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Old 15-03-2015, 11:47 PM   #131
rajnish manga
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

उक्त विषय पर अच्छा आदान प्रदान हो रहा है और इस चर्चा के कई सकारात्मक पहलू भी पढ़ने में आये हैं. देखने में आ रहा है कि कुछ सम्मानित सदस्य जान बूझ कर एक गंभीर चर्चा को सस्ती लतीफेबाजी में ले जाने की कोशिश कर रहे है. यह बात केवल यहाँ ही नहीं बल्कि कई अन्य सूत्रों पर भी महसूस की जा रही है. लेकिन यह सोच कर कि शायद सम्मानित सदस्य अपनी एप्रोच में बदलाव लायेंगे, इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया. लेकिन अब विषय पर बोलना आवश्यक हो गया है. नीचे दो सदस्यों के डायलॉग दिए जा रहे हैं, जिससे स्थिति साफ़ हो जायेगी.
>>>>
पवित्रा जी:

....... जब तक हमारी आत्मा सुकून में नहीं होगी तब तक हमें सुख मिल ही नहीं सकता। मैं नहीं कहती कि आप अपने शरीर के लिये कार्य करना बन्द कर दें , जरूर करें पर अपनी आत्मा की अनदेखी ना करें । क्योंकि आपकी आत्मा आपके व्यक्तित्व का सबसे मूल्यवान हिस्सा है , और इसलिये इसका सुकून में रहना बहुत जरूरी है।

हर रोज कुछ समय जरूर निकालें ऐसे कार्यों के लिये जिन्हें करने में आपकी आत्मा को खुशी और सन्तुष्टि मिलती हो। हो सकता है आपका पेशा कुछ और हो और आप खुद को किसी और काम को करते वक्त खुश पाते हों । तो तलाश करें कि ऐसे कौन से कार्य हैं जो आपको खुशी देते हैं और उन कार्यों के लिये वक्त जरूर निकालें ।

रजत जी:

मेरी दिव्यदृष्टि में तो "soul" की जगह कुत्ता दिखाई दे रहा है! कहीं आप एक कुत्ता पालने की बात तो नहीं कर रहीं?

पवित्रा जी:

"जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि".....अब समझदार को इशारा काफी ....आशा है आप समझदार होंगे......


>>>>
रजत जी को मैं परामर्श देना चाहता हूँ की यदि उनके पास चर्चित विषय पर कोई स्तरीय सामग्री उपलब्ध नहीं है तो चर्चा को चुटकुलों में या लतीफेबाजी में भटकाने का प्रयास न करें. बेहतर होगा की वे इनसे परहेज़ रखें. लतीफ़ों को वह हास्य की किसी अन्य रचना में प्रयोग करें.

दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात की ओर आप सब लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ, वह यह कि सम्मानित महिला सदस्यों के साथ चर्चा करते समय शालीनता बनाये रखी जाये. उनके प्रति किसी प्रकार की अभद्रता को स्वीकार नहीं किया जाएगा. यह सभी सदस्यों का कर्तव्य है कि वे अन्य सदस्यों और विशेष रूप से महिला सदस्यों से मर्यादित व्यवहार करें. धन्यवाद.
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Old 15-03-2015, 11:53 PM   #132
Pavitra
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by rajnish manga View Post
उक्त विषय पर अच्छा आदान प्रदान हो रहा है और इस चर्चा के कई सकारात्मक पहलू भी पढ़ने में आये हैं. देखने में आ रहा है कि कुछ सम्मानित सदस्य जान बूझ कर एक गंभीर चर्चा को सस्ती लतीफेबाजी में ले जाने की कोशिश कर रहे है. यह बात केवल यहाँ ही नहीं बल्कि कई अन्य सूत्रों पर भी महसूस की जा रही है. लेकिन यह सोच कर कि शायद सम्मानित सदस्य अपनी एप्रोच में बदलाव लायेंगे, इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया. लेकिन अब विषय पर बोलना आवश्यक हो गया है. नीचे दो सदस्यों के डायलॉग दिए जा रहे हैं, जिससे स्थिति साफ़ हो जायेगी.
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पवित्रा जी:

