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#121 |
Special Member
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#122 |
Special Member
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पाकिस्तान करे भी तो क्या करे…तालिबान से उसका मन मिलता है और अमेरिका से उसे धन मिलता है!
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#123 | |
Senior Member
![]() ![]() ![]() Join Date: May 2011
Location: आपके दिलो में .....
Posts: 308
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बहुत बढ़िया भाई मजा आ गया .................... हा हा हा ...............................................
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मनोहर कविताओ.. व्यंगबाण.. शादी के बाद.. तकनिकी टिप्स..पसंद आने पर रेपो++ अवश्य दे...
' तमन्ना ' नसीब की, अब मैं नहीं रखता; ©º°¨¨°º©©º°¨¨°º© जो तुम हो मेहरबां, मुझपे दुआओं की तरह। ©º°¨¨°º©©º°¨¨°º© Note : I m just indexing the contents of other sites & forums. |
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#124 |
Senior Member
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Location: Rudrapur
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#125 |
Special Member
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देश सचमुच ही प्रगति कर रहा है, जहाँ देखिये वहां प्रगति के चिन्ह नजर आ ही जाएंगे . हर क्षेत्र में धुआं-धार प्रगति. जनाब आप माने न माने जो लोग गरीबी- भ्रष्टाचार-पिछड़ेपन का रोना रो रहे हैं वो जानते ही नहीं की वास्तव में प्रगति कार्य का कैसे मापा जाता है.सबके सब अनपढ़-गवांर, देश की प्रगति के अवरोधक अब आप ही गौर से सोचिये.
पहले लोगों पर एक घर होता था और अब तो चार-चार,पांच-पांच घर होते हैं.पहले जितने लोग बेघर थे अब उनसे कहीं ज्यादा बेघर हैं. घर वालों की भी प्रगति, बेघरों की भी प्रगति. पहले बड़ी मुश्किल से किसी एक आध किसान की आत्महत्या करने की खबर अखबार में पढने को मिलती थी, कितने बुरे दिन थे अब तो भगवान् की दुआ से काफी प्रगति कर ली है हर हफ्ते आप अखबारों में ऐसी ख़बरें पढ़ सकते हैं. घोटालों में भी चौतरफा प्रगति हुई है इसकी प्रगति की गति तो रिक्टर स्केल पर भी नहीं नापी जा सकती. हमारी दानशीलता तो प्राचीन काल से ही प्रसिद्द है आपको याद ही होगा.कर्ण, दधिची, राजा बलि और अब हमारी सरकार. पहले कश्मीर की जमीन दान दे दी फिर लद्दाख की, फिर अरुणाचल की दे दी, बांग्लादेश को दो बीघा जमीन का गलियारा दे दिया. ये दानशीलता बढती ही जा रही इसमें भी हम दिनों दिन प्रगति कर रहे हैं वो दिन दूर नहीं हम अपने देश को ही किसी और को दान दे दें. महंगाई में तो हम दीन दुनी रात चौगुनी प्रगति कर रहे हैं मजाल क्या जो एक भी चीज सस्ती मिल जाए . वैसे भी आमजन का कुछ ऐसा मानना है की जितना महंगा उतना बढ़िया, जितना सस्ता उतना घटिया. इसीलिए शायद इंसान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं रही (सबसे घटिया जो ठहरा) खैर प्रगति यहाँ भी बरकरार है. दिनों दिन समस्याओं में भी प्रगति हो रही है एक विकासशील देश बिना समस्याओं के अच्छा नहीं लगता. इसलिए हमारा विश्वास है की समस्याएं कम मत होने दो बढाते जाओ.. हमने आतंकवाद में भी सीना फुलाने लायक प्रगति की है. अब देश में आतंकवाद केवल कश्मीर में ही नहीं बचा है हर स्टेट में फैला दिया है. पहले एक आध जयचंद टाइप का आदमी देश में था अब तो माशाअल्लाह खुदा तरक्की बनाए रखे, देश में जयचंदों की कोई कमी नहीं. हमारे समाज ने सोने में बेशुमार प्रगति की है जनाब कुम्भकरण तो छह महीने में जाग भी जाता था पर हमारा समाज तो ऐसे सोया है जैसे कन्यादान करके सोया हो. कुछ भी हो जाए मजाल क्या जो एक भी आदमी जाग जाए. इस मामले में भी शायद सबसे ज्यादा प्रगति हमने ही की है! अपनी संस्कृति का जनाज़ा निकालने में भी हमारा कोई सानी नहीं. हिम्मत है तो करलो मुकाबला. हम तो कपड़े उतारने को भी तैयार हैं प्रगति करने के लिए! जनाब सच मानिए ये विश्व बिरादरी तो हमसे