16-11-2011, 06:03 PM | #121 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
लंदन ! अगर आपको चीज पसंद है और कोलेस्ट्रॉल बढने के डर से आप नहीं खा पाते हैं तो अपके लिए अच्छी खबर है। अन्य वसा के मुकाबले चीज से कोलेस्ट्रॉल बहुत कम मात्रा में बढता है और अगर आप उसे सामान्य मात्रा में खाएं तो आपके कोलेस्ट्रॉल स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।’’ यूनिवर्सिटी आफ कोपहेगन के शोध के मुताबिक, छह सप्ताह तक रोज चीज खाने वालों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा उसी मात्रा में मक्खन खाने वालों के मुकाबले बहुत कम थी। शोध का परिणाम ‘अमेरिकन जरनल आॅफ क्लिनिकल न्यूट्रिशियन’ में प्रकाशित हुए हैं। शोध के लिए 50 लोगों का सर्वे किया गया। इस दौरान लोगों में एलडीएल की मात्रा उतनी ही रही जितनी सामान्य दिनों में रहती है। डेली मेल की खबर के मुताबिक, सामान्य दिनों से ज्यादा मात्रा में वसा खाने के बावजूद चीज खाने वालों के शरीर में एलडीएल या अनय कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में बढोतरी नहीं हुई। जबकि मक्खन खाने वालों में कोलोस्ट्रॉल की औसतन मात्रा सात प्रतिशत ज्यादा रही।
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16-11-2011, 06:37 PM | #122 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
कमरे में पहुंचकर भूलने की आदत के लिए आप नहीं आपका दरवाज़ा जिम्मेदार
लंदन ! अगर आप कुछ लेने के लिए कमरे में जाते हैं और वहां पहुंचकर भूल जाते हैं कि आप क्या लेने आए थे तो इसके लिए आपके कमरे का दरवाजा जिम्मेदार है। ऐसा कहना है मनोवैज्ञानिकों का। यूनिवर्सिटी आफ नॉट्रे डैम की एक टीम का कहना है कि मनुष्य जब एक कमरे से दूसरे कमरे में जाता है तो वह पिछले कमरे में सोची गई बातों को भूल जाता है। उसका मस्तिष्क नए कमरे के दरवाजे में प्रवेश करते ही पुरानी यादों को फाइलों की तरह बंद कर देता है। कुछ विशेषज्ञ इसे ‘इवेंट बाउंड्री’ कहते हैं। ‘एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी’ के तिमाही जनरल में प्रकाशित शोध के अनुसार, दरवाजा दिमाग को एक अध्याय बंद करके अगले अध्याय को खोलने के लिए प्रेरित करता है। डेली मेल में प्रकाशित खबर के मुताबिक, दरवाजा दिमाग को पिछले कमरे में देखी गई चीजों को भूल कर नयी चीजों के लिए जगह बनाने के लिए कहता है।
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16-11-2011, 06:47 PM | #123 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
वैज्ञानिकों ने खोजी समुद्री कृमियों की नयी दुनिया
वाशिंगटन ! वैज्ञानिकों ने ‘एलियन’ समुद्री कृमि के नाम से मशहूर कृमियों की करीब एक दर्जन प्रजातियां खोज निकाली हैं। यह कृमि समुद्र की लहरों के साथ बहुत तेजी से उसकी दिशा में तैरते हैं, देखने वालों को ऐसा लगता है जैसे वह लहरों की सवारी कर रहे हों। वैज्ञानिकों ने एकरॉन कृमि :समुद्री कृमि: नामक इस प्रजाति को समुद्र में करीब 12,972 फुट की गहराई में खोजा है। लाइव साइंस की खबर के मुताबिक, उन्होंने इस प्रजाति के विभिन्न आकारों और रंगों वाले कृमियों को खोज निकाला है। इन कृमियों को वर्ष 1965 तक उथले पानी का प्रजाति माना जाता रहा था लेकिन एक फिल्म में गहरे समुद्र के पानी में इनके नजर आने के बाद इस धारणा में बदलाव आया। रिमोट से चलने वाले वाहनों की मदद से मॉटेरी बे एक्वेरियम रिसर्च इंस्टिट्यूट और ब्रिटेन के नेशनल ओशियनोग्राफी सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने इन प्रजातियों को खोज निकाला है। उन्होंने अपने अनुसंधान के दौरान समुद्र के भीतर कृमियों की एक नई दुनिया खोज निकाली है।
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16-11-2011, 06:58 PM | #124 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
बिकाऊ है कैनेडी की हत्या के बाद बना टेप
