12-03-2015, 10:12 PM | #131 |
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Re: शायरी में मुहावरे
फैसला होता है नेकी-ओ-बदी का हर दम, दिल को इस सीने में छोटी-सी अदालत समझो। (शाद अज़ीमाबादी) बहुत कुछ पाँव फैलाकर भी देखा 'शाद' दुनिया में, मगर आख़िर जगह हमने न दो गज़ के सिवा पायी (शाद अज़ीमाबादी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-03-2015, 10:16 PM | #132 |
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Re: शायरी में मुहावरे
कैसर उल जाफ़री
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11-07-2015, 08:28 PM | #133 |
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Re: शायरी में मुहावरे
Mera Name Bhi Shayari Hai, Magar Aaj Se Pehle Maine Ye Kabhi Nahi Jana Ke Shayari Mein Muhavare Yaani idioms bhi Hote Hain, Wonderful Post...
Thanks for share. |
11-07-2015, 08:44 PM | #134 |
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Re: शायरी में मुहावरे
शायरी जी ने आते ही फोरम पर काम शुरु कर दिया है जो बहुत खुशी की बात है। धन्यवाद!
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11-07-2015, 11:44 PM | #135 |
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Re: शायरी में मुहावरे
यह सूत्र आपको पसंद आया, यह जान कर अच्छा लगा. आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है फोरम पर आपका सहयोग मिलता रहेगा.
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18-08-2015, 10:08 PM | #136 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मैं शिकार हूँ किसी और का
ऋतेश त्रिपाठी मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है, मुझे जिसने बकरी बना दिया वो भेड़िया कोई और है । कई सर्दियॉ भी ग़ुज़र गईं मैं उसके काम न आ सका, मैं लिहाफ़ हूँ किसी और का मुझे ओढ़ता कोई और है। मुझे चक्करों में फँसा दिया मुझे इश्क ने तो रुला दिया, मैं हूँ माँग तो किसी और की मुझे मांगता कोइ और है। मेरे रोब में तो वो आ गया मेरे सामने तो वो झुक गया, मुझे पिट के ये ख़बर हुई मुझे पीटता कोइ और है। जो गरजते हैं वो बरसते हों कभी हम ने ऐसा सुना नहीं, यहाँ भोंकता कोइ और है और काटता कोइ और है। अज़ब आदमी है ये “राज” भी उसे बेक़सूर ही जानिए, ये डाकिया है जनाबे मन, इसे भेजता कोई और है ।
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18-08-2015, 10:39 PM | #137 |
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Re: शायरी में मुहावरे
सिर (या सर) चढ़ाना छेड़ती हैं कभी लब को कभी रुखसारों को तुमने ज़ुल्फ़ों को बड़ा सर पे चढ़ा रखा है (ख़ामख्वाह हैदराबादी)
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18-08-2015, 10:42 PM | #138 |
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Re: शायरी में मुहावरे
अक्ल ठिकाने आना आज कल फिर दिल-ए-बर्बाद की बातें हैं वही हम तो समझे थे के कुछ अक्ल ठिकाने आई (कैफ़ भोपाली)
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22-08-2015, 11:32 AM | #139 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा युक्त ग़ज़ल
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26-08-2015, 07:58 AM | #140 |
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Re: शायरी में मुहावरे
[indent]एक और मुहावरा युक्त ग़ज़ल
आदिल रशीद तिलहरी जिस किसी दिन तुम उसूलो के कड़े हो जाओगे बस उसी दिन अपने पैरों पर खड़ेहो जाओगे [/font]
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by Deep_; 26-08-2015 at 03:55 PM. |
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