27-08-2012, 04:48 PM | #14171 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
भाजपा को निशाना बनाने का विरोध नई दिल्ली। पूर्व टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी अपने पूर्व सहयोगियों से उस समय दूर होती दिखायी दीं, जब इंडिया अगेन्स्ट करप्शन (आईएसी) के भ्रष्टाचार के खिलाफ आज के आंदोलन में उन्होंने भाग नहीं लिया, क्योंकि वह इसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को निशाना बनाने जाने के पक्ष में नहीं थीं। उन्होंने यह कहते हुए आज के आंदोलन से अपने को अलग रखा कि टीम अन्ना लोकपाल विधयेक पर भाजपा के समर्थन को नहीं भूल सकती। बेदी ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाला संगठन इंडिया अगेन्स्ट करप्शन (आईएसी) रातोरात वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था का विकल्प नहीं बन सकता। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने कल दिन में कहा था कि किरण बेदी भी जंतर मंतर पर पहुंचेंगी और प्रदर्शन में शामिल होंगी, लेकिन वे नहीं पहुंची। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण से उन लोगों को अवगत करा दिया था। बेदी कोयला आवंटन के मुद्दे पर भाजपा पर निशाना साधने तथा भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के निवास के घेराव के विरूद्ध हैं और वह फिलहाल कांग्रेस को ही निशाना बनाने के पक्ष में हैं, क्योंकि वह सत्तारूढ़ दल है। केजरीवाल ने कल कहा था कि ‘किसी मुद्दे पर दो राय हो सकती है’, लेकिन किरण बेदी पूरी तरह उनके साथ हैं। उन्होंने माना था कि इस मुद्दे पर उनकी राय थोड़ी अलग है। प्रदर्शन से दूर रहने के विषय पर किरण बेदी ने कहा, ‘मैंने टीम को अपने निजी दृष्टिकोण से अवगत करा दिया था कि हमें फिलहाल सत्तारूढ़ दल पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि विपक्ष जब पहले से ही सत्तारूढ़ दल पर हमला कर रहा है, तब उसे भी इसमें लपेटने से सत्तारूढ़ दल को ही फायदा होगा, क्योंकि उन्होंने इस संबंध में अपना मन बना लिया है। उन्होंने कहा, ‘मेरा किसी भी राजनीतिक संगठन से कोई लेना देना नहीं है। न ही मैं किसी के प्रति नरम हूं। मैं तो बस यथार्थवादी हूं।’ बेदी ने कहा कि उन्हें यह भी मालूम है कि आरोप विपक्षी दलों के कई व्यक्तियों के खिलाफ भी हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस पर ध्यान केंद्रित किया जाए और फिलहाल मुख्य दोषी, सत्तारूढ़ दल पर ध्यान केंद्रित किया जाए। किरण बेदी ने कहा, ‘भारत को ईमानदार राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता है और मैं व्यापक बदलाव के प्रति आशान्वित हूं। लेकिन हमें धैर्यवान एवं विस्तृत दृष्टिकोण रखने की जरूरत है। यदि हमारा विचारधारा की दृष्टि से कोई मतभेद है, तो भी हमें इस पक्ष के संभावित समर्थन को नहीं खोना है।’ सभी को भ्रष्ट घोषित करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए बेदी ने कहा, ‘अंतत: यदि हमने सभी पर कालिख पोत दिया, तो देश को अभी और भविष्य में जिसकी जरूरत है, वह हमको कौन लाकर देगा। आईएसी रातोरात विकल्प नहीं बन सकता।’ अपने रूख का बचाव करते हुए किरण बेदी ने कहा कि उन्हें व्यवस्था को सही दशा में लाना है और इसके लिए मुख्य विपक्षी दल की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि जन लोकपाल विधेयक के सिलसिले में उस रात यदि संबंधित विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता, तो कम से कम भाजपा स्वतंत्र सीबीआई के लिए संशोधन लाने वाली थी। उन्होंने कहा, ‘अरूण जेटली, सुषमा स्वराज, लालकृष्ण आडवाणी और नितिन गडकरी हमारे सुझावों पर सकारात्मक थे। अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण एवं प्रशांत भूषण ने उनसे कई बैठकें की। वे पूरी तरह नहीं तो कुछ बातों पर सहमत हो गए थे। कम से कम वे सत्तारूढ़ दल की तरह नकारात्मक तो नहीं थे। हमें क्यों यह बात भूल जानी चाहिए।’ उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल की तरह कम से कम भाजपा तो नकारात्मक नहीं थी, क्योंकि ‘वे पूरी तरह नहीं तो कुछ बातों पर समर्थन करने को सहमत हो गए थे। हमें यह बात क्यों भूल जानी चाहिए। मैं इस मामले में वस्तुनिष्ठ हूं। मेरी कोई राजनीतिक संबद्धता, झुकाव या आकांक्षा नहीं है।’ उन्होंने आंदोलन में विश्वास बनाए रखने के लिए स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया।
