13-05-2013, 03:57 AM | #1441 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
नई दिल्ली। गांव के लोगों को भी अब जल्द ही घर बैठे ही सटीक चिकित्सा निदान सुविधाएं मिल सकेंगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के एक पूर्व छात्र ने सूटकेस में समा सकने लायक एक छोटी पैथोलॉजिकल लैब विकसित की है। इसके जरिए कई रोगों की जल्द पहचान कर सही समय पर उनका निदान किया जा सकेगा। आईआईटी-रुड़की के पूर्व छात्र अमित भटनागर ने हॉलीवुड की मशहूर फिल्म निर्माण कंपनी यूनिवर्सल स्टूडियोज की एक अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर इस मोबाइल जैव रसायन प्रयोगशाला का निर्माण किया है। गुर्दा, यकृत, हृदय, रक्त अल्पता, मधुमेह और गठिया सहित 23 महत्वपूर्ण चिकित्सा परीक्षण कर सकने में सक्षम यह प्रयोगशाला एक छोटे से सूटकेस के अंदर समा सकती है। विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री एस. जयपाल रेड्डी द्वारा कल शुरू की गई यह मोबाइल लैब दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बड़ा वरदान साबित हो सकती है, जो अब तक इस प्रकार की रोग निदान सुविधाओं से वंचित ही रहे हैं और इस कारण उनके कई रोगों का सही समय पर पता भी चल पाता है। भटनागर ने बताया कि एक सूटकेस में फिट हो सकने वाला यह लैब पूरी तरह से पावर बैकअप से लैस है। इसके जरिए बेहद सटीक, कम लागत में और सही समय पर गुर्दा, यकृत, हृदय, रक्त अल्पता, मधुमेह और गठिया सहित 23 महत्वपूर्ण रक्त परीक्षण किए सकते हैं। इस लैब की अधिकतम कीमत 3.5 लाख रुपए है। सीमा सड़क संगठन करगिल, लेह और लद्दाख के दूरदराज क्षेत्रों में इस मोबाइल लैब का उपयोग कर रही है। वहीं केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल इसे छत्तीसगढ़ के जंगलों में और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन हरियाणा और केरल में परीक्षण के तौर पर इसका उपयोग कर रही है।
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13-05-2013, 04:41 AM | #1442 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने बेहतर उत्पादन देने वाली गेहूं की नई किस्म विकसित की
लंदन। कैंब्रिज के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म विकसित किये जाने का दावा किया है जो उत्पादकता में 30 प्रतिशत का इजाफा कर सकती है। ब्रिटेन स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चर बोटनी ने गेहूं की प्राचीन तथा आधुनिक किस्मों के मिलन से नई प्रजाति विकसित की है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार शुरूआती परीक्षण में मौजूदा आधुनिक गेहूं की किस्मों के मुकाबले इससे होने वाले फसल बडी और बेहतर जान पड़ती है। शोधकर्ताओं के अनुसार परीक्षण तथा नियामकीय मंजूरी में अभी कम-से-कम पांच साल लगेंगे। उसके बाद ही किसानों तक इस बीज की पहुंच हो सकेगी।
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15-05-2013, 03:52 AM | #1443 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
विकसित हुआ मक्का का नया संकर बीज
अहमदाबाद। मक्के का एक नए संकर बीज विकसित किया गया है, जिससे राज्य के आदिवासी इलाकों में फसल का उत्पादन दोगुना किया जा सकता है। आणंद कृषि विश्वविद्यालय (एएयू) के अनुसंधान निदेशक के. बी. कथेरिया के मुताबिक नई किस्म - गुजरात आणंद येलो हाइब्रिड मेज-1 - गुजरात के उत्तरी और केंद्रीय क्षेत्रों में खरीफ सत्र में बोई जा सकती है जो आदिवासी बहुल इलाके हैं। इस किस्म में लाइसिन (आवश्यक एमिनो एसिड) प्रचुर मात्रा में है, जिसे आदिवासियों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है। आदिवासी अपने खाने में मक्के का भरपूर उपयोग करते हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मक्के की नई किस्म को राज्य स्तरीय अनुसंधान परिषद से मंजूरी मिल गई है। उन्होंने कहा कि लाइसिन मानव शरीर के लिए आवश्यक एमिना एसिड है, जो इस मक्के के प्रोटीन में 2.8 प्रतिशत तक उपलब्ध है और यह मात्रा अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक है। यह आदिवासियों के लिए प्रोटीन का अच्दा स्रोत है। गुजरात की यह नकदी फसल - मक्का- आम तौर पर साबरकांठा, बनासकांठा, पंचमहल, दाहौद जैसे आदिवासी बहुल जिलों में उगाई जाती है।
