16-07-2012, 11:19 PM | #12221 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि भारत में कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर रोक है। इन दलों का कहना है कि सरकार को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए और अन्य लोगों की धारणाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए। माकपा के वरिष्ठ नेता नीलोत्पल बसु ने कहा, ‘वे अपनी शर्तों पर हमारी अर्थव्यवस्था और बाजार को खोलना चाहते हैं। इस उद्देश्य के लिए वह यह दबाव बना रहे हैं...जैसी स्थिति है, कोई भी यह विश्वास नहीं करेगा कि मौजूदा स्थिति में विश्व भर में निवेश परिदृश्य में कोई भारी बदलाव होने जा रहा है।’ भाजपा ने कहा कि ओबामा की टिप्पणी ‘हास्यास्पद’ है। पार्टी के प्रवक्ता तरूण विजय ने कहा, ‘वह देश हमें निवेश और अर्थव्यवस्था के बारे में प्रमाणपत्र दे रहा जो स्वयं आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है। हमें अपने तरीके से अपने राष्ट्रीय हितों को सुनिश्चित करना चाहिए। यह हास्यास्पद है।’ उन्होंने कहा कि भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जैसे मुद्दों पर अपने हितों को लेकर आंखें नहीं मूंद सकता। ‘हमारे पास एफडीआई का विरोध करने का पूरा अधिकार है...यह हमारे हित का सवाल है।’ वाम और भाजपा ने एफडीआई का विरोध किया था विशेषकर छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए खुदरा क्षेत्र में। भारत में खुदरा सहित कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर रोक लगी होने की ओर ध्यान दिलाते हुए ओबामा ने आज निवेश माहौल में गिरावट आने पर चिंता जतायी थी।
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16-07-2012, 11:20 PM | #12222 |
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गोधरा ट्रेन आगजनी मामले के दोषी की वडोदरा जेल में मौत
अहमदाबाद। गोधरा ट्रेन आगजनी मामले के एक दोषी की वडोदरा केन्द्रीय कारागार में आज दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी। वर्ष 2002 में हुए इस मामले में 59 लोगों की जान गयी थी। वडोदरा केन्द्रीय कारागार के अधीक्षक आर एफ संगदा ने बताया कि शौकत उर्फ भानो फारूक पटाड़िया ने आज दोपहर सीने में दर्द की शिकायत की और उसे फौरन सैयाजीराव गायकवाड़ अस्पताल ले जाया गया। उसका दिल का दौरा पड़ने के कारण मौत हो गयी। उसे सक्षम अदालत के वकील पी आर पटेल ने मार्च 2011 में आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी। इस फैसले के खिलाफ 31 अन्य दोषियों सहित उसकी अपील गुजरात उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। शौकत को गुजरात पुलिस भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 27 फरवरी 2003 में गिरफ्तार किया गया था। उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी 2002 को तड़के हिंसक भीड़ ने साबरमती एक्सपे्रस पर हमला किया था जिसमें 59 लोगों की मौत हो गयी थी। मारे गये अधिकतर लोग कारसेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद गुजरात भर में भड़के सांप्रदायिक दंगों में 1200 मुस्लिमों की जान गयी थी। सुनवाई अदालत ने इस मामले में 11 लोगों की मौत की सजा सुनायी थी जबकि शौकत सहित 20 अन्य को आजीवन कारावास दिया गया था।
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16-07-2012, 11:21 PM | #12223 |
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परिवर्तन की अपील के बाद हिलेरी ने मिस्र के जनरलों से मुलाकात की
