26-07-2013, 03:01 AM | #1501 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। अब तक ऐसा माना जाता था कि मेंथाल सिगरेट ज्यादा खतरनाक नहीं होती, लेकिन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन एजेंसी की हालिया जांच में यह बात सामने आई है कि यह सामान्य सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक होती है। एजेंसी ने कहा कि मिंट फ्लेवर्ड सिगरेट उतनी ही विषैली है, जितनी अन्य सिगरेट। इसे शुरू करना तो आसान है, लेकिन छोड़ना मुश्किल है। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 25 प्रतिशत श्वेत लोग मेंथाल सिगरेट पीते हैं, जबकि 70 प्रतिशत से ज्यादा अफ्रीकी मूल के अमेरिकी यह सिगरेट पीते हैं।
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26-07-2013, 12:26 PM | #1502 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अभ्यर्थी मोटा वेतन की जगह ब्रांड छवि, काम को देते हैं तरजीह: सर्वे
नई दिल्ली। जब रोजगार की बात आती है तो ज्यादातर अभ्यर्थी मोटे वेतन की जगह काम तथा ब्रांड छवि को ज्यादा तवज्जो देते हैं। ‘कैंपस हायरिंग’ से संबद्ध फर्स्टनौकरी डाट काम के सर्वे में यह भी पाया गया है कि बीई/बीटेक के छात्र रोजगार के लिये सबसे पहले आईबीएम को तवज्जो देते हैं। उसके बाद उनकी नजर टीसीएएस तथा इनफोसिस पर होती है। सर्वे के अनुसार, ‘रोजगार चाहने वाले वेतन पैकेज की जगह जॉब प्रोफाइल तथा ब्रांड छवि को ज्यादा तवज्जो देते हैं।’ सर्वे पोर्टल के साथ पंजीकृत रोजगार चाहने वाले लोगों के बीच ई-मेल से पूछे गये सवालों पर आधारित है। इसमें बीई/बी टेक, बीसीए, बीएससी, वित्त तथा कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक छात्रों आदि को शामिल किया गया है। फर्स्टनौकरी डाट काम की दीपाली सिंह (कारोबार प्रमुख) ने कहा, ‘आईटी छात्रों के लिये कैंपस प्लेसमेंट के मामले में इनफोसिस, टीसीएस तथा आईबीएम अभी भी महत्वपूर्ण कंपनियां बनी हुई हैं। यह महत्वपूर्ण है कि छात्र बेहतर जगह नौकरी करने को तरजीह दे रहे हैं, न कि वेतन पैकेज को।’
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28-07-2013, 09:16 PM | #1503 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
good news
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29-07-2013, 08:11 AM | #1504 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
हेपेटाइटिस से भारत में हर साल ढाई लाख लोग गंवा देते हैं जान
कोलकाता। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर विशेषज्ञों ने आज कहा कि भारत में हर साल करीब 2.5 लाख लोग वायरल हेपेटाइटिस के कारण मर जाते हैं और यह संक्रमण दुनियाभर में हर 12 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि भारत में तकरीबन 50 करोड़ लोग गंभीर वायरल हेपेटाइटिस के साथ जी रहे है। इस घातक बीमारी से लड़ने की प्रतिबद्धता की भावना के साथ देश के हर कोने में गहन जागरकता कार्यक्रम तत्काल शुरू करने की जरूरत है। जानकारों के अनुसार हेपेटाइटिस पांच मुख्य प्रकार का होता है जिनमें ए, बी, सी, डी और ई हैं। यह मुख्य रूप से यकृत को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में करीब 13 से 17 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी वायरस से संक्रमित होते हैं और हर साल 3.5 लाख से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस सी से संबंधित यकृत की बीमारियों से मर जाते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि तीक्ष्ण हेपेटाइटिस सी से ग्रसित करीब 70-80 प्रतिशत लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता जो चिंता का बड़ा कारण है। वर्ल्ड हेपेटाइटिस अलायंस ने 2008 में विश्व हेपेटाइटिस दिवस की शुरूआत की थी। इस मौके पर अपोलो इंस्टीट्यूट आॅफ गैस्ट्रोसाइंसेस के निदेशक महेश गोयनका ने कहा, ‘हेपेटाइटिस एक साइलेंट किलर है और इसमें विरले ही लक्षण दिखाई देते हैं या बहुत देरी से पता चलते हैं। भारत के अनेक हिस्सों में किये गये अध्ययनों का आकलन कहता है कि करीब 2 करोड़ भारतीय हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हैं और करीब 80 लाख से एक करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी वायरस के मूक संक्रमण से ग्रसित हो सकते हैं।’
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29-07-2013, 10:56 AM | #1505 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने बनाई ‘कृत्रिम याददाश्त’