....... जब तक हमारी आत्मा सुकून में नहीं होगी तब तक हमें सुख मिल ही नहीं सकता। मैं नहीं कहती कि आप अपने शरीर के लिये कार्य करना बन्द कर दें , जरूर करें पर अपनी आत्मा की अनदेखी ना करें । क्योंकि आपकी आत्मा आपके व्यक्तित्व का सबसे मूल्यवान हिस्सा है , और इसलिये इसका सुकून में रहना बहुत जरूरी है।

हर रोज कुछ समय जरूर निकालें ऐसे कार्यों के लिये जिन्हें करने में आपकी आत्मा को खुशी और सन्तुष्टि मिलती हो। हो सकता है आपका पेशा कुछ और हो और आप खुद को किसी और काम को करते वक्त खुश पाते हों । तो तलाश करें कि ऐसे कौन से कार्य हैं जो आपको खुशी देते हैं और उन कार्यों के लिये वक्त जरूर निकालें ।

रजत जी:

मेरी दिव्यदृष्टि में तो "soul" की जगह कुत्ता दिखाई दे रहा है! कहीं आप एक कुत्ता पालने की बात तो नहीं कर रहीं?

पवित्रा जी:

"जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि".....अब समझदार को इशारा काफी ....आशा है आप समझदार होंगे......


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रजत जी को मैं परामर्श देना चाहता हूँ की यदि उनके पास चर्चित विषय पर कोई स्तरीय सामग्री उपलब्ध नहीं है तो चर्चा को चुटकुलों में या लतीफेबाजी में भटकाने का प्रयास न करें. बेहतर होगा की वे इनसे परहेज़ रखें. लतीफ़ों को वह हास्य की किसी अन्य रचना में प्रयोग करें.

दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात की ओर आप सब लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ, वह यह कि सम्मानित महिला सदस्यों के साथ चर्चा करते समय शालीनता बनाये रखी जाये. उनके प्रति किसी प्रकार की अभद्रता को स्वीकार नहीं किया जाएगा. यह सभी सदस्यों का कर्तव्य है कि वे अन्य सदस्यों और विशेष रूप से महिला सदस्यों से मर्यादित व्यवहार करें. धन्यवाद.

आपका बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी .....मैं भी इन्तजार में ही थी कि किसी और की तरफ से भी कुछ पहल हो , अन्यथा मुझे भी फिर समान स्तर पर उतर कर जवाब देना होता ..... मेरी कही बात के लिये मैं भी क्षमा प्रार्थी हूँ पर आशा है मुझे मेरी गलती पर माफ किया जायेगा....... और रजत जी भी कुछ सुधार करेंगे अपने व्यवहार में......
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Last edited by Pavitra; 16-03-2015 at 03:35 PM.
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Old 16-03-2015, 01:20 AM   #133
soni pushpa
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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आपका बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी .....मैं भी इन्तेजार में ही थी कि किसी और की तरफ से भी कुछ पहल हो , अन्यथा मुझे भी फिर समान स्तर पर उतर कर जवाब देना होता ..... मेरी कही बात के लिये मैं भी क्षमा प्रार्थी हूँ पर आशा है मुझे मेरी गलती पर माफ किया जायेगा....... और रजत जी भी कुछ सुधार करेंगे अपने व्यवहार में......






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आपका बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी .....मैं भी इन्तेजार में ही थी कि किसी और की तरफ से भी कुछ पहल हो , अन्यथा मुझे भी फिर समान स्तर पर उतर कर जवाब देना होता ..... मेरी कही बात के लिये मैं भी क्षमा प्रार्थी हूँ पर आशा है मुझे मेरी गलती पर माफ किया जायेगा....... और रजत जी भी कुछ सुधार करेंगे अपने व्यवहार में......
आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद की आज आपने ये बातें यहाँ कहीं हैं किसी भी साईट की गरिमा, साहित्य की गरिमा, और लेखन कला की गरिमा तब ही बढती है जब हम यहाँ आने वाले खुद इसका सम्मान करें . इस फोरम के कुछ माननीय लेखक गन से कहना चाहूंगी की , की अगर आप कुछ भी लिखते हो तो वो एइसा हो की लोग पढ़ें तो उससे उनका ज्ञान बढे , आपके लिखने का कोई अर्थ हो . और पाठक गन उसे ध्यान से पढ़ें, न की आपके लिखे ब्लॉग तो हो ५ पेज के पर उसमे से 5 अक्षर भी लोग न पढ़े तो व्यर्थ में लिखने का क्या अर्थ ???आप मेहनत करते हो जबकि कोई उस और देखना भी पसंद नहीं करता की आपने क्या लिखा है .
मेरा कहना है की आप आपने दिमाग को बेकार की बातें लिखने के लिए जितना दौड़iते हो उतना यदि अच्छी अच्छी बातों के लिए दौड़ोगे तो आपकी मेहनत व्यर्थ न जाएगी हमारे पाठकों को उनके अमूल्य समय की कीमत मिलेगी .

