My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Knowledge Zone
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 09-02-2011, 12:38 AM   #121
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

बिहार का आधुनिक इतिहास
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:44 AM   #122
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

आधुनिक बिहार का संक्रमण काल १७०७ ई. से प्रारम्भ होता है । १७०७ ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजकुमार अजीम-ए-शान बिहार का बादशाह बना । जब फर्रुखशियर १७१२-१९ ई. तक दिल्ली का बादशाह बना तब इस अवधि में बिहार में चार गवर्नर बने । १७३२ ई. में बिहार का नवाब नाजिम को बनाया गया ।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:45 AM   #123
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

सिक्ख, इस्लाम और बिहार

आधुनिक बिहार में सिक्ख और इस्लाम धर्म का फैलव उनके सन्तों एवं धर्म गुरुओं के द्वारा हुआ ।

सिक्ख धर्म के प्रवर्तक एवं प्रथम गुरु नानक देव ने बिहार में अनेक क्षेत्रों में भ्रमण किये जिनमें गया, राजगीर, पटना, मुंगेर, भागलपुर एवं कहलगाँव प्रमुख हैं । गुरु ने इन क्षेत्रों में धर्म प्रचार भी किया एवं शिष्य बनाये ।

सिक्खों के नोवे गुरु श्री तेग बहादुर का बिहार में आगमन सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ था । वे सासाराम, गया होते हुए पटना आये तथा कुछ दिनों में पटना निवास करने के बाद औरंगजेब की सहायता हेतु असम चले गये । पटना प्रस्थान के समय वह अपनी गर्भवती पत्*नी गुजरी देवी को भाई कृपाल चन्द के संरक्षण में छोड़ गये, तब पटना में २६ दिसम्बर, १६६६ में गुरु गोविन्द सिंह (दस्वे गुरु) का जन्म हुआ । साढ़े चार वर्ष की आयु में बाल गुरु पटना नगर छोड़कर अपने पिता के आदेश पर पंजाब में आनन्दपुर चले गये । गुरु पद ग्रहण करने के बाद उन्होंने बिहार में अपने मसनद (धार्मिक प्रतिनिधि) को भेजा । १७०८ ई. में गुरु के निधन के बाद उनकी पत्*नी माता साहिब देवी के प्रति भी बिहार के सिक्खों ने सहयोग कर एक धार्मिक स्थल बनाया ।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:47 AM   #124
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

इस्लाम का बिहार आगमन

बिहार में सभी सूफी सम्प्रदायों का आगमन हुआ और उनके संतों ने यहां इस्लाम धर्म का प्रचार किया। सूफी सम्प्रदायों को सिलसिला भी कहा जाता है। सर्वप्रथम चिश्ती सिलसिले के सूफी आये। सूफी सन्तों में शाह महमूद बिहारी एवं सैय्यद ताजुद्दीन प्रमुख थे ।

■बिहार में सर्वाधिक लोकप्रिय सिलसिलों में फिरदौसी सर्वप्रमुख सिलसिला था। मखदूय सफूउद्दीन मनेरी सार्वाधिक लोकप्रिय सिलसिले सन्त हुए जो बिहार शरीफ में अहमद चिरमपोश के नाम से प्रसिद्ध सन्त हुए। समन्वयवादी परम्परा के एक महत्वपूर्ण सन्त दरिया साहेब थे ।
■विभिन्*न सूफी सन्तों ने धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक सद्*भाव, मानव सेवा और शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व का उपदेश दिया ।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:49 AM   #125
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

बिहार में यूरोपीय व्यापारियों का आगमन

बिहार मुगल साम्राज्य के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण सूबा था । यहाँ से शोरा का व्यापार होता था फलतः पटना मुगल साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा नगर एवं उत्तर भारत का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था । यूरोपीय व्यापारियों में पुर्तगाली, डच (हॉलैण्ड/नीदरलैण्ड)-(१६२० ई. में), डेन ने (डेनमार्क १६५१ ई.) में ब्रिटिश व्यापारियों ने १७७४ ई. में आये ।

