04-11-2012, 01:00 AM | #1191 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। एक नए अध्ययन के मुताबिक अनियंत्रित उच्च रक्तचाप मध्यम आयु वर्ग के लोगों की भी मस्तिष्क संरचना और कार्य प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है। यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि अनियंत्रित उच्च रक्तचाप का मध्यम आयुवर्ग के लोगों के मस्तिष्क पर भी प्रभाव पडता है जबकि यह माना जाता है कि इस आयुवर्ग के लोगों में आमतौर पर उच्च रक्तचाप की समस्या नहीं होती है। लेखक ने कहा, ‘यह अध्ययन यह बताता है कि उच्च रक्तचाप के कारण वयस्क लोगों के दिमाग की संरचना को नुकसान पहुंचता है।’ उन्होंने कहा, ‘‘इस जांच में पता चला है कि 40 की उम्र में अनिश्चित उच्च रक्चाप वाले लोगों के दिमाग की संरचना को नुकसान पहुंचता है। इससे दिमाग के ‘व्हाइट मैटर’ और ‘ग्रे मैटर’ को नुकसान पहुंच सकता है।’’ शोधकर्ताओं के अनुसार व्यक्ति को अगर अपनी वृद्धावस्था में अपना मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखना है तो उसे उसी उम्र में रक्तचाप पर ध्यान देना होगा जिसमें अब तक इस बारे में सोचा तक नहीं जाता है।
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04-11-2012, 01:01 AM | #1192 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कैंसर विकास में अहम जीन को हटाने का तरीका मिला
लंदन। वैज्ञानिकों ने कैंसर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाली जीनों को नियंत्रित करने वाले जैविक ‘स्विचों’ की खोज की है। स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट और फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जीन्स के एक ऐसे क्षेत्र का अध्ययन किया जहां न्यूक्लियोटाइड में एक विसंगति मौजूद रहती है जो प्रोस्टेट कैंसर और आंतों के कैंसर के विकसित होने का खतरा बढा सकती है। इस अध्ययन में पाया गया कि अगर इस क्षेत्र को हटा दिया जाए तो ट्यूमर को बनने से रोका जा सकता है। जीनोम वाइड असोसिएशन के जीन्स समूह (जीनोम) से जुड़े अध्ययनों में पाया गया कि ये क्षेत्र 200 से भी ज्यादा बीमारियों से जुड़े हैं। इन बीमारियों में दिल की बीमारी, मधुमेह और कई प्रकार के कैंसर शामिल हैं। एक प्रस्ताव ने काफी लोगों का ध्यान खींचा था। इसके अनुासार जीन से काफी दूर स्थित पोलीमोफिज्म में ‘स्विच’ या नियंत्रक तत्वों की तरह इस्तेमाल किए जाने की संभावना है ताकि जीन्स के हावभावों को नियंत्रित किया जा सके। इस अध्ययन में जीन में मौजूद विसंगति किसी अन्य ज्ञात जैविक विसंगति के मुकाबले कैंसर के खतरे को सिर्फ 20 प्रतिशत ही बढाती है। यह विसंगति काफी आम है इसलिए अनुवांशिक कैंसरों के लिए ज्यादा जिम्मेदार है। यह प्रयोग चूहों पर किया गया। जब वैज्ञानिकों ने विसंगति वाला जैविक क्षेत्र हटा दिया तो पाया कि चूहे अब स्वस्थ थे लेकिन पास की कैंसर जीन के हावभावों में कुछ कमी भी दिखाई पड़ती थी। हालांकि इंसानों में आंतों के कैंसर का प्रमुख कारक यानी आॅनकोजेनिक सिग्नल जब सक्रिय किया गया तो चूहों ने ट्यूमर के बनने के प्रति पर्याप्त प्रतिरोधकता दिखाई। इस तरह हटाया गया जीन क्षेत्र कैंसर को बढावा देने वाले जीन्स के लिए एक महत्वपूर्ण स्विच की तरह काम कर सकता है क्योंकि इस क्षेत्र के न होने पर ट्यूमर मुश्किल ही बनता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इन परिणामों से साबित होता है कि जीन में परिवर्तन एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न बनाते हैं फिर भी किसी बीमारी के विकसित होने के लिए इनमें लगभग एक सा प्रभाव होता है। ऐसे में ये जीन स्विच अहम भूमिका निभा सकते हैं। प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जस्सी ताइपेल ने कहा, ‘हमारा अध्ययन यह भी दर्शाता है कि सामान्य और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को विभिन्न जीन स्विचों के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। आने वाले समय में इन बीमार स्विचों की क्रियाविधियों को नियंत्रित भी किया जा सकेगा, जिससे इलाज के लिए नए और विशेष तरीके मिल सकेंगे।’ इस अध्ययन का प्रकाशन साइंस नामक पत्रिका में किया गया।
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06-11-2012, 11:33 PM | #1193 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
ड्रैकुला के वंशज हैं प्रिंस चार्ल्स
लंदन। रोमानिया सरकार ने दावा किया है कि ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स उनके देश की मशहूर किंवदंती के मुख्य पात्र ड्रैकुला के वंशज हैं। ब्रिटेन में आयोजित एक पर्यटन मेले के दौरान रोमानिया के राष्ट्रीय पर्यटन विभाग ने जो ब्रोशर जारी किया है, उसमें बताया गया है कि 15वीं सदी के राजा व्लाद द इंपालर और ब्रिटेन के शाही घराने के बीच खून का रिश्ता है। इसमें एक वीडियो क्लिप को भी शामिल किया गया है, जिसमें प्रिंस चार्ल्स कह रहे हैं कि ट्रांस्लिवेनिया मेरे खून में है। जेनेटिक्स से पता लगता है कि मैं व्लाद द इंपालर का वंशज हूं, तो रोमानिया पर कुछ अधिकार तो मेरा भी है। इसे पर्यटकों को आकर्षित करने की मुहिम का हिस्सा करार दिया जा रहा है। आयरिश उपन्यासकार ब्रैम स्टोकर ने दरअसल 1897 में व्लाद द इंपालर को ही आधार बनाकर अपनी मशहूर कालजयी कृति ‘ड्रैकुला’ लिखी थी। ड्रैकुला रोमानिया के एक ऐसे राजा की कहानी है, जिसे इंसानों का खून पीने की आदत होती है और जो वेंपायर (चमगादड़) का रूप धर सकता है। इंपालर को लोगों को यातना देने में आनंद आता था और ऐसा कहा जाता है कि तुर्क अतामान की विश्वविजेता सेना भी रोमानिया से भयभीत होकर उस समय लौट गई थी, जब इस पर चढ़ाई करते वक्त उसे रोमानिया वासियों की बड़ी संख्या में सड़ती हुई लाशें बिखरी मिली थीं। ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम की महारानी मैरी काउंट इंपालर के सौतेले भाई व्लाद चतुर्थ की वंशज थीं। वह जॉर्ज षष्ठम की मां, महारानी विक्टोरिया की दादी तथा उनके पुत्र प्रिंस चार्ल्स की परदादी थीं। ऐसा कहा जाता है कि खून में लौह अयस्कों की कमी की बीमारी, जो आगे चलकर ड्रैकुला की खून पीने की आदत की वजह बनी, शाही परिवार के सदस्यों को भी जकड़े हुए है। ड्रैकुला और उसकी निर्ममता अब इतिहास की बात हो चुकी है, लेकिन इसका रोमांच दुनियाभर और विशेषकर ब्रिटेन के पर्यटकों को अब भी जकड़े हुए है। ब्रिटेन के एक लाख 18 हजार पर्यटकों ने पिछले वर्ष रोमानिया की सैर की। प्रिंस चार्ल्स ने वर्ष 2006 में वहां के विस्करी नामक देहाती इलाके में एक फार्म हाउस खरीदा था।
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06-11-2012, 11:35 PM | #1194 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दुनिया की दुर्लभ प्रजाति की व्हेल प्रशांत महासागर में देखी गई
