और अधिक समर्थन किया गया है, जिसके तहत ब्रहमांड के निर्माण की प्रक्रिया बताई गई थी। आरंभिक गैसीय बादल में सिर्फ हल्के तत्व 'हाइड्रोजन और हीलियम' मौजूद थे, जिसका निर्माण बिग बैंग से हुआ था। स्पेस.कॉम की खबर में बताया गया है कि शोधकर्ताओं के मुताबिक बिग बैंग के लाखों वर्ष बाद इन गैसीय बादलों का हिस्सा संघनीत होकर प्रथम तारा बना होगा, जिसने समूचे ब्रह्मांड में भारी तारों का निर्माण और प्रसार किया होगा। सांता क्रुज स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसीएससी) में स्नातक की छात्रा एवं अध्ययन दल प्रमुख मिशेल फुमागली ने बताया कि यह बातें शुरूआती ब्रह्मांड के बारे सैद्वांतिक अनुमानों के समान है।
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15-11-2011, 05:34 PM | #118 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
दिल के दौरे में स्टेम सेल से चमत्कार की उम्मीद
लंदन ! वैज्ञानिकों ने दिल के दौरे की बीमारी के उपचार में बड़ी सफलता हाथ लगने का दावा किया है । उन्होंने बताया है कि दिल के दौरे की बीमारी से पीड़ित मरीजों का उपचार उनकी ही स्टेम सेल से करने के शोध के ‘चौंकाने’ वाले परिणाम मिले हैं । ‘दी लांसेट’ के ताजा संस्करण में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 16 मरीजों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त दिल का उपचार करने के लिए दिल की स्टेम सेल का इस्तेमाल किया गया था। इंसानों में ऐसा पहली बार किया गया। वैज्ञानिकों ने एक साल बाद पाया कि आठ मरीजों के दिल की ‘पंपिंग क्षमता’ 12 फीसदी से अधिक बढ गयी थी। सभी मरीजों की दशा में किसी ने किसी प्रकार का सुधार देखा गया। हालांकि यह शुरूआती शोध है और इसमें अभी व्यापक पैमाने पर काम करने की जरूरत है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि नतीजे बताते हैं कि इसका दूरगामी प्रभाव होगा। डेली टेलीग्राफ ने लुइसविले यूनिवर्सिटी के शोध दल के प्रमुख वैज्ञानिक राबर्टो बोली के हवाले से बताया, ‘‘ नतीजे चौंकाने वाले हैं । हमें नहीं पता कि सुधार कैसे हुआ, लेकिन यदि भावी शोध में भी ऐसे ही नतीजे मिले, तो हृदय रोग के क्षेत्र में यह एक बड़ी क्रांति होगी।’’ गौरतलब है कि दिल तब काम करना बंद कर देता है, जब क्षतिग्रस्त दिल कमजोर हो जाता है और पर्याप्त मात्रा में शरीर में रक्त को पंप नहीं कर पाता । ऐसा दिल का दौरा पड़ने से होता है और इससे गंभीर किस्म की विकलांगता हो सकती है और जिंदगी के लम्हें घट सकते हैं ।
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15-11-2011, 06:21 PM | #119 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
अरूणाचल प्रदेश में पतंगे की नयी प्रजाति का पता चला
ईटानगर ! अरूणाचल प्रदेश में पतंगे की एक नयी प्रजाति का पता चला है जिससे प्रकृति प्रेमी बेहद खुश हैं जो अब तक यह मानते थे कि भारत में पतंगों और तितली की कई प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं । इस नये पतंगे की फोटो डाक्टर तागे कानों के नेतृत्व में प्रकृति प्रेमियों के एक दल ने नगूनू जिरो में ताल्ले घाटी आरक्षित क्षेत्र की अपनी यात्रा के दौरान खींचा है । इस दल के सदस्य आरिफ सिद्दीकी ने कहा, ‘‘चित्र बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के शिक्षा अधिकारी डाक्टर वी शुभलक्ष्मी के पास पहचान के लिये भेजा गया था। डाक्टर शुभलक्ष्मी ने इसकी ‘जीनियस लेवल’ के रूप में पहचान की है ।’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटिश नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम और हांगकांग के विशेषज्ञों ने सलाह के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है कि यह वास्तव में एक नयी प्रजाति है । कीटविज्ञानियों ने कुछ साल पहले एक दुर्लभ तितली भूटान ग्लोरी और पतंगे की नयी प्रजाति को निचले सुबानसिरि जिले के जिरो में देखा था । सिद्दीकी ने कहा, ‘‘इस प्रजाति के पतंगों पर विशेषज्ञता हासिल कर रहे ताइवान विश्वविद्यालय के डाक्टर शेन होर्न वेन प्रजातियों के बारे में विवरण देने में मदद देने पर सहमत हो गये हैं ।’’ एक अनुमान के मुताबिक पृथ्वी पर 131 परिवारों के एक लाख 65 हजार तितलियों और पतंगों की सूचीबद्ध प्रजातियों में से वर्तमान में एक लाख 12 हजार मौजूद हैं । पतंगा एक कीट है और तितली परिवार से नजदीकी से जुड़ा हुआ है । ज्यादातर प्रजातियां रात्रिचर हैं लेकिन कई दिन में भी उड़ने वाले पतंगे मौजूद हैं । भारत में विशेषकर पूर्वोत्तर में पतंगों के 15 हजार से 17 हजार प्रजातियों का घर है, लेकिन चार पंखो वाले इन कीटों की बहुत तेजी से कमी आई है । भारत में तितलियों की हजारों प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं ।
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16-11-2011, 05:24 PM | #120 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
जलवायु परिवर्तन से पूर्वोत्तर के दुर्लभ पादप एवं जंतु हो सकते हैं विलुप्त
इंफाल ! एक नये अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पूर्वोत्तर में पादप एवं जंतुओं की कई दुर्लभ और स्थानीय प्रजाति जल्द ही विलुप्त हो सकती है और सिर्फ संरक्षण की कोशिशें बढाने से यह खतरा टल सकता है। असम के मुख्य वन संरक्षक एसपी सिंह ने बताया कि सीमित जलवायु श्रेणी की प्रजातियां या प्रतिबंधित आश्रय जरूरतों या कम आबादी वाले पादप एवं जंतु पर विलुप्ति का अधिक खतरा मंडरा रहा है। जैसे कि ‘पेगमी हॉग’, जो असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान के घास के मैदानों में पाया जाता है। साथ ही द्वीपों या आर्द्र इलाकों तक ही सीमित पादपों को भी खतरा है। अध्ययन के मुताबिक इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से जैवविविधता को बहुत अधिक खतरा होने की संभावना है। आश्रय के छिन्न भिन्न होने और प्राकृतिक संसाधनों पर भारी जैविक दबाव के चलते प्रभाव की गंभीरता के बढने की भी संभावना है। यहां मणिपुर जैवविविधता बोर्ड द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में यह अध्ययन पेश किया गया। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने अपने एक विश्लेषण में दावा किया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में अगले दो दशक में तापपान में 1.8 से लेकर 2.1 डिग्री सेल्सियस बढोतरी होने की संभावना है।
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