12-10-2017, 05:59 PM | #121 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
पचास के दशक में ही उन्होने कुछ फिल्मों में चार्ली चैप्लिन से प्रेरित अदायें भी शामिल करके अपनी अदाकारी दिखायी, पर वे अपने ही द्वारा बनायी गयी छवि को तोड़ते भी रहे। शुरु से ही उनकी फिल्मों को देखने वाले दर्शकों को मुश्किल से ही ऐसा लगा होगा कि वे जागते रहो में एक गरीब मजदूर किस्म के देहाती व्यक्ति का पात्र निभा ले जायेंगे या कुछ बरसों बाद वे रेणु की कहानी पर बनी तीसरी कसम में एक निपट देहाती बैलगाड़ी हाँकने वाले का चरित्र ढ़ंग से निभा पायेंगे पर उन्होने दोनों ही फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी का प्रदर्शन करके दिखा दिया। सत्तर और अस्सी के दशक में भी उन्होने जहाँ एक ओर दो जासूस, वकील बाबू और गोपीचन्द जासूस जैसी कुछ कॉमेडी फिल्में की वहीं खान दोस्त और अब्दुल्लाह में संवेदनशील चरित्र निभाये। अभिनेता के रुप में श्री 420 को राज कपूर की सिग्नेचर फिल्म कहा जा सकता है। इस फिल्म में उनका चार्ली चैप्लिन वाला रुप भी है और एक संजीदा अभिनय करने वाले एक ज़हीन अभिनेता का भी।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 12-10-2017 at 06:01 PM. |
12-10-2017, 06:05 PM | #122 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
राज कपूर ने एक खास चरित्र राजू को परदे पर जन्म दिया। राजू जो कि सोने जैसे दिल का मालिक है। वह अपने ख्वाबों को अपनी आँखों में लिये हुये शुरुआत करता है। अच्छे लोगों से उसका जल्दी से और दिल की गहराइयों तक जुड़ाव हो जाता है। वह अपने आप किसी का बुरा करने नहीं जाता और अगर परिस्थितियों से मजबूर होकर उसे कभी कुछ बुरे कम करने पड़ते हैं तो ये भटकाव उसके चरित्र में ज्यादा देर तक नहीं रहते और वह पुनः अच्छाई की ओर अग्रसर हो जाता है। उसके दुख, उसकी परेशानियाँ वहीं हैं जिनसे देश के लाखों लोग गुजर रहे हैं और वह उन सबका प्रतिनिधि बन कर न केवल उन सब परेशानियों पर काबू पाता है बल्कि अच्छाई को फिर से स्थापित करने का प्रयास भी करता है। राजू में एक नायक का भाव है। राजू के जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है प्रेम और यही प्रेम उसे संबल प्रदान करता है और चेताता रहता है जिससे कि वह बुराई के रास्ते पर एकदम अंधा होकर ही न चलता जाये। प्रेम उसके लिये चेतना का काम करता है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:06 PM | #123 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
राज कपूर के राजू प्रारुप ने कई फिल्मों में राज कपूर का प्रतिनिधित्व किया परन्तु जैसे उनकी हर बात योजनाबद्ध तरीके से होती थी उसी तरह जब एक बार उन्होने आत्मकथात्मक रुप में बनायी गयी फिल्म मेरा नाम जोकर बना ली और उसमें राजू – एक जोकर, एक शो मैन, एक तमाशाबीन मर गया तो उसके बाद वे कभी भी परदे पर राजू बन कर नहीं आये बल्कि अपने पात्र राजू की मौत के बाद वे अपने द्वारा निर्देशित किसी भी फिल्म में अभिनय करने भी नहीं उतरे। उन्होने मेरा नाम जोकर के द्वारा नायक के रुप में अपनी अंतिम कहानी दिखा दी थी। मेरा नाम जोकर में ही ऋषि कपूर ने उनके राजू का बचपन का रोल किया था बल्कि उनकी अगली फिल्म बॉबी में राज कपूर ने अपनी विरासत (अभिनय वाले राज, राजू की विरासत)उन्हे राजा के रुप में सौंप दी। राज कपूर को एक ऐसी उपस्थिति माना जा सकता है हिन्दी सिनेमा के इतिहास में जिनकी मौजूदगी मात्र से कितने कलाकार अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाये। वे केवल खुद अच्छा अभिनय करके और खुद अच्छी तरह निर्देशन करने वाले कलाकार ही नहीं थे वरन वे एक ऐसे कलाकार थे जो अपनी टीम के सद्स्यों से बेहतर से बेहतर प्रदर्शन ले सकते थे। उनमें नेतृत्व के गुण थे। एक अच्छे निर्देशक