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने चूहों में ‘कृत्रिम याददाश्त’ बनाने में सफलता हासिल कर ली है। विज्ञान पत्रिका ‘साइंस’ में छपे एक शोध में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने चूहों के दिमाग में रोशनी का संचार करने के लिए ‘आप्टिकल फाइवर’ का जाल बिछाया। इसके बाद उन्होंने चूहों को नीले रंग के प्रकाश वाले बक्से में रखा। इस दौरान उनके दिमाग में आप्टिकल फाइवर के जरिए नीली रोशनी की याद को पुख्ता किया गया। इसके बाद उन्हीं चूहों की लाल रंग के प्रकाश वाले बक्से में डाला गया और आप्टिकल फाइवर के जरिए नीले रंग की रोशनी की याद उनके दिमाग में ताजा कराई गई। जब वे नीले रंग की रोशनी की याद में खोए थे उसी समय उनके पैरों में बिजली के झटके दिए गए। इसके बाद जब उन्हें नीले रंग के प्रकाश वाले बक्से में वापस डाला गया तो वे डर गए। हालांकि इस बक्से में उन्हें झटका नहीं दिया गया था, लेकिन फिर भी उनका डर जाना इस बात को दर्शाता है कि वैज्ञानिक कृत्रिम तौर पर उनके दिमाग में नीले प्रकाश और बिजली के झटकों की याद एक साथ बनाने में सफल रहे। इस शोध के मुख्य वैज्ञानिकों में से एक मसाच्युसेड्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी की शु लियू ने बताया कि जितनी बार हमारी यादादाश्त में कुछ जुड़ता है यह बदलती है। इसी प्रकार हम पुरानी यादों में नई चीजें जोड़ते हैं और इस प्रकार कृत्रिम याददाश्त बनाई जा सकती है। इस सफलता को इसलिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि चूहों के मस्तिष्क की संरचना मानव मस्तिष्क के सबसे ज्याद करीब है। नए शोध के बाद वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे आने वाले समय में इंसानी मस्तिष्क से बुरी यादों को हटाने में भी कामयाब होंगे।
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29-07-2013, 01:02 PM | #1506 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
इसरो, टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन से चलने वाली बस बनाई
बेंगलूर। टाटा मोटर्स लिमिटेड तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश में पहली बार हाइड्रोजन चालित आटोमोबाइल बस विकसित की है। दोनों संस्थानों ने कई साल के अनुसंधान के बाद यह बस विकसित की है। इस बस का प्रदर्शन आज जतमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो के केंद्र लिक्विड प्रोपल्सन सिस्टम्स सेंटर में किया गया। इसके के अधिकारियों ने बताया कि यह सीएनजी से चलने वाली बस की तरह ही है। इसमें उच्च दाब में भी हाइड्रोजन की बोतल बस की छत पर होती हैं और इससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता। हाइड्रोजन सेल क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी का एक उपउत्पाद है जिसे इसरो पिछले कई साल से विकसित कर रही है। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी नहीं है.. यह तरलीकृत हाइड्रोजन हैंडलिंग है जिसमें इसरों को विशेषज्ञता है। इसरो तथा टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन से चलने वाली बस के विकास के लिए 2006 में समझौता किया था। इसरो के मानद सलाहकार वी जी गांधी तथा टाटा मोटर्स के उप महाप्रबंधक डा एम राजा ने यह घोषणा की। इसके अनुसार दोनों संगठनों ने भारत मे पहली बार ऐसी इ’धन सेल बस बनाई है जो हाइड्रोजन से चलती है। गांधी ने यहां पीटीआई से कहा, भविष्य के परिवहन के लिहाज से यह आटोमोबाइल उद्योग के लिए बड़ा कदम है। इस वाहन से किसी तरह का प्रदूषण नहीं होगा। एक टीम ने बस में हाइड्रोजन के रख रखाव के लिए सभी सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए। हाइड्रोजन भविष्य के प्रमुख आदर्श उर्जा विकल्पों में से एक है। गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2015 तक परिचालन में लाने हेतु आटोमोबाइल कंपनियों द्वारा हाइड्रोजन चालित वाहनों के विकास के लिए दिशा निर्देश तय किए हैं। ईंधन सेल पावर सिस्टम के विकास के लिए टाटा मोटर्स रिसर्च सेंटर (टीएमआरसी) के परिसर का इस्तेमाल किया गया। इसमें इसरो तथा डीएसआईआर ने मदद की। टाटा मोटर्स ने इ’धन सेल पावर सिस्टम परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की है। इस बस के पहले कई परीक्षण किए गये जो सफल रहे।
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02-08-2013, 03:36 PM | #1507 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मित्र डार्क संत जी सर्वोपयोगी जानकारी मुहय्या कराने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद................