रजनीश जी को धन्यवाद देना चाहूंगी की महिला सम्मान का उन्होंने इतना ख्याल रखा है और अपने इस हिंदी फोरम की और महिला लेखकों की गरिमा को बनाएं रखने की,gujarish की है लेखकों से .
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Old 17-03-2015, 02:29 PM   #134
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

Everybody is gifted but some people never open their packages

भगवान ने हम सभी को बहुत सी खूबियों से नवाजा है, हम सभी के पास कुछ ना कुछ विशेष गुण होता है । कुछ लोग अपने उस गुण को पहचान लेते हैं और उसे तराश लेते हैं और कुछ लोग ताउम्र अज्ञान रहते हैं अपनी खूबियों से। ये जीवन हमें इसलिये ही मिला है कि हम इसे समझें , खुद को जानें और एक बेहतर व्यक्तित्व की तलाश कर उसे तराशें ।
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Old 19-04-2015, 12:02 AM   #135
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

अच्छाई की महक


हम अक्सर ऐसे लोगों से मिलते हैं जो अपनी तारीफ करते हुए थकते नहीं हैं । वो कितने अच्छे हैं या कितने गुणी हैं ये वे लोग खुद ही बखानते रहते हैं । शायद वे लोग हमें नहीं ,खुद को ही ये विश्वास दिला रहे होते हैं कि वे अच्छे हैं ।

अच्छाई इत्र की तरह होती है । अच्छाई की अपनी ही महक है जो आप चाहें या ना चाहें आप से दूसरों तक और दूसरों से आप तक पहुँच ही जाती है। इसलिये यदि आप अच्छे हैं तो ये आपको बताने की जरूरत नहीं है , आपकी अच्छाई लोगों तक अपने आप ही पहुँचेगी , और अगर आप बार बार अपनी अच्छाई बता कर खुद को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आप अच्छे हैं तो ये हमेशा ध्यान रखें कि वास्तविकता ज्यादा दिन तक छुपी नहीं रह सकती । आप कुछ समय तक वो होने का नाटक कर सकते हैं जो आप नहींं हैं लेकिन अपनी असलियत हम ज्यादा दिन तक नहीं छुपा सकते ।
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Old 19-04-2015, 07:11 PM   #136
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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अच्छाई की महक

हम अक्सर ऐसे लोगों से मिलते हैं जो अपनी तारीफ करते हुए थकते नहीं हैं ....आप कुछ समय तक वो होने का नाटक कर सकते हैं जो आप नहींं हैं लेकिन अपनी असलियत हम ज्यादा दिन तक नहीं छुपा सकते ।
पवित्रा जी बहुत दिनों बाद आपकी यह पोस्ट पढने में अच्छा लगा।

वैसे आज-कल सेल्फ मार्केटींग का ज़माना है। लोग अपने गुण खुद ही गाते फिरते है...चाहे वह ओफिस हो, चौपाल हो या फेसबुक हो। मज़े की बात तो यह है की ओर (दुसरे) लोगों को भी यह पता होता है की वास्तविकता क्या है...लेकिन गुणगान करनेवाले बेशर्मी पर उतर आए है।
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Old 20-04-2015, 11:12 PM   #137
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by Deep_ View Post
पवित्रा जी बहुत दिनों बाद आपकी यह पोस्ट पढने में अच्छा लगा।

वैसे आज-कल सेल्फ मार्केटींग का ज़माना है। लोग अपने गुण खुद ही गाते फिरते है...चाहे वह ओफिस हो, चौपाल हो या फेसबुक हो। मज़े की बात तो यह है की ओर (दुसरे) लोगों को भी यह पता होता है की वास्तविकता क्या है...लेकिन गुणगान करनेवाले बेशर्मी पर उतर आए है।

आपका बहुत बहुत शुक्रिया ......

