24-09-2012, 11:43 PM | #14921 |
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शोध कार्य को भेजा मंजूरी के लिए बीकानेर। पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार आने वाले दिनों में वन्यजीवों की अस्थियों से वन्यजीव की पहचान आसानी से हो सकेगी, फिलहाल मृत जीवों के अवशेष पाए जाने पर उसकी पहचान के लिए पशु चिकित्सक खासी मशक्कत के बावजूद सही नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे है । इसी के चलते कई मामलों में अवैध शिकार में लिप्त शिकारी आरोपमुक्त हो जाते हैं। विश्वविद्यालय के पशु शरीर रचना विज्ञान विभाग ने वन्य जीवों की शारीरिकी अध्ययन को अपने मुख्य अनुसंधान का लक्ष्य बनाते हुए वन्य जीवों की अस्थियों के सहारे उनकी पहचान के लिए शोध पूरा कर मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेज दिया है। विश्वविद्यालय के कुलपति ए.के. गहलोत ने कहा मौजूदा समय में मृत वन्यजीवों की अस्थियों को पहचानने में काफी परेशानी महसूस होती है एवं अनेकों बार मिलती जुलती हड्डियों के कारण जांच के दौरान चिकित्सक भेड़ व बकरी की अस्थियां समझ बैठते है, शोध को मंजूरी मिलने के बाद अस्थियों के सहारे मृत वन्यजीव की पहचान का काम आसान हो जाएगा। बीकानेर स्थित विश्वविद्यालय के पशु शरीर रचना विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश माथुर के नेतृत्व में शोधार्थी स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने बाघ, चिंकारा व चीतल जैसे वन्य जीवों की शारीरिकी का अध्ययन किया है। माथुर ने बताया कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2007 को विश्वविद्यालय को वन्यजीवों की अस्थियों के माध्यम से पहचान के लिए मंजूरी दी थी। शोध पूरा होने के बाद अब इसे मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेज दिया गया है। माथुर के अनुसार शोध के दौरान सभी तरह की मंजूरी लेने के बाद चिंकारा और हिरण की अस्थियां निकाल कर उन पर शोध किया गया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को भेजे गए शोध पर फिलहाल न तो मंजूरी आई है और न ही उसके बारे में कोई जानकारी मांगी गई है। पशु शरीर रचना विज्ञान विभाग के स्नात्तकोत्तर विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश माथुर के निर्देशन में चिंकारा, चीतल तथा बाघ की विभिन्न अस्थियों की स्थूल संरचना का गहन अध्ययन किया एवं इन्हें पहचानने और अन्य प्रजातियों से भिन्नता का विस्तार से अध्ययन किया गया है। प्रो. गहलोत के अनुसार पशु कानून मामलों में जांच के दौरान जांचकर्ताओं को वन्यजीवों की अस्थियों को पहचानने में काफी परेशानी महसूस होती है एवं अनेकों बार वे वन्य जीव के बजाए भेड़-बकरी की अस्थियां समझ बैठते हेै। चिंकारा बचाओं अभियान में जुटे रामचरण विश्नोई ने कहा अस्थियों की सही पहचान नहीं हो पाने के कारण शिकारियों को सजा नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा कि राजस्थान में अवैध शिकार के सैकड़ों मामले अदालतों में विचाराधीन है शोध को मंजूरी मिलने के बाद वन्यजीव की अस्थियों के माध्यम से पहचान होने से आरोपियों को सजा मिलना आसान हो जाएगा। वन्य जीव बचाओं अभियान से जुडेþ लोगों का कहना है कि केन्द्र सरकार से शोध को मंजूरी मिलने के बाद पशु चिकित्सकों को काफी राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त शारीरिकी अध्ययन से हमें इन दुर्लभ वन्य जीवों से संबंधित आश्चर्यजनक तथ्यों जैसे चिंकारा की अत्यधिक तीव्र गति तथा छंलाग लगाने की प्राकृतिक तकनीक जानने का मौका मिलेगा। डॉ. माथुर के अनुसार शोध के जरिए वन्यजीव की हडिड्यों सम्बधी रोग एवं उपचार में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में