काहिरा। अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मिस्र के शीर्ष सैन्य अधिकारियों से बातचीत की। इससे कुछ घंटे पहले उन्होंने सैन्य नेताओं से मिस्र को लोकतंत्र की ओर आसानी से ले जाने में मदद देने का आह्वान किया था । हिलेरी ऐसे समय पर मिस्र आई हैं जब नवनिर्वाचित इस्लामी राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी और सुप्रीम कौंसिल आफ द आर्मड फोर्सेस के बीच शक्ति के अधिकार को लेकर संघर्ष चल रहा है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने एक घंटे तक चली बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘उन्होंने राजनीतिक परिवर्तन और सुप्रीम कौंसिल आफ द आर्मड फोर्सेस का राष्ट्रपति मुरसी के साथ चल बातचीत पर चर्चा की।’
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16-07-2012, 11:21 PM | #12224 |
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आफिसर्स च्वाइस बनी सबसे ज्यादा बिकने वाली व्हिस्की
मुंबई। एलायड ब्लेंडर्स की आफिसर्स च्वाइस दुनिया का सबसे अधिक बिकने वाला व्हिस्की ब्रांड बन गया है। इंटरनेशनल वाइन एंड स्प्रिट्सि रिसर्च की जुलाई की रपट में यह दावा किया गया है। इसके अनुसार आफिसर्स च्वाइस ने इस लिहाज से यूबी ग्रुप की मैक्डावेल को पछाड़ दिया है। किशोर छाबड़िया की अगुवाई वाली एलायड ब्लेंडर्स एंड डिस्टीलर्स ने 2011 में 1.710 करोड़ कैस व्हिस्की बेचे। वहीं मैक्डावेल की बिकñी 2011 में 1.639 कैस की रही और यह तीसरे नंबर पर थी। जानी वाकर दूसरी सबसे ज्यादा बिकने वाली व्हिस्की है।
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16-07-2012, 11:30 PM | #12225 |
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राज्यपाल की टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ने आपत्ति जताई
हुबली (कर्नाटक)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने राज्यपाल एच. आर. भारद्वाज की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है कि उनके मंत्रिमंडल में ‘दागी मंत्री’ हैं। उन्होंने कहा कि जब तक आरोप साबित नहीं हो जाता तब तक किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता । हवाई अड्डे पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘जब तक साबित नहीं होता तब तक किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।’ भारद्वाज ने 13 जुलाई को कहा था कि मंत्रिमंडल में ‘दागी रिकार्ड’ वाले कुछ मंत्रियों को शामिल किया गया है। उनकी सलाह को नजरअंदाज किया गया कि अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे लोगों को बाहर रखा जाए। मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने गृह नगर पहुंचने पर शेट्टार का भव्य स्वागत किया गया । उन्होंने कहा कि 11 महीने बाद जब महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने हैं तो वह इस चुनौती का सामना करने को तैयार हैं । उन्होंने कहा, ‘इस चुनौती के लिए मैं तैयार हूं।’ न्होंने इन रिपोर्ट को खारिज कर दिया कि मंत्रियों के विभाग को अंतिम रूप देने के लिए वह भाजपा आलाकमान से मिलने दिल्ली गए थे। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद केंद्रीय नेताओं का आभार जताने वह दिल्ली गए थे। शेट्टार ने कहा कि राज्य में वह स्वच्छ एवं पारदर्शी शासन देंगे और विकास को उत्तर कर्नाटक तक पहुुंचाएंगे । उन्होंने कहा, ‘प्रशासन का मेरे पास वृहद् अनुभव है क्योंकि मैंने पार्टी अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और मंत्री के तौर पर काम किया है। मैं अच्छा प्रशासन दे सकता हूं।’ शेट्टार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेताओं, पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा और सदानंद गौड़ा एवं उपमुख्यमंत्री के. एस. ईश्वरप्पा का धन्यवाद किया।
