23-09-2012, 12:30 AM | #14911 |
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वाशिंगटन। अमेरिका के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद पाकिस्तान ने अपने यहां से अफगानिस्तान को भेजे जाने वाले उर्वरकों के मुद्दे पर कोई सहयोग नहीं किया है और इसका परिणाम आईईडी विस्फोटों में अमेरिकी सैनिकों की मौत के रूप में निकल रहा है। आतंकवादी अमोनियम नाइट्रेट जैसे उर्वरकों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आईईडी जैसे विस्फोटक बनाने के लिए करते हैं। ज्वाइंट आईईडी डिफीट आॅर्गेनाइजेशन के निदेशक लेफ्टिनेंट माइकल बारबेरो ने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि सहयोग को लेकर हमने काफी बात की है, लेकिन अभी तक हमें कोई सहयोग नहीं मिला है। बारबेरो आईईडी पर पाकिस्तान से सहयोग के मुद्दे पर सांसदों के सवालों का जवाब दे रहे थे। अफगानिस्तान में अमेरिका को जान-माल का अधिकतर नुकसान आईईडी विस्फोटों में होता है। आतंकवादी इस विस्फोटक सामग्री का निर्माण पाकिस्तान से जाने वाले अमोनियम नाइट्रेट जैसे रासायनिक उर्वरकों की मदद से करते हैं। जनरल ने कहा कि पाकिस्तान ने अब तक इस मुद्दे पर कोई सहयोग नहीं किया। हमने उर्वरकों का रंग और पैकेजिंग बदले जाने जैसे सुझाव दिए हैं। ये उर्वरक हमें डिटर्जेंट या अन्य सामग्री की तरह दिखाई देते हैं। यदि पाक-अफगान सीमा पर कम पढ़े-लिखे सुरक्षाकर्मी हों तो इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। उर्वरक उद्योग के लिए भी आवश्यक है कि वह इस दिशा में सुधार सम्बंधी कदम उठाए। यह उल्लेख करते हुए कि अफगानिस्तान में आईईडी विस्फोटों में हर हफ्ते अमेरिका के करीब पांच सैन्यकर्मियोें की जान जा रही है, सांसदोें ने आरोप लगाया कि सीमा पार भेजे जाने वाले अमोनियम नाइट्रेट जैसे पदार्थों के मुद्दे पर पाकिस्तान अमेरिका का सहयोग करने का इच्छुक नहीं दिखता। कांग्रेस सदस्य नोर्मन डिक्स ने कहा कि पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाने वाला वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उत्पादित कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट हाल के वर्षों में आईईडी निर्माण का प्रमुख तत्व बन गया है। इन सामग्रियों का पता लगाने का हमारा प्रयास घास के ढेर में सुई ढूंढने के समान है। बारबेरो ने कहा कि पिछले दो साल में आईईडी विस्फोट की घटनाओं में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2009 में आईईडी विस्फोट की 9,300 घटनाएं हुई थीं, वहीं 2011 में 16 हजार घटनाएं हुर्इं।
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23-09-2012, 12:31 AM | #14912 |
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सू की मिलेंगी संयुक्त राष्ट्र महासचिव से
संयुक्त राष्ट्र। म्यामां की लोकतंत्र की प्रतीक आंग सान सू की अमेरिका की यात्रा पर हैं और वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से मुलाकात करेंगी। सू की संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में बान की मून से मुलाकात करेंगी। बाद में वह यहां अटलांटिक काउंसिल से ‘ग्लोबल सिटीजन अवार्ड’ ग्रहण करेंगी। सू की (67 वर्ष) मंगलवार को अमेरिका आर्इं और राष्ट्रपति बराक ओबामा से व्हाइट हाउस में मिलीं। लोकतंत्र की खातिर अपनी लंबी लड़ाई के लिए बुधवार को सू की को अमेरिकी कांग्रेस के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित सू की ने विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से भी मुलाकात की।
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23-09-2012, 12:31 AM | #14913 |
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बेनगाजी में अलकायदा की भूमिका की अभी तक जानकारी नहीं : ओबामा