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27-08-2012, 04:51 PM | #14172 |
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विपक्षी दलों को निशाने पर लेने से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी : भाजपा
नई दिल्ली। पूर्व टीम अन्ना द्वारा कोयला खंड आवंटन में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को दोषी ठहराए जाने के बाद आज पार्टी ने कहा कि विपक्षी दलों को निशाने पर लेने से भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर होगी। बहरहाल, पार्टी ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राजनीतिक प्रदर्शन का स्वागत किया। पार्टी ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा, ‘हम राजनीतिक आंदोलन का स्वागत करते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन वास्तविकता यह है कि विपक्षी दलों को निशाने पर लेने से भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर होगी।’ उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिये प्रतिबद्ध है। रूड़ी ने कहा, ‘हम भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं। भाजपा इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि देश में मजबूत लोकपाल हो ... वास्तविकता यह है कि संसद में, प्रवर समिति में लोकपाल को लेकर जो भी गतिविधि हो रही है, वह भाजपा के दबाव के कारण ही हो रही है। जहां तक भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कानून की बात है, तो कोई भी भाजपा के इरादों पर शक नहीं कर सकता।’
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27-08-2012, 04:52 PM | #14173 |
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मैच हारने का गुस्सा भी हिंदुओं पर निकलता है पाकिस्तान में
जालंधर। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में ‘जिल्लत और जबर्दस्ती’ की जिंदगी झेलने को मजबूर हिंदुओं ने खिलाड़ियों से ‘पकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलने’ की अपील करते हुए कहा है कि भारत के साथ किसी भी मैच में पाक की हार का खामियाजा वहां रहने वाले हिंदू परिवारों को भुगतना पड़ता है। पाकिस्तान से हाल ही में अमृतसर के रास्ते भारत आए पाकिस्तानी हिंदुओं ने अपनी पीड़ा को बयां किया। उन्होंने कहा कि उनके मुल्क में सामाजिक भेदभाव, जबरन धर्मांतरण, हिंदू लड़कियों से जबरन निकाह, स्कूलों में भेदभाव और खेल में पाक की हर हार पर हमारी दुर्दशा अब आम हो गई है और न तो सरकार और न ही पुलिस कुछ कर पाती है। मध्यप्रदेश जाने वाले कुछ परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमारा दुर्भाग्य है कि हम पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू परिवार हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले क्रिकेट या हॉकी मैच में अगर पाक की हार होती है तो उसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इन मैचों में हार-जीत से हमारा कोई वास्ता नहीं है। हां, पाक की हार का असर हम पर होता है और हमें जुनूनी लोगों की मार सहनी पड़ती है। सुनने में आया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच फिर क्रिकेट मैच होने वाला है। इससे हम अभी से दहशत में हैं। हम नहीं चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच मैच हों क्योंकि मैच में अगर पाक हार गया तो हमारी जिंदगी नरक बन जाती है। यहां के खिलाड़ियों से हमारी अपील है वह मैच नहींं खेले या फिर हार जाएं। यहां आने वाले अधिकतर पाकिस्तानी हिंदू सिंध प्रांत से आए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वह वापस जाएंगे, इसलिए उनका नाम उजागर नहीं होना चाहिए। हालांकि कुछ का कहना है कि ‘चाहे मर जाएं, लेकिन पाकिस्तान वापस नहीं जाएंगे।’ हरिद्वार रवाना होने से पहले सिंध प्रांत के गोटकी जिले से आए एक परिवार ने कहा कि सबसे अधिक समस्या सिंध में है। दिन दहाड़े हिंदू लड़कियों को उठा लेना और उसके साथ निकाह कर लेना आम है। पुलिस हमारी मदद नहीं करती है। रिपोर्ट करने पर ‘ईश निंदा कानून’ लगा कर ‘बंद’ करने की धमकी देते हैं। पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए काम करने वाले अमृतसर के एक धार्मिक नेता सुरिंदर कुमार बिल्ला ने बताया कि पाकिस्तान में हिंदू खौफ के साए में जी रहे हैं। पहले पेशावर में अधिक समस्या थी, लेकिन अब सिंध में दिक्कत होने लगी है। पाक में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है वह जगजाहिर है फिर भी कोई कुछ नहीं बोल रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पाक से आए हिंदू परिवारों के 500 लोगों से मेरी मुलाकात हरिद्वार में हुई है। उनका कहना है कि श्मशानघाट की जमीन पर कब्जा हो चुका है। शव जलाने नहीं दिया जाता है। खौफ ऐसा है कि शाम होते ही हिंदू अपने घरों में चले जाते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत है कि यह सब सत्तारूढ़ दल के एक सांसद के इशारे पर हो रहा है। दूसरी ओर पाक हिंदुओं के लिए काम करने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद अविनाश राय खन्ना ने कहा कि मैंने संसद के मौजूदा सत्र में यह मुद्दा उठाया है, लेकिन इसका कोई उचित जवाब सरकार की ओर से नहीं आया। सरकार इस बारे में कुछ करने को तैयार नहीं है। खन्ना ने कहा कि सरकार की ओर से हमेशा एक ही घिसा-पिटा जवाब आता है। यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है। हम इसमें दखल नहीं दे सकते हैं, लेकिन सरकार वहां हो रही गतिविधियों पर निगाह रखे हुए है। उन्होंने कहा कि इसका एक ही हल है कि हमारी सरकार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाकर पाकिस्तान पर दबाब बनाना होगा। इसके अलावा कोई हल नहीं है। सरकार ने ऐसा नहीं किया तो पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा और पलायन जारी रहेगा। यह समस्या केवल हिंदुओं के साथ ही नहीं है, ऐसा वहां सिखों के साथ भी हो रहा है। भाजपा सांसद ने कहा कि जब तक अंतर्राष्ट्रीय दबाब नहीं होगा तब तक पाकिस्तान ऐसा करता रहेगा। न तो वहां की पुलिस का और न ही वहां की प्रांतीय अथवा संघीय सरकार का इस ओर ध्यान है। हालांकि, हालिया घटनाक्रम और हमारे विरोध के बाद पाक राष्ट्रपति का इस बारे में बयान आया है लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। हालिया प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो साल में लगभग 1600 परिवार पाकिस्तान छोड़कर जा चुके हैं। सिंध प्रांत में एक के बाद एक जबरन धर्मांतरण की घटना के बाद पिछले चार महीने में लगभग 500 परिवार भारत चले गए हैं। इसमें बताया गया है कि बंटवारे के बाद ‘देशभक्त’ हिंदुओं ने भारत जाने से इंकार कर दिया था और अब सामंतवाद, धार्मिक भेदभाव, जबरन धर्मांतरण और जबरन निकाह कर उन्हें देश छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है।
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27-08-2012, 10:00 PM | #14174 |