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16-07-2012, 11:31 PM | #12226 |
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पत्रकारिता में ‘खिचड़ी हिन्दी’ से राजभाषा की दुर्गति : नामवर सिंह
नई दिल्ली। हिन्दी पत्रकारिता में वरिष्ठ संपादक प्रभाष जोशी के अहम योगदान का उल्लेख करते हुए प्रसिद्ध समालोचक डाक्टर नामवर सिंह ने कहा कि आज के दौर की ‘खिचड़ी हिन्दी’ ने इस राजभाषा की दुर्गति कर दी है। सिंह ने कहा कि एक समय था जब हिन्दी पत्रकारिता ने हिन्दी भाषा को संभालने और उसे आगे बढाने का काम किया था लेकिन अब हिग्लिंश लिखी जा रही है जिससे इस भाषा का स्तर लगातार गिर रहा है। सिंह यहां ‘प्रभाष परंपरा न्यास’ की ओर से उनके 76वें जन्मदिन पर गांधी दर्शन परिसर में आयोजित ‘प्रभाष प्रसंग’ कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे। सिंह ने कहा कि प्रभाष जी ने नैतिकता से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा आम लोगों की भाषा में लेखन कार्य किया जिससे उनकी लेखनी को खूब लोकप्रियता मिली। इस कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ मोहम्मद खान, समाजवादी पार्टी के सांसद एवं प्रवक्ता प्रोफेसर रामगोपाल यादव के अलावा कई वरिष्ठ पत्रकार और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने इस मौके पर प्रभाष जी की तुलना अमीर खुसरो से करते हुए कहा कि खुसरो ने अपनी कविताओं को नई शैली दी जिसमें कश्मीर से विन्ध्याचल तक की भाषा का प्रयोग किया गया और यह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुई, उसी तरह एक समय ‘जनसत्ता’ अखबार की भाषा पर बहस हुई क्योंकि प्रभाष जी ने अखबार की लेखनी को आम लोगों की लेखनी बना दिया। ‘हमारा संविधान और व्यवस्था परिवर्तन’ विषय पर बोलते हुए खान ने कहा कि देश के राजनीतिक दलों को अपना चुनावी घोषणा पत्र लागू नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारे महापुरूषों ने संविधान के रूप में हमें घोषणा पत्र (मैनीफेस्टो) दे रखा है और नेता इसी संविधान की शपथ लेते हैं। खान ने कहा कि नेता हर चुनाव में नया घोषणा पत्र लागू करते हैं और पुराना भूल जाते हैं। उन्होंने वंशवाद की राजनीति सहित कई राजनीतिक मुद्दों पर कटाक्ष किये। इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और सपा नेता रामगोपाल यादव उन्हें ध्यान से सुनते नजर आए। शीला और रामगोपाल ने भी प्रभाष जी को याद करते हुए अपने विचार प्रकट किये। इस कार्यक्रम में प्रभाषजी पर 10 मिनट का वृतचित्र भी दिखाया गया और ग्वालियर घराने के पंडित कुमार गंधर्व की बेटी एवं शिष्या कलापिनी कोमकली ने शास्त्रीय गायन पेश किया।
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16-07-2012, 11:31 PM | #12227 |
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पाकिस्तान के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता की अपने ही देश में पूछ नहीं
