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Old 10-06-2014, 11:07 AM   #121
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नॉर्स महाकाव्य: बियोवुल्फ


बियोवुल्फ एक पुराने अंग्रेज़ी वीर महाकाव्य का पारम्परिक नाम है, जिसमें 3182 लंबी पंक्तियां हैं, जो प्राचीन स्कैंडिनेविया की पृष्ठभूमि में लिखा गया हैं, और जिसे सामान्यतः एंग्लो-सेक्सोन साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है. इसे केवल एक ही पांडुलिपि में लिखा गया है, इस पांडुलिपि को ‘नोवेल कोडेक्स’ के नाम से भी जाना जाता है. इसकी रचना एक अनाम एंग्लो-सेक्सोन कवि द्वारा 8वीं और आरंभिक 11वीं सदी के मध्य की गई थी.

इस महाकाव्य का मुख्य नायक, बियोवुल्फ़, गेट्स का नायक, डेन्स के राजा ह्रोथगर की सहायता करने के लिए आता है, जिसके महान हॉल हियोरूट को राक्षस ग्रैन्डल ने तहस-नहस कर दिया है. बियोवुल्फ़ जादुई तलवार की सहायता से ग्रैन्डल और ग्रैन्डल की माँ दोनों को मारता है.

आगे चलकर अपने जीवन में, बियोवुल्फ़ जब गेट्स का राजा बन जाता है, तब एक ड्रेगन उसके क्षेत्र में आंतक फैलाने लगता है, जिसका खजाना उसके दफन टीले से चोरी हो गया था. वह अपनी सेना के साथ ड्रेगन पर आक्रमण करता है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती है. बियोवुल्फ़ एयरनानेस पर र्ड्रगन का पीछा उसके मांद में करने का फैसला करता है, लेकिन उसका साथ केवल युवा स्वीडिश रिश्तेदार विग्लाफ़ देने की हिम्मत करता है. बियोवुल्फ़ अंततः ड्रेगन को मार देता है, लेकिन गंभीर रूप से घायल हो जाता है. उसे समुद्र के किनारे एक टुमुलस में दफन किया गया है.
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Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

बियोवुल्फ़ को एक पौराणिक महाकाव्य के रूप में जाना जाता है, जिसका मुख्य पात्र एक नायक है, जो दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण राक्षसों और जानवरों से लड़ने के लिए लंबी दूरियों की यात्राएं करता है. कविता भी मिडियास रेस("मामलों के बीच में"), या सामान्य रूप से देखें तो "मध्य में" शुरू होती है है, जो प्राचीन महाकाव्यों की विशेषता है. हालांकि कविता बियोवुल्फ़ आगमन के साथ शुरू होती है, लेकिन ग्रैन्डल के हमलें कुछ समय तक जारी रहते हैं. कवि जिसने बियोवुल्फ़ की रचना की है, कहानी बताते समय में, कहानी के भीतर उत्साह और साहस बनाए रखने के लिए एक निश्चित शैली का उपयोग करने पर ध्यान दिया है. पात्रों और उनके वंश का विस्तृत इतिहास, साथ ही एक दूसरे के साथ उनकी मुलाकातों, उनके कार्यों की सार्थकता उनके वीरोचित कर्म आदि का वर्णन उत्तम रूप में किया गया है.

पहला युद्ध: ग्रेंडल

बियोवुल्फ़ की शुरुआत राजा हरुगर की कहानी से होती है, जिसने अपने लोगों के लिए महान हॉल हियोरूट का निर्माण करवाया था. इसमें, उसकी पत्नी वेल्हपियो, और उसके यो्द्धा नाच गाकर खुशियां मनाकर समय व्यतीत करते हैं, जब तक कि नाच गाने से नाराज़ होकर समाज से बाहर की प्रजाति ग्रेन्डल, हॉल पर हमला करती है, और हरुगर के कई योद्धाओं को सोते समय हत्या कर देती है और उनका भक्षण कर लेती है.
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Old 10-06-2014, 11:11 AM   #123
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लेकिन ग्रैन्डल के पास हरुगर के सिंहासन को छूने की हिम्मत नहीं होती है, क्योंकि उसे यह बताया गया है कि हरुगर की सुरक्षा क शक्तिशाली देवता करते हैं. हरुगर और उसके लोग, ग्रैन्डल के हमलों के खिलाफ असहाय होकर, हियोरूट का परित्याग करने के बारे में सोचने लगते हैं.