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06-08-2013, 06:24 AM | #1508 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब लार की जांच से पता चलेंगी कई बीमारियां
स्टाकहोम। अब जानलेवा कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह रोगों की जांच आपकी लार से भी संभव हो सकेगी। इस क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से बिना किसी चिकित्सीय सहायता के ही मानव शरीर में इन रोगों के पनपने और इनकी रोकथाम में मदद मिलेगी। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि यह तकनीक इन बीमारियों के निदान के सम्बंध में एक क्रांतिकारी कदम होगा। इस विषय पर अनुसंधान कर रहे स्वीडन की मैलमो यूनिवर्सिटी के प्रमुख अनुसंधानकर्ता प्रो. क्लिंग ने बताया कि आने वाले दशक मे यह खोज स्वास्थ्य सेवाओं और इन रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इससे वह इन बीमारियों का पहले ही पता लगा सकेंगे। इस तकनीक में मरीज चिकित्सकों के पास जाने के बजाय कॉटन बड को मुंह में डालकर और अपनी लार से भिगोकर उसकी जांच करेंगे, जिससे होने वाले संभावित खतरों का विश्लेषण किया जा सकेगा। प्रो. क्लिंग ने कहा कि यह खोज सार्वजनिक स्वास्थ्य और इन जानलेवा रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आशा की नई किरण बनकर सामने आएगी। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस तकनीक से इन रोगों से ग्रस्त लोगों को एक समान और बिना भेदभाव चिकित्सा मिल सकेगी, जिससे मरीजों की सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह तकनीक बाजार में अगले दशक तक उपलब्ध हो पाएगी। अनुसंधानकर्ताओं ने इस अनुसंधान को न सिर्फ सामान्य बीमारियों के लिए, बल्कि इनके अलावा हृदय सम्बंधी अन्य बीमारियों और खतरनाक कैंसर के मरीजों के लिए भी लाभप्रद बताया है।
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06-08-2013, 06:26 AM | #1509 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
एंथ्रेक्स का खात्मा कर सकता है समुद्र से खोजा गया नया यौगिक
वाशिंगटन। अनुसंधानकर्ताओं ने कैलिफोर्निया के समुद्र तट की मिट्टी में एक अनूठा एंटीबॉयोटिक खोजा है, जो संभवत: एंथ्रेक्स का खात्मा कर सकता है। यूसी सान दियागो में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओशनोग्राफी में विलियम फेनिकल के नेतृत्व में एक दल ने समुद्र में एक जीवाणु की खोज की है, जिसकी मदद से एंथ्रेक्स के नए उपचार में मदद मिल सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने समुद्र से प्राप्त इस यौगिक का नाम एंथ्रासिमाइसिन रखा है। एंथ्रासिमाइसिन के शुरुआती परीक्षणों से पता चला है कि इसमें एंथ्रेक्स का खात्मा करने की क्षमता है। फेनिकल ने कहा कि इस कार्य की वास्तविक महत्ता यह है कि एंथ्रासिमाइसिन एक नई और अनूठी रासायनिक संरचना है।
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06-08-2013, 06:28 AM | #1510 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अलास्का में मिले 200 साल पुराने गांव के अवशेष
अलास्का। अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के पुरातत्ववेत्ताओं ने करीब 200 साल पुराने एक गांव के अवशेषों को खोज निकाला है। खोजकर्ताओं के मुताबिक यह गांव उत्तर-पश्चिम अलास्का में कोबुक नदी के किनारे बसा हुआ था। वर्तमान में यह कोबुक घाटी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है। ऐसा विश्वास किया जा रहा है कि यह गांव सत्रहवीं या अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में बसा था और इस गांव में 200 लोग रहते थे, जो कियाना और अलास्का समुदाय के सदस्य थे। पुरातत्ववेत्ता डग एंडरसन ने अपनी इस खोज के बारे में बताया कि इस गांव में बहुत सारे घर आपस में एक सुरंगनुमा संरचना में बंधित थे। इस गांव की विशेषता के बारे में खोजकर्ताओं ने बताया कि इस गांव में छोटे-छोटे घरों के अलावा विशाल घर भी हुआ करते थे और यह सभी एक दूसरे से सुरंग के माध्यम से जुड़े रहते थे। यहां के निवासी कुत्तों को अपने साथ रखते थे। यहां घर एक कमरे में केबिननुमा संरचना जैसे थे। घरों को गर्म रखने के लिए कमरे के बीचो-बीच आग जलाने का स्थान होता था। पुरातत्ववेत्ताओं ने यह खोज कियाना पारंपरिक परिषद और राष्ट्रीय उद्यान विभाग के सहयोग से की है।
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