01-10-2012, 04:25 PM | #15071 |
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जोहान्सबर्ग। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी की ओर से अहिंसा के प्रयोग के तौर पर वर्ष 1904 में डरबन के निकट स्थापित ‘फोनिक्स सेटलमेंट’ को अब पर्यटन स्मारकों में शामिल किया गया है। ‘इनानदा हैरिटेज रूट’ का गांधी और जॉन ड्यूब जैसी कुछ स्थानीय हस्तियों से खासा जुड़ाव है। ड्यूब अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के पहले अध्यक्ष और गांधी के करीबी मित्र थे। डरबन के उप मेयर लोगी नैदू ने कहा कि इसी रास्ते से नौजवान वकील मोहनदास करमचंद गांधी ने अपने सत्याग्रह एवं अहिंसा के दर्शन की शुरुआत की थी। उन्होंने इस शहर में अपने जीवन के 21 साल गुजारे। बापू यहीं पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ जुलू लोगों के संघर्ष में शामिल हुए। उनके संघर्ष की जड़ें इतनी मजबूत हुर्इं कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों ने दक्षिण अफ्रीका से लेकर भारत तक झंडा बुलंद किया। गांधी ने दमन के खिलाफ अपनी लड़ाई फोनिक्स सेटलमेंट से ही शुरू की थी। बापू ने पांच मार्च, 1913 को फोनिक्स फार्म में लिखा था ‘यह स्वीकार मत करो कि तुम कमजोर हो। ऐसा करके तुम मजबूत बनोगे।’ इनानदा हैरिटेज रूट में पर्यटक वह कुटिया देख सकेंगे जहां बापू रहते थे। उन्हें वह जगह भी दिखाई जाएगी जहां से बापू ने अपना अखबार ‘इंडियन ओपीनियन’ निकाला था।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
01-10-2012, 04:25 PM | #15072 |
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आपकी इस मेहनत की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी।
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01-10-2012, 04:30 PM | #15073 |
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कज्जाफी का कत्ल सरकोजी ने करवाया
लंदन। लीबिया के पूर्व शासक मुअम्मर कज्जाफी की मौत के बारे में एक नया और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बीते साल सिरते में मौजूद भीड़ अथवा विद्रोहियों ने नहीं, बल्कि फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के आदेश पर एक फ्रांसीसी खुफिया एजेंट ने कज्जाफी के सिर में गोली मारी थी। वर्षों तक लीबिया पर शासन करने वाले कज्जाफी की 20 अक्टूबर, 2011 को उसके गृहनगर सिरते में हत्या कर दी गई थी। उस वक्त यही कहा गया था कि वहां मौजूद विद्रोहियों और भीड़ ने कज्जाफी को मारा है। फ्रांस का एक खुफिया एजेंट उस भीड़ में शामिल हो गया जो कज्जाफी को घेरे हुए थी। भीड़ में घुसने के बाद इस एजेंट ने कज्जाफी के सिर में गोली मार दी। त्रिपोली के राजनयिक सूत्रों ने बताया कि कज्जाफी को मारने का मकसद यह था कि उसके और सरकोजी के बीच गहरे रिश्ते के बारे में पूछताछ और जानकारी नहीं हो सके। उस वक्त सरकोजी फ्रांस के राष्ट्रपति थे। कभी पेरिस में ‘बंधु नेता’ कहकर कज्जाफी का स्वागत करने वाले सरकोजी को 2007 के चुनाव में लीबिया से लाखों डॉलर की राशि मिली थी। शायद यह और कई अन्य राज छुपाने की कोशिश में सरकोजी ने कज्जाफी को हमेशा के लिए खामोश करने का फैसला किया। एक ब्रिटिश अखबार की मानें तो कज्जाफी के साथ नजदीकी रिश्ते रखने वालों में सरकोजी इकलौते यूरोपीय नेता नहीं थे, बल्कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर अक्सर त्रिपोली जाया करते थे और वहां करोड़ों-अरबों पाउंड के कारोबारी सौदे करवाते थे। इटली के एक अखबार का कहना है कि कज्जाफी का कत्ल करने वाला फ्रांस