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Old 06-04-2014, 06:25 PM   #121
Dr.Shree Vijay
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Arrow Re: अकबर - बीरबल..


छोटा बांस, बड़ा बांस :..........

एक दिन अकबर व बीरबल बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल लतीफा सुना रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे। तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा बांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया। उन्हें बीरबल की परीक्षा लेने की सूझी।

बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए वह बोले, ‘‘क्या तुम इस बांस के टुकड़े को बिना काटे छोटा कर सकते हो ?’’ बीरबल लतीफा सुनाता-सुनाता रुक गया और अकबर की आंखों में झांका।

अकबर कुटिलता से मुस्कराए, बीरबल समझ गया कि बादशाह सलामत उससे मजाक करने के मूड में हैं।

अब जैसा बेसिर-पैर का सवाल था तो जवाब भी कुछ वैसा ही होना चाहिए था।

बीरबल ने इधर-उधर देखा, एक माली हाथ में लंबा बांस लेकर जा रहा था।

उसके पास जाकर बीरबल ने वह बांस अपने दाएं हाथ में ले लिया और बादशाह का दिया छोटा बांस का टुकड़ा बाएं हाथ में।

बीरबल बोला, ‘‘हुजूर, अब देखें इस टुकड़े को, हो गया न बिना काटे ही छोटा।’’

बड़े बांस के सामने वह टुकड़ा छोटा तो दिखना ही था।

निरुत्तर बादशाह अकबर मुस्करा उठे बीरबल की चतुराई देखकर :..........

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Old 08-04-2014, 11:00 PM   #122
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Arrow Re: अकबर - बीरबल..


बीरबल के तीन सवाल :..........

हाराजा अकबर, बीरबल की हाज़िरजवाबी के बडे कायल थे। उनकी इस बात से दरबार के अन्य मंत्री मन ही मन बहुत जलते थे। उनमें से एक मंत्री, जो महामंत्री का पद पाने का लोभी था, ने मन ही मन एक योजना बनायी। उसे मालूम था कि जब तक बीरबल दरबार में मुख्य सलाहकार के रूप में है उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती।

एक दिन दरबार में अकबर ने बीरबल की हाज़िरजवाबी की बहुत प्रशंसा की। यह सब सुनकर उस मंत्री को बहुत गुस्सा आया। उसने महाराज से कहा कि यदि बीरबल मेरे तीन सवालों का उत्तर सही-सही दे देता है तो मैं उसकी बुद्धिमता को स्वीकार कर लुंगा और यदि नहीं तो इससे यह सिद्ध होता है की वह महाराज का चापलूस है। अकबर को मालूम था कि बीरबल उसके सवालों का जवाब जरूर दे देगा इसलिये उन्होंने उस मंत्री की बात स्वीकार कर ली।

उस मंत्री के तीन सवाल थे -

१। आकाश में कितने तारे हैं?

२। धरती का केन्द्र कहाँ है?

३। सारे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरूष हैं? :..........

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Old 08-04-2014, 11:02 PM   #123
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Arrow Re: अकबर - बीरबल..


बीरबल के तीन सवाल :..........

कबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिये कहा। और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोडने के लिये तैयार रहे।

बीरबल ने कहा, "तो सुनिये महाराज"।

पहला सवाल - बीरबल ने एक भेड मँगवायी। और कहा जितने बाल इस भेड के शरीर पर हैं आकाश में उतने ही तारे हैं। मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा।

दूसरा सवाल - बीरबल ने ज़मीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया। फिर एक लोहे की छड मँगवायी गयी और उसे एक जगह गाड दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, "महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्व्यं जाँच लें"। महाराज बोले ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे में कहो।

अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुश्किल है। क्योंकि इस दुनीया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरूषों की श्रेणी। उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि ये मंत्री जी। महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री-पुरूष की सही सही संख्या बता सकता हूँ। अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोडकर थर-थर काँपने लगे और महाराज से बोले,"महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया। मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूँ"।

महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे
और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया :..........

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Old 21-04-2014, 09:34 PM   #124
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Arrow Re: अकबर - बीरबल..


पत्नी से कौन नहीं डरता? :..........