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कोयले में कांग्रेस को मिला मोटा माल : भाजपा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़ी भाजपा ने कल अपना रूख और कड़ा करते हुए आरोप लगाया कि कोयला ब्लाक आवंटन मामले में कांग्रेस पार्टी को ‘मोटा माल’ मिला है और इन सभी 142 कोयला ब्लाकों का आवंटन रद्द होना चाहिए। कोयला ब्लाक आवंटन मामले पर लगातार पिछले पांच दिन से संसद ठप्प करने वाली मुख्य विपक्ष पार्टी ने कहा कि इस मामले में अगर जरूरी हुआ, तो वह अकेले भी लड़ाई जारी रखेगी। संसद में कैग रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान के बाद लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के सुषमा स्वराज और अरूण जेटली ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रतिस्पर्धी बोली की नीति 2004 में बनाई गई, 2010 में इसे संसद में पारित किया गया और 2012 में इसकी अधिसूचना जारी की गई। ऐसे अहम मामले में यह बहुत बड़ा विलंब है। ‘जितनी देरी नीति बनाने में की गई, उतनी ही जल्दवाजी कोयला ब्लाक आवंटन में की गई।’ सुषमा ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस को कोयला ब्लाक आवंटन से ‘मोटा माल’ मिला है। प्रधानमंत्री ने पार्टी को मोटा माल दिलाने के लिए नीति बनाने में इतनी देर की। यह देरी पार्टी के खजाने को मिलने वाले मोटे माल के लिए की गई। आज तक का सबसे बड़ा घोटाला कोयला ब्लाक आवंटन घोटाला है।’ सुषमा और जेटली दोनों ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को इस मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा देना चाहिए और 142 कोयला ब्लाक के आवंटन को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।’ यह पूछे जाने पर कि भाजपा दोनों में से किस मांग पर जोर देगी, सुषमा ने कहा, ‘किसी एक मांग का सवाल नहीं है, हमारी मांग दोनों है। इसमें पीछे हटने का कोई सवाल नहीं है।’ राजग के सहयोगी दलों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर सुषमा ने कहा कि कल सुबह लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान जद यू अध्यक्ष शरद यादव ने मेरे सामने उनसे कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के मांग का समर्थन करती है। सुषमा ने कहा, ‘लेकिन अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अकेली भी लड़नी पड़े, तब भाजपा अकेले इसे लड़ेगी। अभी पूरा राजग एकजुट है।’ जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री का बयान संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर प्रहार है। प्रधानमंत्री ने अपने बयान से शासनतंत्र और राजनीति की नैतिकता का घोर उल्लंघन किया है। प्रधानमंत्री इस मामले की जिम्मेदारी लेने की बात करते हैं लेकिन बयान में चरणबद्ध तरीके से जवाबदेही दूसरों पर डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रतिस्पर्धी बोली लागू नहीं करने की वजह राज्यों का विरोध बतायी है। यह कह कर उन्होंने इसकी जिम्मेदारी देश के संघीय ढांचे और राज्यों पर डालने का प्रयास किया है जबकि कोयला केंद्र के अधिकार क्षेत्र का विषय है। जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह कहना कि संसद में विधेयक पारित होने में देर होती है, एक प्रकार से संसदीय लोकतंत्र को जिम्मेदार ठहराने जैसा है। प्रधानमंत्री का यह कहना कि कोयला आवंटन में घाटे की बात गलत है क्योंकि कैग का आकलन गलत है ... संवैधानिक संस्थाओं पर प्रहार करना है। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह कहा कि बिजली, जीडीपी के विकास और राजस्व अर्जित करने के लिए कोयला ब्लाक आवंटित किया। यह सही नहीं है। ‘राजस्व तो जरूर आया, लेकिन सरकारी खजाने में नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के खजाने में आया। इस मामले में सरकार के साथ कांग्रेस पार्टी बराबर की दोषी है।’ कोयला ब्लाक मामले में संसद में चर्चा नहीं होने देने और कार्यवाही बाधित करने के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में सुषमा ने कहा कि हम जो भी कह रहे हैं, संसद के विधान के तहत ही कर रहे हैं। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में भी यही स्थिति थी और ऐसी ही बातें कही जा रही थी लेकिन अब नई दरों से स्पेक्ट्रम लाने से सरकार को 1.26 लाख करोड़ रूपए का फायदा हो रहा है। अगर कोयला मामले भी ऐसा हो जाए, तो कार्यवाही बाधित करने में कोई हर्ज नहीं है।
