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Old 22-12-2010, 06:22 PM   #111
chhotu
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

विवाह = जिसका निर्वाह कठिनता से हो
क्योंकि इसका निर्वाह सामाजिक मान्यताओं, नियम कायदों और आपसी सामंजस्य से किया जाता है और इसको बनाये रखने के लिए बहुत म्हणत की जाती है i यही संसार के सभी समाजों का शाश्वत सत्य है i
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Old 22-12-2010, 06:24 PM   #112
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

मनुष्य में तीन प्रकार की भूख होती है i पहली दिमाग की भूख, दूसरी पेट की भूख और तीसरी पेट के नीचे की भूख (काम)i
दिमाग की भूख में मनुष्य में अहंकार नहीं होता क्योंकि अहंकार के होते हुए मनुष्य ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है i दिमाग की भूख जब दिल के साथ जुडती है तो प्यार का प्रादुर्भाव होता है, निश्छल और निष्कपट i
पेट की भूख में मनुष्य पहले खाने की जुगत करता है i खाने की जुगत में यदि वह सफल नहीं हो पाटा है तो सारे नियम, कायदे कानून और चरित्र सभी एक तरफ धरे रह जाते हैं और मनुष्य किसी भी हद तक जा कर अपने खाने की जुगत लगाता है i सूत्र के विषय को देखा जाये तो गन्दी साइटों की बजाय भूख ज्यादा बड़ी समस्या है i यदि समाज का नैतिक पतन नहीं करना हो तो इसका समाधान ज्यादा जरूरी है i यदि पेट भरा हो और अन्ते में सिक्का जोर मरता हो तो व्यभिचार पनपता है और अहंकार जनम लेता है i
पेट के नीचे की भूख अर्थात काम :- विवाह का सीधा सम्बन्ध काम से है i बिना विवाह के काम व्यभिचार कहलाता है i
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Old 22-12-2010, 06:25 PM   #113
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

समाज में काम की महत्ता के कारन विवाह आवश्यक हुआ i काम योग है और भोग भी है i
काम योग या तपस्या इस तरह से है :- काम की सम्पूर्णता प्राप्त करने के लिए स्त्री और पुरुष एक दुसरे को सहयोग करते हुए जब अंतिम अवस्था पर पहुचते हैं तो (१) मनुष्य विचार शून्य हो जाता है (२) मनुष्य अहंकार शून्य हो जाता है और (३) मनुष्य काल शून्य हो जाता है अर्थात समय रुक जाता है i यदि कोई मनुष्य यह सब प्राप्त करना चाहे तो कठिन तप के बिना संभव नहीं है i इसलिए यह एक योग या तप है i
यदि मनुष्य काम इस पराकाष्टा को चोबिसों घंटे प्राप्त करना चाहता है तो प्रेम से प्रभु भक्ति इस योग को चोबिसों घंटे मनुष्य को प्रदान करती है i जिस प्रकार से भक्ति के लिए एक इष्ट चाहिए होता है उसी प्रकार से काम योग के लिए एक ही साथी चाहिए होता है i यदि इष्ट में निरंतर बदलाव करेंगे तो किसी भी इष्ट को हम सिद्ध नहीं कर पाएंगे उसी तरह से काम में भी यदि हम स्त्री या पुरुष को बदल बदल कर काम करेंगे तो भी काम योग से प्राप्त सिद्धि को भंग कर लेंगे i यदि प्राकृतिक रूप से काम को नहीं करके अप्रकृत रूप से काम को करेंगे तो हम न सिर्फ काम योग भंग करेंगे बल्कि अनेक रोगों को निमंत्रण देंगे i
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Old 22-12-2010, 06:26 PM   #114
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

यदि इस सूत्र के विषय को देखा जाये तो गन्दी साईट से ज्यादा खतरनाक तो मनुष्य के पेट की भूख है i भारतीय सभ्यता और परम्परा आज भी भारत के घरो में जिन्दा है, इसीलिए यहाँ के युवा या हो रहे युवा गलत रस्ते पर नहीं जाते हैं i उनको आज भी अपने से बड़ो और परंपरा का लिहाज है i यहाँ साधन भी उतने पर्याप्त नहीं हैं जितने और देशो में है i
सिक्के कमाने की होड़ में आदमी ये भूल जाता है कि वह क्या कमा रहा है ? खोता या खरा ? वो अपना घर बार भूल जाता है i उसके पास अपने लोगों और यहाँ तक कि अपने बच्चो तक को देने के लिए टाइम नहीं होता है i तो वो बच्चे सभ्यता और परम्परा कैसे सीखेंगे, कुटेव सीखेंगे i किसी भी समाज की उन्नति बिना किसी बाधा के चलती रहे इसके लिए सभ्यता और परम्परा कहीं ज्यादा जरूरी हैं i
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Old 22-12-2010, 06:28 PM   #115
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