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि बेनगाजी में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले में अलकायदा की भूमिका को लेकर अभी तक कोई जानकारी नहीं है। ओबामा ने फ्लोरिडा के मियामी स्थित टाउन हॉल में हुई बैठक में कहा कि हमें अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिली है। ओबामा से यह पूछा गया था कि क्या इस प्रदर्शन के पीछे ईरान अथवा अलकायदा का हाथ होने की सूचना है, उन्होंने कहा कि हम अभी जांच कर रहे हैं। विभिन्न देशों में विभिन्न परिस्थितियां होती हैं, इसलिए जब तक पूरी जानकारी नहीं मिल जाती तब तक मैं कुछ कह नहीं सकता। उन्होंने कहा कि हमें जो जानकारी है, उसके मुताबिक यह एक स्वाभाविक प्रदर्शन था जो वीडियो (कथित इस्लाम विरोधी) को लेकर लोगों के गुस्से के कारण हुआ। चरमपंथियों का मानना है कि यदि अमेरिका उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है तो वे भी अमेरिकी हितों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्हें अब तक इसराइल, लीबिया और ट्यूनीशिया जैसे देशों से पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी मिल चुका है कि वे न केवल अमेरिकी राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, बल्कि यह भी पता करने की कोशिश करेंगे कि परिस्थिति का लाभ उठाकर कौन अपना हित साध रहा है।
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23-09-2012, 12:32 AM | #14914 |
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वीडियो का इस्तेमाल हिंसा के बहाने के रूप में किया गया : ओबामा
वाशिंगटन। अमेरिकी लोगों के खिलाफ हिंसा के लिए इस्लाम विरोधी एक वीडियो को बहाने के रूप में इस्तेमाल किया गया। ओबामा ने मियामी में आयोजित एक बैठक में कहा कि पिछले सप्ताह हमने जो देखा, वह कुछ उसी तरह है जैसा हमने पहले देखा है जहां पैगंबर मोहम्मद के एक वीडियो या कार्टून का इस्तेमाल किया गया। निश्चित रूप से इसका इस्तेमाल कुछ लोगों ने पश्चिमी देशों या अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ अक्षम्य हिंसा के बहाने के रूप में किया। ओबामा पाकिस्तान और लीबिया जैसे देशों में चल रहे अमेरिका विरोधी प्रदर्शनों को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं, वर्तमान समय में एक हजार लोग पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास में घुसना चाह रहे हैं। हमने विभिन्न देशों में अमेरिका विरोधी प्रदर्शन देखे हैं, हम जानते हैं कि लीबिया में चार अमेरिकी नागरिकों की हत्या कर दी गई। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अमेरिकी राजनयिकों और दूतावासों को सुरक्षित रखना है।
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23-09-2012, 12:33 AM | #14915 |
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प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की नयी परिभाषा दी है : मोदी
भुज (गुजरात) ! मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति देने के लिए मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की परिभाषा को बदलकर ‘‘विदेशियों का, विदेशियों के द्वारा और विदेशियों के लिए’’ कर दिया है। मोदी ने कच्छ जिले में यहां विवेकानंद यूथ कन्वेंशन में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अब से कलम, पेंसिल, नोटबुक आपके पड़ोस का दुकानदार नहीं बेचेगा बल्कि कोई गोरा (विदेशी) बेचेगा। इसलिए, स्थानीय व्यापारी रोजगार खोएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने दुनिया को लोकतंत्र की प्रसिद्ध परिभाषा ‘जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए’ दी लेकिन हमारे मनमोहन सिंह जी ने हमें ---‘विदेशियों का, विदेशियों के द्वारा और विदेशियों के लिए’ की नयी परिभाषा दी है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति का फैसला उस वक्त लिया गया जब वैश्विक निर्माताओं और घरेलू उत्पादकों के बीच कोई समान अवसर नहीं है। मोदी ने कहा, ‘‘कांगे्रस नीत सरकार ने संसद को अंधेरे में रखकर रातोंरात खुदरा कारोबार में एफडीआई लागू कर दिया और संसद के भीतर किए गए वादे को तोड़ा है।’’ मोदी ने असम से राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बावजूद हिंसा को रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठाने के लिए प्रधानमंत्री पर दोषारोपण किया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बांग्लादेशियों :विदेशियों: ने असम में अपने अधिकार पर जोर देना शुरू कर दिया है और असम से निर्वाचित हमारे प्रधानमंत्री मौन हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अगर आप इन दो मुद्दों असम में विदेशियों द्वारा हिंसा और खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति को एक साथ रखें तो यह विदेशियों के प्रति केंद्र सरकार के प्रेम को साफ तौर पर दर्शाता है।’’ मोदी के साथ कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी मौजूद थे।
