21-07-2013, 03:02 PM | #111 |
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Re: खेल डेस्क
वेस्ट इंडीज के इन दो दिग्गजों ने 1979 से 1991 के बीच 52.58 के औसत से रन जोड़े थे। महज 103 पारियों में 5206 रन जोड़कर वे वनडे इतिहास के पहले पेयर बने थे जिसने 50 प्लस के एवरेज से पार्टनरशिप निभाई।
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21-07-2013, 03:03 PM | #112 |
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Re: खेल डेस्क
8. मैथ्यू हेडन और रिकी पोंटिंग (ऑस्ट्रेलिया)
2001 से 2008 के बीच दबंग रहे इन दो कंगारुओं ने 52.44 के औसत से 3514 रन जोड़े। इसमें 10 सेंचुरी और 15 हाफ सेंचुरी शुमार रहीं।
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21-07-2013, 03:03 PM | #113 |
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Re: खेल डेस्क
9. डेमियन मार्टिन और रिकी पोंटिंग (ऑस्ट्रेलिया)
पंटर ने लगभग हर बल्लेबाज के साथ पार्टनरशिप निभाई। 1998 से 2006 के बीच दोनों ने 62 पारियों में 51.98 के औसत से 3015 रन जोड़े, जिसमें 8 शतकीय और 14 अर्धशतकीय साझेदारियां शुमार रहीं।
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21-07-2013, 03:03 PM | #114 |
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Re: खेल डेस्क
10. जावेद मियांदाद और रमीज राजा (पाकिस्तान)
ये पाकिस्तान के लिए औसत के मामले में अव्वल जोड़ी रही। 1985 से 1993 के बीच मियांदाद और राजा ने मिलकर 46 पारियों में 51.82 के औसत से 2125 रन जोड़े, जिसमें 5 सेंचुरी और 16 हाफ सेंचुरी शामिल रहीं।
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21-07-2013, 04:53 PM | #115 |
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Re: खेल डेस्क
रवींद्र जडेजा मौजूदा वक्त में टीम का सबसे अहम खिलाड़ी : कपिल देव
महान ऑलराउंडर कपिल देव ने रवींद्र जडेजा को भारतीय क्रिकेट टीम की हालिया सफलता का श्रेय देते हुए सौराष्ट्र के इस खिलाड़ी को मौजूदा समय में टीम का सबसे अहम क्रिकेटर करार दिया। कपिल ने कहा, जब से वह आया है, टीम में काफी अंतर आया है। वह इस समय काफी महत्वपूर्ण क्रिकेटर है। उन्होंने कहा कि जडेजा अपनी शानदार गेंदबाजी, बल्लेबाजी और सटीक क्षेत्ररक्षण से टीम के लिए अहम बन गया है। कपिल ने कहा, पिछले एक साल में उसने खुद को ऑलराउंडर से कहीं अधिक शानदार ढंग से स्थापित किया है। वह ऐसा खिलाड़ी है, जिसने क्षेत्ररक्षण के स्तर में सुधार किया। उन्होंने कहा, ऐसी काबिलियत वाले खिलाड़ी को देखकर अच्छा लगता है, जो अपनी बल्लेबाजी, गेंदबाजी और इन सबसे ऊपर अपने क्षेत्ररक्षण से टीम को मैच जिता सके। उसे सलाम। टीम में इस तरह की काबिलियत वाले खिलाड़ी को देखना शानदार है। वर्ष 1983 विश्वकप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव ने बंगाल क्रिकेट संघ के सालाना पुरस्कार समारोह के इतर यह बात कही।
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23-07-2013, 07:35 PM | #116 |
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Re: खेल डेस्क
आरके आनंद अध्यक्ष बने
झारखंड वालीबॉल संघ की आम बैठक सह चयन रविवार को आरके आनंद मिडिया गैलेरी रांची विश्वविद्यालय परिसर में आरके आनंद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई. इस बैठक में वालीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के आबर्जब्बर रथीन राय चौधरी, झारखंड ओलिंपक संघ के पर्यवेक्षक मधुकांत पाठक की उपिस्थति में चुनाव कराया गया. इसमें आरके आनंद को तीसरी बार सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया. वहीं, अंतरराष्ट्रीय वालीबॉल प्रशिक्षक शेखर बोस दोबारा सचिव बनाये गये. शेतांक सेन दूसरी बार कोषाध्यक्ष बनाये गये. झारखंड के मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह को संरक्षक, रांची के सांसद सुबोधकांत सहायक को चेयरमैन बनाया गया. कार्यकारिणी के पदाधिकारियों में आरके आनंद अध्यक्ष, सुनील कुमार सहाय कार्यकारी अध्यक्ष, एमएल दास कार्यकारी उपाध्यक्ष, एसएम हाशमी, वरीय उपाध्यक्ष, सीके ठाकुर, दुर्गा जहिंरी, अशोक, एके बोस, प्रमोद कुमार, गोपाल राय, एच राय व सुनील कुमार को उपाध्यक्ष, सीपी सिंह, सुजीत कुमार मित्रा, आदिल हुसैन, देवाशीष झा, कल्याण श्रीवास्तव, राज बक्सी, विजय श्रीवास्तव, सजल बोस, शैलेंद्र सिंह, यूएन सिंह, प्रो. अजीत सहाय को एसोसिएटेड उपाध्यक्ष, शेखर बोस को सचिव, शेतांक सेन कोषाध्यक्ष, उश्रम राज को आयोजन सचिव, एसबी मुंडू, राकेश पांडेय, विजेन्द्र उपाध्याय को संयुक्त सचिव, सूरज प्रकाश लाल, मंतषिं चौधरी, एम चक्र वर्ती, विश्वजीत नंदी व समी आजाद को प्रतिभा खोज समिति में रखा गया है. इसके अलावा विभिन्न जिला संघों के कार्यकलापों की देखरेख के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. इसके अध्यक्ष एसएम हाशमी होंगे, जबकि शेखर बोस को संयोजक बनाया गया है. इसके अलावा एस सेन, विपिन कुमार और प्रभात शर्मा सदस्य होंगे.