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27-08-2012, 10:01 PM | #14175 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
भाजपा का आरोप गलत और गैरजिम्मेदाराना : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज कोयला ब्लाक आवंटन मामले में पार्टी को ‘मोटा माल’ मिलने के भाजपा के आरोप को पूरी तरह से गलत और गैर जिम्मेदाराना बताया । पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘कल भाजपा ने आरोप लगाया था कि कोयला ब्लाक आवंटन राजनीतिक चंदे के एवज में किया गया है ... आज फिर उस आरोप को घिनौने तरीके से दोहराया गया है। इससे गलत और गैरजिम्मेदाराना बात कुछ और नहीं हो सकती ।’ उन्होंने विपक्षी पार्टी को चुनौती देते हुए कहा, ‘अगर कोई भी प्रमाण हो तो उसे सार्वजनिक किया जाए ... ऐसे बेबुनियाद आरोप को तुरंत वापस लिया जाए।’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने आरोप लगाया है कि कोयला खानों के आवंटन में ‘मोटा माल’ मिला है। यह मोटा और छोटा भाजपा की संस्कृति हो सकती है, कांग्रेस की नहीं। ... इसी छोटे माल के चक्कर में उसके एक पूर्व अध्यक्ष को जेल की हवा खानी पड़ी है। कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दूसरे पर आरोप लगाने से पहले उसे खुद अपने गिरेबां में झांक कर देख लेना चाहिए। संसद में कैग रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान के बाद लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता सुषमा स्वराज और अरूण जेटली ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, ‘कांग्रेस को कोयला ब्लाक आवंटन से ‘मोटा माल’ मिला है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री ने पार्टी को मोटा माल दिलाने के लिए नीति बनाने में इतनी देर की। यह देरी पार्टी के खजाने को मिलने वाले मोटे माल के लिए की गई। आज तक का सबसे बड़ा घोटाला कोयला ब्लाक आवंटन घोटाला है।’
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28-08-2012, 11:50 AM | #14176 |
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मित्र और शत्रु की पहचान करने वाली प्रणाली विकसित
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की बेंगलूर स्थित एक प्रयोगशाला ने मित्र तथा शत्रु की पहचान करने वाली (आईएफएफ) प्रणाली की परिकल्पना, विकास तथा उत्पादन किया है। रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने लोकसभा में बताया, ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की बेंगलूर स्थित प्रयोगशाला ‘वायुवाहित प्रणाली केंद्र’ द्वारा मित्र अथवा शत्रु की पहचान करने वाली (आईएफएफ) प्रणाली की परिकल्पना, विकास तथा उत्पादन किया गया है।’ उन्होंने कहा कि हवा में ही पूर्व चेतावनी और नियंत्रण (एईडब्ल्यू एंड सी) कार्यक्रम के लिए देश में तीन सेट विकसित किए गए हैं।
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28-08-2012, 11:51 AM | #14177 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
हमलों के बाद लीबिया के गृहमंत्री ने इस्तीफा दिया
त्रिपोली। लीबिया के अंतरिम गृहमंत्री ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद इस्तीफा दे दिया है। संसद के नव निर्वाचित सदस्यों ने गृहमंत्री पर एक सूफी धार्मिक स्थल और मस्जिद पर हमले को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है। शनिवार को सूफी स्थल पर हुआ हमला सूफी इबादत स्थलों पर हो रहे हमलों की शृंखला में ताजा मामला है। इससे देश में गुटीय हिंसा भड़कने का खतरा पैदा हो रहा है, जहां अब तक एक मजबूत केंद्र सरकार नहीं बन पाई है और देश व्यापक स्तर पर पुलिस और सेना की सक्रियता के अभाव से गुजर रहा है। फावजी अब्देल-अल ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री अब्दुर्रहीम अल कीब को सौंप दिया। लीबिया के सुरक्षा मामलों के प्रवक्ता अब्देल-मोनइम अल हूर ने बताया कि गृहमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया है और उनके इस्तीफे को प्रधानमंत्री तथा संसद ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि सूफी प्रार्थना स्थल पर हमले के मामले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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28-08-2012, 11:54 AM | #14178 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
