18-11-2011, 08:53 PM | #131 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
लंदन ! ‘मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार’...यह बात जगजाहिर है, लेकिन विशेषज्ञों ने अब कहा है कि स्तनपान करने वाले शिशु को भविष्य में अल्जाइमर से लेकर कैंसर तक होने का खतरा टल सकता है। एक अंतरराष्ट्रीय दल ने कहा है कि माता के दूध में स्टेम कोशिका होती है जो अल्जाइमर से लेकर कैंसर जैसे रोग तक का प्रतिरोध कर सकती है। मां के दूध में प्रचुर मात्रा में स्टेम कोशिका होती है। यह दूध स्टेम कोशिका के लिए तैयार एवं नैतिक स्रोत मुहैया बन सकता है, जिसे शरीर में किसी भी कोशिका में परिवर्तित होने की क्षमता को लेकर ‘मरम्मत किट’ के रूप में देखा जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कैंसर, दृष्टिहीनता, मधुमेह, अल्जाइमर, पार्किंसन और लकवा, इन सभी रोगों को ठीक करने में ‘मास्टर कोशिका’ महत्चपूर्ण होती है। वेस्टर्न आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के प्रो. फोटेइनी हासीइटोउ के हवाले से डेली मेल अखबार ने बताया है, ‘‘स्तनपान स्टेम कोशिका उपचार के लिए एक नया उत्साहजनक अवसर पेश करती है।’’ इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि एक महिला अपने दूध में मौजूद स्टेम कोशिका को सुरक्षित रख सकती है और बाद में मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
20-11-2011, 04:43 PM | #132 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर पर्दा उठाने की कवायद
नयी दिल्ली ! ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके अस्तित्व पर बना रहस्य वैज्ञानिकों के लिए आज भी पहेली बना हुआ है, हालांकि यूरोपीय परमाणु शोध संगठन ‘सर्न’ इस पहेली को सुलझाने के लिए ‘लीड आयन’ की टक्कर से जुड़ा प्रयोग कर रहा है। सर्न के परियोजना संयोजक लुसियो रोजे ने कहा कि लार्ज हाइड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) में प्रति सेकेंड लाखो तत्वों की टक्कर होती है। यह प्रक्रिया इतनी दुर्लभ है कि इससे प्राप्त होने वाली किरण नयी खोजों का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने बताया कि एनएचसी ने लीड आयन के दूसरे चरण की टक्कर प्रक्रिया शुरू की है जो सात दिसंबर को समाप्त होगी । यह प्रयोग पिछले वर्ष भी किया गया था। इन आयनों की टक्कर के बाद भौतिकी वैज्ञानिक इसकी पड़ताल करेंगे जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अस्तित्व पर कुछ प्रकाश डालेगा। सर्न के वैज्ञानिक क्वार्क ग्लूआन प्लाज्मा तत्व के बारे में पता लगा रहे हैं और इस पहेली का अध्ययन कर रहे है कि आज का ब्रह्मांड कैसे बना। वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़े रहस्य लम्बे समय से कौतुहल का विषय रहे हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में लम्बे समय से अनुसंधान और प्रयोग किये जाते रहे हैं । वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग ‘बिग बैंग’ के सिद्धांत को रहस्य के समाधन के करीब पाता है। ऐसा माना जाता है कि 11 से 15 अरब वर्ष पहले ब्रह्मांड का कोई स्वरूप नहीं था और वह एक क्षेत्र में सिमटा हुआ था । इस समय पदार्थ, उर्जा, अंतरिक्ष और समय का वजूद नहीं था । इसी समय ब्रह्मांड अचानक फैलना शुरू हुआ और इसका विस्तार अविश्वसनीय रूप से तीव्र गति से हुआ और पदार्थ, उर्जा, समय, अंतरिक्ष वजूद में आए। टक्कर से जुड़ी इस घटना को ‘बिग बैंग’ का नाम दिया गया। ‘बिग बैंग’ के सिद्धांत की जांच के लिए कई प्रयोग किये गए। मसलन, यह कहा गया कि अगर बिग बैंग की घटना हुई होगी, तब ब्रह्मांड से जुड़ी सभी वस्तुओं को एक दूसरे से दूर जाना चाहिए । इस विषय पर साल 1929 में एडबिन हब्बल ने स्पष्ट किया कि हमारे ब्रह्मांड में आकाश गंगाएं एक दूसरे से दूर जा रही हैं। साल 1960 में बिग बैंग के विषय में कहा गया कि अगर यह घटना हुई होगी तब टक्कर के कारण काफी मात्रा में उर्जा निकली होगी । 1989 में कास्मिक बैकग्राउंडर एक्सप्लोरर उपग्रह ने ‘कास्मिक रेडियेशन’ का पता लगाया। हालांकि, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और इसके अस्तित्व से जुड़ी पहेली सटीक रूप से नहीं सुलझायी जा सकी।
