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Old 29-05-2011, 07:51 PM   #111
kuram
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kuram will become famous soon enoughkuram will become famous soon enough
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Originally Posted by khalid1741 View Post
क्या इस से भी ज्यादा कोई और भयानक तजुर्बा हैँ
जाकर पूछो गुडगाँव में यूनियन बेंक के मेनेजर से जिनके घर में ग्राउंड फ्लोर में हम तीन मित्र किरायेदार थे. रात को बारह बजे झगडा हुआ था रोटिया कौन बनाएगा. और अंत में आधे घंटे बाद तय हुआ की फैसला ताश के पतों से होगा. जो हारा वो मित्र पहले अपनी ड्युटी सब्जी बनाकर पूरी कर चुका था. दुबारा रोटी बनाने के लिए उसीका नंबर आया तो गुस्से से उसने बनी बनायी सब्जी भी कूड़े में डाल दी थी. हमारी बात चीत ऊपर के फ्लोर तक जा रही थी. ऊपर से आंटी की आवाज आयी " बेटा, रोटिया तो नहीं है खाने की दूसरी चीज मेरे पास पड़ी है कहो तो देदु और प्लीज भगवान् के लिए सो जाओ बाकी तो सुबह हिसाब किताब करेंगे "
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Old 30-05-2011, 05:19 PM   #112
ndhebar
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Originally Posted by kuram View Post
जाकर पूछो गुडगाँव में यूनियन बेंक के मेनेजर से जिनके घर में ग्राउंड फ्लोर में हम तीन मित्र किरायेदार थे. रात को बारह बजे झगडा हुआ था रोटिया कौन बनाएगा. और अंत में आधे घंटे बाद तय हुआ की फैसला ताश के पतों से होगा. जो हारा वो मित्र पहले अपनी ड्युटी सब्जी बनाकर पूरी कर चुका था. दुबारा रोटी बनाने के लिए उसीका नंबर आया तो गुस्से से उसने बनी बनायी सब्जी भी कूड़े में डाल दी थी. हमारी बात चीत ऊपर के फ्लोर तक जा रही थी. ऊपर से आंटी की आवाज आयी " बेटा, रोटिया तो नहीं है खाने की दूसरी चीज मेरे पास पड़ी है कहो तो देदु और प्लीज भगवान् के लिए सो जाओ बाकी तो सुबह हिसाब किताब करेंगे "
अब ये दुनियादारी में फंसा प्राणी(खालिद भाई) क्या जाने ये सब बातें
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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Old 04-06-2011, 12:25 AM   #113
ndhebar
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शर्तिया इलाज: शाही दवाखाना

किशोरावस्था की नादानी, पड़ गई आप पर भारी, बन गए बलात्कारी! घबराईए नहीं, शर्माइए नहीं, गाजियाबाद का शाही दवाखाना खास आपके लिए. बिना चीड़-फाड़ के शमशेर बाबा (काली घाट वाले) द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक गोली का सेवन करें एक बार, बलात्कार की इच्छा समझो खत्म यार.

बलात्कारी की मनोदशा को समझने और इससे उसे निजात दिलाने के लिए शमशेर बाबा ने 11 वर्षों तक काली घाट में घनघोर तपस्या की. अमावस्या की काली घनघोर रात को एक दिन बाबा ने आख़िरकार सफलता पा लिया. शेरनी का दूध, हाथी का दांत और बाबा द्वारा खोजी गई विश्व की एकमात्र औषधि का मिश्रण करके बनी चमत्कारी गोली, जो करे बलात्कारी मानसिकता का निवारण.

दुनिया का बड़े-से-बड़ा बलात्कारी भी बाबा की दवा खाकर अब शांत है. उसके अंदर बलात्कार की भावना खत्म हो गई है. एक वर्ष के भीतर 13 बलात्कार कर चुका दुर्दांत बलात्कारी कालू मोहन भी अब शांत हो चुका है. समाज में अब उसे नफरत की नजर से नहीं देखा जाता है. कालू मोहन ने खुद बाबा को पुरुष नहीं, बल्कि महापुरुष की संज्ञा दी है. क्योंकि बाबा की दवाई से कालू मोहन अब पुरुष कहलाने के लायक बचा ही नहीं.

अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो शर्म-शंका छोड़िये, चले आईए बाबा की शरण में.


हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई: बलात्कार है सब पर भारी
जो शाही दवाखाना आए, फिर कभी न बने बलात्कारी

पता: शाही दवाखाना, लाल कोठी, दूसरी मंजिल, पुराना बस अड्डा गाजियाबाद के ठीक सामने

मिलने का समय: सुबह 9 से 11 बजे, शाम 6 से 8 बजे

शर्तिया इलाज: 100% फायदा, नहीं तो पूरे पैसे वापस (हमारे दरवाजे सरकार के लिए भी खुले हैं, अगर सरकार चाहे तो बाबा मुफ्त में बलात्कारियों का इलाज कर सकते हैं.)
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घर से निकले थे लौट कर आने को
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Old 07-06-2011, 12:18 AM   #114
Bhuwan
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Originally Posted by Bond007 View Post
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,

घर साफ होता तो कैसा होता.

मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,

तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.

लोग इस बात पर हैरान होते,

उस बात पर कितने हँसते.

मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.


यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,

ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.

है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.

ये सेलफोन है या ढक्कन,स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.

ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.

ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.


ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,

के जबकि उसको भी ये खबर है कि मच्छर नहीं है,कहीं नहीं है.

मगर उसका दिल है कि कह रहा है मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.

दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.

करने को बहुत कुछ है,

मगर कब करें हम,इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं.

दिल कहता है कोई वैक्यूम क्लीनर ला दे,

ये कारपेट जो जीने को जूझ रहा है,
फिकवा दे.
हम साफ रह सकते हैं, लोगों को बता दें...




हा हा हा हा बोंड भाई होस्टल की यादें तजा कर दी.
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Old 07-06-2011, 12:20 AM   #115
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Originally Posted by ndhebar View Post
इस पंक्ति से मुझे एक बात याद आई
मैं भी एक सच्चा वाकया सुनाता हूँ
मैं दिल्ली में जिस माकन में रहता था, वहां मान्शाहार की मनाही थी और हम ठहरे विशुद्ध मान्शाहरी
सो छुप छुप के बना ही लेते थे, एक दिन रसोई में चिकन बन रहा था तभी मकान मालिक का लड़का आ गया
उसने पूछ यार निशांत बड़ी गंध आ रही है क्या बात है
मेरा रूम पार्टनर ने कहा "भैया वो क्या है की कचरा वाला पांच दिनों से नहीं आया ना, उसी से गंध आ रही है"
हा हा हा हा

ऐसा ही होता था भाई.
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Old 07-06-2011, 12:24 AM   #116
Bhuwan
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Originally Posted by Bond007 View Post
मायके गई पत्नी को लिखा गया भैरंट लेटर


सादर प्रणाम!

सादर प्रणाम इसलिए कि आपकी दिशा में किए गए मेरे सारे काम सादर एवं साष्टांग अवस्था में ही होते हैं।



क्रमशः...

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Originally Posted by Bond007 View Post
[b]खैर, मुद्दे पर लौटें। जब से तुम गईं हो रसोई का बुरा हाल है। बर्तन उदास हैं।




क्रमशः...
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Originally Posted by Bond007 View Post
[b]और आगे क्या लिखूं। तुम मेरे खाने पीने की चिंता मत करो। जबसे पता चला है मेरे दोस्त रोज शाम को हमारे घर आ जाते हैं। उन्हें मेरे खाने-पीने का पूरा खयाल है।





सादर,
तुम्हारा
सेवकराम सत्यपति
बोंड भाई, मजेदार है लेकिन थोडा ज्यादा लम्बा हो गया.
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Old 07-06-2011, 12:27 AM   #117
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ये भी मजेदार है.
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Old 28-06-2011, 02:53 PM   #118
ndhebar
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दोस्तों वैसे तो यह खबर पुरानी है लेकिन इसकी रोचकता और विचित्रता ने मुझको किसी अल्हड़ कुंवारी हसीना की तरह इसकी तरफ आकर्षित किया . उस विचित्र खबर के अनुसार हमारे पड़ोसी देश नेपाल में सच्चाई + इमानदारी + भलमनसाहत+ मेहनतकश के प्रतीक गधों और खच्चरों के निस्वार्थ परिश्रम को सम्मान देने के लिए नेपाल में अब इन बेजुबान और निरीह जानवरों को हफ्ते में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश मिला करेगा .

