29-05-2011, 07:51 PM | #111 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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30-05-2011, 05:19 PM | #112 | |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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04-06-2011, 12:25 AM | #113 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
शर्तिया इलाज: शाही दवाखाना किशोरावस्था की नादानी, पड़ गई आप पर भारी, बन गए बलात्कारी! घबराईए नहीं, शर्माइए नहीं, गाजियाबाद का शाही दवाखाना खास आपके लिए. बिना चीड़-फाड़ के शमशेर बाबा (काली घाट वाले) द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक गोली का सेवन करें एक बार, बलात्कार की इच्छा समझो खत्म यार. बलात्कारी की मनोदशा को समझने और इससे उसे निजात दिलाने के लिए शमशेर बाबा ने 11 वर्षों तक काली घाट में घनघोर तपस्या की. अमावस्या की काली घनघोर रात को एक दिन बाबा ने आख़िरकार सफलता पा लिया. शेरनी का दूध, हाथी का दांत और बाबा द्वारा खोजी गई विश्व की एकमात्र औषधि का मिश्रण करके बनी चमत्कारी गोली, जो करे बलात्कारी मानसिकता का निवारण. दुनिया का बड़े-से-बड़ा बलात्कारी भी बाबा की दवा खाकर अब शांत है. उसके अंदर बलात्कार की भावना खत्म हो गई है. एक वर्ष के भीतर 13 बलात्कार कर चुका दुर्दांत बलात्कारी कालू मोहन भी अब शांत हो चुका है. समाज में अब उसे नफरत की नजर से नहीं देखा जाता है. कालू मोहन ने खुद बाबा को पुरुष नहीं, बल्कि महापुरुष की संज्ञा दी है. क्योंकि बाबा की दवाई से कालू मोहन अब पुरुष कहलाने के लायक बचा ही नहीं. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो शर्म-शंका छोड़िये, चले आईए बाबा की शरण में. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई: बलात्कार है सब पर भारी जो शाही दवाखाना आए, फिर कभी न बने बलात्कारी पता: शाही दवाखाना, लाल कोठी, दूसरी मंजिल, पुराना बस अड्डा गाजियाबाद के ठीक सामने मिलने का समय: सुबह 9 से 11 बजे, शाम 6 से 8 बजे शर्तिया इलाज: 100% फायदा, नहीं तो पूरे पैसे वापस (हमारे दरवाजे सरकार के लिए भी खुले हैं, अगर सरकार चाहे तो बाबा मुफ्त में बलात्कारियों का इलाज कर सकते हैं.)
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
07-06-2011, 12:18 AM | #114 | |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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हा हा हा हा बोंड भाई होस्टल की यादें तजा कर दी. |
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07-06-2011, 12:20 AM | #115 | |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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ऐसा ही होता था भाई. |
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07-06-2011, 12:24 AM | #116 | ||
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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07-06-2011, 12:27 AM | #117 | |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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ये भी मजेदार है. |
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28-06-2011, 02:53 PM | #118 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
दोस्तों वैसे तो यह खबर पुरानी है लेकिन इसकी रोचकता और विचित्रता ने मुझको किसी अल्हड़ कुंवारी हसीना की तरह इसकी तरफ आकर्षित किया . उस विचित्र खबर के अनुसार हमारे पड़ोसी देश नेपाल में सच्चाई + इमानदारी + भलमनसाहत+ मेहनतकश के प्रतीक गधों और खच्चरों के निस्वार्थ परिश्रम को सम्मान देने के लिए नेपाल में अब इन बेजुबान और निरीह जानवरों को हफ्ते में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश मिला करेगा .