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20-11-2011, 06:14 PM | #133 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
इंसानों की तरह वैज्ञानिक भाषा पढ सकेगा कम्प्यूटर
लंदन ! वैज्ञानिकों ने ऐसा कम्प्यूटर विकसित करने का दावा किया है जो लगभग इंसानों की तरह विज्ञान संबंधी भाषा पढ सकता है, तथ्यों के बीच तालमेल बना सकता है और परिकल्पनाएं विकसित कर सकता है। कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक दल ने कहा कि ‘सीआरएबी’ नाम की कम्प्यूटर प्रणाली कैंसर की गांठों की वजहों के बारे में जानकारी देने वाले विद्वानों के लेखों को समझने में सक्षम है और इसलिए इससे कैंसर शोध में सफलता मिलने की उम्मीद है। वैज्ञानिकों ने कहा कि दरअसल, ‘सीआरएबी’ कृत्रिम ज्ञान का तेजी से उबरने के प्रकार का ताजा उदाहरण है जिसका प्रयोग आईफोन फोरएस के ‘सिरी’ निजी सहायक साफ्टवेयर में भी होता है। सीआरएबी विकसित करने वाले दल की प्रमुख एना कोर्होनन ने कहा कि यह हालांकि अब भी विकास की प्र्रक्रिया में है, इस प्रणाली का प्रयोग आपसी तालमेल स्थापित करने में हो सकता है जो सभी दस्तावेजों को पढकर भी शायद बहुत मुश्किल होता। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस प्रणाली से कम्प्यूटर इंसानों की तरह अक्षरों को पढ सकता है और उसका तात्पर्य निकाल सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली का सबसे पहले प्रयोग रसायनों से कैंसर के खतरे के बारे में पता लगाने में किया जाएगा।
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20-11-2011, 06:51 PM | #134 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
लॉग आफ किया, फिर भी है आप पर फेसबुक की नजर
न्यूयार्क ! फेसबुक अपने यूजर के लॉग आॅफ करने के बाद भी इस बात पर नजर रखता है कि उसके यूजर्स कौन सी वेबसाइट विजिट कर रहे हैं । खबरों के मुताबिक, फेसबुक ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि वह अपने यूजर्स के वेबसाइट से लॉग आफ करने के बाद भी इस बात पर नजर रखता है । ‘यूएसए टुडे’ की खबर में कहा गया है कि फेसबुक उन लोगों पर भी नजर रखता है, जो हालांकि उसके अपने सदस्य नहीं हैं, पर उन्होंने किसी भी कारण से एक बार फेसबुक के वेबपेज पर नजर डाली है । खबर में फेसबुक के इंजीनियरिंग निदेशक आर्टुरो बेजार के हवाले से कहा गया है कि इसके लिए कंपनी वैसी ही विवादास्पद ट्रैकिंग तकनीकों पर निर्भर करती है, जिनका गूगल, एडोब, माइक्रोसॉफ्ट और याहू इस्तेमाल करते हैं । इंटरनेट उद्योग से जुड़े आलोचकों ने फेसबुक के इस कदम पर गहरी चिंता जताई है ।
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20-11-2011, 08:22 PM | #135 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
दिल को महफूज रखना है तो बीयर पीजिए...
वाशिंगटन ! बीयर का लुत्फ लेने वालों के लिए अच्छी खबर है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि बीयर पीने से दिल की बीमारी का खतरा बेहद कम हो जाता है। शोधकर्ताओं ने 16 अध्ययनों में दो लाख से अधिक लोगों पर शोध किया। इस दौरान पाया कि साधारण मात्रा में बीयर पीते थे, उनमें दिल की बीमारी होने का खतरा 31 फीसदी तक कम हो गया। अध्ययनों के नतीजे एक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन से जुड़ी सिमोना कोस्तांजो कहती हैं, ‘‘हमने शराब और बीयर को लेकर अलग-अलग अध्ययन किया। इसमें पता चला कि बीयर का साधारण मात्रा में सेवन करने वालों में दिल की बीमारी का जोखिम कम होता है।’’ शोधकर्ताओं ने आगाह भी किया है कि शराब और बीयर के ज्यादा सेवन सेहन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
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20-11-2011, 08:43 PM | #136 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
दुनिया की सबसे छोटी कार, जिसे आप देख नहीं देख सकते...