पितृत्व जांच में दोषी पाए जाने पर राजनीति से संन्यास ले लूंगा : कृषि मंत्री
रांची। एक महिला अध्यापिका के आरोपों से घिरे झारखंड के कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल ने कहा कि राजनीतिक साजिश के तहत उनके विरोधी उन पर झूठे आरोप लगवा रहे हैं और दावा किया कि डीएनए परीक्षण समेत पितृत्व की किसी भी प्रकार की जांच से वह गुजरने को तैयार हैं, जिससे यह साबित हो जाए कि महिला अध्यापिका के आरोप सरासर झूठे हैं। झा ने कहा कि यदि प्राइमरी शिक्षिका सोनी देवी चौधरी अपने उन आरोपों को साबित कर दें जिनमें उन्होंने उन्हें अपना पति बताया है और अपने बेटे का पिता बताया है, तो वह न सिर्फ मंत्री पद से त्यागपत्र दे देंगे बल्कि राजनीति से ही संन्यास ले लेंगे। झा ने कहा कि वह महिला के आरोपों को फर्जी साबित करने के लिए पितृत्व की जांच के लिए डीएनए परीक्षण समेत कोई भी जांच करवाने को तैयार हैं जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सोनी देवी नामक इस महिला अध्यापिका का इस्तेमाल उनके राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी उन्हें नीचा दिखाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत ही उनके प्रतिद्वन्द्वी झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक विधायक और भाजपा के कुछ नेता इस तरह उनका चरित्र हनन करने का प्रयास कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि झारखंड में दुमका जिले के जामताड़ा की रहने वाली प्राइमरी शिक्षिका सोनी देवी चौधरी ने कुछ दिनों पूर्व राज्य के कृषि मंत्री एवं भाजपा विधायक सत्यानंद झा बाटुल पर अपना पति होने और अपने बेटे का पिता होने का आरोप लगाकर यहां की राजनीति में भूचाल ला दिया था। सोनी देवी ने सिर्फ यही आरोप नहीं लगाया कि उसका बेटा वास्तव में मंत्री का पुत्र है, बल्कि उसने यह भी आरोप लगाया कि मंत्री झा ने 1996 में उससे मंदिर में विधिवत विवाह किया था। यह अलग बात है कि वह स्वयं स्वीकार करती है कि 1993 में उसका विवाह भूपेन चौधरी नामक व्यक्ति से हुआ था जिससे उसका तलाक या अलगाव अब तक नहीं हुआ है। इस सम्बंध में पूछे जाने पर सोनी देवी ने कहा कि वह भाजपा की कार्यकर्ता रही है और मंत्री झा के संपर्क में पिछले लगभग 20 वर्षों से है। उसने दावा किया कि मंत्री से सम्पर्क प्रगाढ़ होने पर 1996 में अपने गृह जिले दुमका में उसने एक मंदिर में उनके साथ विवाह कर लिया। यह पूछे जाने पर कि इसका उसके पास क्या प्रमाण है, सोनी देवी दावा करती है कि उसका प्रमाण उसका आठ वर्ष का बेटा है जो मंत्री से ही पैदा हुआ है। पूरे प्रकरण पर सफाई देते हुए मंत्री ने कहा कि सोनी देवी के सारे आरोप बेबुनियाद और षड्यंत्र के तहत लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि वह दावा करती है कि 1996 में उसके साथ उन्होंने विवाह किया था, लेकिन यह कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं विवाहित हैं और अध्यापिका सोनी भी विवाहित है। सोनी का अपने पहले पति भूपेन चौधरी से तलाक नहीं है। ऐसे में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ऐसा कोई विवाह संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सोनी को भाजपा कार्यकर्ता के रूप में जानते हैं, लेकिन उसके सारे दावे पूरी तरह गलत हैं। इस मामले में मंत्री के प्रतिद्वन्द्वी जामताड़ा के झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक विष्णु भैया ने मंत्री को बर्खास्त किए जाने की मांग की और कहा कि सोनी को न्याय मिलना चाहिए। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि इस पूरे प्रसंग के पीछे उक्त झामुमो विधायक का हाथ है। इस सम्बंध में झा ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि उनके प्रतिद्वन्द्वी जानबूझकर उनके चरित्र का हनन करने का प्रयास कर रहे हैं और उनकी पार्टी के ही कुछ शीर्ष नेता इसमें सहभागी हैं। इसके पीछे उनका मकसद उनका मंत्री पद छीनकर अपने चहेतों को मंत्री बनाना है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाली महिला सोनी देवी ने अपने ही गांव के व्यक्ति दुलाल राय पर 12 जनवरी, 1997 को भी इसी तरह यौन शोषण का आरोप लगाया था। बाद में महिला ने अपना आरोप वापस ले लिया था, लेकिन इस सदमे से कथित आरोपी दुलाल की मृत्यु हो गई थी। मंत्री ने कागजात दिखाते हुए कहा कि इस महिला के 1996 और 2007 के मतदाता पहचान पत्र में उसके पति का नाम स्पष्ट तौर पर भूपेन चौधरी लिखा हुआ है। इतना ही नहीं, राशन कार्ड, विद्यालय के रजिस्टर आदि में भी उसके पति का नाम दर्ज है। मंत्री ने दावा किया कि महिला के बच्चे का जन्म जिस अस्पताल में हुआ है वहां उसके जन्म प्रमाण पत्र में भी पिता का नाम भूपेन चौधरी का ही दर्ज है। उन्होंने बताया कि सोनी ने पिछले वर्ष भी उनके खिलाफ इस तरह के आरोप लगाए थे, लेकिन फिर एक सप्ताह बाद उसने अपने आरोप वापस ले लिए। मंत्री ने कहा कि इस बार महिला के आरोपों के बाद उनके पुत्र ने महिला के खिलाफ मानहानि और फर्जीवाड़े का मुकदमा जामताड़ा के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि यदि महिला के दावे में कोई भी सच्चाई है तो आखिर वह आज तक अदालत क्यों नहीं गई। उन्होंने कहा कि यदि अदालत निर्देश देती है तो उन्हें अपना डीएनए परीक्षण करवाने में कोई परहेज नहीं है। पूरे मामले में राज्य में भाजपा की किरकिरी के सम्बंध में झारखंड के भाजपा प्रभारी हरेंद्र प्रताप ने कहा कि पहले तो मामला सामने आने पर स्वयं उन्होंने मंत्री को इस्तीफा देकर अपने को निर्दोष साबित करने को कहा था, लेकिन सारे दस्तावेज और मामले की विस्तृत जानकारी के बाद उन्हें यह कदापि उचित नहीं लगा। उन्होंने कहा कि भाजपा और सरकार पूरी तरह अपने मंत्री सत्यानंद झा बाटुल के साथ है क्योंकि महिला के आरोपों के पीछे षड्यंत्र की बात यहां के एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल ने भी स्टिंग आॅपरेशन कर साबित कर दी है। इस सम्बंध में विधानसभाध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा कि आखिर महिला यदि 20 वर्षों से पीड़ित है तो अब क्यों जागी है। उसने इस बात की शिकायत झा के मंत्री बनने के बाद, वह भी अब क्यों की। उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि महिला के आरोपों में दम है तो वह कांग्रेस नेता एनडी तिवारी के प्रकरण की तरह अदालत अब तक क्यों नहीं गई। उन्होंने कहा कि उल्टे इस मामले में तो मंत्री ही अदालत गए हैं।
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28-08-2012, 11:56 AM | #14179 |
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अवमानना मामले में सुनवाई टलने से अशरफ को तीन हफ्ते की राहत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से उस समय तीन हफ्ते की राहत मिल गई जब उनके इस आग्रह को स्वीकार कर लिया गया कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर खोले जाने के सम्बंध में उन्हें और अधिक समय प्रदान किया जाए। अशरफ अवमानना मामले में अदालत में पेश होने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बन गए। राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में भ्रष्टाचार के मामले फिर खोलने से इनकार किए जाने के मामले में वह आसिफ सईद खोसला के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष पेश हुए। उनके पूर्ववर्ती यूसुफ रजा गिलानी