के लिये अपनी टीम को इस तरह संभालना जरुरी होता है जिससे कि सभी सद्स्य अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने की ओर प्रोत्साहित हों। वे खुद भी कहा करते थे कि वे एक संगीत में ऑरकेस्ट्रा को संचालित करने वाले कंडक्टर मात्र हैं जो सबसे अच्छी तरह उनके वाद्य यंत्र बजवा लेता है। श्रेय देने में वे कभी भी पीछे नहीं रहे और उन्होने कहा कि दरअसल उनकी फिल्मों में उनसे ज्यादा उनकी टीम के सदस्यों का योगदान है और उन्होने उन सबसे बहुत कुछ सीखा है। ऐसा कहना इतने बड़े फिल्मकार का बड़प्पन और उनकी नम्रता थी।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:08 PM | #124 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
उनके बारे में माला सिन्हा द्वारा कही गयी बात उनके प्रति पूरा न्याय करती है। उन्होने कहा था,” राज जी तो कलाकारों को बनाने वाले कलाकार थे। वे तो इतने बड़े थे“। कहा जाता है कि भगवान दादा को भी उन्होने प्रेरित किया था सामजिक सरोकार वाली फिल्में बनाने के लिये और उन्होने अलबेला बना डाली। मनोज कुमार के अनुसार वे तारीफ करने में भी बहुत उदार थे और उन्होने उनकी भी तारीफ करते हुये कहा था कि पंडित जी आप जैसा दृष्यों को लिखते हो वह बहुत जीवंत होता है। राज कपूर ने नये निर्देशकों के साथ भी फिल्में करके उनका हौसला बढ़ाया। कहा जाता है कि संजय खान की निर्देशक के रुप में पहली फिल्म चाँदी सोना में तो उन्होने बिना कोई फीस लिये काम किया। उन्होने दारा सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म मेरा देश मेरा धर्म में भी काम किया और शत्रुघन सिन्हा की होम प्रोडक्शन फिल्म खान दोस्त में भी। वे अभिनेत्रियों के लिये बहुत अच्छे निर्देशक थे और उनके साथ काम करने वाली ज्यादातर अभिनेत्रियों ने अपने फिल्मी जीवन का श्रेष्ठ प्रदर्शन उनके द्वारा निर्देशित फिल्मों में ही किया। राज कपूर की फिल्मों में प्रवेश पा जाना किसी भी अभिनेत्री के लिये बहुत बड़ी बात होती थी।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:21 PM | #125 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
उनके पास एक दृष्टि थी और उन्हे पता था कि कौन सी अभिनेत्री किस किस्म के रोल्स में ज्यादा चमक सकती है। यूँ हे नहीं उन्होने हेमा मालिनी को ड्रीमगर्ल कह दिया था। उन्होने उनके व्यक्तित्व की संभावनायें देख ली थीं सपनों के सौदागर में साथ काम करते हुये और उनका कहना सच भी हुआ और हेमा मालिनी ने तकरीबन दस सालों तक हिन्दी सिनेमा में ड्रीमगर्ल के रुप में बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाये रखी। प्रेमरोग जैसी बड़ी फिल्म देने के बाद उन्होने पदमिनी कोल्हापुरे से कहा भी था कि आगे उन्हे बहुत ध्यान से अपनी फिल्मों का चुनाव करना चाहिये। पर तब पदमिनी को लगा होगा कि शायद अपने स्टूडियो से ही सम्बन्धित रखने के लिये वे ऐसा कह रहे हैं और उन्होने अस्सी के दशक में जल्दी-जल्दी कई तरह की फिल्में की और जल्दी ही वे उस साख को खो बैठीं जो उन्हे प्रेमरोग जैसी फिल्म करने से मिली थी। सिर्फ नरगिस ही ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्हे राज कपूर ने अपने द्वारा निर्देशित दस फिल्मों में में लिया वरना कहानी के अनुरुप उन्होने प्रत्येक फिल्म में अलग अभिनेत्री का चयन किया। उनकी पचास के दशक में बनायी गयी फिल्मों को नरगिस से अलग करके नहीं देखा जा सकता। एक बार उन्होने कहा था कि लोग समझ नहीं पाते। “कृष्णा मेरे घर की स्वामिनी है और नरगिस मेरी फिल्मों की और दोनो बिल्कुल अलग बाते हैं और दोनो बातों का आपस में कहीं कोई टकराव नहीं है“।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:23 PM | #126 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
