09-10-2011, 01:22 AM | #141 | |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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मुझे तो ये मोहब्बत कोई बद्दुआ लगती है वाह ...............वाह .............
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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14-10-2011, 01:46 PM | #142 |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं , रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया, वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
16-10-2011, 05:03 PM | #143 |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
आस होगी, न आसरा होगा आने वाले दिनों में क्या होगा मैं तुझे भूल जाऊंगा इक दिन वक्त सब कुछ बदल चुका होगा नाम हमने लिखा था आंखों में आंसुओं ने मिटा दिया होगा कितना दुश्वार था सफ़र उसका वो सरे-शाम सो गया होगा पतझड़ों की कहानियां पढ़ना सारा मंज़र किताब-सा होगा आसमां भर गया परिन्दों से पेड़ कोई हरा गिरा होगा
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16-10-2011, 07:16 PM | #144 | |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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अति सुन्दर ....................!
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17-10-2011, 01:16 AM | #145 | |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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बहुत खूब, जय भाई ! आपका यह काव्य-कौशल देखने के लिए ही आंखें तरस रही थीं !
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17-10-2011, 07:09 AM | #146 |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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17-10-2011, 07:13 AM | #147 | |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये, जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की, वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये| |
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05-11-2011, 11:14 PM | #148 |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
तेरी चाहत में हम ज़माना भूल गए किसी और को अपना बनाना भूल गए तुमसे मुहब्बत है बताया सारे जहाँ को बस एक तुझे ही बताना भूल गए |
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Last edited by Sikandar_Khan; 06-11-2011 at 08:36 PM. |
06-11-2011, 08:23 PM | #149 | |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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:fanta stic:
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
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07-11-2011, 01:43 AM | #150 |
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
संभवतः मैं उस समय ज्यादा लिए हुआ था, इसलिए निशांत भाई को जय भाई समझ बैठा ! यह भी खूब रही !
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