का एजेंट सरकोजी के आदेश पर काम कर रहा था। इस अखबार ने कहा कि लीबिया में विद्रोह की शुरुआत के बाद नाटो ने इसका समर्थन किया। सरकोजी ने भी इसका पुरजोर ढंग से समर्थन किया। इस पर कज्जाफी ने धमकी दी कि वह सरकोजी के साथ अपने रिश्तों के राज का खुलासा कर देगा। इस राज में चुनाव के लिए दी गई लाखों डॉलर की बात भी शामिल थी। कज्जाफी के कत्ल में फ्रांसीसी एजेंट के शामिल होेने की बात महमूद जिबरिल ने भी स्वीकार की है। लीबिया में क्रांति के बाद जिबरिल ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया था। जिबरिल ने मिस्र के एक चैनल से कहा कि एक विदेशी एजेंट क्रांतिकारी ब्रिगेड के बीच घुस गया था ताकि कज्जाफी को मार सके। राजनयिक सूत्रों के अनुसार, सरकोजी के पास कई ऐसे कारण थे, जिनकी बुनियाद पर वह कज्जाफी को जल्द से जल्द खामोश करना चाहते थे।
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01-10-2012, 04:31 PM | #15074 |
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आत्मघाती हमले में नाटो सैनिकों समेत 14 लोग मारे गए
खोस्त (अफगानिस्तान)। अफगान-नाटो के पैदल गश्ती दल पर एक आत्मघाती हमले में नाटो के तीन सैनिकों और एक दुभाषिया समेत कम से कम 14 लोग मारे गए। प्रांतीय गवर्नर कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वी शहर खोस्त के बाजार में हुए इस हमले में चार अफगान पुलिसकर्मी और छह नागरिकों की भी मौत हो गई, जबकि 37 लोग घायल हो गए। तालिबान के चरमपंथी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे आत्मघाती हमलावरों ने खोस्त शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाके में अफगान एवं नाटो के संयुक्त पैदल गश्ती दल को निशाना बनाया। राज्यपाल कार्यालय के मुताबिक, इस हमले में तीन पुलिसकर्मी और 37 नागरिक घायल हो गए, जबकि छह नागरिक और त्वरित कार्रवाई बल के एक कमांडर समेत चार पुलिसकर्मी मारे गए। अस्पताल सूत्रों ने इस हमले में 10 अफगान नागरिकों के मारे जाने और 60 व्यक्तियों के घायल होने की बात कही है। अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल ने इस हमले में नाटो के तीन कर्मचारियों और आईएसएएफ के एक दुभाषिया के मारे जाने की पुष्टि की है। तालिबान के इस्लामी संगठन ने अपनी बेवसाइट में बताया कि यह आत्मघाती हमला कुंदुज निवासी मुजाहिद सदस्य शोहेब द्वारा अंजाम दिया गया। उन्होंने इस हमले में आठ विदेशी और छह अफगानी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है। एएफपी के अनुसार, इस साल गठबंधन सेना के 347 लोग मारे गए हैं। अफगानिस्तान में इस समय नाटो के करीब 1,00,000 सैनिक हैं, जो तालिबानी विद्रोहियों से लड़ रहे हैं। नाटो सैनिकों को 2014 के अंत तक वहां से हटाया जाना है।
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01-10-2012, 04:32 PM | #15075 |
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शादी समारोह में मेहमानों पर मदरसा छात्रों का हमला
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में एक शादी समारोह में वैवाहिक गीत गाए जाने पर मदरसा छात्रों ने वहां आए मेहमानों पर हमला कर दिया जिसमें दो लोग घायल हो गए। घोटकी के दाद लघारी इलाके में एक शादी समारोह में महिलाएं सिंधी वैवाहिक गीत ‘सेहरा’ गा रहीं थीं, तभी पास के मदरसे के छात्रों ने मेहमानों पर डंडों से हमला कर दिया और पथराव किया। हादी बख्श मलिक और उसके दामाद हजान मलिक हमले में जख्मी हो गए। छात्रों की अगुवाई मौलवी तैयब अरैन कर रहे थे। हादी बख्श ने कहा कि मेरे बेटे की सगाई चल रही थी। उन्होंने हमसे गाना बंद करने के लिए कहा और महिलाओं तथा बच्चों के लिए अपशब्द बोले। हादी बख्श ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी। अरैन का दावा है कि शादी समारोह में लोग ‘इशा’ की नमाज के वक्त गीत गा रहे थे। हमने उन्हें पहले भी ढोल नहीं बजाने और नमाज के वक्त नहीं गाने के लिए कहा था। मौलवी ने कहा कि हमने उनके घर पर हमला नहीं बोला, केवल गाना बंद करने को कहा था।
