28-11-2012, 12:18 AM | #1261 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि चावल के दाने के आकार के एक नन्हे से भृंग ने कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में विशाल वनक्षेत्र का नाश कर वहां गर्मियों के तापमान में एक डिग्री का इजाफा कर दिया। डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि पेड़-पौधों से हवा में जाने वाले पानी की मात्रा कम कर भृंग ने स्थानीय जलवायु को प्रभावित किया है। रिपोर्ट के अनुसार सूर्य की उर्जा से पानी के वाष्पीकरण होने के बजाय जमीन की सतह का तापमान बढा। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि सतही उर्जा संतुलन बादल निर्माण और बारिश के रूझान में तब्दीली ला सकता है। भृंग से समूचे प्रांतीय ब्रिटिश कोलंबिया के करीब 20 फीसद को प्रभावित किया है। यहां करीब पाइन के दो लाख 72 हजार वर्ग किलोमीटर वन है।
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28-11-2012, 12:18 AM | #1262 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बहुत ज्यादा या बहुत कम श्रम घुटना के लिए है खराब: अध्ययन
वाशिंगटन। बहुत अधिक या बहुत कम शारीरिक श्रम से प्रौढावस्था में घुटने की उपास्थियों का क्षरण तेज हो सकता है। एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है। सान फ्रांसिस्को के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसीएसएफ) के अनुसंधानकर्ताओं को पहले शारीरिक एवं उपास्थि क्षरण के बीच संबंध नजर आया था। नये अध्ययन के लिए यूसीएसएफ के अनुसंधानकर्ताओं ने चार साल तक प्रौढ लोगों में घुटना उपास्थि में बदलाव का अध्ययन किया। उन्होंने घुटने में प्रारंभिक क्षरणात्मक उपास्थि बदलाव शुरू होने के लिए एमआरआई आधारित टी 2 प्रणाली का उपयोग किया। अनुसंधानकर्ताओं ने 45 से 60 साल तक के लिए 205 मरीजों की स्थिति का मूल्यांकन किया। अध्ययन के नतीजे के अनुसार ऐसा जान पड़ता है कि दौड़ने जैसे अधिक श्रम वाली गतिविधियां करने वाले लोगों में अधिक उपास्थि क्षरण होता है और उनमें आस्टियोअर्थराइटिस का अधिक जोखिम होता है। उसी तरह कम श्रम वालों में भी ऐसा ही खतरा होता है। यह अध्ययन रेडियोलोजिकल सोसायटी आॅफ नोर्थ अमेरिका की वार्षिक बैठक में पेश किया गया।
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28-11-2012, 12:18 AM | #1263 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
87 फीसदी भारतीय मानते हैं कि जानवरों को भी इंसानों के बराबर अधिकार हैं : अध्ययन
नई दिल्ली। एक नए अध्ययन के अनुसार भारत के अधिकतर लोग जानवरों के अधिकारों के प्रति जागरुक हैं और यह मानते हैं कि उनका संरक्षण महत्वपूर्ण है। वर्ल्ड सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन आफ एनीमल्स (डब्ल्यूएसपीए) की ओर से आज राजधानी दिल्ली में जारी इस नए अध्ययन में कहा गया है कि 87 फीसदी भारतीय लोग यह मानते हैं कि जानवरों के भी उतने ही अधिकार हैं, जितने इंसानों के लिए हैं। इसके अलावा 73 फीसदी भारतीय यह मानते हैं कि ‘जानवरों के प्रति लोगों का व्यवहार हमारे समाज में एक गंभीर चुनौती है।’ साथ ही डब्ल्यूएसपीए ने भालुओं के संरक्षण एवं भारत में भालुओं के नाच के पेशे को खत्म कराने के प्रयास में अपने योगदान पर भी चर्चा की। संस्था के मुख्य कार्यपालक अधिकारी माइक बेकर ने कहा कि डब्ल्यूएसपीए ने भालुओं के नाच कराने के पेशे से जुड़े लोगों को जागरुक बनाने और उन्हें अन्य रोजगार मुहैया कराने के भी कदम उठाए हैं। संस्था की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सरकार ने भी उसके इस योगदान को माना है और इस संदर्भ में एक नया ‘नेशनल बीयर कंजरवेशन एंड वेलफेयर एक्शन प्लान’ शुरू किया है। बेकर ने कहा, ‘भारत के लोगों में जानवरों के अधिकारों के प्रति जागरुकता काफी उत्साहवर्धक है। भारत में जानवरों के संरक्षण के अपने अभियान की सफलता ने हमें बहुत खुशी है।’ इस अध्ययन को पूरा करने में ‘ग्लोबन स्कैन’ और ‘टीएनएस ग्लोबल’ नाम की अनुसंधान संस्थाओं ने भी योगदान दिया है।
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29-11-2012, 01:00 AM | #1264 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जीवनशैली की वजह से बढ रहे हैं पथरी के मामले
नई दिल्ली। ज्यादा समय तक टीवी, कंप्यूटर या वीडियोगेम में उलझे रहना, तले भुने एवं वसा युक्त आहार का सेवन, मोटापा, पानी कम पीने जैसी आदतों के चलते पथरी के मामले बढ रहे हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में यूरोलॉजिस्ट डॉ राजीव सूद ने बताया ‘पथरी बनने के कारण कैल्शियम की जमावट, मूत्राशय की नलिका में रूकावट आदि हैं। इसका संबंध हाइपर पैराथायरॉइडिजम से भी होता है। यह अंत:स्त्रावी ग्रंथियों से जुड़ी एक विकृति है जिसकी वजह से पेशाब में कैल्शियम की मात्रा बढ जाती है। यदि यह कैल्शियम पेशाब के साथ बाहर निकल जाए तो बेहतर है वर्ना यह गुर्दे की कोशिकाओं में एकत्र होता रहता है और पथरी का रूप ले लेता है।’ उन्होंने बताया ‘पेशाब में कैल्शियम की अधिकता हाइपरकैल्सियूरिया कहलाती है। यह समस्या अत्यधिक कैल्शियम वाले आहार के सेवन से होती है। कैल्शियम आग्जेलेट या फॉस्फेट के कण अत्यधिक मात्रा में हों तो वह पेशाब के जरिये पूरी तरह नहीं निकल पाते और एक जगह एकत्र होने लगते हैं। यही कण पथरी का रूप ले लेते हैं।’ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने बताया ‘पथरी बच्चों को भी होती है। अनुवांशिकी भी पथरी के 60 फीसदी मामलों का एक कारण होती है। अगर परिवार में किसी को सिस्टीन्यूरिया या प्रायमरी हाइपरोक्सैल्यूरिया हो तो पथरी होने की आशंका बढ जाती है। ऐसे बच्चों को पेशाब में अमीनो अम्ल, सिस्टीन या आग्जेलेट की अधिकता के कारण पथरी हो सकती है।’ डॉ मलिक ने बताया ‘पथरी होने पर टमाटर, पालक, आलू आदि नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि इनसे आॅग्जेलेट की मात्रा बढती है। पथरी से बचने के लिए अत्यधिक मात्रा में पानी पीना जरूरी है क्योंकि गुर्दे की लगातार फ्लशिंग जरूरी है। शरीर में पानी की कमी होने से कोशिकाएं आंत से आग्जेलेट शोषित करने लगती हैं जो नुकसानदायक होता है। महिलाएं अक्सर इस झिझक के कारण पानी अधिक नहीं पीतीं कि टायलेट जाना पड़ेगा। लेकिन इससे समस्या हो सकती है।’ बत्रा हॉस्पिटल में वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रीतपाल सिंह ने बताया कि तरल पदार्थों जैसे नारियल का पानी, सामान्य पानी, फलों का जूस आदि का अधिक मात्रा में सेवन, नमक तथा तले भुने पदार्थों का कम सेवन, अत्यधिक शारीरिक सक्रियता आदि से पथरी की समस्या से बचा जा सकता है।’ डॉ सिंह ने कहा ‘हर घंटे कम से कम 200 मिली पानी पीना चाहिए ताकि गुर्दे में नियमित पानी पहुंचता रहे और कोशिकाओं को भी पानी की कमी न होने पाए। शारीरिक सक्रियता की वजह से शरीर में पानी की खपत अधिक होती है और प्यास भी लगती है। जो पानी हम पीते हैं वह विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पेशाब के रूप में बाहर निकलता है और यह व्यवस्था गुर्दे के लिए अत्यंत जरूरी है।’ उन्होंने बताया कि जिन लोगों को एक बार पथरी हो चुकी हो उन्हें दोबारा यह समस्या हो सकती है। ऐसे लोगों को रेड मीट, पालक, टमाटर, आलू, चाय, कॉफी, चावल, नमक आदि के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। जिन लोगों को कैल्शियम स्टोन हो उन्हें दूध और इसके उत्पादों से बचना चाहिए क्योंकि इनमें कैल्शियम अधिक होता है।