लंदन। भौतिकशास्त्री अब्दुस सलाम पाकिस्तान के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता थे और उनके ही कार्यों की वजह से हाल में खोजे गये ‘गॉड पार्टिकल ’ का पता लगाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। लेकिन विडम्बना है कि उनके बेटे को केवल इतना पता है कि अहमदिया सम्प्रदाय का होने के कारण उनके पिता को स्वदेश में तिरस्कार के सिवा कुछ नहीं मिला । जब दुनिया हाल में उप परमाणु कण (गॉड पार्टिकल) की खोज के ऐलान का जश्न मना रही है नोबेल पुरस्कार विजेता के लंदन में रह रहे बेटे निवेशक बैंकर अहमद सलाम उस ‘पाखंड’ को लेकर आहत है जिसके चलते उनके पिता के साथ पाकिस्तान में तिरस्कृत व्यवहार किया गया । अहमद ने यहां बताया कि पाकिस्तान में पाखंड बरकरार है। जब उन्हें माफिक लगा उनके पिता से परमाणु और विज्ञान के मुद्दों पर सलाह ली गई, लेकिन अधिकृत तौर पर उन्हें कभी शरीक नहीं किया गया। अब्दुस सलाम ने 1996 में अपनी मृत्यु तक पाकिस्तान की नागरिकता अपने पास रखी, जबकि उन्हें भारत और अन्य देशों ने इसकी पेशकश की थी । अहमद ने कहा कि गुप्त दरवाजोंं के पीछे से मेरे पिता की सलाह लेने पाकिस्तान के परमाणु एवं अन्य एजेंसियों के अधिकारी दुनियाभर में आते रहे, लेकिन अधिकृत तौर पर उनसे कभी सम्पर्क नहीं किया। मुझे बताया गया कि कैबिनेट के कुछ मंत्री उनके अंतिम संस्कार में शरीक होना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने को कहा गया। उन्होंने कहा ‘सबसे ज्यादा तौहीन ’ तब की गई, जब पाकिस्तान में उनके पिता के मकबरे से ‘मुस्लिम’ शब्द हटा दिया गया, जो पहले था - ‘पहले मुस्लिम नोबेल पुरस्कार विजेता’। अंतिम संस्कार में सबसे बड़ा सरकारी प्रतिनिधि स्थानीय पुलिस अधिकारी था। पाकिस्तान के संंविधान में 1974 में संशोधन कर घोषित किया गया कि अहमदिया देश के कानून के तहत मुस्लिम नहीं समझे जाएंगे। सभी पाकिस्तानी पासपोर्ट आवेदनकर्ताओं को एक खंड में दस्तखत करने होते थे, जो कहता है कि अहमदी सम्प्रदाय के संस्थापक, हजरत मिर्जा गुलाम अहमद, जिनकी 1908 में मौत हो गई, ‘धोखेबाज’ हैं और उनके अनुयायी ‘गैर मुस्लिम’ हैं। अहमद सलाम ने कहा कि इसके विपरीत उनके पिता जब 1979 में नोबेल पुरस्कार पाने के बाद भारत गए, तो उनका वहां गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने याद किया कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी दोनों ने उनको भारतीय नागरिकता देने की पेशकश की थी। अब्दुस सलाम का भारत के साथ नजदीकी नाता था, खासकर अकादमिक समुदाय के साथ। उन्हें कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने मानद डिग्री से सम्मानित किया और उन्हें कई अवसरों पर भाषण के लिये आमंत्रित किया। अहमद ने बताया कि भारत यात्रा के दौरान उनके पिता अपने गणित के अध्यापक से मिलने पंजाब गए, जो उस समय बीमार थे और बिस्तर पर थे। उनके पिता ने अपना नोबेल पदक उनके सीने में रखा और कहा, ‘यह आपका है।’ उन्होंने उनके पिता को तब पढ़ाया था, जब पंजाब विभाजित नहीं था। उन्होंने कहा, ‘अब भी भारत में मेरे पिता के प्रति असीम पे्रम है। मनमोहन सिंह (प्रधानमंत्री) ने साउथ कमीशन में मेरे पिता के साथ काम किया और पिछले साल ही उन्होंने हैदराबाद में तीसरे विश्व विज्ञान अकादमी में अपने भाषण के दौरान उनके पिता का उल्लेख किया। अब्दुस सलाम ने उस दिशा में सैद्धान्तिक रूपरेखा तैयार करने में महती भूमिका निभाई, जिसके चलते हाल में ‘हिग्स बोसन’ की जिज्ञासा पर सफलता हासिल हुई। अब्दुस सलाम और नोबेल पुरस्कार में उनके साझेदार स्टीफन वेनबर्ग ने स्वतंत्र तौर पर उप परमाणु कण के वजूद की भविष्यवाणी की थी, जिसे अब ब्रिटेन के भौतिकविद् के नाम पर हिग्स बोसन कहा जाता है। अहमद अपने पिता द्वारा स्थापित एक धर्मार्थ संगठन मोहम्मद हुसैन हजरा हुसैन नोबेल टेलेंट फंड चलाते हैं। यह ब्रिटेन में शिक्षा के लिये आने वाले अल्पसंख्यक छात्रों की मदद करता है। अब्दुस सलाम का परिवार इंपीरियल कालेज लंदन में भी योगदान देता है, जहां उन्होंने थियोरेटिकल फिजिक्स डिपार्टमेंट की स्थापना की थी।