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01-10-2012, 04:57 PM | #15076 |
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हैट्स आफ फार यू अलैक भाई, जो आप हमे दुनियाभर की साइटों पर समय बर्बाद करने से बचा रहे हैं।
सभी समाचार एक ही जगह … काबिल-ए-तारीफ़ है। |
02-10-2012, 12:42 AM | #15077 |
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इस्लाम विरोधी फिल्म पर हुए बवाल की मुख्य वजह सामाजिक असमानता
नई दिल्ली। इस्लामाबाद स्थित जिन्ना संस्थान के निदेशक एवं पाकिस्तान के जाने-माने लेखक रजा रूमी का कहना है कि हाल ही में एक कथित इस्लाम विरोधी फिल्म के खिलाफ मचे बवाल की असली वजह समाज में मौजूद गहरी असमानता है, जिसका फायदा उठा कर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले तत्व लोगों में आक्रोश भड़काते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की फिल्मों या उत्तेजक लेखों पर होने वाली हिंसक प्रतिक्रिया की तह में लोगों में मौजूद असमानता, कुंठा और गरीबी है, जिसका फायदा उठा कर कुछ लोग हिंसा भड़काने में कामयाब हो जाते हैं। रजा ‘सफदर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट’ एवं ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एवं लाइब्रेरी’ की ओर से राजधानी दिल्ली में ‘सआदत हसन मंटो के 100 साल’ पर आयोजित दो दिन की परिचर्चा में शामिल होने भारत आए हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर अपना उल्लू सीधा करने वाले तत्व हर समाज में मौजूद होते हैं और लोगों को भड़काने की ताक में लगे रहते हैं। जैसा कि हम जानते ही हैं कि समाज में हैसियत, वर्ग जैसी कई तरह की असमानताएं मौजूद हैं, इनकी वजह से लोगों के भीतर बहुत कुंठा एवं आक्रोश दबा होता है। कुछ असामाजिक तत्व ऐसे मौकों की ताक में रहते हैं, जब इस कुंठा और आक्रोश को हवा दी जा सके। साथ ही उन्होंने इस बात से भी इनकार नहीं किया कि इस तरह की फिल्में सुनियोजित तरीके से बनाई जाती हैं, ताकि लोगों को भड़काया जा सके। इस तरह के वाकयों को रोेकने के लिए समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ाए जाने की सख्त जरूरत है। भारत और पाकिस्तान के लेखकों एवं चिंतकों में समानता के बारे में पूछे गए सवाल पर रजा ने कहा कि दोनों तरफ का बुद्धिजीवी वर्ग एक ही तरह के मुद्दों (सामाजिक सरोकार से जुड़े) को उठा रहा है। दोनों देशों के अफसानानिगार समाज में मौजूद विषमताओं पर बेबाकी से लिख रहे हैं और दोनों पक्षों के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए यह काफी अच्छा संकेत हैंं। पाकिस्तान के युवा वर्ग के धर्म से जुड़े रवैए के बारे में पूछे गए सवाल पर रजा ने कहा कि हमारे कई पुराने एवं सरकारी विश्वविद्यालयों में अभी भी धर्म के नाम पर संकीर्णता मौजूद है, लेकिन नई पीढ़ी इस पर लगातार सवाल खड़े कर रही है, जो किसी भी समाज के लिए अच्छा संकेत हैं। हालांकि शिक्षा के बेहतर हालात पैदा किए बगैर हम रातोंरात धार्मिक कट्टरता दूर नहीं कर सकते हैं। इस सम्बंध में अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। मौजूदा समय में पाकिस्तान के साहित्यकारों में मंटो जैसी बेबाकी के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि आज भी कई लोग हैं, जो चुप नहीं बैठे हैं और लगातार विरोध की आवाज बुलंद कर रहे हैं।