लंदन ! वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने दुनिया की सबसे छोटी कार तैयार की है, जो एक अणु के आकार की है और इसे नंगी आंखों से कोई इंसान नहीं देख सकता। नीदरलैंड के ग्रोनिंगजेन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक दल ने इस सूक्ष्म कार को बनाने का दावा किया है। उनका कहना है कि इस कार और सड़कों पर चलने वाली कारों में बहुत सारी समानताएं हैं। इस सूक्ष्म कार में भी चार पहिए और अंदर की बनावट आम कारों जैसी है। इस कार को इलेट्रिक स्पंदन के जरिए ईंधन मिलेगा और यह चल सकेगी। समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के मुताबिक इस सूक्ष्म कार को नंगी आखों से देख पाना संभव नहीं है। सूक्ष्म तकनीक के क्षेत्र में इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि विज्ञान की नयी कृति को लोग भले ही नहीं देख पाएं, लेकिन इस तकनीकी कामयाबी का असर आने वर्षों में अन्य क्षेत्रों पर जरूर पड़ेगा। इस दल में शामिल एक वैज्ञानिक बेन फरिंगा ने कहा, ‘‘किसी भी सूक्ष्म तकनीक के निर्माण में ईंधन की जरूरत होती है। यह सूक्ष्म कार भी अपने आप में अनोखी है। इसे भी ईंधन की जरूरत होगी।’’
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20-11-2011, 09:16 PM | #137 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
रूस में हिम मानव जैसे प्राणी येती का पेड़ पर आवास मिलने का दावा
लंदन। अध्ययनकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्हें इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि हिमालय पर रहने वाले हिम मानव जैसे प्राणी न सिर्फ मौजूद हैं, बल्कि रूस के दूर-दराज के इलाके में पेड़ की शाखाओं और टहनियों को मोड़कर अपना आवास भी बनाते हैं। रूस में हाल ही में सम्पन्न हुए अंतर्राष्ट्रीय येती (हिम मानव) सम्मेलन में विशेषज्ञों ने देश के दूर-दराज के इलाके में अजीबो-गरीब तरीके से मोड़े गए पेड़ों की शाखाओं और टहनियों का पता लगाने का दावा किया है। यह उसी तरीके से बनाया गया है जैसे कि वनमानुष और गोरिल्ला अपना आवास बनाते हैं। केमेरोवो क्षेत्र में पेड़ों की टहनियों को जबरदस्ती मोड़कर उसे रहने लायक बना दिया गया है। इस इलाके में वनमानुष कई बार देखे गए हैं, जिन्हें निएंडरथल और आधुनिक मानव के बीच गुम हो चुकी कड़ी माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय येती विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा है कि इस दावे को प्रमाणित करने में उन्हें महज कुछ महीने और लगेंगे। अंतर्राष्ट्रीय होमीनोलॉजी सेंटर के प्रमुख इगोर बर्तसेव ने कहा कि वह येती को प्रमाणित करने की कगार पर हैं। बर्तसेव ने बताया कि केमेरोवो क्षेत्र में, जहां यह सम्मेलन हो रहा है वहां कम से कम 30 विशालकाय प्राणी घूम रहे हैं। ब्रिटिश टैबलायड द सन ने बर्तसेव के हवाले से बताया कि हमने अपने क्षेत्र में येती के सबूत पाए हैं और अब हम रूस, अमेरिका और कनाडा तथा अन्य स्थानों में विशेषज्ञों से विश्वसनीय ब्यौरा जुटा रहे हैं। ऐसे कई प्राणियों को देखने का दावा करने वाले कनाडाई येती शिकारी जॉन बिंदरनगल ने कहा कि हमें नहीं लगता कि जिस तरह के पेड़ हमने साइबेरिया में देखे, उसे किसी मनुष्य या अन्य जीव ने वह रूप दिया हो।
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20-11-2011, 09:53 PM | #138 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
सचल घर चलाने वाला कुत्ता पकड़ा गया
मेलबर्न ! आस्ट्रेलिया में एक डबल डेकर सचल मकान को चला रहे कुत्ते को पकड़ा गया है। इस वाहन रूपी घर को चलाना कुत्ते ने अपने स्वामी से देख देखकर सीखा था। दो वर्षीय इस कुत्ते का नाम वूडली है और यह आस्ट्रेलियाई श्वान प्रजाति जर्मन कुली से है। इसे उत्तरी क्षेत्र के डार्विन की सड़क पर वाहन चलाते देखा गया। इस वाहन को कुत्ते का मालिक मैकरोमैक चला रहा था। वाहन रोककर वह कुछ समान लेने के लिए दुकान में गया और इसी बीच कुत्ते ने वाहन को चलाना शुरू कर दिया। वाहन के चलने के बाद बगल से गुजर रहे फिल न्यूटन की नजर उस पर पड़ गयी। इसके बाद फिल ने वाहन के भीतर कूदकर किसी तरह उसका हेंडबे्रक लगाकर उसे रोक दिया। मैकरोमैक ने बताया कि जब वह वाहन चला रहा होता था तो उसका कुत्ता उसे गौर से देखता था। कई बार उसने देखा कि जब वह चालक सीट से हट गया तो वुडली वहां जाकर बैठ जाता था।