मरूस्थलीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले अन्य वन्य जीवों की शारीरिक, स्थूलीय एवं भौतिकीय अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इससे पहले बाघ और गिद्ध पर भी शोध कार्य पूरा कर केन्द्र सरकार को भेज चुका है । बाघ की हडिड्यों पर किए शोध के लिए देहरादून स्थित वन्यजीव संस्थान से विशेष मंजूरी लेकर जमीन में दबी बाघ की हडिड्यां निकाली गई थी। प्रो. गहलोत ने बताया कि राजस्थान में वन्यजीवों की उपलब्धता को देखते हुए विश्वविद्यालय में वन्य जीव प्रबंधन एवं स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित करने की योजना है। यह केन्द्र वन, वन्यजीवन आदि विभिन्न विभागों को तकनीकी नेतृत्व प्रदान करने एवं पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण देगा।
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24-09-2012, 11:43 PM | #14922 |
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रामदेवरा मेला आने वालों को खूबी लुभाती हैं राजस्थानी पगड़ियां
जैसलमेर । राजस्थान की आन, बान और शान की प्रतीक राजस्थानी पगड़ी का जादू इन दिनों रामदेवरा मेला आने वाले लोगों पर जमकर हावी हो रहा है। राजस्थान में सामाजिक रीति-रिवाजों, उत्सवी परम्पराओं और हर तरह के आयोजनों में राजस्थानी पगड़ी का आकर्षण बरकरार है। जैसलमेर जिले में विश्व प्रसिद्ध बाबा रामदेव के मेले में आने वाले देशी एवं विदेशी सैलानियों में लगातार बढ़ती जा रही पगड़ी की लोकप्रियता ने रामदेवरा को इन पगड़ियों का बड़ा बाजार बना दिया है। यहां रंग-बिरगी एवं आकर्षक बड़ी संख्या में पगड़ियां उपलब्ध हैं। राजस्थानी पगड़ियों की जबरदस्त मांग की वजह से रामदेवरा में दुकानों पर ये बिक्री के लिए रखी गई हैं चाहे वे किसी भी सामग्री की दुकानें क्यों न हो। साफानुमा पगड़ियों को बांधना नहीं पड़ता इसी वजह से इन्हें धारण करना बहुत सहज होता है। रामदेवरा में इन पगड़ियों का अनोखा संसार ही ऐसा बसा होता है कि सैलानी इन पगड़ियों को पहन कर अपनी शान दिखाने का मोह नहीं छोड़ पाते। बात शहरी लोगों की हो या ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों की सभी में पगड़ी का जबरदस्त क्रेज होता है। रामदेवरा में भादवा मेले का समय हो अथवा साल भर की बात, इन पगड़ियों का आकर्षण हमेशा छाया रहता है। बड़ी संख्या में सैलानी इन पगड़ियों को पहनकर घूमते भी हैं एवं अपने परिजनों तथा परिचितों को भेंट करने के लिए यहां से खरीदकर ले भी जाते हैं। रामदेवरा की दुकानों पर अपने माथे पर पगड़ी रख कर सैलानी अपने साथियों से यह पूछते देखे जाते हैं, कैसी लग रही है पगड़ी..। सैलानियों में सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी राजस्थानी पगड़ी पहनने का शौक सिर चढ़कर बोलता है। मेले में बाजारों से साफानुमा ये सैकड़ों पगड़ियां रोज बिकती हैं। शीतकालीन अवकाश और नया साल मनाने यहां आने वाले सैलानियों के साथ ही विदेशी स्त्री-पुरुष पर्यटकों के लिए भी रंग-बिरंगी पगड़ियां पहनने का आकर्षण खूब रहता है। रामदेवरा से निकली यह राजस्थानी पगड़ियां सैलानियों के साथ देश के कोने-कोने में पहुंच कर राजस्थानी लोक संस्कृति की आतिथेय परम्परा का जयगान कर रही है।
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24-09-2012, 11:44 PM | #14923 |
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राष्ट्रपति करेंगे जम्मू कश्मीर की यात्रा