■बिहार में सर्वप्रथम पुर्तगाली आये । ब्रिटिश व्यापारियों द्वारा १६२० ई. में पटना के आलमगंज में व्यापारिक केन्द्र खोला गया। उस समय बिहार का सूबेदार मुबारक खान था उसने अंग्रेजों को रहने के लिए व्यवस्था की, लेकिन फैक्ट्री १६२१ ई. में बन्द हो गई ।
■व्यापारिक लाभ की सम्भावना को पता लगाने के लिए सर्वप्रथम अंग्रेज पीटर मुण्डी आये, किन्तु उन्हें १६५१ ई. फैक्ट्री खोलने की इजाजत मिली। १६३२ ई. में डच व्यापारियों ने भी एक फैक्ट्री की स्थापना की । डेन व्यापारियों ने नेपाली कोठी (वर्तमान पटना सिटी) में व्यापारिक कोठी खोली ।
■इन यूरोपीय व्यापारियों की गतिविधियों के द्वारा बिहार का व्यापार पश्*चिम एशिया, मध्य एशिया के देशों, अफ्रीका के तटवर्ती देशों और यूरोपीय देशों के साथ बढ़ता रहा ।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:50 AM   #126
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

अंग्रेज और आधुनिक बिहार

मुगल साम्राज्य के पतन के फलस्वरूप उत्तरी भारत में अराजकता का माहौल हो गया। बंगाल के नवाब अलीवर्दी खाँ ने १७५२ में अपने पोते सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी नियुक्*त किया था। अलीवर्दी खां की मृत्यु के बाद १० अप्रैल, १७५६ को सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना ।

प्लासी के मैदान में १७५७ ई. में हुए प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार और अंग्रेजों की जीत हुई । अंग्रेजों की प्लासी के युद्ध में जीत के बाद मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया और उसके पुत्र मीरन को बिहार का उपनवाब बनाया गया, लेकिन बिहार की वास्तविक सत्ता बिहार के नवाब नाजिम राजा रामनारायण के हाथ में थी ।

तत्कालीन मुगल शहजादा अली गौहर ने इस क्षेत्र में पुनः मुगल सत्ता स्थापित करने की चेष्टा की परन्तु कैप्टन नॉक्स ने अपनी सेना से गौहर अली को मार भगाया । इसी समय मुगल सम्राट आलमगीर द्वितीय की मृत्यु हो गई तो १७६० ई. गौहर अली ने बिहार पर आक्रमण किया और पटना स्थित अंग्रेजी फैक्ट्री में राज्याभिषेक किया और अपना नाम शाहआलम द्वितीय रखा ।

अंग्रेजों ने १७६० ई. में मीर कासिम को बंगाल का गवर्नर बनाया। उसने अंग्रेजों के हस्तक्षेप से दूर रहने के लिए अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से हटाकर मुंगेर कर दी। मीर कासिम के स्वतन्त्र आचरणों को देखकर अंग्रेजों ने उसे नवाब पद से हटा दिया।

मीर कासिम मुंगेर से पटना चला आया। उसके बाद वह अवध के नवाब सिराजुद्दौला से सहायता माँगने के लिए गया। उस समय मुगल सम्राट शाहआलम भी अवध में था। मीर कासिम ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला एवं मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय से मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक गुट का निर्माण किया। मीर कासिम, अवध का नवाब शुजाउद्दौला एवं मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय तीनों शासकों ने चौसा अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ा । इस युद्ध में वह २२ अक्टूबर, १७६४ को सर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा पराजित हुआ। इसे बक्सर का युद्ध कहा जाता है।

बक्सर के निर्णायक युद्ध में अंग्रेजों को जीत मिली । युद्ध के बाद शाहआलम अंग्रेजों के समर्थन में आ गया । उसने १७६५ ई. में बिहार, बंगाल और उड़ीसा क्षेत्रों में लगान वसूली का अधिकार अंग्रेजों को दे दिया । एक सन्धि के तहत कम्पनी ने बिहार का प्रशासन चलाने के लिए एक नायब नाजिम अथवा उपप्रान्तपति के पद का सृजन किया । कम्पनी की अनुमति के बिना यह नहीं भरा जा सकता था । अंग्रेजी कम्पनी की अनुशंसा पर ही नायब नाजिम अथवा उपप्रान्तपति की नियुक्*ति होती थी ।

