27-12-2011, 11:21 PM | #1311 |
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मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे भले ही अनशन पर हों, लेकिन उनके समर्थकों के लिए भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। कुछ आयोजकों ने अनशन स्थल पर नाश्ते के तौर पर ‘पोहा’ और दोपहर और रात के भोजन में ‘पूरी-सब्जी’ का इंतजाम किया गया है। रोहतक के एनजीओ जनसेवा संस्थान के साथ ‘अन्ना की रसोई’ बनाने वाले गिरिराज सेवा समिति के सुमित गुप्ता ने कहा कि हमने 10 हजार लोगों के स्नैक्स, चाय और खाने का इतंजाम किया है। जनसेवा समिति के स्वामी चैतन्य महाराज ने कहा कि खाना बनाने के लिए 60 लोग 24 घंटे काम में लगे हुए हैं। अन्ना के साथ तीन दिन तक अनशन रखने वाले महाराज ने कहा कि नाश्ते के लिए ‘चाय और पोहा’ तथा दोपहर एवं रात के खाने के लिए ‘पूड़ी सब्जी’ तैयार की जा रही है। दिल्ली में सदर बाजार से आए युवा राज ने कहा कि ‘मैं हूं अन्ना’ लिखी टोपियां और थैले 10-10 रुपये में बेंचे जा रहे हैं। दिल्ली में मैंने 1000 टोपियां प्रतिदिन बेची थीं। थिएटर से जुड़े भरत दाभोलकर पहले सेलिब्रिटी थे जिन्हें आज सुबह अन्ना टोपी पहने देखा गया।
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27-12-2011, 11:22 PM | #1312 |
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कोलकाता में अन्ना समर्थक धरना पर
कोलकाता। मुंबई में तीन दिवसीय धरने पर बैठे अन्ना हजारे के समर्थन में उनके कुछ समर्थक मंगलवार को यहां महाजाति सदन थियेटर के सामने धरना पर बैठे। हाथों में तख्तियां लिए हुए हजारे समर्थक नारे लगा रहे थे, हम अन्ना का समर्थन करते हैं। अन्ना तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।
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27-12-2011, 11:23 PM | #1313 |
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रजनीकांत ने निशुल्क दिया अपना ‘वेडिंग हॉल’
चेन्नई। भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को अपना समर्थन देते हुए सुपरस्टार रजनीकांत ने सशक्त लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर टीम अन्ना कार्यकर्ताओं के द्वारा आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय उपवास के लिए अपना ‘वेडिंग हॉल’ बिना किसी शुल्क के दिया है। इंडिया अगेंस्ट करप्सन (आईएसी) के केंद्रीय कोर कमेटी के सदस्य एम. एस. चंद्रमोहन ने बताया कि हमने रजनीकांत से अपना समर्थन देने के लिए संपर्क साधा था। उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और कहा कि वह हमेशा से भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं। राघवेंद्र कल्याण मंडपम शहर के कोडामबक्कम इलाके में हैं।
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27-12-2011, 11:23 PM | #1314 |
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हे मनमोहन तेरा कैसा लोकपाल?