वाशिंगटन ! डलास में वर्ष 1963 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के तुरंत बाद एयर फोर्स वन से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग का खोया हुआ संस्करण मिल गया है और उसे पांच लाख डॉलर में बिक्री के लिए रखा गया है। ‘डेली टेलीग्राफ’ की आॅनलाइन खबर के मुताबिक, दो घंटे से ज्यादा की इस रिकार्डिंग में करीब आधे घंटे की डलास से वाशिंगटन जा रहे राष्ट्रपति के विमान ्रएयर फोर्स वन ्र से हुई बातचीत की रिकार्डिंग है। इसे पहले कभी नहीं सुना गया है। एयर फोर्स वन अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक विमान है जो कैनेडी का शव लेकर जा रहा था। टेप की सभी रील बिल्कुल सुरक्षित अवस्था में अपने असली बक्से में ही हैं, जिसपर लगे लेबल से यह पता चलता है कि उसे व्हाइट हाउस कम्युनिकेशन एजेंसी ने आर्मी जनरल चेस्टर ‘टेड’ क्लिफटॉन जूनियर के लिए बनाया था। क्लिफटॉन कैनेडी के मुख्य सैन्य सहयोगी थे और हत्या के वक्त वह उनके साथ थे। टेप का शीर्षक है ‘‘रेडियो ट्रैफिक इंवाल्विंग एएफ-1 इन फ्लाइट फॉर्म डलास, टेक्सस टू एंड्रयूज एएफबी ऑन 22 नवंबर 1963।’’
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16-11-2011, 08:14 PM | #125 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
एल्कोहल के अधिक सेवन से संवाद में आती है दिक्कत
वाशिंगटन ! एक नये शोध से पता लगा है कि एल्कोहल के अधिक सेवन से मस्तिष्क के दो महत्वपूर्ण भागों के बीच संवाद में बाधा पड़ती है जो बाद में जाकर स्नायु संबंधी विकार पैदा कर सकती है । अमेरिका में यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ इमेजिंग साइंस के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फ्रंटल लोब्स (निर्णय लेने वाला दिमाग का हिस्सा) तथा सेरेबेलम के बीच सम्पर्क बाधित होता है । यहां तक कि एल्कोहल से तौबा कर लेने के एक हफ्ते बाद तक इसमें तालमेल सटीक नहीं हो पाता । सेरेबेलम ही फ्रंटल लोब्स के निर्णय पर अमल की प्रक्रिया पूरी करता है । लाइवसांइस के अनुसार हालांकि अनुसंधानकर्ता अभी इस बात के प्रति आश्वस्त नहीं है कि इसके क्या मायने हैं लेकिन उनका मानना है कि इससे स्नायु संबंधी गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। अनुसंधानकर्ताओं का यह अनुमान भी है कि हो सकता है दोनों हिस्सों में संदेश प्रेषण में दिक्कत का कारण किसी एक हिस्से में आयी चोट अथवा मस्तिष्क के किसी अन्य हिस्सों में आयी चोट भी हो सकती है । अल्कोहोलिज्म (क्लिनिकल एण्ड एक्सपेरीमेंट रिसर्च) में अनुसंधानकर्ता बाक्सटेर रोगर्स के हवाले से कहा गया है, ‘‘ यह भी हो सकता है कि दिमाग के इन हिस्सों के सम्पर्क में बाधा का कारण एल्कोहल सेवन शुरू करने से पहले से रहा हो।’’ अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इससे पहले के अनुसंधान में पाया गया है कि अधिक एल्कोहल के सेवन से दिमाग के ढांचे उपापचय (मेटाबोलिज्म) तथा मस्तिष्क की क्रियाशीलता में बदलाव आता है । यह पता था कि सेरेबेलम मस्तिष्क के उन हिस्सों में से एक है जो एल्कोहल के लिये सर्वाधिक संवेदनशील है और उसमें नुकसान से हरकत, संतुलन और समन्वय में समस्या आ सकती है ।
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17-11-2011, 03:27 PM | #126 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
काम के बोझ के मारे ये बेचरे भारतीय : रपट
