16-09-2013, 10:56 PM | #141 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
धूप में जलता खेत हमारा, कर दे तू छाया छुपे हुए ओ चंचल पंछी, जा जा जा देख अभी है कच्चा दाना पक जाए तो खा |
17-09-2013, 10:06 PM | #142 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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खाइके पान बनारस वाला, खुल जाये बंद अक्कल का ताला...................
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17-09-2013, 10:27 PM | #143 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
लागा, चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे लागाचुनरी में दाग
चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे लागा, चुनरी में दाग ... हो गई मैली मोरी चुनरिया कोरे बदन सी कोरी चुनरिया आ ... जाके बाबुल से, नज़रें मिलाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे लागा, चुनरी में दाग छुपाऊँ कैसे |
17-09-2013, 10:32 PM | #144 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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सो बार जन्म लेंगे सौ बार फना होंगे... ए जाने वफ़ा फिर भी हम तुम न जुदा होंगे.......
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17-09-2013, 11:15 PM | #145 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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18-09-2013, 12:11 AM | #146 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ना बोले तुम ना मेने कुछ कहा ..........कहा मगर ना जाने एसा क्यूँ लगा ...........लगा की धूप मे खिला हे चाँद ......दिन मे रात हो गई ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई.............
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18-09-2013, 12:35 AM | #147 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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इस जहां की नहीं हैं तुम्हारी आँखें </b> |
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18-09-2013, 11:29 PM | #148 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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मेरे सामने वाली खिड़की में, एक चांद का टुकड़ा रहता है, अफ़सोस ये है के वो हमसे, कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है................
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19-09-2013, 12:37 AM | #149 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी, फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी ! सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ, अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी !! हर तरफ भागते दोड़ते रास्ते, हर तरफ आदमी का शिकार आदमी !! रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ, हर नए दिन , नया इंतज़ार आदमी !! ज़िन्दगी का मुकद्दर सफ़र दर सफ़र, आखरी सांस तक बेकरार आदमी !! आखरी सांस तक बेकरार आदमी...............!!! |
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19-09-2013, 01:01 AM | #150 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
मत सहल हमें जानों फिरता है फलक बरसों
तब ख़ाक के परदे से इन्सान निकलते हैं |
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