श्रीनगर। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी कश्मीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर आएंगे। यह इस साल राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद इस राज्य की उनकी पहली यात्रा होगी। आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि मुखर्जी 27 सितंबर को 18 वार्षिक दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट छात्रों को डिग्रियां और पदक प्रदान करेंगे। देश का 13वां राष्ट्रपति बनने के बाद से इस राज्य की यह उनकी पहली यात्रा होगी। ऐसी अटकलें हैं कि हुर्रियत कांफे्रंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति से पीएचडी की डिग्री ग्रहण कर सकते हैं, लेकिन इस अलगाववादी नेता के एक करीबी ने इस संभावना से इन्कार किया है। अलगाववादी नेता के एक करीबी ने कहा कि मीरवाइज अगले महीने के प्रारंभ तक कश्मीर में वापस नहीं लौट रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 21वें सत्र में शामिल होने के लिए फिलहाल जिनेवा गए मीरवाइज ने डिग्री पाने के लिए ही आवश्यक शुल्क दिया है, न कि दीक्षांत में शामिल होने के लिए। अक्टूबर, 2010 में मीरवाइज को इस्लाम में राजनीतिक चिंतन पर प्रसिद्ध संत मीर सैयद अली हमदानी की पुस्तक पर थीसिस को लेकर पीएचडी डिग्री मिली थी। हमदानी कश्मीर में अमीर-ए-कबीर से लोकप्रिय रहे।
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24-09-2012, 11:44 PM | #14924 |
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आजाद ने तृणमूल पर साधा निशाना
बताया 300 से ज्यादा सांसदों का समर्थन जम्मू। तृणमूल कांगे्रस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर ममता बनर्जी नीत तृणमूल जैसे दलों का दबाव नहीं होता तो खुदरा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश लाने, डीजल के दामों में वृद्धि करने और घरेलू गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित करने के फैसले पहले ही ले लिए जाते। तृणमूल कांग्रेस द्वारा समर्थन वापसी के बाद संप्रग सरकार पर किसी तरह के खतरे की संभावना को खारिज करते हुए आजाद ने कहा कि हमारी सरकार को लोकसभा में 300 से अधिक सांसदों का समर्थन है, जिनमें अंदर से और बाहर से सहयोग दे रहीं पार्टियों के सदस्य शामिल हैं। सरकार को संसद में साधारण बहुमत के लिए 545 सदस्यीय सदन में कम से कम 273 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। जम्मू कश्मीर के पूर्व राजा महाराज हरि सिंह की 117वीं जयंती पर यहां आयोजित समारोह के बाद आजाद ने केंद्र सरकार के फैसलों का बचाव करते हुए कहा कि हर देश को अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कठोर कदमों की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत कदम देश के लिए बेहतर होगा। आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर ये कदम नहीं उठाए जाते तो देश के सामने 1991 जैसे हालात आ जाएंगे जब सोना गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने मंदी की चुनौती के बावजूद भारत ने आर्थिक मोर्चे पर अच्छा काम किया है।
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24-09-2012, 11:50 PM | #14925 |
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भारत-रूस के रक्षा मंत्रियों की बैठक में गोर्शकोव मुद्दे पर होगी चर्चा
