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Old 16-10-2011, 12:02 PM   #111
ndhebar
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Default Re: छींटे और बौछार

कल हो न हो

आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
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Old 16-10-2011, 12:06 PM   #112
Big boss
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Originally Posted by ndhebar View Post
कल हो न हो


आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो


आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन

और आखों मे कोई सपना हो ना हो
बहुत खूब ढेबर जी काफी अच्छा लिखते हैं आप
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Old 16-11-2011, 09:52 PM   #113
ndhebar
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Default Re: छींटे और बौछार

वरना जोगन बन डोलूँगी

जी भर बरसे मेघा फ़िर भी, पपिहन प्यासी हूँ बोले,
शब्द प्यास के फ़िर वह रह रह सबके कानों में घोले ।

लगता है कुछ शेष रह गयी अन्तर्मन की टीस सखे !
जी भर नाचा खूब मयूरा, फ़िर अधीर है पर खोले,

हरियाली का ताज सजा था कल बारिश की रिमझिम में,
कुम्हिलाने फ़िर लगी धरा है, शनै: शनै: हौले हौले ।

घर आँगन जलमग्न हुए थे, झरने भी थे खूब बहे,
पर यह कैसी प्यास सखे ! जो खड़ी ओखली मुँह खोले ।

अब तुम ही बतला दो कैसे, एक स्पर्श से जी लूँ मैं,
तुम मुझसे कहते हो भर लूँ , एक बार में ही झोले ।

मन की पीड़ा समझ सको तो, मिलना बारम्बार सखे !
वरना जोगन बन डोलूँगी, अलख निरंजन बम भोले ।

__________________
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Old 18-11-2011, 07:31 PM   #114
ndhebar
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Default Re: छींटे और बौछार

चिटकनी

अजी सो गये क्या,
जरा उठिये ना,
मुझसे फ़िर बन्द नहीं हो पा रही,
इस दरवाजे की चिटकनी ।

तुम भी सोचते होगे,
रोज-रोज मुझे परेशान करती है,
रोज-रोज मुझे नींद से जगाती है ।

क्या करूँ,
मुझसे ये बन्द ही नहीं होती,
बड़ी मुसीबत हो जाती है,
जब तुम कभी चले जाते हो,
एक-दो दिन के लिये भी बाहर,
मैं सो नहीं पाती हूँ ,
चिटकनी के बन्द न हो पाने से ।

अजी सुनती हो,
जरा देखो तो,
आज मैनें चिटकनी ठीक करवा दी है,
तुम्हारे हर रोज की मुसीबत,
हमेशा के लिये दूर कर दी है,
अब तुम इसे आसानी से बन्द कर सकती हो,
और मेरे चले जाने के बाद,
बिना किसी मुसीबत के,
तुम आराम से सो सकती हो ।
__________________
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Old 20-01-2012, 06:04 PM   #115
ndhebar
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Default Re: छींटे और बौछार

  • आज फिर से क्या हुआ की आँखें मेरी नम है,
    ठहर जा ऐ अश्क मेरे , और भी तो गम हैं,|

    मुन्तजिर मेरा भी है, मेरे सूने घर में,
    एक घडी है दीवार पर जिसको देखते हम हैं |

    उम्र मेरी लग जाए ना,एक गुत्थी को सुलझाने में,
    छोटी है ज़िन्दगी मेरी , और कितने पेचोखम हैं |

    मज़ा क्या जीने का है, गर पा लिया मोहब्बत,
    आशिक तो आशिकी में लेते सौ जनम हैं|

    कोई जबाब आता नहीं, अब सवाल-ए-वस्ल का ,
    थोड़े से मशरूफ हम हैं, थोड़े मेरे सनम हैं|

    खौफ से कातिल के वो मर गया जागते हुए,
    जिंदा है अब तक वही ,जो सोते हरदम हैं |

    उम्र लग जाती है 'मियां' प्यार के इज़हार में,
    आज हमने कह दिया ,क्या इतने बेशरम हैं |
__________________
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Old 05-05-2012, 01:01 PM   #116
ndhebar
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Default Re: छींटे और बौछार

ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक
चाँदनी चार कदम, धूप चली मीलों तक

प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर
ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक

घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक

माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक

मैं हुआ चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक

हम तुम्हारे हैं, उसने कहा था इक दिन
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक
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Old 05-05-2012, 01:33 PM   #117
Suresh Kumar 'Saurabh'
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बहुत अच्छा लगा !
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Old 24-10-2012, 11:36 AM   #118
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Default Re: छींटे और बौछार

तेरी यादें

बहुत देर से
कोशिश कर रहा हुं
आंखों में समेटने की
और बहुत देर से
हारता जा रहा हुं
जाने कैसे
पलको से गिर ही जाते हैं
मेरे आसुं
शायद ये भी
तेरी यादों की तरह हैं
न चाहते हुए भी आ ही जाते हैं
__________________
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Old 24-10-2012, 01:06 PM   #119
Dark Saint Alaick
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Default Re: छींटे और बौछार

मधुर रस के ये छींटे और बौछारें मन को बहुत भाते हैं ! इस मनभावन प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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Old 26-10-2012, 03:36 PM   #120
ndhebar
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Default Re: छींटे और बौछार

आर या पार

कामनाओं का संसार
भ्रांतियों से सरोबार
मरीचिका में उदित
अस्तांचल अन्धकार

दिशाओं से गुंजित
लोलुपता की झंकार
मानवता की मृत्यु
स्वार्थ की पैदावार


यहीं लेखा यहीं जोखा
आज नही तो कल, यहीं
फैसला , आर या पार |
__________________
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