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21-11-2011, 05:46 PM | #139 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
पुरूषों को तैयार होने में लगता है महिलाओं से ज्यादा समय
लंदन ! तैयार होने में ज्यादा समय लगाने के ताने सुन सुनकर तंग आ चुकीं महिलाओं को यह अध्ययन खुश कर देने वाला है। इसके अनुसार पुरूषों को तैयार होने में महिलाओं से ज्यादा समय लगता है। इस अध्ययन से मालूम हुआ कि तैयार होने में दरअसल पुरूष महिलाओं से कहीं ज्यादा समय लगाते हैं। उन्हें नहाने धोने, शेव करने, बाल बनाने, कपड़े चुनने में औसतन हर रोज 81 मिनट लगते हैं, जबकि महिलाएं अपने इसी तरह के काम सिर्फ 75 मिनट में पूरे कर लेती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरूषों को नहाने में 23 मिनट लगते हैं, जबकि महिलाएं यह काम 21 मिनट में कर लेती हैं। पुरूषों को शेव बनाने में 18 मिनट लगते हैं, जबकि महिलाएं अपने अनचाहे बाल सिर्फ 14 मिनट में हटा लेती हैं। पुरूषों को सौंदर्य प्रसाधन लगाने में महिलाओं से एक मिनट ज्यादा यानी 10 मिनट लगते हैं। खुद को बेहतरीन दिखाने के फिक्रमंद पुरूष अपने कपड़ों के चुनाव में भी 13 मिनट लगाते हैं, जबकि महिलाएं इस काम को 10 ही मिनट में निपटा लेती हैं। ब्रिटेन में इस अध्ययन से एक और रोचक तथ्य प्रकाश में आया। वहां एक औसत वयस्क अपने सौंदर्य प्रसाधन बैग में रखी सामग्री पर किए गए खर्च से नावाकिफ हैं। लोगों से इस बारे में पूछा गया कि उनके सौंदर्य प्रसाधन बैग में क्या सामग्री है और उन्होंने उसपर कितना धन खर्च किया है। जवाब के आधार पर इस खर्च का औसत 52.23 पाउंड आया, जबकि वास्तव में उनके प्रसाधन बैग में इससे तीन गुना अधिक कीमत 156.69 पाउंड का सामान मिला। होटलों में अपने प्रसाधन बैग छोड़ देने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। 487 होटलों में पिछले 12 महीने में होटल कर्मचारियों ने 10 हजार प्रसाधन बैग को उनके मालिकान तक पहुंचाया। एक मामले में तो एक महिला अपना प्रसाधन बैग वापस पाकर इतनी खुश हो गई कि उसने उसे पहुंचाने वाले कूरियर ब्वाय को एक सौ पाउंड ज्यादा दिए। महिला अपना बैग लंदन के एक होटल में भूल गई थी और उसमें एक हजार पाउंड से अधिक के सौंदर्य प्रसाधन थे।
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21-11-2011, 06:00 PM | #140 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
प्रशिक्षण से सुधर सकती है सूंघने की शक्ति : अध्ययन
लंदन ! अगर सूंघने की आपकी शक्ति खत्म हो रही है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रशिक्षण से इसमें सुधार लाया जा सकता है। नेचर न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशिक्षण के जरिए सूंघने की क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। रिपोर्ट में न्यूयार्क विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए एक शोध का हवाला दिया गया है। प्रमुख शोधकर्ता डोनाल्ड विलसन के अनुसार घ्राण संबंधी अंग मस्तिष्क के उस हिस्से से सीधा जुड़ा हुआ होता है जो भावनाओं और अनुभूतियों पर नियंत्रण करता है। विलसन के अनुसार इसमें संदेश जल्दी पहुंचता है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में चूहों को शामिल किया और उन्हें विभिन्न गंधों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण दिया। अध्ययन से पता चलता है कि प्रशिक्षण के जरिए सूंघने की क्षमता में वृद्धि की जा सकती है और खोई हुई क्षमता हासिल की जा सकती है।
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