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना को रूस से विमान वाहक एडमिरल गोर्शकोव की आपूर्ति में विलंब पर अगले महीने दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में चर्चा होगी। इस युद्धक जहाज की आपूर्ति में पहले ही काफी विलंब हो चुका है। इस बीच, रूस में समुद्र-परीक्षण के दौरान इस युद्धक जहाज के इंजन में गड़बड़ी सामने आने के बाद इसकी आपूर्ति की समय सीमा कुछ और बढ़ गई। अब ऐसी संभावना है कि अगले साल की दूसरी छमाही तक ही गोर्शकोव भारत पहुंच पाएगा। नौसेना के अधिकारियों ने यहां कहा कि अगले महीने भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य तकनीकी आयोग की बैठक के दौरान यह मुद्दा उठेगा। रूस के रक्षा मंत्री एनातोली सर्दयुकोव ने मास्को में कहा कि अगले महीने दोनों पक्षों के बीच विमान वाहक मुद्दे पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य तकनीकी आयोग की बैठक में हमारी अपने भारतीय सहयोगियों से इस परियोजना में आगे के सहयोग पर चर्चा करने की योजना है जो अक्टूबर की शुरुआत में दिल्ली में होगी। इस जहाज का नाम आईएनएस विक्रमादित्य रखा गया है। यह इस साल चार दिसंबर को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाला था, लेकिन अब अक्टूबर, 2013 में ही इसकी आपूर्ति की जाएगी। भारतीय नौसेना अधिकारियों ने कहा कि अब तक रूसी अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि बॉयलर की गड़बड़ी के चलते इस जंगी जहाज को कितना नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि भारत रूसी पक्ष से यह कह सकता है कि वह गोर्शकोव को निर्धारित समय सीमा के अंदर भारतीय पक्ष को सौंपे और आवश्यक सुधार कार्य उस अवधि में पूरा करे। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत निर्धारित समय सीमा में गोर्शकोव की आपूर्ति नहीं करने पर रूसी पक्ष पर जुर्माना लगा सकता है, तब उन्होंने कहा कि विलंब के मुद्दे पर कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है और उस दिशा में किसी भी कदम पर उसके बाद ही विचार किया जाएगा। हालांकि नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार रक्षा मंत्रालय तब ऐसा जुर्माना लगा सकता है, जब बहुत विलंब हो जाए। भारत खुद भी स्वदेशी विमान वाहक बनाने में प्रयासरत है, लेकिन विभिन्न समस्याओं की वजह से उसमें तीन-चार साल की देरी हो चुकी है। गोर्शकोव के सौदे के लिए वर्ष 2004 में समझौता हुआ था, लेकिन मरम्मत एवं सुधार के नाम पर रूस ने दाम बढ़ाने की मांग की। इसके बाद उसके दाम पर फिर से चर्चा हुई और उसका मूल्य 2.3 अरब डॉलर कर दिया गया।
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24-09-2012, 11:51 PM | #14926 |
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भारत में कार्यक्रम पेश करेगा अमेरिका का चर्चित बैंड ‘स्लेयर’
नई दिल्ली। अमेरिका का चर्चित बैंड ‘स्लेयर’ अक्टूबर में पहली बार भारत में अपना कार्यक्रम पेश करेगा। दो बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता यह बैंड अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक रॉक संगीत महोत्सव ‘व्लादिवार रॉक एन इंडिया’ के दौरान 20 अक्टूबर को बेंगलुरु में प्रदर्शन करेगा। स्लेयर वर्ष 1986 में ‘रीन इन ब्लड’ गाने से विश्वभर में चर्चित हुआ था। इस बैंड के अन्य चर्चित गाने हैं, ‘रेनिंग ब्लड’, ‘एंजल आॅफ डेथ’, ‘सीजन्स इन दि एबिस’ और ‘साउथ आॅफ हेवेन’।
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24-09-2012, 11:51 PM | #14927 |
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सेना प्रमुख ने घुड़सवार यूनिट की परेड का निरीक्षण किया
जयपुर। सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने 61वें घुड़सवार बल द्वारा यहां आयोजित शानदार परेड का निरीक्षण किया। शानदार अभ्यास, घुड़सवारी के कौशल के अतिरिक्त 221 घोड़ों वाले इस रेजीमेंट ने अनुशासन और मनोबल का प्रदर्शन किया। आठ, चार और 12 लोगों को मिलाकर बनाए गए रेजीमेंट ने सामान्य चाल, तेज चाल और सरपट दौड़कर परेड की। दक्षिण पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञान भूषण और जीओसी 61 उप क्षेत्र के मेजर जनरल केजेएस थिंड ने अश्वारोही मैदान में सेना प्रमुख से पहले परेड की सलामी ली। रक्षा प्रवक्ता एस. डी. गोस्वामी ने कहा कि सेना प्रमुख बनने के बाद से जनरल सिंह की रेजीमेंट की पहली यात्रा है। 61वां अश्वारोही बल सेना का एक मात्र अश्वारोही रेजीमेंट है और उसे असाधारण प्रदर्शन के लिए पद्मश्री और 10 अर्जुन पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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नेहरू, गांधी ने किया सबसे अधिक प्रभावित : सू की
