16-07-2012, 08:29 AM | #12071 |
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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ‘फर्जी’ मुठभेड़ में तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने की घटना की सीबीआई जांच के न्यायिक आदेश पर गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार की इस पुनर्विचार याचिका को विचार योग्य नहीं पाया। गुजरात सरकार का कहना था कि ऐसे किसी मामले की सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता है जिसमें राज्य पुलिस पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल आठ अप्रैल को तुलसीराम प्रजापति की मां नर्मदा बाई की याचिका पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इस प्रकरण की जांच का आदेश दिया था। आरोप है कि सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी की नवंबर 2005 में गुजरात पुलिस के हाथों कथित हत्या की घटना का तुलसीराम प्रजापति चश्मदीद गवाह था। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ कांड में गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह भी अभियुक्त हैं। न्यायालय ने तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ कांड की जांच सीबीआई को सौंपते हुए कहा था कि इस मामले में आंध्र प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की पुलिस की संदिग्ध भूमिका के बारे में याचिकाकर्ता ने पुख्ता तर्क पेश किये हैं। इसलिए यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जा रहा है। न्यायालय ने इस मामले की गुजरात पुलिस द्वारा की गयी जांच की आलोचना करते हुये कहा था कि इस मुठभेड़ की घटना के साढे तीन साल बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया है। गुजरात सरकार और अमित शाह इस मामले को सीबीआई के हवाले करने का विरोध कर रहे थे। इनका तर्क था कि केन्द्र सरकार पूर्व गृह मंत्री ओर राज्य के मुख्यमत्री नरेन्द्र मोदी को फर्जी मुठभेड़ कांड में फंसाने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर, नर्मदा बाई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के टी एस तुलसी ने इस मुठभेड़ की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग का समर्थन करते हुए कहा था कि गुजरात पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं है।
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16-07-2012, 08:29 AM | #12072 |
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उच्चतम न्यायालय का वैज्ञानिक तरीके से पुलिस जांच के लिए जनहित याचिका पर विचार से इंकार
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मामलों में थर्ड डिग्री यातना देने के तरीके की बजाए वैज्ञानिक तरीके से पुलिस की जांच सुनिश्चित करने के निर्देश के लिए दायर जनहित याचिका पर विचार से इंकार कर दिया है। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की खंडपीठ ने आज टी पी अब्दुल जलील की याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए उसे सुझाव दिया कि पहले से ही लंबित एक अन्य याचिका में उसे अर्जी दायर करनी चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने यह याचिका वापस ले ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह की जनहित याचिका इसी तरह के विषय पर पहले से ही लंबित है। जलील ने इस याचिका में कहा था कि विशेषज्ञ समितियों की तमाम सिफारिशों के बावजूद केन्द्र सरकार ने अभी तक आपराधिक मामलों की जांच के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाना शुरू नहीं किये हैं। याचिका में कहा गया है कि वैज्ञानिक तरीकों के अभाव में पुलिस अक्सर जांच के दौरान संदिग्ध आरोपियों से जुर्म कबूल करवाने के लिए यातनाएं देती है या अन्य थर्ड डिग्री के तरीके अपनाती है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पुलिस कानून मसौदा समिति, 2006, अपराध न्याय व्यवस्था पर मलिमथ समिति, 2003 और राष्ट्रीय पुलिस आयोग की 1979 की रिपोर्ट में की गयी सिफारिशों की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया था।