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29-11-2012, 01:01 AM | #1265 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
एक बूंद खून या लार से मलेरिया का पता लगा लेगी नयी जांच
लंदन। अनुसंधानकर्ताओं ने एक नयी सस्ती प्रणाली विकसित की है, जिससे सिर्फ एक बूंद खून या लार के जरिए मलेरिया का पता लगाया जा सकेगा। इस प्रणाली के इस्तेमाल में कम संसाधनों वाले इलाकों में विशेष तौर पर प्रशिक्षित लोगों और महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं पड़ेगी। डेनमार्क स्थित आरहस विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार यहां के अनुसंधाकर्ताओं की ओर से विकसित यह प्रणाली प्लाजमोडियम पैरासाइट में टोपोआईसोमरेज1 नाम के एनजाइम की गतिविधियों को दर्ज करेगी। इस प्रणाली का नाम रोलिंग सर्किल एनहांस्ड एनजाइम एक्टिविटी डिटेक्शन (आरईईएडी) रखा गया है।
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29-11-2012, 12:50 PM | #1266 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने कणों के टकराव से एक नए तत्व के निर्माण की संभावना जताई
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है कि ‘हिग्स बॉसम’ या ‘हिग्स कण’ का पता लगाने के लिए एलएचसी का इस्तेमाल कर विभिन्न कणों के बीच कराए गए टकराव के कारण ‘कलर ग्लास कंडेनसेट’ नाम के एक नए तत्व का निर्माण हो गया है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) न्यूज के अनुसार स्विटजरलैंड में जिनेवा के पास स्थित एलएचसी में प्रोटोन और अन्य कणों के बीच हुए टकराव के बाद बने कुछ तत्यों में आश्चर्यजनक बर्ताव देखा गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्य बर्ताव की जगह इन कणों ने एक दूसरे के साथ एक ही मार्ग पर जाना शुरू कर दिया। एमआईटी में भौतिकी के प्रोफेसर गुंथेर रोलैंड ने बताया कि ये कण एक ही दिशा में जाने लगे, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन कणों ने कैसे एक दूसरे के साथ संपर्क बनाया।
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29-11-2012, 12:52 PM | #1267 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आइंस्टीन के मस्तिष्क का आकार औसत लेकिन ‘असाधारण रूप से जटिल’
लंदन ! वैज्ञानिकों का दावा है कि भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन के मस्तिष्क का आकार औसत ही था लेकिन उसमें बड़ी संख्या में ऐसे मोड़ (फोल्ड) थे जिससे इस वैज्ञानिक को ‘असाधारण तरीके से’ सोचने की क्षमता हासिल हुई होगी। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक का मस्तिष्क 240 भागों में बंटा था और 1955 में उनके निधन के बाद इन्हें शोधकर्ताओं में बांटा गया। ज्यादातर नमूने खो गये और शरीर के इस भाग की संरचना के बारे में बहुत कम लिखा गया। ‘द टेलीग्राफ’ ने खबर दी कि वैज्ञानिकों ने आइंस्टीन के मस्तिष्क की तस्वीरों का उपयोग किया। पैथोलाजिस्ट थामस हार्वे के निजी संग्रह से ली गई तस्वीरों ने आइंस्टीन के मस्तिष्क के बारे में कई विशेष जानकारियां दीं। इससे पता चला कि 85 अन्य मस्तिष्कों की तुलना में आइंस्टीन के मस्तिष्क का आकार सामान्य था और इसका वजन 1230 ग्राम था। इसके कुछ भागों में ज्यादा संख्या में मोड़ (फोल्ड एंड ग्रूव्स) हैं।