इन गन्दी साइटों से तो फिर भी बचा जा सकता है, उन फिल्मो का क्या करेंगे जो इन साइटों से भी खतरनाक हैं और सिनेमाघरों में सभी के लिए आराम से उपलब्ध हैं i कहते हैं फिल्मे समाज का आइना होती है, ऐसी फिल्मे समाज को सुधरेंगी या बिगड़ेंगी ?
यदि इस सूत्र के विषय को देख कर विचार रखने हैं तो मैंने रख दिए हैं i मेरे विचार अच्छे लगे या बुरे यह आप बताएँगे और रही सूत्र के निर्माता अमित भाई जी की जो यह कहते हैं कि उन्होंने यह सूत्र किसी विशेष कारन से बनाया था तो उनकी वो ही जाने i मुझे तो ये ही समझ नहीं आता कि यदि कोई उनके सूत्र में जवाब देता है तो वो झल्लाते क्यों हैं ?
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Old 22-12-2010, 06:29 PM   #116
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

एक और बात मैं यहाँ कहना चाहूँगा कि सूत्र के निर्माता ने इस सूत्र के शुरू में जाने किन किन कंपनियों के सर्वे का उदाहरण दिया है i इस प्रकार के सर्वे मैंने छत के नीचे और सड़क के किनारे बनते देखे हैं i मेरे ही चार साथी जो सेकेंडरी हायर सेकेंडरी हैं और पार्ट टाइम काम के तलाश में जुगत भिड़ते रहते हैं, वो जानी मानी कम्पनी के सर्वे करने वाले एजेंट के यहाँ से एक एक रुपये या पचास पैसे प्रति फोरम के हिसाब से सर्वे करते हैं i यदि बीस प्रश्न का एक सर्वे दस मिनिट में पूरा होता हो तो एक घंटे में छः और दस घंटे में साठ सर्वे पूरे हुए i इस तरह तो पूरे दिन में तीस या साठ रुपये के लिए काम करेंगे तो वो शहर में रहते हुए कमरे का किराया भी नहीं निकल पाएंगे, गाओ में क्या भेजेंगे i इसलिए दस बीस फोरम लोगों से भरवा कर बाकी के फोरम चरों जने मिल कर अलग अलग पेनो की सहायता से लोगों के भरे फोरम को देखकर बाकी के फोरम अपनी लेखनी बदल कर भरकर जमा करवाते हैं और एक नहीं कईयों बार देखा है i ऐसे सर्वे किस काबिल हैं जो ये दावा करते हैं कि ९० प्रतिशत लोगो का कहना ये है जबकि सच में दस प्रतिशत लोगों से अधिक का कहना भी नहीं होता है i कितने लोग तो सर्वे के फोरम देखते ही भगा देते हैं i उनको क्या पड़ी किसी सर्वे में भाग लेने की i उनको कोनसा तमगा मिलना है i यदि सच देखना है तो धरातल पर देखिये आकाश में नहीं इ
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Old 22-12-2010, 08:57 PM   #117
Prince
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Prince is an unknown quantity at this point
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

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Originally Posted by arvind View Post
उफ्फ, फिर माफी...... मुझे सख्त नफरत है माफी मांगने वालो से...... अपनी बात भी दृढ़ता से नहीं कह पाते।

प्रिंस बाबू, अगर एक सदस्य ने गलती कि है, तो उसका देखादेखी आप भी गलती करेंगे, तो फिर आपमे और उसमे अंतर क्या रह जाएगा? क्या बचकानी बात करते हो यार?