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15-05-2013, 03:52 AM | #1444 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया बर्ड फ्लू का टेस्ट
मेलबर्न। आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने पहली बार नए एच 7 एन 9 बर्ड फ्लू स्ट्रेन के लिए टेस्ट विकसित किया है, जिससे इस बीमारी को देश से दूर रखने में मदद मिलेगी। क्वींसलैंड के वैज्ञानिकों ने रायल ब्रिस्बेन तथा वीमेंस हास्पिटल की बालरोग प्रयोगशाला के सहयोग से यह टेस्ट विकसित किया है। सरकार का कहना है कि इस टेस्ट से बीमारी को देश से बाहर रखने में अहम योगदान मिलेगा। इस बीच शोधकर्ताओं ने कहा है कि टेस्ट बर्ड फ्लू के संभावित खतरे से निपटने की तैयारियों का हिस्सा है। एच 7 एन 9 ने अब तक 31 लोगों की जान ली है और पिछले सप्ताह इस बीमारी से चार और लोग मारे गए। सबसे पहले मार्च में सामने आया बर्ड फ्लू का यह स्ट्रेन केवल पूर्वी चीन और ताइवान में देखा गया है।
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15-05-2013, 03:52 AM | #1445 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
आधुनिक जीवनशैली के कारण कम उम्र में कम हो रही है याददाश्त
लंदन। आधुनिक जीवनशैली के कारण कम उम्र में ही लोग याददाश्त कम होने एवं मस्तिष्क से सम्बंधित अन्य बीमारियों का शिकार बन रहे हैं। एक नए शोध में पाया गया कि कम्प्यूटर, मोबाइल फोन और रसायनों के ज्यादा प्रयोग के कारण लोग इन बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। नवीनतम शोध में पाया गया है कि 74 वर्ष से कम उम्र के लोगों में याददाश्त खत्म होने एवं तंत्रिका सम्बंधी अन्य मामले तेजी से बढ रहे हैं। पब्लिक हेल्थ पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक इसमें वृद्धि इसलिए हो रही है कि ज्यादा संख्या में उम्रदराज लोग इस तरह की स्थितियों से प्रभावित हो रहे हैं और चिंताजनक बात है कि यह कम उम्र में शुरू हो रहा है और 55 वर्ष से कम उम्र के लोग भी अब इसके शिकार बनते जा रहे हैं। दस बड़े पश्चिमी देशों में तंत्रिका सम्बंधी बीमारी से होने वाली मौत के मामले में सबसे ज्यादा बुरी स्थिति अमेरिका की है, जहां 1979 से 2010 के बीच पुरुषों की मौत में 66 फीसदी तक और महिलाओं की मौत में 92 फीसदी तक की वृद्धि हुई। ब्रिटेन चौथा बड़ा देश है जहां पुरूषों की मौत में 32 फीसदी और महिलाओं की मौत में 48 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई।
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15-05-2013, 03:53 AM | #1446 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बेचैनी की प्रभावी वैकल्पिक चिकित्सा मुहैया कराएगा कावा पौधा
मेलबर्न। दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में पाया जाना वाला औषधीय पौधा कावा बेचैनी से पीड़ित लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। पौधे पर पहले क्लीनिकल अध्ययन में यह बात सामने आई है। मेलबर्न विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसार्डर (जीएडी) से पीड़ित लोगों के लिए कावा एक वैकल्पिक चिकित्सा मुहैया करा सकता है। मेलबर्न विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. जेरोम सैरीस ने कहा कि जीएडी एक जटिल स्थिति है जो लोगों की दैनिक जीवनचर्या को काफी प्रभावित करता है। वर्तमान चिकित्सा का साधारण प्रभाव होता है और बेचैनी से पीड़ित रोगियों के लिए नए प्रभावी विकल्प की आवश्यकता है।
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15-05-2013, 06:07 AM | #1447 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
डायरिया से बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने पेश किया ‘रोटावैक’