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29-11-2012, 12:52 PM | #1268 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
पांच में से एक रूसी मनचाही नौकरी वास्ते सेक्स के लिये तैयार
मास्को। यदि मनमाफिक नौकरी मिलती हो तो हर पांच में से एक रूसी व्यक्ति नियोक्ता के साथ सेक्स के लिये तैयार है। रूस की समाचार एजेंसी रिया नोवोत्सी ने रोजगार देने वाली एक कम्पनी की वेबसाइट रोबोटा डाट मेल डाट आरयू जाब एग्रिगेटर के सर्वेक्षण के हवाले से आज यह खबर दी। हालांकि मनचाही नौकरी पाने के इच्छुक 65 प्रतिशत व्यक्तियों ने इस तरीके को जायज नहीं माना है लेकिन ।5 प्रतिशत का कहना है कि यदि वे नौकरी दिलाने वाले को पसंद करते हैं तो वे उसके साथ सेक्स करना पसंद करेंगे और पांच प्रतिशत का जवाब था कि मनचाही नौकरी मिलती हो तो वह इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। वेबसाइट ने 3360 रूसी कर्मचारियों के सर्वेक्षण के हवाले से बताया कि मनपसंद नौकरी के इच्छुक 29 प्रतिशत पुरषों का कहना था कि वे बेडरूम के रास्ते रोजगार पाना चाहते हैं लेकिन महिलाओं में सिर्फ नौ प्रतिशत ने ही इस तरह नौकरी पाने को उचित बताया। स्वच्छंदभोगी कर्मचारी वर्ग में सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी शामिल थे। इनमें रोजगारविहीन के मुकाबले किसी यौनाचारी के साथ सोने के लिए 17 प्रतिशत राजी थे जबकि केवल ।। प्रतिशत सेक्स के जरिए रोजगार पाने के इच्छुक थे। मनमाफिक नौकरी पाने के लिए सेक्स का रास्ता अख्तियार करने के इच्छुक लोगों की इंजीनियंरिंग क्षेत्र में संख्या नौ प्रतिशत और प्रबंधकों में चार प्रतिशत थी। इलेक्ट्रीशियन, बढई, क्लर्क या निजी गार्ड इस रास्ते को अपनाने के इच्छुक दिखाई नहीं दिए। पांच प्रतिशत व्यक्तियों ने बताया कि उन्होंने नौकरी पाने के लिए फ्लर्ट तो किया लेकिन इसके लिए किसी के साथ हमबिस्तर नहीं हुए जबकि चार प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे नौकरी हासिल करने के लिए भर्ती करने वाले के साथ सोना तो चाहते थे लेकिन वे उस दिशा में कदम बढाने का साहस नहीं कर सके।
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29-11-2012, 02:57 PM | #1269 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सास-ससुर में छुपा है खुशहाल वैवाहिक जीवन का राज
लंदन। जो पति अपने सास ससुर के साथ मधुर सम्बंध बनाकर रखते हैं उनका अपनी पत्नी से तलाक होने की आशंका 20 फीसदी कम हो जाती है। दो दशकों तक किए गए अध्ययन के बाद यह नतीजा निकाला गया है। लेकिन महिलाओं के साथ इसका उलटा है। जो बहुएं अपने सास-ससुर के साथ मधुर सम्बंध बनाए रखती हैं उनकी अपने पति से तलाक होने की आशंका 20 फीसदी अधिक रहती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो पत्नियां अपने सास-ससुर को पसंद करती हैं, उनके लिए सीमाएं तय करना मुश्किल हो जाता है और आने वाले सालों में वे महसूस करती हैं कि सब कुछ घालमेल हो गया है। डेली मेल में यह खबर प्रकाशित हुई है। यूनिवर्सिटी आफ मिशिगन के शोधकर्ताओं ने 26 सालों से अधिक समय तक एक ही नस्ल के 373 दंपतियों का अध्ययन किया। उन्होंने अध्ययन के बाद पाया कि जो पति अपनी सास के साथ अच्छे सम्बंध बनाकर