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16-07-2012, 08:30 AM | #12073 |
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ओलंपिक के लिये लंदन में जंग जैसा सुरक्षा चक्र
लंदन। लंदन में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सैन्य उपकरण नहीं देखे गये लेकिन ओलंपिक में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर यहां युद्ध में प्रयोग किये जाने वाले हथियारों को तैनात किया जा रहा है। कुछ स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद आतंकवादियों के किसी भी संभावित हमले से निबटने के लिये लंदन में ऐसी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सके। लंदन ओलंपिक 27 जुलाई को शुरू होंगे। इसके लिये 3500 सैन्य कर्मियों को तैनात किया जा रहा है। इसके अलावा रायल एयर फोर्स रैपियर और उच्च क्षमता वाली मिसाइलों के साथ तैयार रहेगी। जहाज एचएमएस ओसन भी आज शाम से ग्रीनविच में तैनात कर लिया गया है। एचएमएस ओसन से छह हेलीकाप्टर उड़ान भर सकते हैं और इसके हैंगर में छह एयरक्राफ्ट को रखा जा सकता है।
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16-07-2012, 08:30 AM | #12074 |
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जंदल के एमएलए हास्टल में ठहरने का कोई सबूत नहीं : पाटिल
मुंबई। महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर आर पाटिल ने विधानसभा में कहा कि ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है कि पिछले महीने दिल्ली में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकवादी सैयद जबीउद्दीन उर्फ अबु जंदल 2006 में राज्य मंत्री फौजिया खान के एमएलए हॉस्टल रूम में ठहरा था। विपक्ष के नेता एकनाथ खड्से ने कल खान का इस्तीफा मांगते हुए उस आरोप का जिक्र किया था कि जिसमें कहा गया है कि जंदल खान को आवंटित हास्टल में ठहरा था। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब देते हुए पाटिल ने कहा कि जंदल को पकड़ने पर जांच एजेंसियों की सराहना किए जाने के बदले विपक्ष आरोप लगा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है कि जंदल एमएलए हास्टल में ठहरा था। उन्होंने कहा कि वास्तव में हास्टल ‘‘धर्मशाला’’ है जहां पार्टी कार्यकर्ता भी ठहरते रहते हैं।
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16-07-2012, 08:31 AM | #12075 |
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मारियानो चर्चिल ब्रदर्स के मुख्य कोच नियुक्त
पणजी। मारियानो डायस को चर्चिल ब्रदर्स फुटबाल क्लब ने आगामी सत्र के लिये मुख्य कोच नियुक्त किया है । इससे पहले क्लब के मुख्य कोच कार्लोस परेरा थे । क्लब के अधिकारी डेनजिल फेराओ ने कहा, ‘‘कार्लोस परेरा ने नये अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किये इसलिये हमने मारियानो को अपना मुख्य कोच बन लिया है । सुभाष भौमिक तकनीकी निदेशक के पद पर बरकरार रहेंगे । ’’ गोवा के लिये 2010 में संतोष ट्राफी जीतने के बाद डायस सलगांवकर स्पोर्ट्स क्लब के युवा विकास कार्यक्रम के सीनियर तकनीकी निदेशक के तौर पर काम कर रहे थे और उन्हें पूर्व भारतीय राष्ट्रीय टीम के कोच सावियो मेडिरा के सहायक कोच की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी थी । चर्चिल ने लेबनान के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बिलाल शेख अल नजारिन को आस्ट्रेलियाई सेंटर बैक अंटुन कोवासिच की जगह एशियाई खिलाड़ी के स्थान पर शामिल किया है ।
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16-07-2012, 08:31 AM | #12076 |
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अब्दुस सलाम के बेटे ने पाक के पाखंड को किया उजागर