और जहा तक आप जिस व्यक्तिगत नोट कि बात कर रहे है, कृपया उसे फिर से पढ़ ले, उक्त नोट अमित जी ने मुझे और अभिषेक जी को लिखा है और वो भी इस सूत्र के संदर्भ मे ही है।
मुझे आप जैसी मानसिकता वाले लोगों पर तरस आता है जो दूसरों को गलत कहते हुए नहीं थकते. आपको बुरा लगता हो तो उसके लिए हम अपने संस्कार छोड़ दें क्या ?. मैंने माफ़ी इसीलिये मांगी थी कि मुझे पता था कि आप लोग इस बात का बुरा अवश्य ही मानेंगे. ये विशुद्ध भारतीय परंपरा है जनाब कोई नफरत के लायक चीज नहीं हैं. अपनी बात को पुर जोर तरीके से रखने के लिए हरेक व्यक्ति की अपनी शैली होती है और उसको अपनी शैली में बात करने का हक़ होना चाहिए. किसी को गलत ठहराने का इतना ही शौक है तो घर बैठिये फोरम पर क्या कर रहे हो भाई ?. जम कर दूसरों की गलतियाँ बताने वाले ये क्यों भूल जाते हैं कि जब इंसान हैं तो गलती तो करेंगे ही आपको जज बनने की जरुरत क्या है ?. फोरम के सदस्य मिलकर एक बात पर चर्चा कर रहे हैं तो जरूरी तो नहीं कि सभी आपके हाँ में हाँ मिलाएं ताकि आपको अच्छा लगे.

अरविन्द जी आप ज्ञानी हैं कृपया मुझे मेरी इन तीन बातों का दिल पर हाथ रख कर जबाब दे दें.

१. बहस के लिए मुद्दा आया है, बहस चल रही है और आपको पता है कि जो आप कह रहे
हैं सिर्फ वही सही है या फिर आपकी हाँ में हाँ मिलाने वाले दोस्त सही हैं और बाकी सब
गलत है तो फिर बहस की शुरुआत ही क्यों की जाती है ? क्यों सूत्र बनाया है ?
२. अगर जो व्यक्तिगत नोट आपको सूत्र पर मिला वो उचित है तो फिर व्यक्तिगत सन्देश क्या
होता है ?. उसमें जिक्र है कि आपको कोई बात पहले ही बताई गयी थी वही हो रहा है तो
ये बात आम सदस्यों को कैसे पता होगी ?
३. बहस को व्यक्तिगत सन्देश के द्वारा कर लीजिये कोई भी गलत आदमी आपकी बहस में
अपनी गलत विचारधारा लेकर नहीं घुस पायेगा क्योंकि वहां पर सिर्फ वही लोग होंगे जिनको
आप सन्देश देंगे. यहाँ ओपन फोरम पर तो कुछ मेरे जैसे मंद बुद्धि बालक भी हैं जो गलत
बात को अपना समर्थन यूं ही दे देते हैं.

आपके मन करने पर अपनी सभ्यता कैसे छोड़ दूं भाई ? कुछ भी बुरा लगे तो माफ़ कर देना दोस्त. उफ़ ! ये नफरत की लाठी छोड़ क्यों नहीं देते ??

" तुम्ही तुम हो क्या तुम हो ? हमीं हम हैं तो क्या हम हैं ?"
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Old 22-12-2010, 09:38 PM   #118
VIDROHI NAYAK
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" तुम्ही तुम हो क्या तुम हो ? हमीं हम हैं तो क्या हम हैं ?"
अत्यंत सुन्दर बात कही आपने ...
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

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Old 22-12-2010, 10:16 PM   #119
gulluu
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gulluu has a spectacular aura aboutgulluu has a spectacular aura about
Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि व्यक्तिगत आक्षेपों से बच कर सूत्र के विषय पर चर्चा करें ताकि कुछ ज्ञानवर्धक जानकारी हासिल हो सके बाकि सदस्यों को .
__________________

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Old 22-12-2010, 10:23 PM   #120
YUVRAJ
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YUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud of
Lightbulb Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

आहा हा हा हा हा ....
सभी वयस्क हैं .... ...
और इस बात को अच्छी तरह से समझनें की समझ रखतें हैं/
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सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि व्यक्तिगत आक्षेपों से बच कर सूत्र के विषय पर चर्चा करें ताकि कुछ ज्ञानवर्धक जानकारी हासिल हो सके बाकि सदस्यों को .
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