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02-10-2012, 12:42 AM | #15078 |
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दोहरी नागरिकता का मामला : मलिक को अदालत में पेश होने का आदेश
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्री रहमान मलिक को तीन अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है, ताकि वह अपने इस आरोप को सिद्ध कर सकें कि संघीय और प्रांतीय सदनों के कई सदस्यों के पास दोहरी नागरिकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में संघीय और प्रांतीय सदनों के 11 सदस्यों को अयोग्य घोषित किया है और कहा कि मलिक भी अपनी सीनेट की सदस्यता गंवा देंगे क्योंकि इन सभी ने वर्ष 2008 के चुनावों में अपनी दोहरी नगरिकता के बारे में झूठे घोषणा पत्र पेश किए थे। उस वक्त मलिक ने मीडिया से कहा था कि वह कुछ और सांसदों को जानते हैं जिनके पास दोहरी नागरिकता है। इस टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मलिक से कहा था कि वह अपने दावे को सही सिद्ध करें। गृह मंत्रालय ने बाद में सफाई दी थी कि मीडिया ने मलिक की बात को गलत तरीके से पेश किया था और उनके पास सदन के अन्य सदस्यों की दोहरी नागरिकता के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस सफाई के बावजूद अदालत ने मलिक को तीन अक्टूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है और कहा कि वह उन सांसदों और प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों की सूची पेश करें जिनके पास दोहरी नागरिकता है। सुप्रीम कोर्ट से जारी बयान में कहा गया है कि मलिक ने 20 और 21 सितंबर को मीडिया से कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट या सरकार ने कहा तो वह उन सांसदों और प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों की सूची सौंप सकते हैं जो दोहरी नागरिकता रखते हैं। बयान में कहा गया है कि इसीलिए उन्हें अदालत की सहायता करने के लिए बुलाया गया है। अदालत ने सांसदों शहनाज शेख और गुलाम मुज्तबा राय को अलग से एक नोटिस भेजा है जोे दोहरी नागरिकता रखने के आरोपी हैं। दोहरी नागरिकता रखने वाले सांसदों के खिलाफ मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति इफ्तिखार चौधरी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है।
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02-10-2012, 12:46 AM | #15079 |
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ट्रेन के एसी डिब्बे में सफर करना आज से हुआ महंगा
नई दिल्ली। ट्रेन में वातानुकूलित (एसी) श्रेणी के सभी डिब्बों में सफर करना 1 अक्टूबर से करीब तीन फीसदी तक अधिक महंगा हो गया । सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, नया सेवा कर 3.708 फीसदी है । यह एसी प्रथम, एसी द्वितीय श्रेणी, एसी तृतीय श्रेणी, एसी कुर्सी यान और माल ढुलाई पर लागू हो गया। एसी 2 और एसी 1 में सफर करने वाले यात्रियों पर सेवा कर का अतिरिक्त भार पड़ेगा क्योंकि इन श्रेणियों के किराए में रेल बजट 2012-13 के प्रस्तावों के तहत अप्रेल में पहले ही 20 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक अक्टूबर से पहले खरीदी गई टिकट पर कोई सेवा कर नहीं लागू होगा। वहीं, टिकट रद्द होने के मामले में सेवा कर का अंश यात्रियों