चिढती है. वर्ना हम हर मामले में अव्वल हैं हमारा मुकाबला कोई नहीं कर सकता. अरे और देशों में तो इंसान मटन-चिकन ही खाता होगा यहाँ तो इंसान इंसान को ही खा जाता है, अजी और भी आगे काट काट कर भविष्य के लिए फ्रीज़र में रख लेता है. और सबसे बड़ी बात नारियों को प्रताड़ित करने में और उन्हें अपने स्वार्थ के लिए जलाने में हमारा कोई सानी नहीं. अजी कोई एक खूबी हो तो बताएं ये सब कारनामे आदमी ऐसे ही नहीं कर सकता बड़ी हिम्मत की ज़रुरत होती है और वैसे भी हमारे यहाँ तो विकास कार्यों की लिस्ट इतनी लम्बी है कहाँ तक लिखूं . हाँ, इतना जरूर है की ऐसी प्रगति और विकास दर हमारे ही देश की होगी और हमसे आगे कोई भी देश नहीं होगा (कोई देश नहीं दुनियां में बढ़कर हिन्दुस्तान से). एक और महत्वपूर्ण बात एक हमारा ही देश विश्व में ऐसा होगा जहाँ सरकार इतनी लगन से काम करती है. सच कह रहा हूँ ये हमारी सरकार ही है जिसके सहयोग से हम इतनी तरक्की कर पा रहे हैं वर्ना आज के ज़माने में विकास की बात बेमानी है. -
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल Last edited by ndhebar; 06-07-2011 at 12:08 PM. |
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#126 | |
Senior Member
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Location: Rudrapur
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#127 |
Diligent Member
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Location: vadodara
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अरे वाह इतनी प्रगति,लगता है की हमारे देश ने अब सही राह पकड़ी है.
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The world suffers a lot. Not because of the violence of bad people, But because of the silence of good people! Support Anna Hazare fight against corruption... Notice:->All the stuff which are posted by me not my own property.These are collecting from another sites or forums. |
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#128 |
VIP Member
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![]() बेशर्म आम आदमी,
हर समय शिकायत करता है, सरकार ने यह नहीं किया, सरकार ने वह नहीं किया, बेबकूफ यह भी नहीं जानता, सरकार आम आदमी से बनती है, आम आदमी से चलती नहीं, सरकार बनाने की कीमत दी थी तुझे, दारू, मुर्गा, कम्बल और ढेर आश्वासन, साला सब भूल गया, एहसान फरामोश कहीं का, कितनी दरियादिल है सरकार, हर पांच साल बाद आती है, और बांटती है दारू, मुर्गा, कम्बल, पुराने और नए-नए आश्वासन, पर बेशर्म आम आदमी, करता रहता है हर समय शिकायत.
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Last edited by Sikandar_Khan; 03-08-2011 at 09:16 PM. Reason: edit |
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#129 |
VIP Member
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![]() माँ मैं लायक हूँ न,
किस ने कहा बेटा? पिग्गी अंकल ने, किस के लिए बेटा? पीएम बनने के लिए, क्या मन्नू अंकल लायक हैं? वह तो नालायक हैं माँ, तुम ही तो कहती हो माँ, परेशान मत हो बेटा, पर वह हँसते हैं माँ, कौन बेटा? भारत के आम आदमी माँ, वह पिग्गी पर हँसते हैं बेटा, उन पर क्यों माँ? उस की बेबकूफी पर बेटा, तुम्हें लायक कहता है न.
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#130 |
VIP Member
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![]() एक विदेशी बेंक ने पूछा,
क्यों जानना चाहती है सरकार? भारतीय खाताधारियों के नाम, भारत सरकार ने बताया, देश का धन चुराया है उन्होंने, अदालत कहती है धन वापस लाओ, बेंक मुस्कुराया और पूछा, क्या सरकार भी यही चाहती है? सरकार शर्मा गई, पर दूसरे छण गरमा गई, अदालत सीमा लांघ रही है, हर काम में टांग अड़ा रही है, अम्मा को यह अच्छा नहीं लगता, खाताधारियों के नाम बताइये, बैसे अदालत की तो ऐसी-तैसी, उन्हें तो भैय्या अपना हिस्सा चाहिए.
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