नई दिल्ली। सरकार के लोकपाल विधेयक के विरोध में दिल्ली के रामलीला मैदान में टीम अन्ना के तीन दिनों के धरने के पहले दिन उपस्थित लोग सरकार और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सीधे सवाल पूछ रहे थे। वहां मौजूद कई लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, ‘हे मनमोहन तेरा कैसा लोकपाल?’ अन्ना हजारे के नेतृत्व में मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में आंदोलन चल रहा है, लेकिन टीम अन्ना ने एक अलग धरने का आयोजन रामलीला मैदान में किया है। यहां टीम अन्ना के सदस्य शांति भूषण, प्रशांत भूषण, गोपाल राय, संजय सिंह और कुछ अन्य लोग मौजूद रहे। कई लोगों ने ऐसी तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था, ‘सरकार का लोकपाल टीन का डिब्बा है।’ रामलीला मैदान में मौजूद लोग ‘अन्ना हजारे जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे।
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27-12-2011, 11:26 PM | #1315 |
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अन्ना के समर्थन में देशभर में प्रदर्शन
जम्मू/चेन्नई। मुंबई में अन्ना हजारे के अनशन और दिल्ली में उनके सहयोगियों के प्रदर्शन के बीच मंगलवार को देश में कई जगह उनके समर्थकों ने सरकार के लोकपाल विधेयक को कमजोर बताते हुए प्रदर्शन किया। 74 वर्षीय हजारे के समर्थन में चंडीगढ़, जम्मू, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलूरू समेत अन्य शहरों में लोगों ने प्रदर्शन किया। चंडीगढ़ में बिना इजाजत के विरोध प्रदर्शन कर रहे अन्ना हजारे के करीब 50 समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को अंतर्राज्यीय बस टर्मिनस सेक्टर 17 के पास हिरासत में लिया गया और सेक्टर 19 स्थित थाने में लाया गया। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि समूह के पास प्रदर्शन की कोई इजाजत नहीं थी और हमने उन्हें कानून के तहत हटाया है। बहरहाल प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताया है। कोलकाता में कुछ समर्थक महाजाति सदन थियेटर के सामने धरने पर बैठे। हाथ में तख्तियां लिए हजारे समर्थक नारे लगा रहे थे। जम्मू में सर्द हवाओं को धता बताते हुए जम्मू कश्मीर-इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले करीब 200 समर्थकों ने यहां प्रेस क्लब के सामने धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए संसद में जल्दी से जल्दी मजबूत लोकपाल विधेयक पारित कराने की मांग की। कार्यकर्ता पवित्तर सिंह ने कहा कि आम आदमी भ्रष्टाचार से तंग आ गया है और इस जंग में सब अन्ना के साथ हैं। देश के अन्य हिस्सों में भी लोग अन्ना हजारे के प्रति समर्थन जताते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। चेन्नई में हजारे के समर्थन में लोगों ने अनशन किया। अभिनेता रजनीकांत के स्वामित्व वाले मैरिज हाल में प्रदर्शन कर रहे इंडिया अगेंस्ट करप्शन के मीडिया समन्वयक बानू गोम्स ने कहा कि 26 लोग तीन दिन तक लगातार अनशन करेंगे, वहीं 100 से ज्यादा समर्थन जता रहे हैं। हमें और भी लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। रजनीकांत ने अपने मैरिज हाल को निशुल्क तीन दिन अनशन के लिए दिया। इंडिया अगेंस्ट करप्शन की केंद्रीय कोर समिति के सदस्य एम. एस. चंद्रमोहन ने कहा कि हमने उनसे समर्थन मांगा। उन्होंने इसे मंजूर कर लिया और कहा कि वह हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। उन्होंने इसे निशुल्क प्रदान किया और कहा कि यह देश के प्रति उनकी सेवा है। हैदराबाद में भी अन्ना समर्थकों ने रैली निकाली और भूख हड़ताल भी की। सौंदर्या विज्ञान केंद्र से इंदिरा पार्क तक रैली निकाली गई। प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया।
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27-12-2011, 11:28 PM | #1316 |
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रामलीला मैदान में बेकाबू हुए अनशनकारी