रखते हैं उनकी पत्नियां उनसे खुश रहती हैं और दोनों के बीच प्रेम बढ़ता है। ये सभी दंपती 25 से 37 आयु वर्ग के थे और 1986 में जब शोध शुरू किया गया तो इनकी शादियों को सालभर ही हुआ था। मनोचिकित्सक और शोध प्रोफेसर डॉ. टेरी ओरबुच ने कहा कि इसका कारण यह होता है कि महिलाओं के लिए रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। उनकी पहचान एक मां और एक पत्नी के रूप में उनके अस्तित्व के केंद्र में होती है। वे अपने सास-ससुर की कही बातों को एक पत्नी और एक मां के रूप में अपनी पहचान में हस्तक्षेप के रूप में देखती हैं। इसमें पत्नियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी शादी के बारे में सूचनाएं साझा करने में सावधानी बरतें, ताकि घर का हर सदस्य एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान कर सके। दूसरी ओर पतियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपने सास-ससुर को ‘विशेष और महत्वपूर्ण’ मानें।
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29-11-2012, 08:46 PM | #1270 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सबसे शक्तिशाली ‘क्वेजार’ धमाका पहचाना
इसकी ऊर्जा सूर्य से बीस खरब गुना ज्यादा सेंटियागो। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों ने अब तक के सबसे शक्तिशाली ‘क्वेजार’ धमाके की पहचान की है। इस धमाके से उन महत्वपूर्ण सिद्धांतों को पहला प्रमाण मिला है जो बताते हैं कि ब्रह्मांड ने किस तरह आकार ग्रहण किया। ‘क्वेजार’ ऐसे आकाशीय पिंड हैं जो दिखने में असाधारण रूप से चमकदार तारों की तरह हैं, लेकिन अब अंतरिक्ष यात्रियों का मानना है कि क्वेजार तारे नहीं हैं और वे अपनी शक्ति नई-नई बनी हुई आकाशगंगाओं के केन्द्र में स्थित ब्लैक होल्स से लेते हैं। दक्षिणी यूरोप में स्थित वेधशाला की चिली में स्थापित विशाल दूरबीन से ऊर्जा की एक किरण की पहचान की गई। यह अध्ययनों में अब तक देखी गई किसी भी किरण से पांच गुना ज्यादा बड़ी थी। नए विश्लेषण में ऊर्जा के भारी बहाव की पहचान की गई। यह ऊर्जा सूर्य की ऊर्जा से बीस खरब गुना ज्यादा थी। यह ऊर्जा अब तक ज्ञात क्वेजार एसडीएसएस जे1106प्लस1939 की ऊर्जा से 400 गुना ज्यादा है। वर्जीनिया तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता नाहुम अरव ने कहा कि मैं ऐसी किसी चीज की तलाश में पिछले एक दशक से था। पहले कभी पूर्वानुमानित ऐसे भारी प्रवाह देखना वाकई रोमांचकारी है। चूंकि क्वेजार हमसे बहुत दूर हैं, इसलिए उनके प्रकाश को सबसे शक्तिशाली दूरबीन तक पहुंचने में भी अरबों साल लग जाते हैं। बहुत दूर स्थित ये क्वेजार ब्रह्मांड के इतिहास की झलक दिखाते हैं। ब्लैक होल्स में ऊर्जा की मात्रा होने के कारण क्वाजेर के इर्द-गिर्द भी कुछ ऊर्जा होती है। वे इसे ब्रह्मांड में वापस तेज गति से फेंक देते हैं। अंतरिक्ष विज्ञानी बताते हैं कि ऊर्जा के ये प्रवाह कुछ बड़ी आकाशगंगाओं के होने को समझने में मदद करते हैं। साथ ही इनसे यह भी समझा जा सकता है कि किसी आकाशगंगा का द्र्रव्यमान उसके केंद्रीय ब्लैक होल से कैसे जुड़ा रहता है। अरव ने कहा कि पहली बार क्वेजार से ऊर्जा के प्रवाह का आकलन किया गया है जो सिद्धांतों में पूर्वानुमानित उच्च ऊर्जा का एक प्रकार है। क्वेजार एसडीएसएस जे1106प्लस1939 की खोज तो पहले ही की जा चुकी थी, लेकिन पहली बार इससे होने वाले प्रवाह का ठीक आकलन विस्तार से किया गया है।
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