यह देख कर यार लोगों ने रब्ब से जो सबसे पहली फरियाद की वोह यही थी की “या रब्ब ! मुझको तू अगले जन्म में गधा ही बनाना लेकिन जन्म नेपाल में ही देना . यारों ! मुझको तो उन गधों के ऐशो – आराम से बेहद जलन होती है . अब मैं भी क्या करूं ? , खुदा ने शरीर चाहे मर्दों वाला लेकिन दिल और दिमाग तो औरतो वाला ही दिया है की , ईष्र्या और जलन तो झट से पैदा हो जाती है . कहाँ तो हम २४ घंटे में पूरे अठारह घन्टे जागते है , इश्क में नही बल्कि काम की वजह से आदमी की जून में होते हुए भी हमको गधों से भी ज्यादा काम करना पड़ता है और अब तो ऐसा लगता है की गधे भी मुझसे हमदर्दी कर रहे होंगे . अब तो अगर कोई गुस्से में या फिर बददुआ के रूप में ही अगले जन्म में गधा होने की गाली निकले तो हमारे लिए वोह भी शाप की बजाय वरदान के समान होगा . यहाँ भारत में तो स्वर्गीय राजीव गाँधी ने पश्चिम की नकल करते हुए नौकरशाही के लिए पांच दिन के कार्यदिवस और सप्ताह में शनिवार और रविवार दो दिनों का अवकाश घोषित किया था . उससे पहले सभी सरकारी प्राणी चाहे अपनी मनमर्जी से काम करते थे , लेकिन उनकी जून गधे के समान ही कही जाती थी . सभी लाफिताशाही करने वाले नौकरशाह कहलाते चाहे सरकार के जमाई थे लेकिन उनके काम के घन्टे किसी गधे के समान ही थे , अब जब बेचारों को ओवरटाइम ही नहीं मिलता तो उन पर हफ्ते के सातों दिन काम का बोझ क्यों . इसीलिए इन सभी को स्वर्गीय राजीव गाँधी को उनके इस ऐतहासिक और क्रांतिकारी कदम के लिए उनका पिंड दान करके आभार प्रकट करना चाहिए . अब गधे के मालिकों के सीने पर जलन के मारे सांप लोटेंगे , जब वोह उन बेजुबान और निरीह प्राणियों को बिना काम के पूरे दो दिन ऐश से खाते पीते और आराम करते हुए देखेंगे . इधर एक हमारा बिग बॉस है की हमे उसके सामने एक चाय का कप पीते हुए भी घबराहट होती है . कोई अचरज की बात नही होगी कल को अगर यह खबर भी हमको सुनने को मिल जाए की उन दो दिनों में गधों का मन बहलाने के लिए उनको पिकनिक पर ‘जोड़ो’ के रूप में ले जाया जाए और अगर कोई ऐसा प्रस्ताव रखेगा तो और कोई चाहे न करे लेकिन हम तो उसका पुरजोर समर्थन करेंगे तथा अगर किसी ने इस प्रकार का प्रस्ताव नहीं रखा तो हम द ऐसा प्रस्ताव पूरे जोर शोर से रखेंगे . वो इसलिए क्योंकि हमको अच्छी तरह मालूम है की जिस तरह के हमारे कर्म है हमको अगला जन्म में गधे की योनि ही मिलेगी और आप लोग अपना अगला लोक सवांरने में लगे हो क्योंकि आप यह भली भांति जानते है की आपको आपके उच्च कर्मो के कारण फिर से आगे कोई मनुष्य जन्म ही मिलेगा . लेकिन हमे तो यह मालूम है की हमारे कारनामों की वजह से हमको आदमजात की नहीं बल्कि किसी जानवर की योनि ही मिलेगी .
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
29-06-2011, 07:06 AM | #119 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
लोकपाल बिल
मायावती चाहती हैं कि ड्राफ्टिंग कमेटी में एक दलित भी हो… जैसे ए राजा, बंगारु लक्ष्मण या फिर वो खुद!
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
29-06-2011, 07:07 AM | #120 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
“भले ही ओसामा बिन लादेन हमारे बीच नहीं रहे मगर हमें उनके अधूरे काम को पूरा करना है”-दिग्विजय सिंह
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