नई दिल्ली। मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग के लिए रामलीला मैदान में जुटे अन्ना समर्थक मंच के करीब लगे बड़े टीवी स्क्रीन पर दिखाए जा रहे संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन के भाषण के दौरान अचानक भड़क कर बेकाबू हो गए और जोर जोर से सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य संजय सिंह के बार-बार गुहार लगाने के बाद भी अनशनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। वे बड़े पर्दे पर दिखाए जा रहे डॉ. सिंह के भाषण को रोकने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए स्वयंसेवकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और आखिरकार प्रशात भूषण ने स्क्रीन पर चल रहे प्रधानमंत्री के भाषण को रोक मंच की कमान संभाली, जिसके बाद लोग शांत हुए। गौरतलब है कि हजारे ने तीन दिनों का अनशन शुरू होने से पहले उपद्रवी तत्वों के हिंसक होने की आशंका जताई थी, जिसके बाद प्रदर्शन स्थलों में सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई। रामलीला मैदान में दिल्ली पुलिस के जवानों के अलावा भीड़ के नियंत्रण के लिए स्वयंसेवकों की फौज है और मैदान में आने वालों की तीन चरणों में सुरक्षा जांच की जा रही है। इसके लिए 200-250 स्वसेवक लगाए गए हैं, जबकि आपदा प्रबंधन के लिए अलग टीम बनाई गई है। रामलीला के स्थाई मंच का इस बार इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और उसे ढक कर सात फुट ऊंचा एक अस्थाई मंच तैयार किया गया है। मंच के पीछे से वीवीआईपी प्रवेश द्वार बनाया गया है, जबकि दो ओर से आम लोगों के प्रवेश की व्यवस्था है। हजारे के मुंबई के अनशन और संसद में होने वाली बहस के सीधे प्रसारण के लिए एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की गई है।
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27-12-2011, 11:28 PM | #1317 |
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लोकपाल पर कांग्रेस से असहमत दिखे सहयोगी तृणमूल और द्रमुक
नई दिल्ली। संप्रग के घटक दल तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक ने कांग्रेस से असहमति जताते हुए कहा कि लोकायुक्त बनाने के लोकपाल विधेयक के प्रावधान राज्यों के अधिकारक्षेत्रों का हनन करते हैं। तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक पर चर्चा में शामिल होते हुए लोकसभा में कहा कि राज्य विधायिकाओं के अधिकारों की अनदेखी मत कीजिए। क्या मौजूदा विधेयक राज्यों के अधिकार नहीं छीनता। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-253 के तहत लोकायुक्तों का गठन केन्द्रीय कानून सभी राज्यों के लिए अनिवार्य कर देगा। द्रमुक के टीकेएस एलनगोवन ने भी केन्द्र से आग्रह किया कि वह राज्यों के अधिकारों का संरक्षण करते हुए कानून बनाने के अधिकार राज्यों के पास रहने दे। दोनों ही नेताओं के विचार अन्य विपक्षी और क्षेत्रीय दलों से मेल खाते हैं। बनर्जी ने कॉरपोरेट जगत, बैंकरों और मीडिया के भ्रष्टाचार को भी लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की। राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि विधेयक को किसी दबाव में पारित नहीं करना चाहिए। रालोद के जयंत चौधरी ने विधेयक को सकारात्मक कदम बताया, लेकिन कहा कि नए कानून बनाने की बजाय मौजूदा कानूनों का भलीभांति कार्यान्वयन बेहतर स्थिति है।
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27-12-2011, 11:33 PM | #1318 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
सरकार ने लोकपाल विधेयक में दस संशोधन माने
नयी दिल्ली ! सरकार ने विपक्ष और अपने घटक दलों के सुझावों के अनुसार लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक में आज दस संशोधन किये। लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने सदस्यों के सुझावों को ध्यान में रखकर दस संशोधन किये है जिनमे राज्यों में लोकायुक्त संस्था के गठन के लिये अधिसूचना राज्य सरकार की अनुमति के बिना जारी नही करने का प्रावधान शामिल है। मुखर्जी ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं को इस कानून के दायरे से बाहर रखने के लिये भी संशोधन लाया गया है। विधेयक के कमजोर होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुये मुखर्जी ने कहा कि यह भले सर्वश्रेष्ठ न हो लेकिन अच्छा है।यह बुरा भी नही है और इसमे कई सुझावों को भी शामिल किया गया है। विधेयक काफी विचार विमर्श के बाद लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के मामले में संवेदनशून्य नही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आगे भी सदस्यों या संस्थओं के जो सुझाव आयेंगे उनमे जो उपयुक्त होगा उसे स्वीकार भी किया जायेगा। मुखर्जी ने दो टूक कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत जो संभव होगा वह किया जायेगा लेकिन हम व्यवस्था को नष्ट करने की अनुमति नही दे सकते। किसी भी आंदोलन या धरना स्थल से कानून नही बन सकता। संसद और विधानसभा के चाहने पर ही कोई कानून बन सकता है।
