27-11-2010, 12:32 AM | #121 |
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Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो, अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो, अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो, अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो |
27-11-2010, 12:34 AM | #122 | |
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Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
Quote:
वो आए हमारे फोरम पर..खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको और कभी अपने फोरम को देखते हैं.
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27-11-2010, 05:42 AM | #123 |
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Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
जो झुकते नहीँ ओ टुट जाया करते हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
27-11-2010, 05:38 PM | #124 |
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Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
बाबु मोशाय
जहापनाह हम सभी ऊपर वाले के हाथो की कठपुतलियां है हम सभी के तर उस के हाथो में है पर्दा उठ ते ही हम नाचते गातें है और पर्दा गिरते ही........ हां हा हा फिल्म आनंद गीत;- कही दूर जब दिन ढल जाये साझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये
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तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है |
27-11-2010, 08:48 PM | #125 |
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Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
जानी,
वो दरख़्त होंगे कोई और जो टूट जाया करते होंगे, हमसे टकराकर तो आंधियां भी रुख मोड़ लेती हैं. (डायलोग)
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27-11-2010, 08:50 PM | #126 |
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Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
अरे "मुरारी लाल" कहाँ थे इतने दिनों से? मुझे नहीं पहचाना....? अरे भैया मैं हूँ "जयचंद". (आनंद) 'बकौल जोनी वाकर'
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28-11-2010, 12:37 AM | #127 |
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bharat mata enko kuch nahi aata
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28-11-2010, 07:00 AM | #128 |
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में तुम में इतने छेद इतने छेद करूँगा की
तुम भूल जावोगे की कोन से छेद से साँस लूँ (दबंग)
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28-11-2010, 12:47 PM | #129 |
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ak baar jo maine camitmant kardi toh me aap ki vi nahi sunta
kyo ye bholu ki juwaan hai me aap ke liye jaan de sakta hu toh aap ki jaan le vi sakta hu Gj
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Gaurav kumar Gaurav |
28-11-2010, 02:13 PM | #130 |
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कुत्ते,कमीने में तेरा खून पि जवोंगा
( धर्मेन्द्र जी की सभी फिल्मों का खास डायलोग)
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