गेटलैंड का युवा योद्धा बियोवुल्फ़, हरुगर की दशा के बारे में पता चलते ही, अपने राजा की अनुमति लेकर अपनी मातृभूमि को छोड़कर हरुगर की सहायता करने निकल पड़ता है.

बियोवुल्फ़ और उसके सैनिक हियोरूट में रात बिताते हैं. जब वे सोने लगते हैं, तब ग्रैन्डल हॉल में प्रवेश करती है और हमला बोल देती है, और बियोवुल्फ़ के एक आदमी का भक्षण करने लगती है. बियोवुल्फ़, जिसके पास कोई हथियार नहीं था, जो कि निहत्थे जानवर पर एक अनुचित लाभ था, सोने का अभिनय कर रहा था और ग्रैन्डल छलांग लगाकर उसे अपने हाथ में जकड़ लेती है. दोनों घमाशान युद्ध करने लगते हैं. बियोवुल्फ़ के अनुयायी अपने तलवार लेकर हमला करते हैं, लेकिन उनके हथियार ग्रैन्डल का बाल भी बांका नहीं कर पाते हैं. अंततः, बियोवुल्फ़ ग्रैन्डल के शरीर से उसका हाथ उसके कंधे से तोड़ डालता है और ग्रैन्डल आँसू निकल आते हैं और मरणासन्न अवस्था में अपने घर की ओर भाग जा्ता है.
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Old 10-06-2014, 11:13 AM   #124
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दूसरा युद्ध: ग्रैन्डल की मां

अगली रात, ग्रैन्डल के मौत का जश्न मनाने के बाद, हरुगर और उसके लोग हियोरुट में सोने लगते हैं. ग्रैन्डल की मां प्रकट होती है और हॉल पर हमला बोल देती है. वह हरुगर के सबसे विश्वासपार्थी योद्धा, अशेचर, को ग्रैन्डल की मौत का बदला लेते हुए मार डालती है.

हरुगर, बियोवुल्फ़, और उनके सैनिक ग्रैन्डल की मां को झील के अंदर उसकी खोह में ढूंढ़ लेते हैं. बियोवुल्फ़ खुद को लड़ाई के लिए तैयार करता है, योद्धा अनफ़र्थ, उसे तलवार हरंटिंग देता है. हरुगर को उसके मरणोपरांत करने के लिए कई स्थितियों के लिए प्रतीज्ञा दिलाने के बाद (जिसमें उसके भाइयों की देखभाल करना और बियोवुल्फ़ की संपत्ति अनफ़र्थ को सौंपना शामिल था), बियोवुल्फ़ झील में कूद जाता है. ग्रैन्डल की मां उसे जल्द ही देख लेती है, और उसपर हमला बोल देती है. हालांकि, वह अपने हथियार के माध्यम से बियोवुल्फ़ को नुकसान पहुंचा नहीं पाती है, इसलिए उसे झील के नीचले सतह तक खींच कर ले जाती है. गुफा में ग्रैन्डल का शरीर और दो आदमियों की लाशें रखी हुई हैं, ग्रैन्डल की मां और बियोवुल्फ़ के बीच भीषण लड़ाई चल रही हैं.