बिहार के महत्वपूर्ण उपप्रान्तपतियों में राजा रामनारायण एवं शिताब राय प्रमुख हैं १७६१ ई. में राजवल्लभ को बिहार का उपप्रान्तपति नियुक्*त किया गया था । १७६६ ई. में पटना स्थित अंग्रेजी कम्पनी के मुख्य अधिकारी मिडलटन को राजा रामनारायण एवं राजा शिताब राय के साथ एक प्रशसन मंडल का सदस्य नियुक्*त किया गया । १७६७ ई. में राजा रामनारायण को हटाकर शिताब राय को कम्पनी द्वारा नायब दीवान बनया गया । उसी वर्ष पटना में अंग्रेजी कम्पनी का मुख्य अधिकारी टॉमस रम्बोल्ड को नियुक्*त किया गया । १७६९ ई. में प्रशासन व्यवस्था को चलाने के लिए अंग्रेज निरीक्षक की नियुक्*ति हुई ।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:52 AM   #127
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

द्वैध शासन और बिहार

१७६५ ई. में बक्सर के युद्ध के बाद बिहार अंग्रेजों की दीवानी हो गयी थी, लेकिन अंग्रेजी प्रशासनिक जिम्मेदारी प्रत्यक्ष रूप से नहीं थी । कोर्ट ऑफ डायरेक्टर से विचार-विमर्श करने के बाद लार्ड क्लाइब ने १७६५ ई. में बंगाल एवं बिहार के क्षेत्रों में द्वैध शासन प्रणाली को लागू कर दिया । द्वैध शासन प्रणाली के समय बिहार का प्रशासनिक भार मिर्जा मुहम्मद कजीम खाँ (मीर जाफर का भाई) के हाथों में था । उपसूबेदार धीरज नारायण (जो राजा रामनारायण का भाई) की सहायता के लिए नियुक्*त था । सितम्बर १७६५ ई. में क्लाइब ने अजीम खाँ को हटाकर धीरज नारायण को बिहार का प्रशासक नियुक्*त किया । बिहार प्रशासन की देखरेख के लिए तीन सदस्यीय परिषद्* की नियुक्*ति १७६६ ई. में की गई जिसमें धीरज नारायण, शिताब राय और मिडलटन थे ।

द्वैध शासन लॉर्ड क्लाइब द्वारा लागू किया गया था जिससे कम्पनी को दीवानी प्राप्ति होने के साथ प्रशासनिक व्यवस्था भी मजबूत हो सके । यह द्वैध शासन १७६५-७२ ई. तक रहा ।

१७६६ ई. में ही क्लाइब के पटना आने पर शिताब राय ने धीरज नारायण के द्वारा चालित शासन में द्वितीय आरोप लगाया । फलतः क्लाइब ने धीरज नारायण को हटाकर शिताब राय को बिहार का नायब नजीम को नियुक्*त किया । बिहार के जमींदारों से कम्पनी को लगान वसूली करने में अत्यधिक कठिन एवं कठोर कदम उठाना पड़ता था ।

लगान वसूली में कठोर एवं अन्यायपूर्ण ढंग का उपयोग किया जाता था । यहाँ तक की सेना का भी उपयोग किया जाता था । जैसा कि बेतिया राज के जमींदार मुगल किशोर के साथ हुई थी । इसी समय में (हथवा) हूसपुरराज के जमींदार फतेह शाही ने कम्पनी को दीवानी प्रदान करने से इंकार करने के कारण सेना का उपयोग किया गया । लगान से कृषक वर्ग और आम आदमी की स्थिति अत्यन्त दयनीय होती चली गई ।

द्वैध शासनकाल या दीवानी काल में बिहार की जनता कम्पनी कर संग्रह से कराहने लगी । क्लाइब २९ जनवरी, १७६७ को वापस चला गया । वर्सलेट उत्तराधिकारी के रूप में २६ फरवरी, १७६७ से ४ दिसम्बर, १७६७ तक बनकर आया । उसके बाद कर्रियसे २४ दिसम्बर, १७६९ से १२ अप्रैल, १७७२ उत्तराधिकारी रूप बना । फिर भी बिहार की भयावह दयनीय स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ । १७६९-७० ई.में बिहार-बंगाल में भयानक अकाल पड़ा ।