लंदन। नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुल सलाम के बेटे ने कहा कि ‘गॉड पार्टिकल ’ परियोजना को हाल ही में मिली सफलता में सलाम के अहम योगदान होने के बाद भी पाकिस्तान ने उन्हें नजरअंदाज किया क्योंकि उनका ताल्लुक अहमदिया समुदाय से था। अब्दुल सलाम को पाकिसतान में नजरअंदाज और यहां तक कि उनसे नफरत की जाती है । 1996 में निधन होने तक उन्होंने अपने पाकिस्तान की नागरिकता अपने पास रखी जबकि भारत और अन्य देशों ने उन्हें नागरिकता का प्रस्ताव दिया था । नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक के पुत्र और लंदन स्थित निवेश बैंकर अहमद सलाम ने कहा, ‘पाकिस्तान में पाखंड लगातार जारी है । जब उन्हें जरूरत पड़ी तो उन्होंने परमाणु और अन्य वैज्ञानिक मुद्दों पर उनकी राय ली लेकिन आधिकारिक तौर पर कभी उनके साथ संपर्क नहीं किया ।’ अहमद सलाम ने कहा, ‘पाकिस्तान के परमाणु और अन्य एजेंसियों के अधिकारी दुनिया भर की यात्रा कर मेरे पिता की सलाह बंद दरवाजों के पीछे लेते लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्होंने कभी उनसे संपर्क नहीं किया ।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया कि उनके जनाजे में कुछ कैबिनेट मंत्री शामिल होना चाहते थे लेकिन उन्हें मना कर दिया गया ।’ सलाम ने कहा कि सबसे बड़ा अपमान वह था जब पाकिस्तान स्थित उनकी कब्र से ‘पहला मुस्लिम नोबेल पुरस्कार विजेता’ से मुस्लिम शब्द एक स्थानीय दंडाधिकारी के आदेश से हटा दिया गया । उनके जनाजे में सबसे बड़ा सरकारी प्रतिनिधि एक स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर था । पाकिस्तान के संविधान में 1974 में एक संशोधन से अहमदिया समुदाय को देश के कानून के तहत गैर मुस्लिम कराद दिया गया था ।
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16-07-2012, 08:32 AM | #12077 |
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चिड़ियाघर से पांच चालाक चिंपैजी हुए फरार
लंदन। जर्मनी के एक चिड़ियाघर से पांच चालाक चिंपैंजी फरार हो गए । उन्होंने परिसर को पार करने के लिए बकायदा पेड़ों की शाखाओं से बनी सीढियों का इस्तेमाल किया । दीवार फांदने के बाद , ये जानवर चिड़ियाघर आने वाले 2,500 दर्शकों में शामिल हो गए । डेली मेल की खबर में बताया गया कि एक ओर जहां चिपैंजी दीवार की दूसरी ओर की दुनिया का लुत्फ लेकर खुश थे लेकिन दूसरी ओर चिड़ियाघर को खाली कराने के लिए कर्मियों के प्रयास में पांच साल की एक बच्ची और एक बुजुर्ग घायल हो गए । बुधवार को हुई इस घटना में जानवरों पर काबू पाने के लिए 27 पुलिस वाहनों को भेजा गया । चिपैंजियों का दल आजादी का आनंद उठाने के बाद अपने आशियाने में खुद ही वापस आ गया । घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं ।
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16-07-2012, 08:32 AM | #12078 |
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गुवाहाटी में लड़की से सामूहिक छेड़खानी की जांच करेगा एनसीपीसीआर : कृष्णा तीरथ
इंदौर। गुवाहाटी में एक लड़की को सरेआम निर्वस्त्र करके उसके साथ सामूहिक छेड़खानी की घटना को केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने आज ‘बेहद शर्मनाक’ करार दिया और बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को इस घटना की जांच के लिये कहा गया है। कृष्णा तीरथ ने यहां एक संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने टीवी न्यूज चैनलों पर गुवाहाटी में सरेआम लड़की के साथ सामूहिक बदसलूकी की खबरें देखी हैं। गुवाहाटी जैसे शहर में ऐसी घटना बेहद शर्मनाक है। जो लोग इस घटना के गवाह थे, उन्हें बदमाशों को रोकना चाहिये था...उन्हें बदमाशों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देना चाहिये था।’ उन्होंने बताया, ‘मैंने एनसीपीसीआर से कहा है कि वह अपनी एक टीम को गुवाहाटी भेजकर इस घटना की जांच कराये। मैंने उसे यह भी कहा है कि इस जांच में दोषी पाये जाने वालों के लिये कड़ी से कड़ी सजा की सिफारिश की जाये।’ कृष्णा ने बताया कि वह 11 से 18 साल के लड़कों में सकारात्मक मानसिकता के विकास और जागरूकता के लिये एक योजना बनाने पर विचार कर रही हैं। इसके अलावा, उन्होेंने बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न निवारण का संशोधित विधेयक आगामी मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जायेगा। कृष्णा ने बताया कि इस प्रस्तावित कानून में संगठित और असंगठित क्षेत्र से जुड़ी स्त्रियों के साथ घरेलू कामकाजी महिलाओं को भी यौन उत्पीड़न से संरक्षण देने के पुख्ता प्रावधान हैं।