क बार बादशाह अकबर, बीरबल के साथ शाम को बाग मे टहल रहे थे। कुछ राजकाज की बातें करते-करते अकबर ने अचानक बीरबल से पूछा, "सुना है कि तुम अपनी बीवी से बहुत डरते हो।"

बीरबल को अकबर से इस तरह के सवाल का अंदेशा न था। उसने संभलते हुए कहा, "जी, मैं ही क्या, हमारी सल्तनत का हर आदमी अपनी बीवी से डरता है।"

महाराज अकबर ने बीरबल की तरफ टेढ़ी नज़र से देखते हुए कहा, ''तुम अपनी कमज़ोरी छुपाने के लिए सब लोगों पर इल्ज़ाम नहीं लगा सकते।"

बीरबल ने कहा, "बादशाह सलामत, मैं जो भी कह रहा हूं, वह एक कड़वी सच्चाई है। कोई मुंह से बोले या न बोले लेकिन हर इन्सान अपनी बीवी से डरता ज़रूर है।''

अकबर ने कहा, "क्या तुम यह साबित कर सकते हो?" बीरबल ने झट से हामी भर दी। अपनी आदत के अनुसार महाराज अकबर ने यह हुक्म भी दे डाला कि तुम अगर सात दिन में यह साबित नहीं कर पाए, तो तुम्हारा सिर कलम कर दिया जाएगा।"

बीरबल ने चुनौती को स्वीकार करते हुए शहर के सभी पुरुषों की एक जनसभा बुलाने का आदेश जारी करवा दिया।

एक निश्चित तिथि को जब शहर के सब मर्द वहां आ पहुंचे, तो अकबर ने बीरबल को उसका वादा याद करवाया। बीरबल ने भी पूरे विश्वास के साथ अपना काम शुरू कर दिया। बीरबल ने एक-एक कर सभी से पूछना शुरू किया कि क्या वे अपनी बीवी से डरते हैं। अधिकतर लोगों ने कबूल कर लिया कि वे किसी न किसी कारणवश अपनी-अपनी बीवी से डरते हैं। बीरबल ने उन सब लोगों को एक-एक अंडा पकड़ा कर एक तरफ बैठने को कहा।

यह सब देख अकबर भी परेशान हो गए कि यह सब क्या हो रहा है। हमारी फौज का एक से एक बहादुर योद्धा भी अपनी बीवी के सामने भीगी बिल्ली नज़र आ रहा है। बहुत देर बाद एक हट्टे-कट्टे नौजवान की बारी आई और उससे भी यही सवाल पूछा गया। यह नौजवान बाकियों से अलग था।

उसने कहा, "बीवी से कैसा डरना, बीवी तो पैर की जूती है। उसकी क्या हिम्मत कि मेरे सामने कुछ भी बोल जाए।" अकबर को थोड़ी तस्सली हुई कि चलो, कोई तो निकला, जिसने इतनी बात कहने की हिम्मत की। जब हर तरीके से उसे परख लिया गया, तो बादशाह ने उसे एक काला घोड़ा इनाम में दिया :..........

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Old 21-04-2014, 09:35 PM   #125
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Arrow Re: अकबर - बीरबल..


पत्नी से कौन नहीं डरता? :..........

घोड़ा लेकर वह नौजवान खुशी-खुशी अपने घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने हैरान होते हुए पूछा, " सुबह तो पैदल धक्के खाते हुए गए थे, अब यह घोड़ा किसका उठा लाए हो!" नौजवान ने सारा किस्सा पत्नी को बताया। पत्नी ने कहा, "तुम्हें तो सारी उम्र अक्ल नहीं आ सकती। अगर इतना बड़ा इनाम जीता ही था तो दरबार से सफेद घोड़ा तो लेकर आते- यह क्या काले रंग का घोड़ा उठा कर ले आए हो!" नौजवान ने कहा, "बेगम, तुम चिंता मत करो, आज बादशाह सलामत मुझसे बहुत खुश हैं। यह लो, मैं अभी घोड़ा बदल कर लाता हूं।"

कुछ देर बाद ही वह काला घोडा लेकर वापस दरबार मे पहुंचा और बीरबल से प्रार्थना करने लगा, "मेरी बीवी को यह काला घोड़ा पसंद नहीं है। आप कृपया मुझे सफेद घोड़ा दे दें।" बीरबल ने कहा, "यह घोड़ा उधर बांध दो और यह अंडा लेकर घर जाओ।" बादशाह ने पूछा कि आखिर माजरा क्या है? बीरबल ने कहा कि यह नौजवान पहले तो कह रहा था कि अपनी बीवी से नहीं डरता लेकिन जब बीवी ने काले घोड़े की जगह सफेद घोड़ा लाने को कहा तो वह उसको ना नहीं कर सका।"

बीरबल ने आगे बताया, "जहांपनाह, इसकी बीवी बहुत सुन्दर है। उसको यह क्या, कोई भी आदमी किसी काम के लिए ना नहीं कह सकता।"

