16-04-2012, 01:37 PM | #132 |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
arvind ji.. kuch aage to post kariye..
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16-04-2012, 05:14 PM | #133 | ||
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
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आजकल दूनहूँ अलग अलग व्यस्त है
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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19-04-2012, 06:38 PM | #134 |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
अब हमारे बंदर जी काफी तरक्की कर चुके है। आपलोगो की जानकार आश्चर्य होगा की अब वो श्री बंदर से डॉ बंदर हो गए है। जी हां, अब वो पीएचडी कर चुके है। पीएचडी मे शोध का विषय था "फोरम को वाट कैसे लगाए - एक तुलनात्मक अध्ययन"। अब वो सारे फोरमो की वाट लगा रहा है..... सॉरी, लगा रहे है। अब तो अकेले ही काफी है किसी भी फोरम की वाट लगाने के लिए। अब उनकी बंदरिया भी किसी और के बंदर के साथ "फरार" हो चुकी है, लेकिन इसकी उनको कौनों चिंता नहीं है। बस फोरम की वाट लगाने मे मशगूल है।
इसके लिए सबसे पहले उन्होने अपनी ही एक फोरम खोली है। फोरम का नाम है - uchhalkud.com। बहुत सारे सदस्य भी बन गए है उनके फोरम पर। पोस्ट भी 50,000 से ज्यादा हो चुका है। इसके पीछे का सच एक दिन डॉ बंदर जी ने मुझे बताया। सच जानकार मै ताज्जुब मे पड़ गया। फोरम के सारे सदस्य, वो खुद ही थे और सारे पोस्ट उन्होने अकेले के बूते किए थे। डॉ बंदर जी ने मुझे ये भी बताया कि अभी वो 4-5 फोरमो के admin भी है और इसके लिए उन्हे सैलरी भी मिलता है। मगर सच किसी और सूत्र से पता चला कि सैलरी देने वाले और कोई नहीं, बल्कि डॉ बंदर ही है। बड़े दमखम वाले है डॉ बंदर जी, सोचता हूँ कि उनके शागिर्द बन जाये, मगर हाय रे मेरी घटिया सोच - भला अपने शागिर्द का शागिर्द कैसे बन सकता हूँ? आप लोग ही कोई उपाय बताये। वैसे अभिषेक जी का परेशानी भी इलाज़ भी हमारे डॉ बंदर जी के पास है। |
19-04-2012, 07:52 PM | #135 |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
मेरी परेशानी का इलाज़ बन्दर के पास कैसे है.
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20-04-2012, 04:06 PM | #137 | |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
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24-04-2012, 03:52 PM | #138 | |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
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11-11-2012, 11:05 AM | #139 |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
तो फोरम पर लटके हुये सभी जलचरो से निवेदन है है कि अपने-अपने वालेट चेक कर ले, कही आप मे से किसी का कोई लोमड़ी मिसिंग तो नहीं है। क्योंकि थोड़ी ही देर मे डॉ॰ बंदर पुनर्विवाह करके फोरम पर वापसी करने वाले है।
तो इसी बात पर बोलो....... बजरंग बली कि...... जय। । । |
20-11-2012, 09:20 PM | #140 |
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Re: फोरम की चटनी, प्रविष्टि का मुरब्बा
[QUOTE=jai_bhardwaj;12547]वो माल इधर है निशांत भाई ..............
देखो............. फोरम है एक सभा निराली घूघट पगड़ी गोरी काली नीली पीली लाल सुनहरी श्वेत गुलाबी औ हरियाली अरविन्द जी तो छुपे रुस्तम निकले जिन्होंने ‘पीठ दर पीठ थपथपाते चलो’ लिख कर फोरम के लेखकों पाठकों हास्य रस की रेवडियाँ बांटने का काम हाथ में लिया है. किन्तु आप की भी दाद देनी पड़ेगी कि इसी सूत्र में आपने अपनी दो सुन्दर रचनाओं से रू-ब-रू करवाया. बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई. |
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