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23-09-2012, 12:34 AM | #14916 |
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कोवलम साहित्य सम्मेलन में जीत थाविल करेंगे अपनी किताब ‘नार्कोपोलिस’ का पाठ
नयी दिल्ली ! साहित्य के लिए दिए जाने वाले प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार की होड़ में शामिल लेखक जीत थायिल कोवलम लिटररी फेस्टिवल (केएलएफ) में अपनी किताब ‘नार्कोपोलिस’ का पाठ करेंगे। 50 हजार पाउंड की पुरस्कार राशि वाले बुकर सम्मान की होड़ में केरल में पैदा हुए लेखक जीत के साथ साथ हिलेरी मेंटेल और विल सेल्फ जैसे दिग्गज लेखक भी शामिल हैं। केएलएफ के पांचवें संस्करण का एक हिस्सा केरल में आयोजित होगा जबकि इसका दूसरा हिस्सा दिल्ली में आयोजित होना है। केएलएफ के संस्थापक निदेशक बीनू के जान के अनुसार दोनों हिस्सों में करीब दो दर्जन भारतीय तथा विदेशी लेखक भाग लेंगे। आयोजन के दिल्ली चरण में सात लेखक शामिल होंगे। इसमें जीत थायिल अपनी कृति का पाठ करेंगे। इसके आयोजन में केरल पर्यटन, आईआईसी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, पैन मैकमिलन इंडिया, सेंट्रल बैंक और रोली बुक्स मदद कर रहे हैं।
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23-09-2012, 12:36 AM | #14917 |
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ब्रितानी नागरिक है केट की ‘टॉपलेस’ तस्वीरें लेने वाला फोटोग्राफर
लंदन ! फ्रांस के एक फोटोग्राफर ने दावा किया है कि राजकुमार विलियम की पत्नी डचेस आफ कैम्ब्रिज केट की टॉपलेस तस्वीरें कैमरे में कैद करने वाला फोटोग्राफर ब्रितानी नागरिक है, जिसने ‘क्लोजर’ पत्रिका के आदेश पर यह काम किया। पास्कल रोस्तें नाम के इस फोटोग्राफर ने कहा है कि दक्षिणी फ्रांस में रहने वाले इस फोटोग्राफर ने एक निजी अवकाश के दौरान केट मिडलटन की तस्वीरें लीं। ‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार रोस्तें ने यह भी दावा किया है कि फोटोग्राफर पत्रिका के आदेश पर यह काम कर रहा था। गौरतलब है कि रोस्तें फ्रांस की पूर्व प्रथम महिला के करीबी मित्र हैं। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि उन्हें इस फोटोग्राफर की पहचान के बारे में जानकारी है या नहीं। उन्होंने यह दावा भी किया है कि इस काम के लिए फोटोग्राफर को काफी राशि मिल सकती थी (लगभग 10 हजार यूरो), लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। फ्रांस में एक प्रकाशन ने ये तस्वीरों प्रकाशित की थी, जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए पेरिस की एक अदालत ने उन्हें दोबारा नहीं छापने और तस्वीरें 24 घंटे के भीतर शाही जोड़े को वापस करने का आदेश दिया। ब्रिटेन के शाही परिवार के कड़े तेवरों के बावजूद डेनमार्क की एक पत्रिका ने भी केट की टॉपलेस तस्वीरें प्रकाशित कर दीं। केट की कई तस्वीरें डेनिश पत्रिका ‘सी ओक होएर’ (देखिए और सुनिए) ने प्रकाशित की हैं। केट की 26 तस्वीरों में से 14 प्रकाशित की गई हैं। इससे फ्रांस, आयरलैंड, इटली और स्वीडन में इस तरह की तस्वीरें प्रकाशित की गई थीं। ये तस्वीरें सबसे पहले फ्रांस की पत्रिका ‘क्लोजर’ ने प्रकाशित की थीं। इसको लेकर ब्रिटेन के शाही परिवार ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसी के बाद प्रमुख हस्तियों के निजी जीवन में प्रेस के दखल को लेकर बहस शुरू हो गई थी।
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24-09-2012, 06:09 PM | #14918 |