१७७० ई. में बिहार में एक लगान परिषद्* का गठन हुआ जिसे रेवेन्यू काउंसिल ऑफ पटना के नाम से जाना जाता है । लगान्* परिषद के अध्यक्ष जार्ज वंसीतार्त को नियुक्*त किया गया । इसके बाद इस पद पर थामस लेन (१७७३-७५ ई.), फिलिप मिल्नर इशक सेज तथा इवान ला (१७७५-८० ई. तक) रहे । १७८१ ई. में लगान परिषद को समाप्त कर दिया गया तथा उसके स्थान पर रेवेन्यू ऑफ बिहार पद की स्थापना कर दी गई । इस पद पर सर्वप्रथम विलियम मैक्सवेल को बनाया ।

■२८ अगस्त, १७७१ पत्र द्वारा कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने द्वैध शासन को समाप्त करने की घोषणा की।
१३ अप्रैल, १७७२ को विलियम वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का गवर्नर नियुक्*त किया गया । १७७२ ई. में शिताब राय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये । उसकी मृत्यु के बाद उसके पुत्र कल्याण सिंह की बिहार के पद पर नियुक्*ति हुई । बाद में कलकत्ता परिषद्* से सम्बन्ध बिगड़ जाने से उसे हटा दिया गया । उसके बाद १७७९ ई. में सारण जिला शेष बिहार से अलग कर दिया गया । चार्ल्स ग्रीम को जिलाधिकारी बना दिया गया । १७८१ ई. में प्रान्तीय कर परिषद्* को समाप्त कर रेवेन्यू चीफ की नियुक्*ति की गई । इस समय कल्याण सिंह को रायरैयान एवं खिषाली राम को नायब दीवान नियुक्*त कर दिया गया ।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:56 AM   #128
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

इसी समय भरवल एवं मेंसौदी के रेंटर हुसैन अली खाँ जो बनारस राजा चैत्य सिंह के विद्रोह में शामिल था उसे गिरफ्तार कर लिया गया । हथवा के राजा फतेह सिंह, गया के जमींदार नारायण सिंह एवं नरहर के राजा अकबर अली खाँ अंग्रेजों के खिलाफ हो गये ।

१७८१-८२ ई. में ही सुल्तानाबाद की रानी महेश्*वरी ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया ।
१७८३ ई. में बिहार में पुनः अकाल पड़ा, जॉन शोर को इसके कारणों एवं प्रकृति की जाँच हेतु नियुक्*त किया गया । जॉन शोर ने एक अन्*नागार के निर्माण की सिफारिश की ।
१७८१ ई. में ही बनारस के राजा चैत्य सिंह का विद्रोह हुआ इसी समय हथवा के राजा फतेह सिंह, गया के जमींदार नारायण सिंह एवं नरहर के जमींदार राजा अकबर अली खाँ भी अंग्रेजों के खिलाफ खड़े थे ।
१७७३ ई. में राजमहल, खड्*गपुर एवं भागलपुर को एक सैन्य छावनी में तब्दील कर जगन्*नाथ देव के विद्रोह को दबाया गया ।
१८०३ ई. में रूपनारायण देव के ताल्लुकदारों धरम सिंह, रंजीत सिंह, मंगल सिंह के खिलाफ कलेक्टर ने डिक्री जारी की फलतः यह विद्रोह लगान न देने के लिए हुआ ।
१७७१ ई. में चैर आदिवासियों द्वारा स्थायी बन्दोबस्त भूमि कर व्यवस्था विरोध में विद्रोह कर दिया ।
प्रारम्भिक विरोध- मीर जाफर द्वारा सत्ता सुदृढ़ीकरण के लिए १७५७-५८ ई. तक खींचातानी होती रही ।

अली गौहर के अभियान- मार्च १७५९ में मुगल शहजादा अली गौहर ने बिहार पर चढ़ाई कर दी परन्तु क्लाइब ने उसे वापसी के लिए बाध्य कर दिया, फिर पुनः १७६० ई. बिहार पर चढ़ाई की । इस बार भी वह पराजित हो गया । १७६१ ई. शाहआलम द्वितीय का अंग्रेजों के सहयोग से पटना में राज्याभिषेक किया ।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:58 AM   #129
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

बक्सर की लड़ाई और बिहार

१७६४ ई. बक्सर का युद्ध हुआ । युद्ध के बाद बिहार में अनेकों विद्रोह हुए । इस समय बिहार का नवाब मीर कासिम था ।