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25-07-2013, 09:04 PM | #117 |
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Re: खेल डेस्क
टीम इंडिया के कोच फ्लेचर यह कड़वी सच्चाई, क्या जानते हैं आप?
टीम के साथ केक और पेस्ट्री बेचते थे डंकन फ्लेचर टीम इंडिया के कोच डंकन फ्लेचर जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी रहे हैं। जिम्बाब्वे वनडे की बेहद कमजोर टीम रही है। शुरुआती वर्ल्ड कपों के लिए उसे हर बार क्वालिफाइंग दौर से गुजरना पड़ा था। 1983 में जब टीम इंडिया ने पहला वर्ल्ड कप जीता, उस टूर्नामेंट में डंकन फ्लेचर जिम्बाब्वे टीम की कप्तानी कर रहे थे। जिम्बाब्वे की टीम ने वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई तो कर लिया था, लेकिन इंग्लैंड में हुए उस टूर्नामेंट में पहुंचने के लिए टीम के पास जरूरी धनराशि नहीं थी। पैसा इकट्ठा करने के लिए टीम के हर खिलाड़ी ने कॉन्ट्रीब्यूट किया था। इसके लिए खिलाड़ी अपने कुक द्वारा बनाए केक बेचा करते थे। वर्ल्ड कप तक पहुंचने के लिए जिम्ब्बावे के खिलाड़ियों ने टाई और कफलिंक बेचने से लेकर बीयर बार में बाउंसर बनने जैसे मुश्किल काम भी किए थे। जमा किए हुए पैसों से जिम्बाब्वे टीम जैसे-तैसे इंग्लैंड तक पहुंच सकी।
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25-07-2013, 09:05 PM | #118 |
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Re: खेल डेस्क
1983 में मुश्किलों से वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने पहुंची जिम्बाब्वे टीम ने पहले ही मैच में हंगामा खड़ा कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नॉटिंघम में हुए मैच में फ्लेचर ने नाबाद 69 रन बनाने के साथ ही 4 विकेट भी चटकाए थे।
उनके ऑलराउंड परफॉर्मेंस के दम पर जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को 13 रन से हराया था। हालांकि, उसके बाद टीम हर मैच में हारी, लेकिन पहले मैच में दिग्गज को हराकर जिम्बाब्वे की टीम ने अपना दम जरूर दिखाया।
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25-07-2013, 09:06 PM | #119 |
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Re: खेल डेस्क
जिम्बाब्वे टीम को टेस्ट टीम होने का दर्जा अक्टूबर 1992 में मिला था। 18 अक्टूबर 1992 को भारत के खिलाफ हरारे में जिम्बाब्वे ने पहला टेस्ट मुकाबला खेला।
वह मैच रोमांचक ढंग से ड्रा रहा था। कप्तान डेव हगटन ने मैच में 15 चौकों से सजी 121 रन की पारी खेली थी। उनके अलावा ग्रांट फ्लावर ने 82 और एंडी फ्लावर ने 59 रन बनाए थे। इन्हीं पारियों के दम पर जिम्बाब्वे ने पहली पारी में 456 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था। पहले टेस्ट मैच में किसी भी टीम द्वारा बनाया यह इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर है। अपने पहले टेस्ट मुकाबलों में दिग्गज टेस्ट टीमों के आंकड़े इस प्रकार से रहे - न्यूजीलैंड - 112 (10 जनवरी 1930, बनाम इंग्लैंड) ऑस्ट्रेलिया - 245 (15 मार्च 1877, बनाम इंग्लैंड) इंग्लैंड - 196 (15 मार्च 1877, बनाम ऑस्ट्रेलिया) बांग्लादेश - 400 (10 नवंबर 2000, बनाम इंडिया) इंडिया - 189 (25 जून 1932, बनाम इंग्लैंड) पाकिस्तान - 150 (16 अक्टूबर 1952, बनाम इंडिया) साउथ अफ्रीका - 84 (12 मार्च 1889, बनाम इंग्लैंड) श्रीलंका - 218 (17 फरवरी 1982, बनाम इंग्लैंड) वेस्ट इंडीज - 177 (23 जून 1928, बनाम इंग्लैंड)
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25-07-2013, 09:07 PM | #120 |
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Re: खेल डेस्क
जिम्बाब्वे की टीम फिलहाल भले ही अच्छा प्रदर्शन न कर रही हो, लेकिन यहां के पूर्व खिलाड़ी क्रिकेट वर्ल्ड के बेहतरीन कोच रहे हैं।
इंग्लैंड के कोच एंडी फ्लावर ने अपनी टीम को बुलंदियों तक पहुंचाया। ऑस्ट्रेलिया में एशेज सीरीज जीत से लेकर इंडिया में टेस्ट सीरीज विक्ट्री तक फ्लावर ने इंग्लैंड टीम को चमकाया। अब इंग्लैंड लगातार तीसरे एशेज सीरीज जीत के करीब है... थैंक्स टू कोच एंडी फ्लावर। चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम इंडिया के कोच डंकन फ्लेचर भी जिम्बाब्वे से हैं। भारतीय टीम के फील्डिंग कोच ट्रेवर पेनी भी जिम्बाब्वे से हैं। इंग्लैंड की काउंटी टीमों में भी डेविड हगटन और केविन कुरन जैसे जिम्बाब्वे के प्लेयर्स ने बतौर कोच धूम मचाई है।
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