एक निर्देशक के रुप में राज कपूर की दृष्यों को विजुएलाइज करने की क्षमता असाधारण थी। आवारा के ड्रीम सीक्वेंस वाले गाने घर आया मेरा परदेसी पर तो बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है। उनकी शुरु की अन्य फिल्मों में भी बहुत कुछ ऐसा देखने को मिलता है जो हिन्दी सिनेमा में किसी ने पहली बार ही अपनाया था। श्री 420 में ही एक प्रसंग है जहाँ नरगिस कैसीनो से भाग कर घर वापस आ जाती हैं और बाद में नशे में चूर राज कपूर भी उनके घर पहुँचते हैं और उन्हे जुए में जीते रुपये दिखाते हैं। दोनों में अच्छाई और बुराई को लेकर तर्क होता है और नरगिस उन्हे वापिस जाने को कहती हैं। राज कपूर जाने के लिये मुड़ते हैं पर लड़खड़ा कर नीचे गिर जाते हैं। नरगिस दो तरह की मानसिकता से घिरी हुयी खड़ी हैं। उनके व्यक्तित्व का एक भाग अपने प्रेमी को उठाना चाहता है और दूसरा भाग एक स्वाभिमानी और ईमानदार युवती का है जो अपराध के रास्ते पर कदम रख चुके राज के साथ नहीं चल सकती। नरगिस के अस्तित्व औरउनके व्यक्तित्व की इस विभक्ति को राज कपूर दिखाते हैं, ऐसे दिखाते हैं कि वास्तविक नरगिस दुखी खड़ी हैं और उनके अंदर से एक और नरगिस निकल कर बाहर आती है और राज को रोकने के लिये गाना गाती है। इसी फिल्म के अन्य दृष्य में जहाँ राज कपूर बहुत परेशान हैं उनकी परेशानी को बेहद अच्छे ढ़ंग से दर्शाया गया है और कैसे वे परदे पर बैठे दिखायी देंगे और क्या उनके दिमाग में चल रहा है वह बीती हुयी घट्नाओं के समय बोले गये संवादों को पार्श्व में सुनाकर दृष्य को प्रभावी बनाया गया है। पूरा सीक्वेंस जिसमें कई अलग अलग दृष्य हैं एक निरंतरता लिये हुये है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:25 PM | #127 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
एक फिल्मकार के रुप में उन्होने अपनी कई फिल्मों में या तो प्रेम का अन्वेषण और विश्लेषण किया या देश के सामाजिक सरोकार रखने वाले विषयों का मंथन किया। सत्तर के दशक से ही हिन्दी सिनेमा में हिंसात्मक फिल्मों का दौर शुरु हो गया था परन्तु वे आजन्म उन्ही फिल्मों को बनाते रहे जिनमें उनका विश्वास था। व्यक्तिगत रुप से फिल्मों में बहुत ज्यादा हिंसा दिखाने को वे समाज के लिये चिंताजनक मानते थे। उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल जरुर रहीं पर वे बाजार द्वारा निर्देशित नहीं हुये। ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी खास समय में उस समय के सुपर स्टार को लेकर उन्होने इसलिये फिल्म बनायी हो कि उन्हे लाभ होगा। उनकी फिल्मों में काम पा जाना ही अपने आप में एक उपलब्धि था। उन्होने उन विषयों पर फिल्में बनायीं जो उन्हे आकर्षित करते थे। संगम से पहले की उनकी बनायी (निर्देशित या निर्मित) सभी फिल्मों में सामाजिक स्थितियाँ अपनी सच्ची अवस्था में नजर आती हैं और आम आदमी के जीवन में आने वाले संघर्ष और परेशानियों को वे फिल्में बखूबी दिखाती हैं पर इस यथार्थ में फंतासी और नाटकीयता से भरा हुआ एक रोमेंटिसाइज्ड माहौल भी रचा गया है और दर्शक बिल्कुल निराशा में ही गोते नहीं लगाने लगता बल्कि कहीं न कहीं आशा का एक तिनके जैसा सहारा उसे डूबने से बचाता है। इसी संतुलन की वजह से उनके द्वारा पचास के दशक में बनायी गयीं बेहतरीन फिल्में न केवल गुणवत्ता के आधार पर बल्कि अपनी मास अपील के कारण भी उल्लेखनीय हैं। उन फिल्मों में कहीं भी बोरडम के लक्षण नहीं हैं। कल्पना का इतना जबर्दस्त समावेश है उन फिल्मों में कि वे दर्शकों को अपने साथ उड़ा ही ले जाती है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:26 PM | #128 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