को वापस कर दिया जाएगा। इसके अलावा स्टेशनों पर कैटरिंग और पार्किंग जैसी सहायक सेवाओं पर भी सेवा कर लागू हो गया । आज से सेवा कर लागू करने के फैसले से सरकारी खजाने में करीब 3,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी। सेवा कर रेलवे में माल ढुलाई पर भी लागू हुआ, हालांकि पेट्रोलियम उत्पाद, अनाज, दाल, फल और सब्जियों तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं इसके दायरे से बाहर हैं । रेलवे के मुताबिक, सेवा कर 12.36 फीसदी है, लेकिन 70 फीसदी को समायोजित करने के बाद यह एसी यात्री किराया और माल ढुलाई सेवाओं पर 3.708 फीसदी हो गया। रेल मंत्री सी.पी. जोशी और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बीच यहां हुई बैठक के बाद सेवा कर पर यह फैसला किया गया। रियायती टिकटों पर सेवा कर कुल किराए का 30 फीसदी होगा। वर्ष 2009-10 के केंद्रीय बजट में माल ढुलाई पर सेवा कर लगाने का फैसला किया गया था, लेकिन तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस कदम का विरोध किया था। गौरतलब है कि 16 साल बाद रेल मंत्रालय अब कांग्रेस के पास है।
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02-10-2012, 12:46 AM | #15080 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
सेवानिवृति से पहले वेन का राजनीतिक सुधारों पर जोर
बीजिंग। एक दशक के लंबे कार्यकाल के बाद सेवानिवृति के लिए तैयार चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने देश में राजनीतिक क्षेत्र सहित संस्थानिक सुधारों पर जोर दिया है। 70 वर्षीय वेन ने कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना (सीपीसी) के नेतृत्व के तहत चीन लोकतंत्र की 63वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक समारोह में कहा कि चीन को आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और अन्य क्षेत्रों में उन्नत सांस्थानिक सुधारों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने समारोह में कहा कि चीन को समृद्धि, मजबूती, लोकतांत्रिक, सांस्कृतिक रूप से धनी होने को लेकर एक आधुनिक समाजवादी देश बनने की दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना है। इस समारोह में राष्ट्रपति हू जिंताओं के साथ ही उनके संभावित उत्तराधिकारी उप राष्ट्रपति जी जिनपिंग और उप प्रधानमंत्री ली केक्वीयांग भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि इससे पिछली रात ग्रेट हॉल आॅफ पीपल में राजनयिकों के लिए आयोजित स्वागत समारोह में पोलित ब्यूरो स्थाई समिति के सभी नौ सदस्य भी उपस्थित थे। नौ नवंबर को सीपीसी की महत्वपूर्ण कांग्रेस से पहले यह अपने किस्म की आखिरी बैठक थी। कांग्रेस में अगले 10 साल के लिए नेताओं का चयन होगा। नौवें सदस्य झो योंगकांग की मौजूदगी को काफी अहम माना गया क्योंकि उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के निलंबित नेता बो शिलाई का समर्थक माना जाता है। झो के पास शक्तिशाली आंतरिक सुरक्षा का प्रभार है और हू की अगुवाई वाला वर्तमान नेतृत्व बो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करने के लिए उनका समर्थन हासिल कर चुका है। अपनी तरफ से वेन ने आर्थिक सुधारों का बचाव किया, जो कि 1976 में माओ के निधन के बाद डेंग जियोपिंग ने शुरू किया था। वेन ने कहा कि चीन ने तेज विकास दर बरकरार रखी है। लोगों की जिंदगी में सुधार हुआ है। साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के प्रभाव में भी मजबूती आई है।
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