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने जानलेवा रोटावाइरस डायरिया से बचाव के लिए पूरी तरह भारत में ही विकसित किया गया सस्ता टीका ‘रोटावैक’ आज पेश किया । गौरतलब है कि रोटावाइरस डायरिया से भारत में हर साल पांच वर्ष से कम उम्र के एक लाख से ज्यादा बच्चे दम तोड़ देते हैं । ‘रोटावैक’ टीके के क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण के नतीजे एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जारी किए गए । करीब 28 साल की मेहनत के बाद यह टीका तैयार किया जा सका है । बच्चों की उम्र के पहले साल में इसकी प्रभावोत्पादकता 56 फीसदी बतायी जा रही है । जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव एम के भान ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘रोटावैक जानलेवा रोटावाइरस डायरिया को 50 फीसदी से ज्यादा मामलों में कम करता है ।’ बहरहाल, इस टीके का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने में अभी वक्त लगेगा क्योंकि इसे अब तक भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) से मंजूरी नहीं मिली है । भारत बायोटेक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एम एल्ला ने कहा, ‘हम जुलाई में डीसीजीआई के पास एक डॉजियर दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं । जरूरी विनियामक मंजूरियों के बाद हम बाजार में उतरेंगे ।’ अधिकारियों ने बताया कि 40 से ज्यादा देशों में दो लाइसेंस प्राप्त टीके पेश किए गए लेकिन विकासशील देशों में से ज्यादातर की पहुंच से वे बाहर हैं । जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव के विजयराघवन ने कहा, ‘‘नतीजे संकेत देते हैं कि यदि लाइसेंस मिल गया तो यह टीका भारत में हर साल हजारों बच्चों की जान बचा सकता है ।’
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21-05-2013, 02:27 AM | #1448 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
भारतीय किशोरी ने बनाया 20 सेकंड वाला चार्जर
वाशिंगटन। भारतीय अमेरिकी मूल की 18 वर्षीय एक किशोरी ने ऐसा उपकरण तैयार किया है, जिससे मोबाइल फोन 20 सेकंड में चार्ज हो सकेंगे। कैलिफोर्निया की ईशा खरे को इस खोज के लिए इंटेल फाउंडेशन के यंग साइंटिस्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ईशा का यह उपकरण मोबाइल फोन की बैटरियों में लगाया जा सकेगा जिससे बैटरी 20-30 सेकंड में चार्ज हो सकेगी। एनबीसी न्यूज की खबर के अनुसार इस लघु उपकरण में काफी ऊर्जा होती है और इससे बैटरी तुरंत चार्ज हो सकती है तथा लंबे समय तक बैटरी काम कर सकती है। इस खोज के लिए ईशा को 50 हजार अमेरिकी डालर का इनाम मिला है।
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24-05-2013, 02:25 AM | #1449 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मधुमक्खी का शहद ही नहीं, जहर भी स्वास्थ्य के लिए मुफीद
लखनऊ। सैकड़ों बीमारियों में गुणकारी माना जाने वाला शहद ही नहीं, मधुमक्खी के डंक का जहर भी स्वास्थ्य के लिए मुफीद है। मधुमक्खी के डंक से निकला जहर गठिया के लिए काफी लाभप्रद है। एक शोध से पता चला है कि मधुमक्खी के डंक के जहर के साथ एक-दो रासायनिक पदार्थ मिलाकर लगाने से गठिया ठीक हो सकता है। यही नहीं मधुमक्खी की रॉयल जेली की मदद से एड्स जैसी घातक बीमारियों के साथ ही सेक्सुअल मेडिसिन भी तैयार की जाती हैं। सेन्ट्रल बी रिसर्च इन्स्टीट्यूट पुणे के सहायक निदेशक आर.के. सिंह ने बताया कि मधुमक्खी पालन से किसानों के आर्थिक हालात में जहां खासा परिवर्तन हो सकता है, वहीं इसकी एक-एक चीज मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद गुणकारी है।
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27-05-2013, 10:51 PM | #1450 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
पाषाण काल के 5000 भित्ति चित्र मिले
मेक्सिको। मेक्सिको के उत्तर पूर्व में स्थित पर्वत श्रृंखला में पाषाण काल के लगभग 5000 भित्ति चित्र मिले हैं। मेक्सिको के राष्ट्रीय विज्ञान एवं इतिहास संस्थान ने बताया कि पुरातत्वविदों ने पाषाण काल के पीले, लाल, सफेद और काले रंग की भित्ति चित्रो की खोज की है। इन चित्रो में हिरण, छिपकली और कनखजुरे को चित्रित किया गया है जिससे यह पता चलता है कि जिन्होने ये चित्र बनाये हैं। वे शिकार करने, मछली पकड़ने और भोजन संग्रह करने वाले थे। इन भित्ति चित्रो मे धर्म- खगोल से सम्बंधित तस्वीरे भी हैं। इनमे से अधिकतर चित्र अच्छी अवस्था में हैं। अभी तक इन चित्रों की कार्बनडेटिंग नहीं की गई है। पुरातत्वविदों ने तस्वीरों में चित्रित दृश्यों के कारण इसका संबंध पाषाण काल से जोड़ा है।
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