मेलबर्न। पिछले करीब 100 साल से वैज्ञानिकों के लिए गुत्थी बनी हुई दुर्लभ प्रजाति की व्हेल प्रशांत महासागर तट पर एक लंबे अरसे बाद देखी गई है। इस खोज दल के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रोशेल कोंस्टाटीन ने बताया कि यह पहला मौका है जब ‘स्पेड टूथ्ड बिक्ड व्हेल’ को देखा गया है और हमने इस तरह के दो जंतुओं को देखा है। कोंस्टानटीन ने बताया कि ऐसा सोचना हैरतअंगेज है कि अब तक इस तरह का विशालकाय जंतु दक्षिण प्रशांत महासागर में छिपा हुआ था। इससे यह भी जाहिर होता है कि हम समुद्री जैवविविधता के बारे में कितना कम जानते हैं। गौरतलब है कि इस प्रजाति की व्हेल को चतम द्वीप समूह में 1872 में देखा गया था।
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06-11-2012, 11:36 PM | #1195 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मल्टीविटामिन से हृदय रोग का खतरा
वाशिंगटन। रोजाना मल्टीविटामिन की खुराक लेने से पुरूषों में हृदय रोगों का खतरा कम नहीं होता है। एक नये अध्ययन में यह पाया गया है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि मल्टीविटामिन का इस्तेमाल विटामिन और खनिज की कमी को पूरा करने में होता है। ऐसी धारणा है कि मल्टी विटामिन से हृदय रोग से बचा जा सकता है। हावर्ड मेडिकल स्कूल के अध्ययनकर्ताओं ने मल्टी विटामिन के इस्तेमाल से जुड़े आंकड़ों और हृदय रोगों का विश्लेषण किया । अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि रोजाना ली जाने वाली मल्टी विटामिन की खुराक का कोई खास असर नहीं होता है।
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07-11-2012, 10:05 AM | #1196 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
नीलम, प्रदूषण और धुंध से बिगड़ रही है सेहत
नई दिल्ली। चक्रवाती तूफान नीलम, बढती ठंड और वातावरण में धुंध, धूल और धुंए के कारण राष्टñीय राजधानी समेत देश के महानगरों एवं शहरों में दमा एवं ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन रोगों, ह्रदय रोगों तथा डिप्रेशन का प्रकोप बढ़ रहा है। दिल्ली सहित अनेक शहरों में पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से वातावरण में धुंध छाई है, जिसके कारण हवा में नाइट्रोजन अक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। यह धुंध जहरीली गैसों की काकटेल जैसी है। इसके अलावा तापमान घटने से तथा धुंयें एवं धुंध के कारण हवा में प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली में पिछले दिनों दर्ज किया गया वायु प्रदूषण पिछले साल की दीवाली के स्तर से भी ज्यादा है। ऐसे में इस साल दिवाली में प्रदूषण के दोगुने स्तर पर पहुंच जाने की आशंका है। ह्रदय रोग विशेषज्ञ एवं मेट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीच्यूट के निदेशक डा. पुरू षोत्तम लाल ने बताया कि प्रदूषण बढने एवं तापमान घटने से दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्य समस्यायें तथा दिल के रोगों की आशंका बढ़ जाती है और दिवाली के समय तक इन समस्याओं में और अधिक बढोतरी हो सकती है। उन्होंने दमा एवं दिल के मरीजों को खास तौर पर सावधानियां बरतने की सलाह दी। एशियन इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसेस (एआईएमएस) के श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञ डा. मानव मनचंदा ने बताया कि पिछले करीब एक सप्ताह से ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, छाती में संक्रमण जैसी समस्याओं से ग्रस्त मरीजों के आने का सिलसिला बढ़ा है। इन मरीजों