15-09-2013, 11:08 PM | #1521 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार के लिए दफ्तरों के नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर इंदौर। मध्य प्रदेश के बड़े शैक्षणिक केंद्र इंदौर में प्रशासन ने रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की मदद लेते हुए विशेष मोबाइल एप विकसित कराया है। रैगिंग के पीड़ित विद्यार्थी इस एप की मदद से अंगुलियों की मामूली हरकत से फौरन अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे और उन्हें आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जिलाधिकारी आकाश त्रिपाठी ने कहा कि एक निजी सॉफ्टवेयर कम्पनी की मदद से विकसित कराए गए इस मोबाइल एप के जरिए रैगिंग की शिकायत मिलते ही सम्बंधित अफसर पीड़ित विद्यार्थी की तुरंत मदद करेंगे। इसके साथ ही, रैगिंग में शामिल विद्यार्थियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। त्रिपाठी ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि यह मोबाइल एप रैगिंग रोकने में कारगर साबित होगा। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने इस रैगिंग निरोधक एप को अभी प्रायोगिक तौर पर पेश किया है। विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं और अफसरों के अनुभवों के आधार पर भविष्य में इस एप को और विकसित बनाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि पीड़ित विद्यार्थी को रैगिंग की शिकायत भेजने के लिये अपने स्मार्ट फोन में इस एप को खोलकर घटना से जुड़ी जानकारी दर्ज करनी होगी। ‘सेन्ड’ का बटन दबाते ही यह जानकारी जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, सम्बंधित शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों और क्षेत्रीय पुलिस थाने तक एक साथ पहुंच जाएगी। उन्होने बताया कि अगर रैगिंग करने वाला और इसका पीड़ित विद्यार्थी अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों के होंगे, तो दोनों संस्थानों के प्रमुखों तक रैगिंग की शिकायत पहुंच जाएगी, ताकि वे इस पर फौरन उचित कदम उठा सकें। अधिकारियों ने बताया कि इस मोबाइल एप में फोटो या वीडियो अपलोड करने का भी विकल्प मौजूद है। अगर रैगिंग का शिकार विद्यार्थी आरोपियों का फोटो या वीडियो हासिल करने में कामयाब रहता है, तो वह इसे मोबाइल एप के जरिए सम्बंधित अधिकारियों तक पहुंचा सकता है। इससे अधिकारियों को रैगिंग के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में खासी मदद मिलेगी।
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15-09-2013, 11:10 PM | #1522 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
इग्लू इनोवेशंस ने एप्प स्कूल पेश किया
तिरूवनंतपुरम। इग्लू इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड ने आज कहा कि उसने इग्लू एप्प स्कूल पेश किया है। कंपनी का कहना है कि यह दुनिया का पहला संपूर्ण एप्प स्कूल है। कंपनी की बयान में कहा गया है कि यह एप्प स्कूल एप्प से जुड़े किसी भी सवाल का स्वदेशी समाधान पेश करेगा।
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16-09-2013, 12:35 AM | #1523 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
2020 तक दुनिया की 36 प्रतिशत जनसंख्या मलेरिया से होगी ग्रस्त
25 लाख मामलों में 70 प्रतिशत मामले सिर्फ भारत से रिकॉर्ड किए गए उदयपुर। रोग वाहक तथा रोगवाहक जनित बीमारियों की वर्तमान स्थिति पर समय रहते नियंत्रण नहीं पाया तो मलेरिया रोग वर्ष 2020 तक विश्व की 107 देशों की 36 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित कर लेगा। यहां के मोनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर आरती प्रसाद ने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया रोग पर रिपोटर्ट किए गए 25 लाख मामलों में 70 प्रतिशत मामले सिर्फ भारत से रिकॉर्ड किए गए हंै। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश की 80.5 प्रतिशत जनता मलेरिया के उच्च जोखिम क्षेत्र में निवास करती है। उन्होंने बताया कि मलेरिया तथा विश्व की प्रमुख छह आर्थिक बोझ वाली बीमारियां जैसे डायरिया, एचआईवी, एड्स, टीबी, मिजल्स निमोनिया तथा हेपेटाइटिस-बी 85 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित करती है। विवि द्वारा नेशनल अकादमी आॅफ वेक्टर बोर्न डिजिजेज के सहयोग से रोग वाहक तथा रोगवाहक जनित बीमारियों की वर्तमान स्थिति तथा उनके नियंत्रण तथा भविष्य में इनके रोकथाम, विषयक 12वीं संगोष्ठी 16 सितम्बर से उदयपुर में आयोजित की जाएगी। विश्व में रोगवाहक बीमारियों के बोझ को ध्यान में रखते हुए राजस्थान में खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्र में अपनी तरह की पहली संगोष्ठी का जिम्मा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने नेशनल अकादमी आफ वेक्टर बोर्न डिजिजेज के सहयोग से कराने का जिम्मा लिया है।
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16-09-2013, 08:11 AM | #1524 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
अब मच्छर नहीं काट पाएंगे