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27-12-2011, 11:36 PM | #1319 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
मुंबई का अनशन छोड़ दिल्ली लौटीं किरण बेदी
नयी दिल्ली ! टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी मजबूत लोकपाल के समर्थन में दिल्ली में जारी अनशन में शामिल होने के लिए मुंबई के अपने कार्यक्रम को समय से पहले खत्म कर आज रात ही राजधानी लौटी हैं। किरण ने बताया, ‘‘मैं दिल्ली लौट रही हूं। मैंने मुंबई में अपना काम पूरा किया। मैं कल रामलीला मैदान में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होंगी।’’ उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल और टीम अन्ना के बाकी सदस्य अन्ना हजारे के अनशन के लिए मुंबई में रुकेंगे। किरण कल मुंबई गई थीं और वह अब रामलीला मैदान में शांति भूषण और प्रशांत भूषण के साथ आंदोलन में शामिल होंगी। हजारे ने पहले यह घोषणा की थी कि केजरीवाल और बेदी उनके साथ अनशन में तीन दिनों तक मुंबई में ही रहेंगे।
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27-12-2011, 11:39 PM | #1320 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
जब-जब लोकपाल संसद में आया, तब-तब लोकसभा भंग हो गई : अहलुवालिया
नयी दिल्ली ! लोकपाल विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच चल रही रस्साकशी के बीच भाजपा के एक सांसद ने एक ऐसा रहस्योद्घाटन किया जो सरकार के लिये चिंता की बात है । राज्यसभा के सांसद एस. एस. अहलुवालिया के मुताबिक एक विचित्र संयोग है कि संसद में जब-जब लोकपाल विधेयक चर्चा के लिये आया तब-तब लोकसभा भंग हो गयी । उन्होंने कहा कि ऐसा 1968 से हो रहा है । उस वर्ष नौ मई को लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक पेश किया गया था । इसे संसद की चयन समिति के पास भेजा गया था । लोकसभा में यह ‘लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक, 1969’ के रूप में 20 अगस्त 1969 को पारित हुआ । बहरहाल इस विधेयक के राज्यसभा में पारित होने से पहले चौथी लोकसभा भंग हो गयी और विधेयक भी निरस्त हो गया । इसके बाद 11 अगस्त 1971 को दूसरा लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक पेश किया गया । इसे न तो किसी समिति को भेजा गया और न ही यह सदन में पारित हुआ । पांचवीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह विधेयक भी खत्म हो गया । इसके बाद 28 जुलाई 1977 को इस आशय का विधेयक लाया गया । इसे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया । संयुक्त प्रवर समिति की अनुशंसाओं से पहले ही छठी लोकसभा भंग हो गयी और साथ ही विधेयक भी खत्म हो गया । लोकपाल विधेयक, 1985 को उसी वर्ष 28 अगस्त को पेश किया गया और संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया । बहरहाल तत्कालीन सरकार को विधेयक को वापस लेना पड़ा क्योंकि इसमें विभिन्न तरह की स्थितियों को शामिल नहीं किया गया था। इसे वापस लेते हुए तत्कालीन सरकार ने कहा कि बाद में इसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिये विस्तृत कानून के साथ लाया जाएगा । लोकपाल विधेयक फिर 1989 में आया और इसे 29 दिसम्बर को पेश किया गया। बहरहाल 13 मार्च 1991 को नौवीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही विधेयक खत्म हो गया । संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 13 सितम्बर 1996 को एक दूसरा विधेयक पेश किया । इसकी जांच एवं रिपोर्ट के लिये इसे गृह मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति से संबंधित विभाग को भेजा गया । स्थायी समिति ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों में विस्तृत संशोधन के साथ रिपोर्ट को नौ मई 1997 को संसद में पेश किया । इससे पहले कि सरकार स्थायी समिति की विभिन्न अनुशंसाओं पर अपने रुख को अंतिम रूप देती, 11वीं लोकसभा भंग हो गयी । अंतिम प्रयास भाजपा शासित राजग सरकार ने 14 अगस्त 2001 को किया था । इसकी जांच और रिपोर्ट के लिये इसे गृह मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया, लेकिन मई 2004 में यह सरकार फिर सत्ता में नहीं आई ।
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