अकबर ने बीरबल से कहा, "अच्छा, अगर ऐसी बात है तो हम भी ऐसी खूबसूरत औरत को देखना चाहेंगे। तुम किसी तरह से यह इंतज़ाम करवाओ।" बीरबल ने कहा, "जहांपनाह, यह तो कोई मुश्किल काम नहीं है। मैं कल ही उस औरत से आपकी मुलाकात...।" बीरबल की बात को बीच मे ही काटते हुए अकबर बोले, "लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि हमारी बेगम साहिबा को इस बात की भनक भी नही लगे।" बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, "जहांपनाह, अब आप अकेले ही बचे थे। अब आप भी यह अंडा पकड़ें।"

बादशाह अकबर के पास अब झेंपने के अलावा कोई चारा नहीं था। वह मान गए कि हर मर्द अपनी बीवी से डरता है :..........

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Old 22-04-2014, 09:28 AM   #126
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Default Re: अकबर - बीरबल..

वाकये बीरबल ने सिद्ध कर ही दिया की अकबर भी बीबी से डरता हे,बीरबल की अक्ल की दाद देनी पडगी (बहूत अच्छा)
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Old 22-04-2014, 05:28 PM   #127
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Originally Posted by rafik View Post
वाकये बीरबल ने सिद्ध कर ही दिया की अकबर भी बीबी से डरता हे,बीरबल की अक्ल की दाद देनी पडगी (बहूत अच्छा)


प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.........


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Old 09-05-2014, 10:15 AM   #128
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मनुष्य द्वारा निर्मित चीज ज्यादा अच्छी होती है या कुदरत के द्वारा निर्मित ? :..........

हुत पुराने समय की कहानी है। एक बार अकबर बादशाह का दरबार लगा था। दरबार में सारे दरबारी, पंडित, मंत्री और सामान्यजन भी बैठे हुए थे। उस समय दरबार में हंसी-ठिठोली का माहौल छाया हुआ था। सब उसी में मशगूल थे। अकबर भी बहुत खुश नजर आ रहे थे।

लेकिन एक बात थी जो अकबर को हमेशा ही खटकती रहती थी, वह यह कि राजदरबार के सभी दरबारी बीरबल के फैसले से बहुत जलते थे। बीरबल के आगे उनके फैसले की एक न चलती थी।

इसलिए उन्हें बीरबल से बहुत ईर्ष्या थी, लेकिन वह बीरबल के सामने बोलने की हिम्मत जुटा नहीं पाते थे। बीरबल की दरबार में अनुपस्थिति होने पर अकबर हमेशा बीरबल की प्रशंसा के पुल बांधते रहते थे।

जब बीरबल दरबार में अनुपस्थित रहता था तब दरबारी बीरबल के प्रति द्वेष का भाव रखकर अकबर बादशाह को भड़काने का काम करते रहते थे। लेकिन अकबर को बीरबल की चतुराई पर बहुत भरोसा था। दरबार में चल रही हंसी-ठिठोली के बीच अकबर ने दरबारियों की परीक्षा लेने का मन ही मन विचार बनाया।

उन्होंने सभी दरबारियों से शांत होने को कहा, और बोले- 'ध्यान से सुनो, तुम सभी को मेरे एक सवाल का जवाब देना है। जो इस सवाल का जवाब सही देगा और उसे साबित कर दिखाएगा उसे मैं बीरबल की जगह अपना मंत्री नियुक्त कर दूंगा।'

अकबर ने कहा- 'देखो तुम सबके लिए बहुत बढ़िया अवसर हाथ आया है। इससे तुम अपने मन के सभी अरमान पूरे कर सकते हो।'

यह सुनकर सभी दरबारी बहुत खुश हुए। अकबर ने फिर अपना सवालिया बाण छोड़ा और कहा, 'देखो, तुम्हें यह साबित करना है कि मनुष्य द्वारा निर्मित चीज ज्यादा अच्छी होती है या कुदरत के द्वारा निर्मित' :..........

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मनुष्य द्वारा निर्मित चीज ज्यादा अच्छी होती है या कुदरत के द्वारा निर्मित ? :..........