जॉन शोर के सिफारिश से अन्*नागार का निर्माण पटना गोलघर के रूप में १७८४ ई. में किया गया ।
जब बिहार में १७८३ ई. में अकाल पड़ा तब अकाल पर एक कमेटी बनी जिसकी अध्यक्षता जॉन शोर था उसने अन्*नागार निर्माण की सिफारिश की ।
गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस के आदेश पर पटना गाँधी मैदान के पश्*चिम में विशाल गुम्बदकार गोदाम बना इसका निर्माण १७८४-८५ ई. में हुआ । जॉन आस्टिन ने किया था ।
१७८४ ई. में रोहतास को नया जिला बनाया गया और थामस लॉ इसका मजिस्ट्रेट एवं क्लेवर नियुक्*त किया गया ।
१७९० ई. तक अंग्रेजों ने फौजदारी प्रशासन को अपने नियन्त्रण में ले लिया था । पटना के प्रथम मजिस्ट्रेट चार्ल्स फ्रांसिस ग्राण्ड को नियुक्*त किया गया था ।
१७९० ई. तक अंग्रेजों ने फौजदारी प्रशासन को अपने नियन्त्रण में ले लिया था । पटना के प्रथम जिस्ट्रेट चार्ल्स फ्रांसिस ग्राण्ड को नियुक्*त किया गया था ।
बिहार में अंग्रेज विरोधी विद्रोह

७५७ ई. से लेकर १८५७ ई. तक बिहार में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह चलता रहा । बिहार में १७५७ ई. से ही ब्रिटिश विरोधी संघर्ष प्रारम्भ हो गया था । यहाँ के स्थानीय जमींदारों, क्षेत्रीय शासकों, युवकों एवं विभिन्*न जनजातियों तथा कृषक वर्ग ने अंग्रेजों के खिलाफ अनेकों बार संघर्ष या विद्रोह किया । बिहार के स्थानीय लोगों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ संगठित या असंगठित रूप से विद्रोह चलता रहा, जिनके फलस्वरूप अनेक विद्रोह हुए ।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 09-02-2011, 12:59 AM   #130
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow बिहार का इतिहास

बहावी आन्दोलन

१८२० ई. से १८७० ई. के मध्य भारत के उत्तर-पश्*चिम पूर्वी तथा मध्य भाग में बहावी आन्दोलन की शुरुआत हुई । बहावी मत के प्रवर्तक अब्दुल बहाव था । इस आन्दोलन के जनक और प्रचारक उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सैयद अहमद बरेलवी हुए ।

बहावी आन्दोलन मुस्लिम समाज को भ्रष्ट धार्मिक परम्पराओं से मुक्*त कराना था । पहली बार पटना आने पर सैयद अहमद ने मुहम्मद हुसैन को अपना मुख्य प्रतिनिधि नियुक्*त किया । १८२१ ई. में उन्होंने चार खलीफा को नियुक्*त किया । वे हैं- मुहम्मद हुसैन, विलायत अली, इनायत अली और फरहत अली । सैयद अहमद बरेहवी ने पंजाब में सिक्खों को और बंगाल में अंग्रेजों को अपदस्थ कर मुस्लिम शक्*ति की पुनर्स्थापना को प्रेरित किया । बहावियों को शस्त्र धारण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया ।

१८२८ ई. से १८६८ ई. तक बंगाल में फराजी आन्दोलन हुआ जिसके नेता हाजी शतीयतुल्लाह थे । विलायत अली ने भारत के उत्तर-पश्*चिम भाग में अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया ।
१८३१ ई. में सिक्खों के खिलाफ अभियान में सैयद अहमद की मृत्यु हो गई ।
बिहार में बहावी आन्दोलन १८५७ ई. तक सक्रिय रहा और १८६३ ई. में उसका पूर्णतः दमन हो सका । बहावी आन्दोलन स्वरूप सम्प्रदाय था परन्तु हिन्दुओं ने कभी इसका विरोध नहीं किया । १८६५ ई. में अनेक बहावियों को सक्रिय आन्दोलन का आरोप लगाकर अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया ।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||


Last edited by Bond007; 09-02-2011 at 01:02 AM.
Bond007 is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
बिहार, bihar, history of bihar, history of india, indian state


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:34 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.