के आने की दर में करीब दस प्रतिशत की बढोतरी हुयी है। वातावरण में प्रदूषण एवं धूलकणों की मात्रा बढने से बच्चों और बूढों को खास तौर पर सांस में लेने में तकलीफ हो रही है। नेत्र विशेषज्ञ डा. निखिल सेठ के अनुसार इन दिनों आंखों में जलन एवं कंजेक्टिवाइटिस की समस्या भी बढी हैं। दरअसल वातावरण में मौजूद यह स्मोक जीवाणुओं को ट्रैप कर रहा है जिससे श्वसन समस्यायें, वायरल बुखार एवं साइनस की समस्यायें हो रही है। ऐसे में लोगों को चाहिये कि वे घर से बाहर निकलने पर रूमाल या मास्क का प्रयोग करें। डा. पुरूषोत्तम लाल ने बताया कि पिछले कई वर्षों से यह देखा जा रहा है कि दीवाली के बाद अस्पताल आने वाले ह्रदय रोगों, दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की संख्या अमूमन दोगुनी हो जाती है लेकिन इस बार पहले से ही ऐसी समस्यायें बढ़ रही है। दीवाली के समय जलने, आंख को गंभीर क्षति पहुंचने और कान का पर्दा फटने जैसी घटनायें भी बहुत होती हैं। डा. लाल ने बताया कि अध्ययनों से पाया गया है कि दमा का संबंध ह्रदय रोगों एवं दिल के दौरे से भी है इसलिये दमा बढने पर हृदय रोगों का खतरा बढ सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार अक्तूबर के अंतिम और नवम्बर के शुरूआती दिनों में आम तौर पर हवा में धूल कण नजर आते हैं। इसका कारण तापमान में गिरावट और आसपास की खेतों में कटाई तथा निर्माण कार्यों से उडने वाली धूल है। इसके अलावा गाडियों एवं फैक्टरियों से निकलने वाला धुंआ भी इसके लिये जिम्मेदार है। तापमान घटने से धूल और धूंयें हवा के साथ सतह तक नहीं पहुंच पाते है। पर्यावरण में नाइट्रोजन अक्साइड की मात्रा बढने से सुबह वाइट हेजिंग कंडीशन देखने को मिल रही है। तापमान घटने और हवा की रफ्तार काफी कम रहने से भी यह धूल कण वातावरण में जम गए हैं। मौसम विज्ञानियों के अनुसार दक्षिण भारत में नीलम के कारण वातावरण में बढी आर्द्रता और वेस्टर्न डिस्टरबेंस के भारत पहुंचने से ठीक पहले एकाएक मौसम का मिजाज बदल गया है।
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07-11-2012, 10:06 AM | #1197 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दिल रहा चंगा तो 14 साल अधिक जीयेंगे आप
वाशिंगटन ! एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि मध्यम आयु में दिल स्वस्थ रहे तो जीवन में 14 साल अधिक जीया जा सकता है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि दिल संबंधी बीमारियों के खतरों को दूर रखने से स्वस्थ जीवन मिलता है। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों का दिल तंदरुस्त था 14 वह साल अधिक जीये। अध्ययन को अंजाम देने वाले जॉन टी विल्किन्स ने कहा, ‘हमने पाया कि कई लोगों को वृद्धावस्था में हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती हैं पर जिन लोगों में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा नहीं होता है वह अधिक उम्र तक जीते हैं।’
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07-11-2012, 10:07 AM | #1198 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
हृदयाघात को बुलावा है कोकीन का सेवन