सबसे पहले, ग्रैन्डल की मां प्रबल प्रतीत होती है. बियोवुल्फ़, अपने हरंटिंग से अपने दुश्मन को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहा है, यह उसे क्रोधित करता है. बियोवुल्फ़ फिर से अपने कवच के कारण अपने दुश्मन के हमले से बच जाता है, और ग्रैन्डल की मां के हाथों को अपने तलवार से आहत कर देता है (इससे पहले कोई भी योद्धा, ऐसा पराक्रम नहीं कर पाया था), बियोवुल्फ़ उसका सिर धड़ से अलग कर देता है.
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Old 10-06-2014, 11:14 AM   #125
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खोह में आगे जाने पर, बियोवुल्फ़ को ग्रैन्डल की लाश मिलती है, वह उसका सिर काट कर अपने पास रख लेता है. बियोवुल्फ़ फिर सतह पर और अपने साथियों के पास "नौ घंटो" के बाद वापस लौट आता है. वह हियोरूट जाता है, जहां हरुगर बियोवुल्फ़ को अपने परिवार की विरासत नैग्लिंग तलवार सहित कई उपहार देता है.

बियोवुल्फ़ घर वापस आ जाता है और बाद में अपने ही लोगों का राजा बन जाता है. एक दिन, बियोवुल्फ़ के जीवन में कुछ समय पश्चात, एक गुलाम एयरनानेस में अज्ञात ड्रेगन की मांद से एक स्वर्ण कप चुराता है. जब ड्रेगन यह देखता है कि कप चोरी हो गया है, तो गुस्से में वह अपनी गुफा से बाहर आ जाता है, और अपनी दृष्टि से सबकुछ जलाने लगता है. बियोवुल्फ़ और उसके योद्धा ड्रेगन से लड़ने जाते हैं, लेकिन जब बियोवुल्फ़ ड्रेगन के वार से घायल हो जाता है, तो उसके सभी योद्धा डर कर भाग खड़े होते हैं. केवल एक योद्धा, एक बहादुर युवा विगल्फ़, बियोवुल्फ़ की मदद करने के लिए रूकता है. दोनों मिलकर ड्रेगन को मार गिराते हैं, लेकिन बियोवुल्फ़ की उसके घावों के कारण मौत हो जाती है.

दाह संस्कार के बाद, बियोवुल्फ़ को समुद्र के पास एक चट्टान में दफना दिया जाता है, जहां समुद्री नाविक उसके टुमुलस को देख सकते हैं. ड्रैगन के खजाने को लोगों के बीच वितरित करने के बजाय बियोवुल्फ़ की इच्छानुसार उसके साथ ही दफन कर दिया जाता है. वहां उस ढेर के साथ अभिशाप जुड़ा है.
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Old 10-06-2014, 11:39 AM   #126
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महाभारत प्रसंग
सुभद्रा हरण

हम सब सुभद्रा हरण की कहानी के बारे में जानते हैं. प्रश्न उठता है कि भाई होकर भी कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा को लेकर भाग जाने के लिए क्यों उकसाया था। न सिर्फ इतना, बल्कि जब इस अपहरण से भोज, अंधक और वृष्णि वंशों के योद्धा नाराज होकर अर्जुन को दंडित करने का उपक्रम करने लगे, तो कृष्ण ने उन्हें डराया और हतोत्साहित भी किया, ऐसा क्यों?


कृष्ण की चाल

कृष्ण ने अपने दरबारियों और योद्धाओं को बताया कि अर्जुन होनहार और बलवान है। वह हमें पराजित करके अपमानित भी कर सकता है। क्यों ना हम स्वयं सुभद्रा का विवाह अर्जुन से करा दें। यह कृष्ण की प्यार को जोड़ने की चाल थी। सुभद्रा और अर्जुन का विवाह कराना कृष्ण की अपनी कूटनीति थी। इसलिए लोगों को दिखाने के लिए कृष्ण सामाजिक स्तर पर कमजोर बन गए। लेकिन इसका आशय यह नहीं कि अर्जुन के आगे कृष्ण कमजोर थे। हर युग में दुनिया के कायदे-कानून व्यक्ति के सामाजिक स्तर पर ही निर्भर रहे हैं और आज भी हैं। यदि वही अर्जुन गरीब होता या सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं होता और सुभदा से प्रेम कर बैठता और सुभद्रा भी, तो क्या श्रीकृष्ण अर्जुन को हरण के लिए कहते? और द्वारिका वासी उन्हें बगैर दंड दिए छोड़ देते? हरगिज नहीं।

