30-03-2017, 01:54 PM | #141 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
बहादुर शाह ज़फ़र / Bahadur Shah Zafar मंगल पांडे / Mangal Pande ^ 29 मार्च 1858: सैनिक कोर्ट मार्शल द्वारा बहादुर शाह द्वितीय (बहादुर शाह ज़फ़र) के विरुद्ध चलाये गए मुकद्दमे में फैसला सुनाया गया और उन्हें देश निकाले का हुक्म दिया गया. आपको याद होगा कि उन्हें रंगून भेज दिया गया था. उस समय उनकी आयु 80 वर्ष से अधिक थी. रंगून में ही उनका इंतकाल हुआ और वहीं पर उन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया गया. इस मौके पर ज़फर का यह शे'र याद आता है: कितना है बदनसीब ज़फ़र दफ़्न के लिए दो ग़ज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
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30-03-2017, 02:09 PM | #142 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 मार्च/March 30)
मनोहर श्याम जोशी / Manohar Shyam Joshi (सुप्रसिद्ध हिंदी लेखक)
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04-04-2017, 02:12 PM | #143 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
मीना कुमारी / Meena Kumari (बीते कल की प्रख्यात अभिनेत्री)
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04-04-2017, 02:25 PM | #144 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
मीना कुमारी / Meena Kumari मीना कुमारी एक शायरा भी थीं और 'नाज़' उपनाम से कवितायें लिखती थीं. गुलज़ार द्वारा सम्पादित उनकी शायरी की पुस्तक काफ़ी प्रसिद्ध हुयी. उनकी एक ग़ज़ल पेश है: चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा, दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा बुझ गई आस, छुप गया तारा, थरथराता रहा धुआँ तन्हा ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं, जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी, दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा जलती-बुझती-सी रोशनी के परे, सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।
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04-04-2017, 03:39 PM | #145 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
मीना कुमारी / Meena Kumari क्या अभिनेत्री मीना कुमारी का गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ क्या कोई सम्बन्ध था? Is it true that Meena Kumari was a distant relative of Rabindranath Tagore? अभिनेत्री मीना कुमारी की मां का नाम इक़बाल बानो था जो उनका शादी के बाद रखा हुआ नाम था. शादी से पहले उनका नाम प्रभादेवी था. प्रभादेवी की मां गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के छोटे भाई की पुत्री थी जो छोटी उमर में ही विधवा हो गयी थीं. बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और मेरठ में रहने वाले प्यारेलाल से शादी कर ली थी. प्रभादेवी इन्हीं की बेटी थी. प्रभादेवी ने अलीबख्श नामक व्यक्ति से शादी की थी. यही इक़बाल बानो और अलीबख्श मीना कुमारी (जिनका वास्तविक नाम महजबीन बानो था) के माता-पिता थे. इस प्रकार प्रकारांतर से मीना कुमारी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की संबंधी थीं.
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04-04-2017, 04:05 PM | #146 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
एफ़िल टावर / Eiffel Tower
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04-04-2017, 04:19 PM | #147 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
एफ़िल टावर / Eiffel Tower अपने समय की एक अद्भुत वास्तुकला, एफ़िल टॉवर दुनिया का पहला ऐसा स्मारक था जिसे 1000 फ़ुट की प्रतीकात्मक ऊंचाई तक बनाया गया था. आज की तारीख में टॉवर की ऊँचाई 324 मीटर है, जो की पारंपरिक 81 मंज़िला इमारत की ऊँचाई के बराबर है। यह तीन मंज़िला टॉवर पर्यटकों के लिए साल के 365 दिन खुली रहती है। यह टॉवर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीद कर देखी गई दुनिया की इमारतों में अव्वल स्थान पर आती है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एफ़िल टॉवर फ़्रांस की पहचान है।आजतक इस टावर में तकरीबन 26 करोड़ व्यक्ति इसमें प्रवेश कर चुके हैं। 31 मार्च 1889 वाले दिन, जब इस टॉवर को लोगों के आने जाने के लिये खोला गया, गुस्ताव एफ़िल जिनकी कंपनी ने इसका डिज़ाइन तैयार किया और इस टॉवर का निर्माण कराया था, कुछ सरकारी अधिकारियों और प्रेस के प्रतिनिधियों के समूह को साथ ले कर सीढ़ियों से चलते हुये टॉवर के शीर्ष तक पहुंचे क्योंकि उस समय तक लिफ्ट ने काम करना शुरू नहीं किया था. नीचे से चल कर टॉवर के शीर्ष तक पहुँचने में उन्हें एक घंटे से अधिक का समय लगा था. मूल योजना के अनुसार एफ़िल टॉवर का निर्माण पेरिस में सन 1889 में आयोजित वैश्विक प्रदर्शनी के दौरान एक अस्थायी संरचना के तौर पर किया गया था. लेकिन इसके खूबसूरत डिज़ाइन और भव्यता के साथ साथ देखने वालों में इस संरचना की अपार लोकप्रियता के कारण प्रशासन द्वारा एफ़िल टॉवर को स्थायी रूप में मान्यता प्रदान कर सदा के लिये स्वीकार कर लिया गया. इसके निर्माण में दो वर्ष, दो माह तथा पांच दिन का समय लगा. इस कार्य में गुस्ताव एफ़िल को लोहे के काम का तजुर्बा रखने वाले 300 कारीगरों का सहयोग लेना पड़ा. लोहे के भारी भरकम 18038 खंड-प्रखंडों से मिल कर बने हुये एफ़िल टॉवर नामक इस अजूबे का निर्माण हुआ. पूरी तरह लोहे से निर्मित टॉवर का कुल वजन लगभग 7715 टन है तथा लोहे के सभी खंडों को जोड़ने के लिये इसमें 25 लाख रिवटें (RIVETS) इस्तेमाल की गई. भूमि पर एफ़िल टॉवर का कुल क्षेत्रफल करीब 220000 वर्ग मीटर (220 thousand square meter) है. लोहे को जंग से बचाये रखने के लिये पूरी टॉवर की सतह को हर दस वर्ष में एक बार अच्छी तरह से PAINT किया जाता है. इस कार्य के लिये हर बार लगभग 60 टन पेंट प्रयोग में लाया जाता है. टॉवर की ऊँचाई 300.5 मीटर तथा उसके ऊपर का एंटीना 20.3 मीटर ऊँचा है. सर्दी और गर्मी के मौसम में तापमान के अंतर की वजह से एफ़िल टॉवर की संरचना में 15 सेंटीमीटर तक संकुचन या फैलाव हो सकता है. (यह जानकारी फ़ोरम के ही पुराने सूत्र से ली गयी है जिसे रजनीश मंगा ने तैयार किया था)
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08-04-2017, 01:56 PM | #148 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (4 /April 4)
हिंदी के मूर्धन्य कवि-लेखक अज्ञेय / Agyey सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
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08-04-2017, 02:01 PM | #149 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (8 अप्रेल /April 8)
कवि-लेखक बंकिमचन्द्र चटर्जी / Bankim Chandra Chattopadhyay
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09-04-2017, 06:29 PM | #150 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
मीना कुमारी जी और अज्ञेय जी के साथ बंकिमचंद्र जी के बारे में अनमोल जानकारी देने के लिए धन्यवाद भाई
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