27-02-2017, 10:04 PM | #121 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
चंद्रशेखर आज़ाद /Chandra Shekhar Azad (23.7.1906 – 27.2.1931) असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर 15 वर्ष की आयु में ही कोर्ट में अपने निडर बयान के कारण 15 कोड़ों की सजा भुगतने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद काकोरी ट्रेन डकैती (1926) जैसी अनेक क्रांतिकारी घटनाओं में शामिल रहे थे। उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया। वे बहुत अनुशासनप्रिय, अच्छे योजनाकार तथा संगठनकर्ता थे। 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में जामुन के पेड़ के नीचे अपने एक सहयोगी के साथ अपनी संभावित विदेश यात्रा की योजना बना रहे थे। तभी पुलिस ने उन्हें घेर कर गोली चला दी और उन्हें घायल कर दिया। आज़ाद ने भी DSP को बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया। जब उनके पास एक ही गोली रह गई तो उन्होंने अपनी कनपटी पर पिस्तौल रख कर गोली चला दी। इस प्रकार अंग्रेज उन्हें कभी जीते जी नहीं पकड़ सके। उनका नाम देश के देश के युवाओं को सदैव प्रेरित करता रहेगा। आज भारत अपने इस महान पुत्र की वीरता तथा बलिदान को कृतज्ञतापूर्वक याद करता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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01-03-2017, 08:48 AM | #122 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi
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01-03-2017, 08:52 AM | #123 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi (22.2.1906 – 1.3.1988) सोहनलाल द्विवेदी महान गाँधीवादी चिन्तक, राष्ट्रीय कवि तथा स्वतंत्रता सैनिक थे। वे राष्ट्रीय नवजागरण के ऐसे कवियों में से एक थे जिन्होंने अपने संकल्प, चिन्तन, त्याग और बलिदान के सहारे हर ओर राष्ट्रीयता की अलख जगाकर अपने पूरे युग को आन्दोलित किया। द्विवेदी जी का साहित्य वर्तमान और अतीत के प्रति गौरव की भावना जगाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश-भक्ति व ऊर्जा से ओतप्रोत उनकी रचनाओं की विशेष सराहना हुई और आपको राष्ट्रकवि की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। 1969 में भारत सरकार ने आपको पद्दश्री अलंकरण दे कर सम्मानित किया था। द्विवेदी जी की साहित्यिक कृतियां: देश प्रेम के भावों से युक्त आपकी प्रथम रचना 'भैरवी' 1941 में प्रकाशित हुई । आपकी अन्य प्रकाशित कृतियां हैं- 'वासवदत्ता', 'कुणाल 'पूजागीत', 'विषपान, 'युगाधार और 'जय गांधी' । इनमें आपकी गांधीवादी विचारधारा और खादी-प्रेम की मार्मिक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं । आपने प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य की भी रचना की । उनमें प्रमुख हैं- 'बांसुरी', 'झरना', 'बिगुल', 'बच्चों के बापू, 'चेतना', 'दूध बताशा, 'बाल भारती, 'शिशु भारती', 'नेहरू चाचा' 'सुजाता', 'प्रभाती' आदि। कुछ पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी उन्होंने किया। 1 मार्च 1988 को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी चिर निद्रा में लीन हो गए। कुछ लोग निम्न कविता को हरिवंश राय बच्चन की रचना मानते है लेकिन यह सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित है: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
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01-03-2017, 08:56 AM | #124 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi बढ़े चलो, बढ़े चलो (रचना: सोहनलाल द्विवेदी) न हाथ एक शस्त्र हो, न हाथ एक अस्त्र हो, न अन्न वीर वस्त्र हो, हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो । रहे समक्ष हिम-शिखर, तुम्हारा प्रण उठे निखर, भले ही जाए जन बिखर, रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो । घटा घिरी अटूट हो, अधर में कालकूट हो, वही सुधा का घूंट हो, जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो । गगन उगलता आग हो, छिड़ा मरण का राग हो, लहू का अपने फाग हो, अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो । चलो नई मिसाल हो, जलो नई मिसाल हो, बढो़ नया कमाल हो, झुको नही, रूको नही, बढ़े चलो, बढ़े चलो । अशेष रक्त तोल दो, स्वतंत्रता का मोल दो, कड़ी युगों की खोल दो, डरो नही, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
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02-03-2017, 02:35 PM | #125 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
महान कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी के बारे में जानकारी देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यावाद । यह कविता मेरी प्रिय कविता है, और मैं भी इसे श्री हरिवंश राय बच्चन जी की कविता ही समझती थी । आज इसके वास्तविक रचयिता के बारे में जानकार बहुत खुशी हुई ।
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03-03-2017, 07:54 AM | #126 | |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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09-03-2017, 04:40 PM | #127 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगों में साहस भरता है चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती नेट के माध्यम से मिली ये कविता मुझे भाई एक_ एक पंक्ति मानवमन को उत्साह से भरने वाली है सच में भाई आपने ये सूत्र बहुत ही सही चुना है कितनी साडी जानकारियाँ हमें आपके इस सूत्र से हासिल होती है हमेशा .. धन्यवाद भाई Last edited by soni pushpa; 09-03-2017 at 04:43 PM. |
09-03-2017, 07:44 PM | #128 | |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
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09-03-2017, 09:41 PM | #129 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (3 मार्च/March 3)
संगीतकार रवि /Music Director Ravi (3.3.1926 - 7.3.2012)
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23-03-2017, 08:15 PM | #130 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 मार्च/March 23)
भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरू /Bhagat Singh-Sukhdev-Rajguru शहीद दिवस पर अमर शहीदों को हमारी सादर श्रद्धांजलि
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 23-03-2017 at 08:17 PM. |
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