नई दिल्ली ! आर्थिक वृद्धि की उंची दर लोगों की घर की जिंदगी पर असर डालर रही है और बाजार की आपाधापी के दबाव में लोगों के कम और घर के समय का संतुलन बिगड़ गया है। एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के अन्य हिस्सों के मुकाबले भारतीयों पर काम का बोझ ज्यादा है। कार्यस्थल की समस्याओं के सामाधान सेवाएं प्रस्तुत करने वाली वैश्विक फर्म रेगस ने अपनी रपट में कहा है कि आधे से ज्यादा भारतीय कर्मचारी आठ घंटे से ज्यादा काम करते हैं और उनमें से ज्यादा अपना दफ्तर का काम घर लेकर जाते हैं। रेगस ने कहा कि भारत की छोटी कंपनियों के कर्मचारी के लिए बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा संभावना होती है कि वे 11 घंटे काम करें। रपट में कहा गया कि सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक काम करने के दिन गए और ज्यादातर भारतीय कर्मचारी दफ्तर में देर तक रूकते हैं। रेगस ने सर्वेक्षण के निष्कर्ष के बारे में कहा ‘‘भारत में आधे से ज्यादा कर्मचारी आठ घंटे से ज्यादा समय तक काम करते हैं और शाम में नियमित रूप से 40 फीसद काम घर लेकर जाते हैं।’’ रेगस के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मधुसूदन ठाकुर ने कहा ‘‘ इस रपट से साफ है कि काम और घर की सीमा धुंधली हो रही है। पिछले तीन चार साल की सतत आर्थिक वृद्धि दर और भारतीयों की आउटसोर्सिंग में उल्लेखनीय भूमिका ने काम के घंटे बढाने में योगदान किया है।’’ उन्होंने कहा ‘‘ ज्यादा काम करने का दीर्घकालिक असर कर्मचारियों की सेहत और कुल उत्पादकता पर पड़ सकता है क्योंकि कर्मचारी अपने आप पर बहुत दबाव डालता है और वह असंतुष्ट, अवसादग्रस्त और शारीरिक रूप से बीमार हो जाते हैं।’’ रपट के मुताबिक 45 फीसद भारतीय कर्मचारी आम तौर पर नौ से 11 घंटे काम करते है जबकि इतना काम करने वाले वैश्विक कर्मचारियों की तादाद 38 फीसद है।
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17-11-2011, 03:30 PM | #127 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवा घटाती है दिल के दौरे का खतरा
वॉशिंगटन ! हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए खून का थक्का रोकने वाली दवा बेहद मददगार है क्योंकि यह दिल के दौरे, आघात और ऐसे मरीजों की मौत का खतरा घटाती है। एक नए अध्ययन ‘एटीएलएएस एसीएस’ में दावा किया गया है जो मरीज खून का थक्का रोकने वाली दवा रिवारोक्सैबैन लेते थे, उनकी कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से या आघात से या दिल के दौरे से मौत होने का खतरा 16 फीसदी कम हो गया। अध्ययन के नतीजे ओरलैंडो स्थित अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में पेश किए गए। अध्ययन के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने उन 15,000 से अधिक मरीजों के आंकड़े लिए जो दिल के दौरे या एन्जाइना की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए थे। इन मरीजों को रिवारोक्सैबैन दवा दी गई थी।
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18-11-2011, 04:58 PM | #128 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
विदेशी मूल के तकनीकी स्नातक में सर्वाधिक भारत से : अमेरिकी ब्यूरो
वाशिंगटन ! अमेरिका में कार्यरत तकनीकी स्नातक में करीब एक चौथाई भारतीय हैं । ये वे लोग हैं जिन्होंने कम्प्यूटर, गणित और सांख्यिकी विषयों में स्नातक की डिग्री हासिल कर रखी है । अमेरिकी जनगणना ब्यूरो द्वारा जारी की गयी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है । वर्ष 2010 के जनगणना आंकड़ों पर आधारित विश्लेषण रिपोर्ट में ब्यूरो ने कहा है, ‘‘कम्प्यूटर, गणित तथा सांख्यिकी में स्नातक डिग्रीधारी बहुसंख्यक (64 फीसदी) विदेशी मूल के अमेरिकी निवासी एशिया से हैं और इनमें भी 24 फीसदी भारत से तथा 14 फीसदी चीन से हैं।’’ कल जारी की गयी रिपोर्ट में बताया गया है कि इंजीनियरिंग डिग्रीधारी बहुसंख्यक 61 फीसदी विदेशी एशिया से हैं । इनमें भारत में जन्में लोगों की संख्या 22 फीसदी तथा चीन में जन्में लोगों की संख्या 13 फीसदी है । रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका में कार्यरत विदेशी मूल के लोगों में विज्ञान तथा इंजीनियरिंग डिग्रीधारियों में भारत के 747, 000 यानी 18 फीसदी लोग हैं ।
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18-11-2011, 05:32 PM | #129 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