यही तो खास बात है कि सामने वाले को भी असलियत पता होती है पर फिर भी आत्ममुग्ध लोग अपनी तारीफ करते नहीं थकते .....
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Old 23-04-2015, 02:35 PM   #138
soni pushpa
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Originally Posted by pavitra View Post
आपका बहुत बहुत शुक्रिया ......

यही तो खास बात है कि सामने वाले को भी असलियत पता होती है पर फिर भी आत्ममुग्ध लोग अपनी तारीफ करते नहीं थकते .....

सबसे पहले आपको बहुत बहुत धन्यवाद पवित्रा जी की आपने इतना सही विषय यहाँ रखा है और इसपर हम सब अपने अपने विचार प्रकट कर सकेंगे ...

कई लोग स्वाभाव की वजह से खुद की तारीफों के पुल बांधते हैं तो कई लोग खुद को सबके बिच में अपना स्थान बनाने के लिए एइसा करते हैं और कई लोग सिर्फ और सिर्फ किसी को निचा दिखाने के लिए खुद को महान जताते हैं .... और.. कुछ समय के लिए सच में लोगो के लिए वो महान बन भी जाते है तारीफ भी मिलती है उन्हें समाज से . और कई बार बिना वजह किसी को निचा भी दिखा देते हैं एइसे लोग किन्तु जैसे की हमेशा से कहा गया है अंत में जीत सत्य की ही होती है, और अछे की ही जीत होती है और एइसे समय में झूटे दिखावेदार लोगो की पोल खुल ही जाती है और वो और ज्यदा लोगो की नजरो से गिर जाते हैं .इससे तो अच्छा ये होता है की आप जो हो वो ही रहो झूठ का सहारा लेकर खुद की तारीफ और महानता बताने का कोई अर्थ नहीं क्यूंकि एक न एक दिन सच तो सामने आना ही है

दीप जी ने कहा आजकल खुद की तारीफ करके लोग सेल्फ मार्केटिंग करते हैं किन्तु ज्यदातर देखा गया है एइसे लोग हमेशा मजाक के पात्र बन जाते हैं लोग भले सामने कुछ न कहे पीछे से उनका मजाक ही बनता है .
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Old 23-04-2015, 09:29 PM   #139
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by soni pushpa View Post
दीप जी ने कहा आजकल खुद की तारीफ करके लोग सेल्फ मार्केटिंग करते हैं किन्तु ज्यदातर देखा गया है एइसे लोग हमेशा मजाक के पात्र बन जाते हैं लोग भले सामने कुछ न कहे पीछे से उनका मजाक ही बनता है .
आपकी बात सही है पुष्पा जी। पर मज़ाक भी कितनी बार उडाया जा सकता है? उनको भी पता ही है कि मेरा मज़ाक उडाया जाएगा। लेकिन उनकी प्रायोरिटी सेल्फ मार्केटींग होती है...ना की उनका स्वाभिमान।
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Old 23-04-2015, 09:43 PM   #140
soni pushpa
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Default Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है

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Originally Posted by deep_ View Post
आपकी बात सही है पुष्पा जी। पर मज़ाक भी कितनी बार उडाया जा सकता है? उनको भी पता ही है कि मेरा मज़ाक उडाया जाएगा। लेकिन उनकी प्रायोरिटी सेल्फ मार्केटींग होती है...ना की उनका स्वाभिमान।

जब स्वाभिमान ही खो दिया तो बाकि क्या रह गया ? दीप जी,.. इन्सान की प्रायोरिटी उसका स्वाभिमान है न,.. ना की सेल्फ मार्केटिंग ..और यदि आपमें गुण हैं तो वो छुपे तो रहेंगे ही नहीं सब को पता चल ही जाता है की कौन कैसा इंसान है फिर एईसी सेल्फ मार्केटिंग कौन से काम की ?

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