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प्रख्यात मलयालम अभिनेता तिलकन का निधन
मलयालम सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी तिरुवनंतपुरम। करीब चार दशक तक फिल्मी पर्दे और नाट्य मंच पर अपने दमदार अभिनय का जादू बिखेरने वाले प्रख्यात मलयालम फिल्म अभिनेता तिलकन का सोमवार तड़के यहां एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। तिलकन को गत 23 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा। इस दौरान उन्हें कई बार वेंटीलेटर पर रखा गया। तिलकन निमोनिया से भी पीड़ित थे। उनका तड़के तीन बजकर 35 मिनट पर निधन हो गया। तिलकन नाटकों के भी मंजे हुए कलाकार थे। उन्होंने वर्ष 1979 में के. जी. जॉर्ज की फिल्म ‘उलकदल’ में एक छोटी सी भूमिका के साथ फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद से उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया और कई राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार के लिए उन्होंने वर्ष 1988 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए उन्हें तीन बार राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 2009 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। ‘पेरूमताचन’, ‘यवनिका’, ‘किरेदम’ और ‘इंडियन रूपी’ उनकी कुछ प्रमुख फिल्में हैं। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ शाम को शहर के विद्युत शवदाह गृह में किया गया। मलयालम सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अभिनेता तिलकन ने अपने तीन दशक के फिल्मी कॅरियर के दौरान अपने अभिनय कौशल की अद्भुत मिसाल पेश की। कई फिल्मकारों और अभिनेताओं का मानना है कि तिलकन के निधन से जो रिक्तता पैदा हुई है, उसे भरना आसान नहीं होगा। तिलकन के मलयालम फिल्मों के सहकर्मी अभिनय में उनका लोहा मानते रहे हैं। तिलकन का मलयालम फिल्मों के सुपर स्टार मोहनलाल के साथ बेहतरीन ‘सामंजस्य’ था जिनके साथ उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। मोहनलाल की ज्यादातर सुपर हिट फिल्मों में तिलकन की कोई न कोई भूमिका जरूर रही। थिएटर कलाकार के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले तिलकन ने केरल पीपुल्स आर्ट सेंटर समेत कई नाटक मंडलियों के विभिन्न नाटकों में दमदार भूमिका निभाई। वह वर्ष 1966 तक केपीएसी के साथ जुड़े रहे। इसके बाद वह एक अन्य नाट्य मंडली कालिदास कलाकेंद्रम के साथ जुड़ गए। तिलकन ने कई रेडियो नाटकों के लिए अपनी आवाज दी। उन्होंने अभी पिछले साल ही रेडियो नाटक ‘ओट्टा’ में एकल अभिनय किया था। इस नाटक में एकमात्र किरदार था। मंच पर कई वर्षों से बेहतरीन अभिनय करने वाले तिलकन ने फिल्मी पर्दे पर अपने दमदार अभिनय से लगभग सभी मलयालम अभिनेताओं को पीछे छोड़ दिया। फिल्म ‘यवनिका’ में उनके दमदार अभिनय के लिए राज्य सरकार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने अपने पूरे कॅरियर में करीब 300 फिल्में कीं जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभार्इं। तिलकन को वर्ष 2009 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 1988 में फिल्म ‘रितुभेदंगल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
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25-09-2012, 12:42 AM | #14919 |
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नर्मदा घाटी पर थी डायनोसोरों के आखिरी वंशजों की बादशाहत
इंदौर। मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में बिखरे ‘जुरासिक खजाने’ को ढूंढ़ निकालने वाले एक खोजकर्ता समूह ने दावा किया है कि इस भौगोलिक क्षेत्र में करीब साढ़े छह करोड़ साल पहले डायनोसोरों के आखिरी वंशजों का राज था। ये डायनोसोरों की वह अंतिम संतति थी, जो कुदरत के तमाम क्रूर हमलों से बचते हुए कम से कम 5,000 साल तक अपना वजूद बनाए रखने में कामयाब रही थी। ‘मंगल पंचायतन परिषद’ के प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया कि हमें यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर मांंडू के नजदीक निमाड़ अंचल के तराई के इलाकों में डायनोसोरों के आखिरी वंशजों की हड्डियों के जीवाश्म मिले हैं। सौरोपॉड परिवार से ताल्लुक रखने वाले डायनोसोरों के ये आखिरी वंशज शाकाहारी थे। खोजकर्ता समूह के प्रमुख ने कहा कि करीब साढेþ छह करोड़ साल पहले ज्वालामुखी विस्फोटों से लावे के भयंकर प्रवाहों और अन्य भौगोलिक हलचलों के चलते पृथ्वी से डायनोसोरों का लगातार खात्मा हो रहा था। लेकिन कुछ डायनोसोर खुशकिस्मत थे, जो कुदरत की कू्रर विभीषिकाओं से बचते-बचाते 5,000 से 10,000 साल तक इस ग्रह पर अपना अस्तित्व सुरक्षित रखने में कामयाब रहे थे। वर्मा के मुताबिक नजदीकी धार जिले के मांडू के पास भी डायनोसोरों के इन्हीं आखिरी वंशजों की बादशाहत थी। यह इलाका फिलहाल नर्मदा घाटी का हिस्सा है और पृथ्वी के उन दुर्लभ भू-भागों में शामिल है, जो डायनोसोरों की ‘अंतिम चहलकदमी’ के गवाह रहे हैं। वर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी समेत भारत के मध्यवर्ती इलाकों में भौगोलिक हलचलों के दौरान लम्बे समय तक बैसाल्टिक लावे के तीव्र और विस्तृत प्रवाह, भीषण उष्मा विकिरणों और मौसम के बेहद असामान्य बदलावों के कारण डायनोसोरों का वजूद खत्म हुआ। ‘मंगल पंचायतन परिषद’ ने तब पहली बार दुनिया भर का ध्यान खींचा था, जब इस खोजकर्ता समूह ने वर्ष 2007 के दौरान नजदीकी धार जिले में डायनोसोर के करीब 25 घोंसलों के रूप में बेशकीमती जुरासिक खजाने की चाबी ढूंढ़ निकाली थी। वर्मा के मुताबिक, उन्हें इन घोंसलों में डायनोसोर के सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म मिले थे। इनमें सबसे दुर्लभ घोंसला वह है, जिसमें इस विलुप्त जीव के करीब 15 अंडों के जीवाश्म एक साथ मिले थे। उन्होने बताया कि वह पिछले पांच सालों के दौरान डायनोसोर के 140 से ज्यादा अंडों के जीवाश्म ढूंढ़ चुके हैं। इनमें से करीब 25 जीवाश्म साबुत अंडों के हैं, जो तोप के वजनी गोलों की तरह दिखाई देते हैं। वर्मा ने बताया कि नर्मदा घाटी में जमीन की विभिन्न परतों के नीचे तीन अलग-अलग कालखंडों के डायनोसोरों के जीवाश्म मिलते हैं। हमें धार जिले में डायनोसोरों के अंडों के जो जीवाश्म मिले हैं, वे इस विलुप्त जानवर के आखिरी वंशजों के पूर्वजों के हैं।
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भारतीय सैनिकों की कहानी इसरायली पाठ्यपुस्तकों में शामिल
हैफा। उत्तरी इसरायल के हैफा शहर को 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान मुक्त कराने वाले भारतीय सैनिकों का नाम यहां इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया गया है। हैफा नगरपालिका ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इस तटीय शहर को मुक्त कराने के साहसी प्रयासों के लिए भारतीय सैनिकोंं की कहानियां स्कूली पाठ्यक्रम के अंतर्गत आने वाली इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में शामिल की हैं। उन सैनिकों में से कई को यहां कब्रिस्तान में दफनाया गया है। भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां जुटे लोगों को संबोधित करते हुए शहर की उप मेयर हेदवा अलमोग ने कहा कि यह शहर के इतिहास और विरासत के संरक्षण के किए जा रहे नगर निगम के प्रयासों में शामिल है। हैफा हिस्टोरिकल सोसाइटी ने हैफा में भारतीय सैनिकों की भूमिका पर गहन शोध किया है। उनके अध्ययन के अनुसार बहुत सारे भारतीय सैनिकों ने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान यहां अपने जीवन की कुर्बानी दी और लगभग 900 सैनिकों को इसरायल में ही दफनाया गया है। अलमोग ने कहा कि नगरपालिका 2018 में इसके शताब्दी समारोह को मनाने की योजना पर काम कर रहा है। साथ ही भारत से इसे सफल बनाने के लिए सहयोग करने की अपील की गई है। तेल अवीव में भारतीय मिशन की प्रभारी वाणी राव ने सकारात्मक जवाब देते हुए सहयोग की बात कही। भारतीय सेना हर वर्ष 23 सितंबर को हैफा दिवस के रूप में मनाती है। हैफा शहर के निवासी भी इसी दिन हैफा दिवस मानते हैं। इस पूरे हफ्ते यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
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