न्यूयॉर्क। म्यामां की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की ने अमेरिकी छात्रों को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रचनाएं पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा है कि गांधी और और जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया है। सू की ने कहा कि गांधी, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता मार्टिन लूथर किंग और उनके पिता एवं राजनीतिक गुरु आंग सान ‘सिद्धांतवादी’ व्यक्ति थे। जब देश के सैन्य शासकों ने उन्हें नजरबंद कर दिया था तब वह स्वयं को अनुशासित रखने के लिए उनकी रचनाएं पढ़ती थीं। नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित 67 वर्षीय सू की ने यहां कोलंबिया यूनिवर्सिटी के सभागार मेंं छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गांधी की रचनाओं ने उन्हें बहुत अधिक प्रेरित किया है। उन्होंने छात्रों से उनकी रचनाएं पढ़ने का आग्रह किया। यह पूछे जाने पर कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए आगे बढ़ने के दौरान उन्हें अनुशासित रखने में उन पर सबसे अधिक किसका प्रभाव रहा है, सू की ने कहा कि गांधी का व्यक्तित्व वास्तव में अद्भुत है। मेरा मानना है कि आप सभी को उनकी रचनाएं पढ़नी चाहिए। आप उन्हें जितना अधिक पढ़ेंगे, आप उतने अधिक प्रभावित होंगे कि वह कौन थे और वह क्या थे। सू की ने कहा कि आप सभी को यह बात याद रखनी चाहिए कि गांधी से पहले कभी भी अहिंसा से परिवर्तन का विचार नहीं किया गया था। इसकी शुरुआत उन्होंने ही की थी। वही थे जिन्होंने यह निर्णय किया कि हिंसा के बगैर भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाना संभव है। भारत में शिक्षा ग्रहण करने वाली सू की ने कहा कि वह स्वयं को नेहरू के थोड़ा अधिक निकट पाती हैं क्योंकि उनकी शिक्षा का स्वरूप उन्हीं की तरह का रहा है। इसके साथ ही वह नेहरू जैसी बौद्धिक पृष्ठभूमि भी साझा करती हैं। उन्होंने कहा कि नेहरू उनके पिता के मित्र थे, इसके अलावा भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई भी उसी समय हुई थी, जब बर्मा का स्वतंत्रता आंदोलन हुआ था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच काफी नजदीकी सम्पर्क थे। वर्ष 1992 में भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव के लिए सू की को जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया था। सू की ने कहा कि गत 15 वर्ष जब उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया था, उस समय उन्होंने स्वयं को अनुशासित रखने के लिए बर्मा की सेना के संस्थापक माने जाने वाले अपने पिता, गांधी और लूथर किंग की रचनाएं पढ़ी थीं।
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सच्चर-रंगनाथ की सिफारिशों पर संसद में ‘लड़ाई’ तेज करने पर जोर