एक निर्देशक के तौर पर उनका सौन्दर्य के प्रति रुझान था और उन्होने अपनी बनायी दो फिल्मों आग, जो कि उनके द्वारा निर्देशित की गयी पहली फिल्म थी, और सत्यम शिवम सुंदरम में इसी सौन्दर्य और उसके प्रति मानव के रुझान को कसौटी पर भी रखा। संगीत के प्रति उनकी समझ के सब ही कायल रहे हैं और उनकी हरेक फिल्म के संगीत का जन्म और प्रबंधन एक एक खास योजना के तहत और एक खास तरीके से होता था। उनके द्वारा निर्देशित उनकी अंतिम फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में भी इस विशिष्टता को देखा जा सकता है। मंदाकिनी द्वारा निभाये गये चरित्र की यात्रा, जिसमें उसकी पहाड़ पर रहने वाली भोली भाली युवती से बनारस होते हुये कलकत्ता तक पहुँचने तक की यात्रा शामिल है, के साथ साथ मंदाकिनी के चरित्र द्वारा गाये गये गीतों की भाषा, गीतों की प्रकृति और गाने का ढ़ंग सब कुछ बदलता चला जाता है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 06:28 PM | #129 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
निश्चित रुप से रवीन्द्र जैन और लता मंगेशकर का भी पूरा योगदान है ऐसी विविधता लिये हुये संगीत यात्रा को निर्मित करने में, परन्तु बिना राज कपूर की दूरदृष्टि के शायद ऐसा सम्भव नहीं था। संगीत के उनसे जुड़ाव के सम्बंध में यह भी कहा जाता है कि उन्होने किसी भी फिल्म में जिस किसी भी वाद्य यंत्र को अपने हाथ में लिया उसे इस ढ़ंग से अपनी पकड़ में लिया जैसे कि वे वर्षों से इसी वाद्य यंत्र को बजा रहे हों। संगम से तो उन्होने अपनी फिल्मों का संपादन भी स्वयं ही करना शुरु कर दिया था। हिन्दी सिनेमा में उन्हे एक सम्पूर्ण फिल्मकार माना जा सकता है। एक निर्माता के तौर पर उन्होने बूटपालिश, अब दिल्ली दूर नहीं, जागते रहो जैसी उत्कृष्ट फिल्मों का भी निर्माण किया जिनमें उन्होने 1-2 मिनटों वाले मेहमान कलाकार के अलावा अभिनय नहीं किया। पाथेर पांचाली देखने के बाद उन्होने सत्यजीत रे को भी आमंत्रित किया था कि वे आर के बैनर के लिये हिन्दी में कोई फिल्म बनायें। राज कपूर रशिया और ईरान आदि देशों में बेहद प्रसिद्ध थे और आज भी लोग उन्हे वहाँ जानते हैं और याद करते हैं। उन्हे एक ऐसा कलाकार और फिल्मकार माना जा सकता है जिन्होने लगभग बचपन से ही फिल्मों को ही ओढ़ा और बिछाया। वे हर समय फिल्मों से सम्बन्धित बातों में उलझे रहे। उनका बहुत बड़ा योगदान है हिन्दी सिनेमा के विकास में।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-10-2017, 07:14 PM | #130 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
राज कपूर / Raj Kapoor
राज कपूर के जीवन से जुड़ी कुछ उल्लेखनीय बातें हिंदी सिनेमा के 'शोमैन' कहे जाने वाले अभिनेता-निर्माता-निर्देशक तथा हिंदी सिनेमा में कीर्तिमान स्थापित करेनवाले राजकपूर ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत थप्पड़ से की थी. राज कपूर का पूरा नाम 'रणबीर राज कपूर' था. रणबीर अब उनके पोते यानी ऋषि-नीतू के बेटे का नाम है. जानें अपने अनोखे और मस्तमौला तरीके से दर्शकों के दिलों में राज करनेवाले अभिनेता राजकपूर के बारे में 10 दिलचस्प बातें... 1. राजकपूर की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई थी. उनका मन कभी पढाईमें नहीं लगता था इसलिए उन्होंने पढाई बीच में ही छोड दी. वे ऐसे मनमौजी विद्यार्थी थे जिन्होंने अपनी कॉपी-किताबें बेचकर खूब पकौडे और चाट खाये. 2. राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर ने उन्हें सफलता का मंत्र दिया था कि राजू नीचे से शुरूआत करोगे तो उपर तक जाओगे.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 12-10-2017 at 07:20 PM. |
Bookmarks |
Tags |
bollywood personalities, johny walker, manna dey, mehmood, nimmi निम्मी, prithviraj kapoor, rafi, raj kapoor, rajnish manga, shankar jaikishan, shashi kapoor, sohrab modi, veena |
|
|