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16-07-2012, 11:32 PM | #12228 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ के मामले में केन्द्र सरकार के रख से खफा
लखनऊ। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने आरोप लगाया है कि वक्फ के मामले में केन्द्रीय कानून मंत्रालय और केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय का रख गैर जिम्मेदाराना और अतर्कसंगत है। बोर्ड के सहायक सचिव मोहम्मद अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा, ‘वक्फ विधेयक में बहुत सी खामियां हैं और केन्द्रीय कानून मंत्रालय एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का रख इस संबंध में गैरजिम्मेदाराना है।’ कुरैशी यहां मौलाना राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में हुई बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सच्चर समिति की सिफारिश के मुताबिक ऐसी संपत्ति पर अतिक्रमण होता है तो उसे खाली करवाने की जिम्मेदारी संबंधित जिला प्रशासन की होगी। समिति ने सिफारिश की थी कि वक्फ को सार्वजनिक संपत्ति के रप में देखा जाए। कुरैशी ने कहा, ‘जब यह विधेयक राज्यसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया तो बोर्ड के प्रतिनिधिमण्डल ने उसके समक्ष कई मुद्दे उठाये थे और जररी सुझाव दिये थे लेकिन जब प्रवर समिति की रिपोर्ट आई तो पता चला कि बहुत से महत्वपूर्ण सुझाव माने नहीं गये हैं।’ कुरैशी ने कहा कि वक्फ संपत्ति की पैमाइश देश के आजाद होने के तारीख से होनी चाहिए, लेकिन विधेयक कहता है कि पैमाइश कानून लागू होने की तारीख से की जायेगी और यदि ऐसा होता है तो वक्फ की पुरानी संपत्ति की रक्षा कैसे होगी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय व्यवस्था दे चुका है कि वक्फ की संपत्ति हमेशा वक्फ की ही रहती है। कुरैशी ने कहा कि विधेयक यह भी कहता है कि न्यायिक राहत पाने के लिये वक्फ का पंजीकृत होना जररी है। उन्होंने कहा कि यह जनतंत्र है और यहां कानून का राज चलता है लेकिन इस मामले में न्याय पाने का अधिकार छीना जा रहा है। कुरैशी ने बताया कि बोर्ड ने इस मुद्दे पर रमजान महीने के बाद आंदोलन छेड़ने का फैसल किया है। कुरैशी ने बताया कि बोर्ड ने कतिपय अदालतों द्वारा तलाक और भरण - पोषण के मामले में शरियत कानून के विरद्ध फैसला देने पर भी चिन्ता जतायी है और तय किया है कि वह इन फैसलों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। उन्होंने कहा, ‘शरियत इस्लाम का ही हिस्सा है और हर मुसलमान इसे मानने के लिये बाध्य है।’ कुरैशी ने बताया कि बोर्ड के संज्ञान में आया है कि तमिलनाडु के पासपोर्ट अधिकारी इस्लामी निकाह को मान्यता नहीं दे रहे हैं और विवाह अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन पर बल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड इस संबंध में विदेश मंत्रालय को ज्ञापन सौंपेगा। शादियों के अनिवार्य पंजीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि चूंकि इस्लाम के तहत मुसलमानों की शादी के पंजीकरण की अपनी व्यवस्था है और इसलिये बोर्ड ने फैसला किया है कि वह पंजीकरण कानून एवं नियमों के अध्ययन के लिये राज्य समितियों का गठन करेगा। कुरैशी ने कहा कि बोर्ड ने रायबरेली अदालत में चल रहे बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों के विरद्ध मुकदमे में सीबीआई के रख पर नाराजगी जताई है और कहा है कि ऐसा लगता है कि वह दोषियों को कोई सख्त सजा दिलवाने की इच्छुक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई अदालत के समक्ष घटना के समय मौके पर रहे गवाहों को पेश करने के बजाय मौके पर नहीं रहे परोक्ष गवाहों को पेश करने में रचि दिखा रही है।