नई दिल्ली। देश के कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं और नेताओं ने सच्चर कमेटी एवं रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों को लागू कराने के लिए सड़क और संसद दोनों जगह ‘लड़ाई’ तेज करने की पैरवी की है। दिल्ली के श्रीराम सेंटर में ‘फिक्र फाउंडेशन’ की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों एवं अब इनके कार्यान्वयन की दिशा में हुई प्रगति पर विस्तार से रोशनी डाली गई। इसमें मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी, शिक्षा की कमी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी वक्ताओं ने अपनी राय रखी। जद-यू सांसद अली अनवर ने कहा कि सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों को लागू करने की लड़ाई हम लंबे समय से लड़ रहे हैं, लेकिन अब इसे संसद में तेज करनी होगी। संसद में मिलकर आवाज बुलंद करने से सरकार को कदम उठाने पर विवश होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इन सिफारिशों के कार्यान्वयन के साथ ही मुस्लिम समुदाय की अपनी कमियों पर गौर करके उन्हें दूर करना होगा। पूरा समाज जातिवाद से ग्रस्त है और इससे मुस्लिम समुदाय भी अछूता नहीं है। समाज में जातिगत और शैक्षणिक आधार पर जो लोग भी पिछड़े हैं, उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए।’ राज्यसभा सदस्य मोहम्मद अदीब ने कहा कि सच्चर कमेटी पर सरकार खामोश क्यों है? उसे जवाब देना चाहिए। देश का मुसलमान लगातार पिछड़ता चला जा रहा है और उसमें असुरक्षा भी पैदा की जा रही है। यह देश के हित में नहीं है। देश के विकास के लिए सभी का विकास होना जरूरी है। हम सच्चर की सिफारिशों को लागू कराने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। इस मौके पर भाकपा नेता अतुल कुमार अनजान ने कहा कि देश में हर समुदाय नाइंसाफी की शिकायत कर रहा है तो इसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। सरकार में समता जरूरी है। इसके साथ ही सभी लोगों को तार्किक होना पड़ेगा। आॅल इंडिया उलेमा एंड मशायक बोर्ड के महासचिव मौलाना अशरफ कछौछवी ने कहा कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू कराना सरकार की जिम्मेदारी है। यह मुस्लिम समुदाय का हक है और उसे मिलना चाहिए। हैदराबाद से आए धर्मगुरु सैयद कासिम पाशा ने कहा कि मुसलमानों को इस वक्त तालीम और रोजगार की सख्त जरूरत है। इसके जरिए ही उन्हें समाज में ऊपर लाया जा सकता है। इसके लिए सरकार के साथ इस समुदाय को भी कोशिश करनी होगी। इस कार्यक्रम में ‘फिक्र फाउंडेशन’ के मोहम्मद रईस इदरीसी, राकांपा की अल्पसंख्यक इकाई के उपाध्यक्ष मौलाना अंसार रजा और कई अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।
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जल्द चुनावों की संभावना नहीं : येचुरी
फगवाड़ा (पंजाब)। कांग्रेस नीत संप्रग सरकार से तृणमूल कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बावजूद देश में जल्द चुनाव की कोई संभावना दिखाई नहीं देती। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दो दल सपा और बसपा देश में जल्द चुनावों के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक बसपा और सपा संप्रग से अपना समर्थन वापस नहीं लेतीं, तब तक जल्द चुनाव नहीं होंगे। आखिरकार लोकतंत्र संख्या का खेल है। हालांकि, गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा वाला तीसरा विकल्प उभर रहा है और यह सिर्फ वैकल्पिक सरकार के गठन ही नहीं, बल्कि वैकल्पिक नीतियों को लागू करने के प्रति कटिबद्ध होगा। उन्होंने कहा कि यह नीतियों का मामला है, न कि सिर्फ सरकार के गठन का। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि उसने र्इंधन के दामों में वृद्धि और एफडीआई का तब क्यों नहीं पुरजोर विरोध किया जब वह सरकार का हिस्सा थी। जब ये जनविरोधी फैसले किए गए तब केबिनेट की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के मंत्री भी शामिल थे।
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