20-11-2010, 06:38 PM | #131 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
मजबूत पक्ष १. मिजाज बदलने में एक दम निपुण हैं. २. बिना गेअर बदले ही गाडी चलने में निपुण. ३. प्रविष्टि करे बिना इनको चैन नहीं पड़ता है इसलिए फोरम पर हर समय ही उपलब्ध होंते हैं. ४. हर विभाग के बारे में जानकारी रखने की पूरी पूरी कोशिस करते हैं. ५. काफी लोकप्रिय प्रविष्टिकर्ता. कमजोर पक्ष १. अपने बारे में कुछ भी आलोचनात्मक बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. २. स्पीड को ही सब कुछ समझ कर कभी कभी जल्दबाजी में कुछ कह जाते हैं जो बाद में ...... ३. अपनी प्रतिभा के साथ अन्याय करते नजर आते हैं
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20-11-2010, 09:04 PM | #132 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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रही बात हठ की तो मै जरुर हठी हूँ लेकिन मेरी हठ....जिसका सन्दर्भ सिर्फ और सिर्फ ठान लेने से है....एक बार मै कोई कार्य करने की ठान लेता हूँ तो करके ही छोड़ता हूँ... आपकी इस बात पर मै कतई संमत नहीं हूँ की मै अपनी गलतियों को सही साबित करने की कोशिश करता हूँ....या वो मेरी कमजोरी है....क्युंकी मैंने कभी किसी गलत बात का साथ दिया है और नाही कभी आपने किसी भी तरह के फायदे के लिये गलत या झूठ का सहारा लिया है......मैंने इसका मौजूदा उदहार आपको देता हूँ.....avf पर मै नियामक था और खास तौर पर मुझे कार्टून विभाग की जिम्मेदारी दी गयी थी....वहाँ जाने अनजाने मे मुझसे या मेरे साथी नियामक से एक मामूली सी गलती हुयी थी ...जिसका किसी को भी पता नहीं था....लेकिन जब मुझे उस गलती का अहेसास हुआ तब मैंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये इस्तीफा दे दिया था. फिर भी मै जानना जरुर चाहूँगा की मैंने कब और कैसे किसी गलत बात को सही सिद्ध करने की कोशिश की थी...अगर मैंने गलती की है तो उसको सुधारने की कोशिश तो कर ही सकता हूँ.... |
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20-11-2010, 09:09 PM | #133 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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20-11-2010, 09:21 PM | #134 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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मित्र मै समजता हूँ की यह आपका हमारे लिये प्यार है.....इस लिये आप हमें यह सन्मान दे रहे हो ....लेकिन मित्र एक इंसान या बुजुर्ग का सन्मान करना एक अलग बात है और इस तरह का सन्मान एक अलग बात है....इस तरह का सन्मान व्यक्ति की उपलब्धिया या लायकात के हिसाब से दीया जाता है....जो मेरे पास नहीं है. |
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21-11-2010, 12:46 AM | #135 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
कहानीकार ..
अतिउत्साही एवं अतिमहत्वाकांक्षी चरित्र / अतिशीघ्र मित्रता करने वाले / अतिचंचल एवं अतिगतिशील स्वभाव / अपने मित्रों को अपने अनुसार आचरण करने के लिए विवश करने वाला व्यक्तित्व / अपने नाम के अनुरूप यदि इनके स्वभाव में 'संतुष्टि' आ जाए तो अतिशीघ्र बनाए गए अपने मित्रों के अति अति अति शीघ्र शत्रु ना बने /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
21-11-2010, 03:43 AM | #136 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
कहानीकार !!!!! ........
अति उत्साही,महेनतू लेकिन दिशाहीन महत्वकांक्षी है ......... रिश्ते तो झटसे बना लेते है लेकिन अपनी महत्वकांक्षा की वजह से रिश्तों को कमजोर कर देते है.... अपने अंदर छुपे हुये अच्छे इंसान को अपने ही कर्मो के बोज तले दबा देते है.... अपने गुस्से और अपनी महत्वकांक्षा को सही दिशा देते है तो कीर्ति और सफलता उनके कदमो मे होगी. |
21-11-2010, 06:39 AM | #137 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के हिन्दी शब्दकोष के अनुसार विभूति , सँस्कृत स्त्रीलिँग शब्द है जिसका अर्थ ऐश्वर्य धनवान होता है और वो आप हैँ ही । मैँने आपके लिए विभूति , जो राष्ट्र के लिए कटिबद्ध और समर्पित है , प्रयुक्त किया था जबकि आपने राष्ट्र की विभूतियाँ उद्धृत किया जो प्रायः देश के महान लोगोँ के विशेषणार्थ अलँकृत किया जाता है । मैँ अब भी यही कँहूगा कि आप ऐसी अजीम शख्शियत हैँ जो अपनी माटी नहीँ भूले और अपने मुल्क के लिए अच्छी व सच्ची भावनाओँ के साथ समर्पित हैँ । |
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21-11-2010, 08:49 PM | #138 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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22-11-2010, 07:53 PM | #139 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
मित्रो कहानी कार जी ने अपने बारे में दोस्तों द्वारा रखी गयी कोई प्रतिक्रिया या तो देखि नहीं है या फिर उनको कोई प्रतिक्रिया देनी ही नहीं है. अब हम सभी को उनके इस निर्णय का सम्मान करते हुए आगे तो बढ़ना ही होगा. तो में आप सभी को आमंत्रित करता हूँ अपने विचार रखने के लिए मित्र मलेठिया जी के बारे में. ( मलेठिया जी कल शाम तक इस सूत्र पर प्रस्तुत विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दे देंगे ). धन्यवाद.
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23-11-2010, 11:29 AM | #140 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
तारा बाबु
जितना मैँ अभीतक जान पाया थोडे रिजर्व किस्म के बंदे हैँ उतने ज्यादा खुलकर किसी को लिफ्ट नहीँ देते हैँ लघु कथाऐँ के बहुत शौकिन हैँ सभी को साथ लेकर चलने वाले इंसान हैँ फिल्मोँ के शौकिन हैँ अपने जिम्मेदारी को बखुबी निभातेँ हैँ मोबाईल के बहुत अच्छे जानकार हैँ कमी तो कोई मुझे नहीँ दिखाई देता हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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