मेलबर्न! एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि पार्टियों में कोकीन के लगातार सेवन के कारण युवाओं की धमनियां सख्त हो जाती हैं। साथ ही इसके कारण उच्च रक्तचाप और हृदयाघात का भी खतरा बना रहता है। अपने तरह के पहले अध्ययन मेंं शोधकर्ताओं ने पाया कि कोकीन के सेवन से अधिक रक्त का थक्का बनने और दिल पर जोर पड़ने के कारण हृदयाघात का खतरा पैदा हो जाता है। आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिये एम आर आई का प्रयोग करते हुये 20 युवाओं में कोकीन के प्रभाव तुलना की। कोकीन का सेवन न करने वालों के बजाय इसका सेवन करने वालों में रक्त धमनियां 30 से 35 प्रतिशत तक सख्त हो गयीं थीं। शोध का अध्ययन करने वाली गेमा फिग्ट्री ने बताया, ‘यह बहुत ही दुखद है कि युवा इसका सेवन कर रहे हैं और उन्हें इसके प्रभाव की कोई जानकारी नहीं है।’
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08-11-2012, 12:15 AM | #1199 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
गंजापन और उभरी हुई आंखें हृदयाघात के संकेत
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वृद्धावस्था के लक्षण समझे जाने वाले गंजापन, उभरी हुई आंखें और झुर्रीदार कान जैसे तत्व हृदयरोग की शुरुआती चेतावनी हो सकती है। इस नए अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों में कम घने बाल, गंजापन, झुर्रीदार कान और उभरी हुई आंखें जैसे वृद्धावस्था के तीन-चार लक्षण होते हैं, उनमें हृदयाघात का जोखिम 57 फीसदी एवं हृदयरोग का जोखिम 39 फीसदी बढ़ जाता है। इस अध्ययन के प्रमुख अध्ययनकर्ता कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में क्लिनिकल जैव रसायन के प्रोफेसर ए. हैयजर्ग हानसेन ने कहा कि उम्र बढ़ने के संकेत मनोवैज्ञानिक और जैविक उम्र दर्शाते हैं, न कि कालानुक्रमिक उम्र। पुरुषों और महिलाओं में सभी उम्र वर्ग के लोगों में हर बढ़ते वृद्धावस्था संकेत के साथ हृदयाघात एवं हृदयरोग का जोखिम बढ़ जाता है। जिनकी उम्र सत्तर के आसपास है, उनमें सबसे ज्यादा जोखिम होता है। यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2012 में प्रस्तुत किया गया।
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08-11-2012, 12:16 AM | #1200 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
एक ग्लास वाइन स्तन कैंसर का जोखिम करती है कम
लंदन। महिलाएं अगर हर रोज एक ग्लास वाइन पिएं तो उनमें स्तन कैंसर का जोखिम 20 प्रतिशत कम रहता है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी तरह के सबसे बड़े अध्ययन में पाया कि जो लोग कम मात्रा में वाइन का सेवन करते हैं, वह नहीं पीने वालों की अपेक्षा बीमारी से जल्द ठीक होते हैं। यह नतीजा अप्रत्याशित है, क्योंकि एल्कोहल को स्वस्थ महिलाओं में स्तन कैंसर होेने की वजह माना जाता है। नए अध्ययन ने अपने इस नतीजे पर पहुंचने के जो कारण बताए हैं, उनमें एक है कि जिस तरह एल्कोहल के रसायन स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, उसी तरह यह कैंसर वाली कोशिकाओं को भी नष्ट करते हैं। अभी तक ब्रिटेन में एल्कोहल का सेवन करने वाली स्तन कैंसर की रोगी महिलाओं के लिए कोई विशेष दिशा निर्देश नहीं है, लेकिन स्वस्थ महिलाओं को एक हफ्ते में 14 यूनिट से अधिक एल्कोहल नहीं लेने की सलाह दी जाती है। कैंसर से पीड़ित कई महिलाएं इस उम्मीद से एल्कोहल से तौबा कर लेती हैं कि इससे वे ठीक हो जाएंगी। अनुसंधानकर्ताओं ने अपने प्रयोग के लिए 13525 ऐसी महिलाओं को लिया, जिन्हें औसतन सात साल से स्तन कैंसर था। उन्होंने प्रत्येक के एक हफ्ते के औसतन एल्कोहल सेवन और उनके बॉडी मॉस इंडेक्स पर गौर किया।
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