रक्तचाप बढाने वाले जीन का पता चला
लंदन ! वैज्ञानिकों ने ऐसे पांच जीन का पता लगाने का दावा किया है जो उच्च रक्तचाप का कारण बनते हैं । वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक बड़ी उपलब्धि है जिससे जल्द ही एक साधारण परीक्षण के जरिए यह भविष्यवाणी की जा सकेगी कि उच्च रक्तचाप कब हृद्याघात का कारण बनेगा। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि अमेरिकन जर्नल आफ ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे इन बीमारियों के उपचार में क्रांति होने की उम्मीद है । इसके साथ ही इससे यह भी सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी कि कौन लोग उच्च रक्तचाप के कारण हृद्याघात के सर्वाधिक खतरे के स्तर पर हैं । शोध रिपोर्ट के प्रमुख लेखक प्रोफेसर पेट्रिसिया मुनरोई ने बताया,‘‘दिल की बीमारियों तथा मष्तिकाघात जैसी बीमारियों से निपटने में ये नए जीन महत्वपूर्ण हैं।’’ उच्च रक्तचाप जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है जिनमें खानपान, अधिक नमक का सेवन या शराब का अधिक मात्रा में सेवन और साथ ही व्यायाम का अभाव इस बीमारी को और न्यौता देता है । लेकिन ऐसा माना जाता है कि आनुवांशिक कारक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं जिसका सीधासाधा मतलब यह है कि कुछ लोग तमाम एहतियात के बावजूद खतरे के दायरे में रहते हैं ।
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18-11-2011, 05:47 PM | #130 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
‘वैक्यूम’ जैसा कुछ भी नहीं
वाशिंगटन ! वैज्ञानिकों का दावा है कि ‘वैक्यूम’ (रिक्त स्थान) का होना सिर्फ एक धारणा है। उनका मानना है कि हर जगह प्रकाश के तत्व मौजूद हैं। इसलिये यह नहीं कहा जा सकता कि अंतरिक्ष में ज्यादातर हिस्सा वैक्यूम है अर्थात खाली है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक लेख में एक अतंंराष्ट्रीय दल ने अपने प्रयोग के आधार पर बताया है कि किसी भी रिक्त स्थान पर कुछ भी न होते हुये भी प्रकाश के सूक्ष्म कण जिन्हें ‘फोटोन’ कहा जाता है मौजूद रहते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने इस दावे को सिद्ध करने के लिये एक नया प्रयोग किया है। ‘’डायनेमिक कासिमिर इफेक्ट’ के नाम के इस प्रयोग से वे प्रकाश के इन सूक्ष्म कणों की उपस्थिति को सिद्ध करना चाहते हैं। इस प्रयोग के दौरान वैक्यूम से उर्जा का प्रवाह कराने पर अनगिनत सूक्ष्म फोटोन के कणों की मौजूदगी का आभास हो जाता है। खास बात यह है कि इस प्रयोग से निकले फोटोन के कणों के लक्षण आम प्रकाश की किरणों के गुणों से अलग होते हैं। हालांकि इस प्रयोग की अवधारणा के बारे में 40 साल पहले ही सोच लिया गया था, पर प्रयोग के लिये इस्तेमाल होने वाले वातावरण के अभाव में इसे अंजाम नहीं दिया जा सका। क्वांटम थ्योरी के अनुसार ‘‘यदि किसी दर्पण को प्रकाश की गति की तेजी से प्रवाहित किया जाये तो उस दर्पण की गति के कारण उत्पन्न उर्जा, दर्पण में छिपे प्रकाश के कणों (फोटोन) को स्थानांतरित हो जायेगी। इससे दर्पण प्रकाशमय हो जायेगा और छिपे फोटोन आभासी हो जायेंगे।’’ हालांकि किसी भी दर्पण को इतनी तेज गति तक पहुंचाना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। इसलिये ही वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग को मोबाइल और बेतार संचार में प्रयुक्त ‘माइक्रोवेव’ (सूक्ष्म तरंगों) के माध्यम से प्रदर्शित किया। साथ ही वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग में विशालकाय दर्पण की जगह एक सूक्ष्म सर्किट का प्रयोग किया है। इस प्रयोग को अंजाम देने के लिये वैज्ञानिकों को सूक्ष्म तरंगों के बचाव के लिये तापमान को एब्सोल्यूट जीरो (परम शून्य) -273.15 डिग्री सेंटीग्रेड तक लाना पड़ा।
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