कबर के मुंह से सवाल सुनते ही सभी दरबारी सोच में पड़ गए। अकबर ने उन्हें पूरे एक हफ्ते का समय दिया और कहा अगले शुक्रवार को जब दरबार लगेगा तो तुम्हें खुद को सबसे श्रेष्ठ साबित करना है। सब दरबारी अपने-अपने घर को हो लिए। सभी इसी सोच में डूबे थे कि इसबात को कैसे साबित किया जाए। लेकिन किसी में इतनी चतुराई भी तो नहीं थी जितनी कि बीरबल में।

सारे दरबारियों में से किसी को भी इस सवाल का हल नहीं मिल पाया। तय समय के अनुसार फिर शुक्रवार के दिन राजदरबार लगा। सभी लोग अपने-अपने आसन पर विराजमान हो गए। हालांकि बीरबल सबसे पहले पहुंच गए थे।

अब राजा ने एक-एक कर सभी से सवाल का जवाब मांगा, पर सभी दरबारी, मंत्री, पंडित अपनी गर्दन झुकाकर खड़े हो गए।

अब अकबर से रहा न गया। उन्होंने बीरबल से पूछा। बीरबल ने बड़ा ही चतुराई भरा जवाब दिया, 'जहांपनाह! इसमें कौन-सी बड़ी बात है। इसका जवाब बहुत ही आसान है। अभी लीजिए' कह कर वह अपने कुर्सी से उठकर बाहर चले गए।

यह देख दरबारियों में खुसर-फुसर शुरू हो गई। एक कहने लगा- 'अरे यह क्या? बीरबल तो अकबर को जवाब देने के बजाय दरबार से उठकर बाहर चले गए।' अकबर आराम से अपने सिंहासन पर विराजमान हो गए और बीरबल की प्रतीक्षा करने लगे।

तभी एक कारागीर हाथों में पत्थरों से निर्मित एक फूलों का बड़ा-सा गुलदस्ता लेकर आया और राजा को गुलदस्ता देकर जाने लगा। राजा ने गुलदस्ता हाथ में लिया और उसकी सुंदरता देखकर गुलदस्ते की बहुत तारीफ की। और अपने खजाने के मंत्री को आदेश दिया कि 'इस कारीगर को एक हजार स्वर्ण मुद्राएं इनाम के तौर पर दी जाएं।'

इनाम लेकर कारीगर खुशी-खुशी बाहर चला गया तभी अकबर के बगीचे का माली आया और एक बड़ा-सा गुलदस्ता को राजा को भेंट किया। इतना सुंदर गुलदस्ता देखकर राजा उसकी भी तारीफ किए बिना न रह सका। अकबर ने फिर अपने मंत्री को आदेश दिया और कहा- 'माली को सौ चांदी की मुद्राएं इनाम के तौर पर दी जाए।'

बस फिर क्या था, राजा का इतना आदेश हुआ कि बीरबल चतुराई भरा मुंह बनाकर दरबार में दाखिल हुए। पहले तो अकबर बीरबल पर बहुत नाराज हुए और कहने लगे, 'शायद सभी दरबारी ठीक ही कहते हैं! मैंने ही तुम्हें जरूरत से ज्यादा तवज्जों दी है। इसीलिए तुम यूं बीच में ही राज दरबार छोड़कर चले गए और मेरे सवाल का जवाब भी नहीं दिया' :..........

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मनुष्य द्वारा निर्मित चीज ज्यादा अच्छी होती है या कुदरत के द्वारा निर्मित ? :..........

कबर का इतना कहना ही हुआ कि बीरबल ने अकबर को प्रणाम करते हुए कहा - 'जहांपनाह, आप कुछ भूल रहे हैं। अभी-अभी जो दो कारीगर यहां उपस्थिति देकर गए हैं। उन्हें आपके पास भेजने के लिए ही मैं बाहर गया था। आपने यह कैसा न्याय किया, दो कारीगरों के साथ। एक को हजार स्वर्ण मुद्राएं और दूसरे को सिर्फ सौ चांदी की मुद्राएं।'

अकबर ने जवाब दिया- 'असली फूलों का गुलदस्ता तो दो दिनों में ही मुरझा जाएगा और यह पत्थर से निर्मित गुलदस्ता कभी भी खराब नहीं होगा इसीलिए।'

अकबर का इतना कहना ही था कि बीरबल ने अपना चतुराई भरा बाण छोड़ा और बोले- 'तो फिर आप भी मान गए ना कि मनुष्य द्वारा निर्मित वस्तु कुदरत के द्वारा निर्मित वस्तु से ज्यादा अच्छी है।'

अब जहांपनाह की बोलती ही बंद हो गई। वे बीरबल की चतुराई देखकर मन ही मन मुस्काएं और फिर से अपने सिंहासन पर बैठ गए।

सिंहासन पर बैठकर अकबर ने फिर एक बार बीरबल की खुले दिल से तारीफ की और सब दरबारी अपना मुंह लटका कर अपने-अपने कुर्सी पर बैठ गए। एक बार फिर बीरबल अपनी चतुराई दिखाने में कामयाब हो गए' :..........

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