[[आज भी निर्धन वर्ग और उच्च वर्ग में प्रेम के औचित्य निर्धारण में असमानता कायम है और समाज ने श्रीकृष्ण का ही अनुसरण किया है। एक संपन्न वर्ग का लड़का किसी संपन्न वर्ग की लड़की से विवाह करना चाहता है या प्रेम करता है, तो आज भी लोगों में प्रेमी और प्रेमिका के प्रति उदारता दिखती है, लेकिन निर्धन वर्ग हो तो उदारता छूमंतर हो जाती है और अंतरजातीय विवाह हो तो दंगे और मारकाट भी हो जाती है। इस लोकतंत्र में भी सामाजिक व्यवस्था, व्यक्ति के ओहदे पर केंद्रित है
सैयद परवेज़, बदरपुर, नै दिल्ली का नोट]]
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Old 10-06-2014, 11:53 AM   #127
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महाभारत प्रसंग
सुभद्रा हरण

विजय कुमार सिंह भूपेंद्र, गोबिन्द्पुरी, नई दिल्ली की टिप्पणी

हमारे यहां सदा से ही अंधविश्वासी प्रेम का प्रचलन अधिक रहा है। बिरले लोग ही भक्ति व प्रेम के तात्विक रूप को समझ व जान पाते हैं। अपनी बहन और उसके प्रेमी के प्रति लोग प्राय: संतुलन खो बैठते हैं, क्योंकि उनमें अहं की भावना तीव्र होती है। समभाव तो होता ही नहीं है। प्रेम की जीवन पद्धति को लोग अंगीकार नहीं कर पाते। बहन व उसका प्रेमी प्रेम ही तो कर रहे होते हैं। और फिर कृष्ण भक्ति क्या है? वह भी तो प्रेम ही है। पर उसकी गहराई तक कितने लोग जा पाए हैं। समयानुसार जगत ने भक्ति और प्रेम को अपने स्वार्थ के लिए तोड़ा मरोड़ा है। मूल शास्त्र जिन शब्दों में लिखे गए, देश, काल और पात्र के अनुसार उनमें वैसे ही बदलाव कर लिए गए। इस कारण जो अर्थ का अनर्थ हुआ, वह आज हमारे सामने है।

वेदों, पुराणों और संहिताओं ने कभी भी भ्रमित न किया था न ही कर रहे हैं। भगवान ने तो हमें प्रेम का अमृत दिया था, पर हमने उसे विष में परिवर्तित कर दिया। सुभद्रा का हरण अंतत: प्रेम के लिए ही हुआ था, प्रेमस्वरूप अर्जुन भी उन्हें प्राप्त हुए। यह हमारे समाज की समझ का दोष है कि वह सुभद्रा हरण में प्रेम के मूल तत्व को भूल जाते हैं व केवल हरण को जगाए रखते हैं। आज तो यदि कन्या स्वयं प्रेमी ढूंढ लें, तो कितने माता पिता व परिवार जन होंगे, जो कन्या के प्रेम को सहर्ष स्वीकार करेंगे और प्रेमी से उसका मिलन करवाने में सहायक होंगे? यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो वेद, पुराण व संहिता दोषी नहीं है। समाज को अपने दुराग्रहों व पूर्वाग्रहों को दूर करना चाहिए।

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महाभारत प्रसंग
सुभद्रा हरण

रमेश चन्द्र गुप्त, इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद की टिप्पणी