को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में दोषी ठहराया था और जून में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। पीठ ने पहले सुनवाई 12 सितम्बर तक के लिए स्थगित की, लेकिन प्रधानमंत्री के यह कहे जाने पर कि वह 14 सितम्बर तक चीन की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे, अदालत ने सुनवाई 18 सितम्बर तक के लिए टाल दी। पीठ ने प्रधानमंत्री को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई को भी वह व्यक्तिगत रूप से पेश हों। पीठ ने सलाह दी कि राष्ट्रपति के खिलाफ मामले फिर खोलने के लिए प्रधानमंत्री स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने का दायित्व कानून मंत्री को सौंप सकते हैं, लेकिन अशरफ ने इस सम्बंध में कोई वादा नहीं किया। इस पर न्यायाधीश खोसा ने टिप्पणी की कि यदि वादा नहीं किया जाता है तो कानून अपना काम करेगा। अवमानना मामले का सामना करने के क्रम में प्रधानमंत्री सोमवार को नौ बजे के थोड़ी देर बाद एसयूवी से शीर्ष अदालत के मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंचे। उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सूचना मंत्री कमर जमान कायरा और गृह मंत्री रहमान मलिक सहित कई संघीय मंत्री और सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता भी अदालत पहुंचे। अदालत के बाहर कायरा और मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री अदालत में पेश हो रहे हैं क्योंकि सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने अपने संस्थापक जुल्फीकार अली भुट्टो की ‘न्यायिक हत्या’ सहित पार्टी के खिलाफ गए फैसलों के बावजूद हमेशा न्यायपालिका का सम्मान किया है। दोनों मंत्रियों ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। जरदारी की अध्यक्षता में रविवार देर रात हुई सत्तारूढ़ गठबंधन की बैठक में फैसला किया गया कि कई शीर्ष पीपीपी नेताओं की आपत्ति के बावजूद प्रधानमंत्री अदालत में पेश होंगे। यूसुफ रजा गिलानी सहित पार्टी का एक तबका अशरफ के अदालत में पेश होने के खिलाफ था क्योंकि इसका मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। रेड जोन की सुरक्षा के लिए करीब 700 पुलिसकर्मी और पाकिस्तान रेंजर तथा फ्रंटियर कॉर्प्स के अतिरिक्त जवान तैनात किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट और संसद जैसी महत्वपूर्ण इमारतें रेड जोन में ही स्थित हैं। किसी भी गतिविधि पर नजर रखने के लिए आसमान में हेलीकॉप्टर भी मंडरा रहा था। सुप्रीम कोर्ट दिसम्बर 2009 से ही राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने का दबाव बना रहा है। सरकार ने यह कहकर ऐसा करने से मना कर दिया है कि राष्ट्रपति को पाकिस्तान और विदेश में छूट प्राप्त है।
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28-08-2012, 11:57 AM | #14180 |
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हैती और डोमेनिक गणराज्य में इसाक तूफान से दस लोगों की मौत
पोर्ट ओ प्रिंस (हैती)। कैरीबियाई देश हैती और डोमेनिक गणराज्य में आए इसाक तूफान में दस लोगों की मौत की खबर है। रविवार को आए तूफान से हैती में आठ और पड़ोसी देश डोमेनिक गणराज्य में दो लोगों की मौत हो गई। हैती की राजधानी और कुछ ग्रामीण इलाकों में तूफान की वजह से बाढ़ आ गई। कई जगह खंभे गिरे और 2001 में आए भीषण भूकंप में अपना घर गंवाने वाले लोगों के टेंटनुमा घर ध्वस्त हो गए। हैती के एक जनसुरक्षा अधिकारी ने बताया कि दक्षिणी समुद्री तट पर स्थित मैरीगोट शहर में एक घर के ऊपर पेड़ गिरने से 51 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई जबकि थोमाजो गांव में दीवार गिरने से दस वर्षीय लड़की की मौत हो गई। इधर, डोमेनिक गणराज्य में दो लोगों की मौत हो गई। देश की पुलिस ने बताया कि नदियों में आई बाढ़ में दो व्यक्ति बह गए।
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