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16-07-2012, 08:33 AM | #12079 |
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कलमाड़ी के लंदन ओलंपिक जाने की योजना पर कड़ी प्रतिक्रिया
मुंबई । दिल्ली की एक अदालत के राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को लंदन ओलम्पिक में भाग लेने की अनुमति मिलने पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई है, खेल मंत्री अजय माकन ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि भ्रष्टाचार के मामलों के आरोपी कलमाड़ी भारतीय दल के हिस्सा नहीं बन सके । राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान कलमाडी करीब एक साल तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद जमानत पर रिहा हुए हैं। केन्द्रीय खेल मंत्री माकन ने यहां कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.... खेल मंत्री होने के नाते मैं यह प्रयास करूंगा कि कलमाडी भारतीय दल के सदस्य नहीं हो पाये। मैं वादा करता हूं कि कलमाड़ी भारतीय दल का हिस्सा नहीं होंगे ।’ देश में खेलों को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिये बनी संस्था क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया (सीएसआई) ने भी दिल्ली अदालत के फैसले पर निराशा व्यक्त की है। इस बीच भारतीय ओलम्पिक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा न खुद को इस विवाद से अलग रखते हुए कहा कि वह प्रतिनिधिमंडल के सदस्य नहीं हैं। माकन ने आज कहा कि भले ही राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के बर्खास्त अध्यक्ष कलमाड़ी को दिल्ली की अदालत ने ओलंपिक खेलों के लिये लंदन जाने की अनुमति दे दी है लेकिन उन्हें इस खेल महाकुंभ में नहीं जाना चाहिए। माकन ने यहां एनडीटीवी के अभियान ‘मार्क्स फोर स्पोर्ट्स’ कार्यक्रम से इतर कहा, ‘मैं समझता हूं कि जब तक उन्हें सभी आरोपों से मुक्त नहीं कर दिया जाता तब तक उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए। उन्हें स्वयं ही वहां नहीं जाने का फैसला करना चाहिए।’ सीबीआई न्यायाधीश तलवंत सिंह ने आज कलमाड़ी को 26 जुलाई से 13 अगस्त तक लंदन जाने की अनुमति प्रदान की। अदालत ने उन्हें 10 लाख रपये का बांड और इतनी ही जमानत राशि जमा करने का आदेश दिया । अदालत ने स्पष्ट किया कि कलमाड़ी को केवल वर्ष 2012 के ओलंपिक खेलों के लिये लंदन यात्रा की अनुमति दी गई है। न्यायमूर्ति ने कहा, ‘आरोपी नंबर एक (कलमाड़ी) अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ के सदस्य और एशियाई एथलेटिक्स संघ के अध्यक्ष हैं तथा उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों की जिरह पहले ही पूरी हो चुकी है । इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ जिरह जारी है और इसके निष्कर्ष के आने में समय लगेगा ।’ उन्होंने कहा, ‘इसके फलस्वरूप कलमाड़ी की याचिका को अनुमति दी जाती है ।’ अदालत ने कहा कि कलमाड़ी के नाम पर कोई कार्यवाही स्थगित नहीं होगी और उनके वकील उनकी (कलमाड़ी) अनुपस्थिति में सुनवाई के दौरान उपस्थित रहेंगे । अदालत ने साफ किया है कि कलमाड़ी को केवल ओलंपिक के उद्देश्य से लंदन जाने की अनुमति दी गयी है। कलमाड़ी ने कल अदालत से ब्रिटेन जाने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने आईएएएफ परिषद के आमंत्रण, ओलंपकि के कार्यक्रम तथा संघ के महासचिव एस्सार गैब्रियल द्वारा भेजे गये टिकट का विवरण भी पेश किया था। देश में खेलों को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिये बनी संस्था क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया के समन्वयक बी वी पी राव ने विज्ञप्ति में कहा, ‘आज भारतीय खेलों के लिये दुखद दिन है । क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया यह जानकर काफी नाखुश है कि भ्रष्टाचार में फंसा ऐसा अधिकारी लंदन ओलंपिक में मौजूद होगा जो भारत में सबसे बड़े खेल घोटाले का मुख्य आरोपी है ।’ उन्होंने कहा, ‘कलमाड़ी के इस कदम से संकेत मिलता है कि वह भारतीय खेलों और इस प्रशासकों के मामलों में दखलदांजी जारी रखेंगे ।’ विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि कलमाड़ी देश के लोगों को मूर्ख बना रहे हैं । इसके अनुसार, ‘जमानत पर जेल से छूटने के बाद कलमाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को लिखित आश्वासन दिया कि वह आईओए की किसी भी तरह की गतिविधि में भाग नहीं लेंगे क्योंकि वह कानूनी मामले में व्यस्त हैं । यह इस बात का सबूत है कि कलमाड़ी देश के लोगों और अंतरराष्ट्रीय संस्था को मूर्ख बना रहे हैं ।’ पूर्व हाकी ओलंपिक परगट सिंह और पूर्व स्टार एथलीट अश्विनी नचप्पा इस संस्था का हिस्सा हैं ।