कृष्ण साक्षात अवतार थे। उनकी लीलाओं का अनुकरण करने की चेष्टा करना मूर्खता है। ऐसा केवल वे ही लोग करते हैं, जिन्होंने भगवद्गीता और श्रीमद्भागवत का अध्ययन नहीं किया है। श्रीकृष्ण की सभी लीलाएं दिव्य एवं अलौकिक थीं। मानवों द्वारा उनका अनुकरण संभव ही नहीं है। गीता में श्रीकृष्ण ने स्वयं ही कहा है: जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वत :। श्रीकृष्ण ने कहीं भी यह नहीं कहा कि उनके द्वारा किए गए कार्यकलापों की नकल हो। मनुष्य द्वारा किए जाने योग्य तथा न किए जाने योग्य कामों का विवेचन उन्होंने अर्जुन को गीता के माध्यम से दिए गए उपदेश में किया है।

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हाभारत प्रसंग
सुभद्रा हरण

जसवंत सिंह जनमेजय, कटवारिया सराय, नई दिल्ली की टिप्पणी

महाभारत में कई स्थानों पर चर्चा है कि कृष्ण की बहन अति सुंदर और सुशील थी। कृष्ण की इच्छा थी कि उनकी बहन का वर कोई योद्धा या राजा का पुत्र हो। अर्जुन धनुर्धर होते हुए भी कृष्ण से डरते थे, परंतु सुभद्रा के रूप रंग और सौंदर्य पर मुग्ध थे। द्वारका की सवारी में अर्जुन ने जबरदस्ती सुभद्रा का हरण किया। विद्रोह प्रारंभ हुआ, कई राजाओं ने अर्जुन के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। इससे अर्जुन डर गए। कृष्ण ने सामाजिक मर्यादा कायम रखते हुए अर्जुन को योग्य और वंशावली की परंपरा के आधार पर सुभद्रा का वर मान लिया।

पर एक कथा यह भी है कि जिस तरह मन ही मन अर्जुन सुभद्रा पर जान न्यौछावर करते थे, उसी प्रकार महाबली कर्ण के शारीरिक बल पर सुभद्रा भी जान छिड़कती थी। कर्ण की आंख का निशाना सुभद्रा थी और कृष्ण जानते थे कि अगर कर्ण अपने उद्देश्य में सफल हो गए, तो सुभद्रा का विवाह कर्ण से करना पडे़गा, क्योंकि शास्त्रों ने कर्ण को सूर्य पुत्र घोषित किया हुआ था। सुभद्रा का हरण नहीं होता, तो कृष्ण को कर्ण का साला कहा जाता।



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महाभारत प्रसंग
सुभद्रा हरण

भगतराज सिंह, महरोली, दिल्ली की टिप्पणी

स्त्री जब अपने वंश की परंपरा से हटकर किसी पुरुष को अपना जीवन साथी बनाना चाहती है या कोई पुरुष किसी स्त्री को अपना जीवन साथी बनाना चाहता है, तो उन्हें यह कदम उठाने से पहले दोनों परिवारों और उनकी प्रतिक्रिया के बारे में जान लेना चाहिए। रुक्मणी भी कृष्ण से प्रेम करती थी, परंतु क्या उसके भाइयों ने रुक्मणी को आसानी से कृष्ण को सौंप दिया था? आज के समाज में ऐसे मजनुओं की भरमार है, जो फिल्मों से प्रेरित होकर प्रेम का सिर्फ दिखावा करते हैं। ज्यादातर तो सेक्स को ही प्रेम समझते हैं। इसी कारण लड़की वालों के मन में प्रेम विवाह को लेकर संशय बना रहता है।

प्रेम तो अर्जुन की तरह करना चाहिए। पहले अर्जुन ने सुभद्रा का पक्ष देखा और बाद में श्रीकृष्ण का। अर्जुन जानते थे कि बलराम उन्हें सुभद्रा नहीं देंगे, परंतु श्रीकृष्ण का साथ उन्हें मिलेगा। अर्जुन जानते थे कि सामने वाला पक्ष बहुत ताकतवर है। परंतु वह उनसे लोहा ले सकने में समर्थ भी थे, जैसा कि श्रीकष्ण ने भी कहा कि अर्जुन को जीतना दुष्कर है।



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