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दो दशक के बाद कश्मीरी पंडितों ने अस्थि विसर्जन की परंपरा बहाल की
जम्मू। कश्मीर घाटी से विस्थापन के दो दशक बाद कश्मीरी पंडितों ने मृतकों के अस्थि विसर्जित करने की परंपरा फिर शुरू की। जीश्ता देवी प्रबंधक समिति के अध्यक्ष बी. बी. भट ने बताया, ‘परंपरा पर चलते हुए दशकों बाद कर्मकांड के साथ आज हमने दिग्गज कश्मीरी पंडित नेता आल स्टेट कश्मीरी पंडित कान्फ्रेंस अध्यक्ष (पंडित अमर नाथ) वैष्णवी की अस्थि घाटी के प्रयागा-सहाहीपोरा में विसर्जित किए।’ वैष्णवी का हाल में जम्मू में निधन हुआ। उन्होंने पिछले कई दशक तक कश्मीरी पंडित समुदाय का नेतृत्व किया। उन्होंने 1990 में विस्थापन के बाद विस्थापित कश्मीरी पंडितों को राहत और भोजन प्रदान किया।
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पुस्तक में टिप्पणी से भावना आहत होने पर नैयर ने खेद जताया
जालंधर। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर ने हाल ही में प्रकाशित अपनी जीवनी में जरनैल सिंह भिंडरावालां और अमरीक सिंह के बारे में की गयी टिप्पणी पर किसी भी वर्ग की भावना के आहत होने पर खेद जताया है। जालंधर में गैर सरकारी संगठन ‘हिंद पाक दोस्ती मंच’ के महासचिव और तथा वरिष्ठ पत्रकार सतनाम सिंह माणक ने यहां नैयर की ओर से बयान जारी कर कहा कि अपनी पुस्तक में भिंडरावाले और अमरीक सिंह के बारे में की गयी टिप्पणी पर नैयर ने अफसोस जताया है। वहीं, नयी दिल्ली में नैयर ने कहा, ‘अगर पुस्तक में मेरी टिप्पणी से किसी वर्ग की भावना को ठेस पहुंची है, तो इस पर मैं खेद प्रकट करता हूं । मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था।’ बहरहाल, नैयर के निकट सहयोगी माणक ने बाद में बातचीत में कहा, ‘उन्होंने (नैयर) मुझसे कहा कि मैं यहां बयान जारी कर इस बात से लोगों को अवगत करा दूं । मेरा इरादा सिख समुदाय के किसी भी वर्ग को आहत करने का नहीं था । आगामी संस्करणों में इन बातों को शामिल नहीं किया जाएगा।’ दरअसल नैयर ने अपनी जीवनी ‘बियोंड द लाइंस’ में खालिस्तान की मांग करने वाले जरनैल सिंह भिंडरावालां को ‘क्रिएशन आफ कांग्रेस’ तथा अखिल भारतीय सिख छात्र फेडरेशन के पूर्व प्रमुख अमरीक सिंह को खुफिया ब्यूरो का एजेंट करार दिया था । इसके बाद सिखों के एक धडे ने इसका जोरदार विरोध किया था। फेडरेशन ने कहा था कि वह पुस्तक की प्रति जलाएगा और लेखक तथा प्रकाशक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा । इस पर नैयर ने कहा था कि वह अपनी बात पर कायम हैं। एक बडे पंजाबी दैनिक के संपादक के तौर पर काम कर रहे माणक ने यह भी कहा, ‘नैयर ने कहा है कि आपरेशन ब्ल्यू स्टार और सिख दंगों के दौरान समुदाय के खिलाफ हुई ज्यादती के खिलाफ मैने सदा अपनी आवाज मुखर की है। किसी भी सिख को आहत करने की मेरी मंशा नहीं थी।’ नैयर के हवाले से माणक ने कहा, ‘इसलिए मैने निर्णय किया है कि ये अंश अब आगामी संस्करणों में नहीं होंगे।’
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