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मौजूदा स्वरूप में लोकपाल हमारी चिंताओं पर ध्यान नहीं देता :सीबीआई
नयी दिल्ली। सीबीआई ने लोकपाल विधेयक का अध्ययन कर रही संसदीय समिति के समक्ष कहा कि इसका मौजूदा स्वरूप सीबीआई की जांच करने की स्वायत्तता से गंभीर तौर पर समझौता करता है और उसकी चिंताओं पर ध्यान नहीं देता। सीबीआई के निदेशक ए पी सिंह ने आज लोकपाल विधेयक की पड़ताल कर रही राज्यसभा की प्रवर समिति के समक्ष कहा कि इसका मौजूदा स्वरूप में आर्थिक तथा प्रशासनिक मामलों को लेकर सरकार पर सीबीआई की निर्भरता के मुद्दे पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता। सीबीआई ने समिति के समक्ष विस्तृत प्रस्तुतिकरण में कहा कि लोकपाल आंदोलन का एक प्रमुख बिंदु जांच एजेंसी को महती स्वायत्तता देना था। प्रस्तुतिकरण में कहा गया, ‘जहां तक सीबीआई की बात है, ऐसा होता दिखाई नहीं दिया। इसके विपरीत जांच में एजेंसी की स्वायत्तता से गंभीर तौर पर समझौता हुआ है।’ सीबीआई ने कहा कि एजेंसी की आर्थिक और प्रशासनिक मामलों में सरकार पर निर्भरता जनता में यह धारणा पैदा करती है कि सरकार सीबीआई को प्रभावित कर सकती है और जांच सरकार के हस्तक्षेप एवं दबाव से अछूती नहीं हैं। सीबीआई ने समिति से कहा, ‘‘लोकपाल विधेयक मौजूदा स्वरूप में इस विषय से बिल्कुल नहीं निपटता।’’ सीबीआई ने कहा कि लोकपाल के गठन के बाद उसे सीवीसी, कार्मिक प्रशिक्षण विभाग, कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अलावा नये संस्थानों को रिपोर्ट करना होगा। एजेंसी ने कहा, ‘लोकपाल विधेयक, 2011 ऐसा कोई पुख्ता प्रस्ताव नहीं रखता जो सीबीआई को पूरी तरह वित्तीय तथा प्रशासनिक स्वायत्ता दे सके।’ सीबीआई ने भारत की संचित निधि से उसके लिए अलग से अनुदान की मांगें तय करने की पेशकश की है। एजेंसी ने कहा कि सीबीआई प्रमुख को ‘अनुदान नियंत्रण’ का अधिकार होना चाहिए और अनुदान के लिए उसे मुख्य लेखा अधिकारी भी बनाया जाना चाहिए। समिति के समक्ष दिये गये प्रस्तुतिकरण में कहा गया, ‘सीबीआई निदेशक भारत सरकार के सचिव के दर्जे से काम करेंगे जैसा कि वित्तीय अधिकार नियम, 1978 की व्याख्या में बताया गया है।’ एजेंसी ने यह भी कहा कि सीबीआई निदेशक को एजेंसी में डीआईजी स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति, उनका कार्यकाल बढाने और कम करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। सीबीआई ने यह प्रस्ताव भी रखा कि सीबीआई प्रमुख को विभाग में डीआईजी के दर्जे से उपर के अन्य अधिकारियों की नियुक्ति वाली चयन समिति के सदस्य के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। सीबीआई को नियंत्रित करने वाले दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में इसके अनुरूप संशोधन किया जाना चाहिए। विधि अधिकारियों से अपने मतभेदों का अप्रत्यक्ष इशारा करते हुए सीबीआई ने कहा कि उसके पास विशेष वकीलों और विशेषज्ञों को शामिल करने का अधिकार होना चाहिए। एजेंसी ने निराशा जताते हुए कहा कि लोकपाल विधेयक में जहां प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की एक समिति द्वारा सीबीआई प्रमुख के चयन का स्तर बढाने की पेशकश की गयी है, वहीं निदेशक का कार्यकाल बढाने को लेकर किसी संशोधन का प्रस्ताव नहीं रखा गया है। सीबीआई ने कहा कि महत्वपूर्ण मामलों में लगातार निगरानी सुनिश्चित करने और संगठन में सुधार के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण लागू करने में मदद के लिहाज से कार्यकाल दो साल के बजाय पांच साल तक बढाया जाना चाहिए।
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