यह देख कर यार लोगों ने रब्ब से जो सबसे पहली फरियाद की वोह यही थी की “या रब्ब ! मुझको तू अगले जन्म में गधा ही बनाना लेकिन जन्म नेपाल में ही देना . यारों ! मुझको तो उन गधों के ऐशो – आराम से बेहद जलन होती है . अब मैं भी क्या करूं ? , खुदा ने शरीर चाहे मर्दों वाला लेकिन दिल और दिमाग तो औरतो वाला ही दिया है की , ईष्र्या और जलन तो झट से पैदा हो जाती है . कहाँ तो हम २४ घंटे में पूरे अठारह घन्टे जागते है , इश्क में नही बल्कि काम की वजह से आदमी की जून में होते हुए भी हमको गधों से भी ज्यादा काम करना पड़ता है और अब तो ऐसा लगता है की गधे भी मुझसे हमदर्दी कर रहे होंगे . अब तो अगर कोई गुस्से में या फिर बददुआ के रूप में ही अगले जन्म में गधा होने की गाली निकले तो हमारे लिए वोह भी शाप की बजाय वरदान के समान होगा .
यहाँ भारत में तो स्वर्गीय राजीव गाँधी ने पश्चिम की नकल करते हुए नौकरशाही के लिए पांच दिन के कार्यदिवस और सप्ताह में शनिवार और रविवार दो दिनों का अवकाश घोषित किया था . उससे पहले सभी सरकारी प्राणी चाहे अपनी मनमर्जी से काम करते थे , लेकिन उनकी जून गधे के समान ही कही जाती थी . सभी लाफिताशाही करने वाले नौकरशाह कहलाते चाहे सरकार के जमाई थे लेकिन उनके काम के घन्टे किसी गधे के समान ही थे , अब जब बेचारों को ओवरटाइम ही नहीं मिलता तो उन पर हफ्ते के सातों दिन काम का बोझ क्यों . इसीलिए इन सभी को स्वर्गीय राजीव गाँधी को उनके इस ऐतहासिक और क्रांतिकारी कदम के लिए उनका पिंड दान करके आभार प्रकट करना चाहिए .

अब गधे के मालिकों के सीने पर जलन के मारे सांप लोटेंगे , जब वोह उन बेजुबान और निरीह प्राणियों को बिना काम के पूरे दो दिन ऐश से खाते पीते और आराम करते हुए देखेंगे . इधर एक हमारा बिग बॉस है की हमे उसके सामने एक चाय का कप पीते हुए भी घबराहट होती है . कोई अचरज की बात नही होगी कल को अगर यह खबर भी हमको सुनने को मिल जाए की उन दो दिनों में गधों का मन बहलाने के लिए उनको पिकनिक पर ‘जोड़ो’ के रूप में ले जाया जाए और अगर कोई ऐसा प्रस्ताव रखेगा तो और कोई चाहे न करे लेकिन हम तो उसका पुरजोर समर्थन करेंगे तथा अगर किसी ने इस प्रकार का प्रस्ताव नहीं रखा तो हम द ऐसा प्रस्ताव पूरे जोर शोर से रखेंगे . वो इसलिए क्योंकि हमको अच्छी तरह मालूम है की जिस तरह के हमारे कर्म है हमको अगला जन्म में गधे की योनि ही मिलेगी और आप लोग अपना अगला लोक सवांरने में लगे हो क्योंकि आप यह भली भांति जानते है की आपको आपके उच्च कर्मो के कारण फिर से आगे कोई मनुष्य जन्म ही मिलेगा . लेकिन हमे तो यह मालूम है की हमारे कारनामों की वजह से हमको आदमजात की नहीं बल्कि किसी जानवर की योनि ही मिलेगी .
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Old 29-06-2011, 07:06 AM   #119
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लोकपाल बिल

मायावती चाहती हैं कि ड्राफ्टिंग कमेटी में एक दलित भी हो… जैसे ए राजा, बंगारु लक्ष्मण या फिर वो खुद!
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Old 29-06-2011, 07:07 AM   #120
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“भले ही ओसामा बिन लादेन हमारे बीच नहीं रहे मगर हमें उनके अधूरे काम को पूरा करना है”-दिग्विजय सिंह
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