वाशिंगटन। शोधकर्ताओं का कहना है कि मानव त्वचा में प्राकृतिक रूप से मिलने वाला एक रसायन ही मच्छरों को दूर रखने का विकल्प साबित हो सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस रसायन को लगाने से इंसान कीड़ों के लिए ‘अदृश्य’ हो जाता है। मच्छरों की अपने शिकार को सूंघने की क्षमता रुक जाती है। जब इन रसायनों को लगाकर एक हाथ को मच्छरों से भरी जगह में रखा गया तो मच्छरों ने उसे पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया। शोधकर्ताओं की इस टीम का कहना है कि उनके शोध से घातक बीमारियों का फैलाव रोकने में मदद मिल सकती है। मच्छर बीमारी फैलाने वाले सबसे खतरनाक प्राणियों में से एक हैं और वे मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियां फैलाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक मलेरिया से 2010 में 6 लाख 60 हजार लोगों की मौत हुई थी। यह शोध पेश करने वाले अमरीकी कृषि विभाग के अलरिच बर्नियर ने कहा कि उनकी टीम ‘डीट’ नाम के मच्छर रोधी रसायन का विकल्प ढूंढ़ रही है। कई लोग इस रसायन को लगाना पसंद नहीं करते।
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16-09-2013, 08:12 AM | #1525 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
कॉफ़ी रोकती है गर्भाशय का कैंसर
लन्दन। ब्रिटेन में हुए एक शोध के मुताबिक महिलाओं में होने वाले गर्भाशय कैंसर की रोकथाम में कसरत, खान-पान और कॉफी की अहम भूमिका हो सकती है। उपलब्ध आंकड़ों का अध्ययन बताता है कि ब्रिटेन में कैंसर के कुल मामलों में से आधे (लगभग 3700) मामले कम किए जा सकते हैं बशर्ते कि वजन कम रखा जाए और रोजमर्रा की जिंदगी में सक्रियता। इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाएं अगर रोज आधा घंटा कसरत करें और अपने वजन पर ध्यान दें तो गर्भाशय कैंसर का जोखिम कम किया जा सकता है। ‘द वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड’ की रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि कॉफी भी इस खतरे को कम कर सकती है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी इस बात के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं कि यह कहा जा सके कि कॉफी पीने ये खतरा कम हो सकता है। गर्भाशय कैंसर ब्रिटेन की महिलाओं में होने वाला कैंसर में चौथा सबसे आम कैंसर है।
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16-09-2013, 01:46 PM | #1526 | |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
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20-09-2013, 09:52 PM | #1527 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
आशा कि एक किरण आने वाले दिनों में नजर आ रही हैं.........
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21-09-2013, 08:51 AM | #1528 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
पौष्टिक खानपान से कम होता है अवसादग्रस्त होने का खतरा
कूओपियो (फिनलैंड)। पौष्टिक खानपान का सम्बंध संपूर्ण स्वास्थ्य के साथ होने के साथ अवसाद से भी होता है। जिन लोगों का खानपान ठीक नहीं होता, उनके अवसाद की चपेट में आने की संभावनाएं भी अधिक होती हैं। हाल ही यूनिवर्सिटी आफ ईस्टर्न फिनलैंड में हुए एक शोध से पौष्टिक खानपान और अवसाद के बीच के इस सम्बंध का खुलासा हुआ है। इस शोध के दौरान मध्यम और अधिक आयुवर्ग के 2000 से अधिक लोगों की खानपान सम्बंधी आदतों का लम्बे समय तक अध्ययन किया गया। अध्ययन के बाद जारी अंतिम रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि जिन लोगों के खानपान में सब्जियां, फल, बेरीज, सम्पूर्ण अनाज, दूध, दही, मछली और कम वसा वाली चीजें शामिल होती हैं, उनमें अवसादग्रस्त होने के लक्षण कम होते हैं और भविष्य में उनके अवसादग्रस्त होने की संभावना भी काफी कम होती है। इसके विपरीत जो लोग अस्वास्थ्यकर खानपान जैसे प्रोसेस्ड मीट, जंक फूड, चीनी वाले उत्पाद और प्रोसेस्ड आलू आदि ज्यादा लेते हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
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21-09-2013, 08:52 AM | #1529 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
भाषाओं पर पकड़ बनानी है, तो सीखो संगीत
वाशिंगटन। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भाषा पर अच्छी पकड़ बनाए, नई भाषा सीखे, तो उसे संगीत की कक्षा में भेजिए, क्योंकि नए शोध के मुताबिक जो बच्चे संगीत में अच्छे होते हैं, वे भाषा की परीक्षा में भी अच्छा स्कोर करते हैं। जर्नल आफ न्यूरोसाइंस में छपे शोध के अनुसार लय की समझ भाषा का अभिन्न हिस्सा है। शोध से जुड़ी अमेरिका के इलिनोइस स्थित नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की श्रव्य तंत्रिका विज्ञान प्रयोगशाला की प्रोफेसर नीना क्रूस ने बताया कि लय के साथ हरकत करना न सिर्फ संगीत में प्रदर्शन के लिए, बल्कि भाषाई कुशलता के लिए भी मौलिक चीज है। प्रयोग में एक सौ किशोरों को एक धुन पर उंगलियां थिरकाने के लिए कहा गया। उनकी कुशलता को एक मिट्रोनोम के साथ मापा गया। इसके बाद इलेक्ट्रोइंसेफलोग्राफी की मदद से उनके दिमाग की तरंगों को भी मापा गया। शोध में पाया गया कि जिन्होंने संगीत की शिक्षा ली हुई थी, उनका दिमाग इंसानी आवाज के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील है। प्रो. क्रूस ने बताया कि यह पाया गया कि जो पढ़ने में कमजोर हैं, उन्हें लय का अनुसरण करने में भी परेशानी होती है। हो सकता है कि संगीत सीखने से श्रव्य तंत्र की कसरत हो, जिससे आवाज और शब्दों में तालमेल बिठाना बच्चों के लिए आसान हो जाए।
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22-09-2013, 11:59 AM | #1530 |
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Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
पौष्टिक खानपान से अवसादग्रस्त होने की संभावना कम होती है, इस खोज से अच्छी जानकारी मिलती हैं. इसके साथ ही संगीत और भाषा सीखने की क्षमता का सकारात्मक सम्बन्ध होता है, इस खोज में भी भविष्य के लिए काफी संभावना छुपी दिखाई देती है.
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