07-10-2012, 04:11 PM | #15421 |
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पणजी। नौसेना ने गोवा तट पर एक युद्धपोत से 290 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया जो 300 किलोग्राम परंपरागत विस्फोटक ले जा सकती है। इस क्रूज मिसाइल का रविवार सुबह गोवा तट से भारतीय नौसेना के निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तेग से प्रायोगिक परीक्षण किया गया जिसे हाल ही में रूस से लिया गया है। उन्होंने कहा कि मिसाइल ने उच्च स्तर के कौशल का प्रदर्शन किया और लक्षित जहाज को निशाना बनाया जिसमें अब भी आग लगी हुई है। रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाए गए आईएनएस तेग ने पिछले साल नौसेना में शामिल किए जाने से पूर्व रूस में परीक्षण के दौरान सफलतापूर्वक मिसाइल दागी थी। दो अन्य युद्धपोतों आईएनएस तरकश और आईएनएस त्रिकंद को इस बेहद घातक मिसाइल से लैस किया जाएगा। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि दो चरणों वाली इस मिसाइल का पहला चरण ठोस और दूसरा रैमजेट लिक्विड प्रोपेलेंट है। इस मिसाइल को पहले ही सेना और नौसेना में शामिल किया जा चुका है। इस मिसाइल का वायुसेना संस्करण अंतिम चरण में है। आईएनएस राजपूत में तैनाती से ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के पहले संस्करण को भारतीय नौसेना में वर्ष 2005 में शामिल किया गया था और यह अब सेना की दो रेजिमेंट में पूरी तरह से सक्रिय है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस का वायुसैनिक संस्करण और पनडुब्बी से दागे जाने वाले संस्करण का कार्य प्रगति पर है। सेना ने अब तक अपनी तीन रेजिमेंट के लिए आदेश दिया है, इसमें से दो पहले ही सक्रिय हो गई हैं। रक्षा मंत्रालय ने सेना को मिसाइल के तीसरे रेजिमेंट के लिए मंजूरी दे दी है जिसे अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया जाएगा। ब्रह्मोस भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है।
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07-10-2012, 04:12 PM | #15422 |
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नौ अक्टूबर तक हिरासत में रहेगा अबू हमजा
न्यूयॉर्क। अमेरिका की एक अदालत ने आदेश दिया है कि आतंकवाद का आरोपी कट्टरपंथी धर्मगुरु अबू हमजा अल मसरी नौ अक्टूबर को औपचारिक तौर पर अभियोग लगाए जाने तक हिरासत में रहेगा। ब्रिटेन ने हमजा और चार अन्य संदिग्धों को प्रत्यर्पित किया है। हमजा चार साल तक प्रर्त्यपण के खिलाफ लड़ने के बाद जब अमेरिका पहुंचा तो उसे सबसे पहले यहां एक संघीय अदालत में पेश किया गया। उसे लोगों को बंधक बनाने और अलकायदा को मदद करने की साजिश रचने के मामले में आरोपी बनाया जाएगा। हमजा के अलावा चार अन्य संदिग्धों आदिल अब्दुल बारी, खालिद अल फव्वाज, बाबर अहमद और सैयद तल्हा अहसन को यहां प्रत्यर्पित किया गया है। खालिद अल फव्वाज और आदिल अब्दुल बारी न्यूयॉर्क की अदालत में हमजा के साथ पेश हुए। सैयद तल्हा अहसन (33) और बाबर अहमद (38) की पेशी न्यू हेवेन में की गई। संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने कहा कि हमजा, बारी और फव्वाज को गल्फस्ट्रीम-5 विमान से न्यूयॉर्क के उत्तर में वेस्टचेस्टर काउंटी हवाई अड्डे लाया गया था। फव्वाज और बारी की पेशी अमेरिकी मजिस्ट्रेट फ्रैंक मास के समक्ष एक संक्षिप्त सुनवाई के दौरान की गई। दोनों ने अपने वकीलों से माध्यम से खुद को निर्दोष बताया। हमजा की ओर से अभी कोई याचिका दायर नहीं की गई है। शुरुआती सुनवाई के दौरान वह कुछ नहीं बोला। फव्वाज और बारी की सुनवाई के बाद न्यायाधीश मास के समक्ष हमजा को अलग से पेश किया गया। मास ने आदेश दिया कि तीनों लोगों को हिरासत में रखा जाएगा और नौ अक्टूबर को न्यूयॉर्क में इनकी पेशी होगी। हमजा और अन्य संदिग्धों पर आतंकवाद से जुड़े कई संगीन आरोप हैं। हमजा पर एक आरोप यह है कि यमन में अपहरण की वारदात में वह शामिल था जिसमें दो अमेरिकी नागरिकों सहित 16 पर्यटकों को दिसंबर, 1998 में बंधक बनाया गया था। दोषी करार दिए जाने पर हमजा और बारी को उम्रकैद की सजा मिल सकती है।
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07-10-2012, 04:13 PM | #15423 |
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पाकिस्तान के गांव रोशन करने में मदद करेगा टेरी
नई दिल्ली। देश का ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान ‘टेरी’ पड़ोसी देश पाकिस्तान के गैर सरकारी संगठन लीड पाकिस्तान, वैकल्पिक ऊर्जा विकास बोर्ड और बुक्श फाउंडेशन के सहयोग से पाकिस्तानी गांवों को बिजली से रोशन करने के लिए वहां ‘लाइटिंग ए मिलियन लाइव्ज’ मुहिम शुरूकरेगा। इस मुहिम के तहत आगामी शुक्रवार और शनिवार को पाकिस्तान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। टेरी ने कहा कि इस मुहिम का उद्देश्य जहां सीमा पार ऊर्जा के आदान-प्रदान के लिए आम सहमति का माहौल तैयार करना है, वहीं इसकी मदद से भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और सांस्कृतिक सम्बंध मजबूत होंगे। इस मुहिम के तहत इस्लामाबाद में एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जन्म स्थान गाह गांव में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान एक कंसर्ट भी आयोजित किया जाएगा जिसमें भारतीय बैंड यूफोरिया और पाकिस्तानी रॉक स्टार सलमान अहमद शिरकत करेंगे। टेरी के महानिदेशक डॉ. आर. के. पचौरी ने भारत और पाकिस्तान के बीच मजबूत द्विपक्षीय सम्बंधों पर जोर देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान एक समान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। दोनों ही देशों में गांवों तक बिजली पहुंचाना एक चुनौती है। टेरी इस समस्या के समाधान के लिए आगे बढ़कर काम करता रहा है। अब हम ‘लाइटिंग ए मिलियन लाइफ’ के जरिए पाकिस्तान के साथ गठजोड़ कर रहे हैं। इस प्रकार के कदमों से दोनों देशों के बीच शांति स्थपित करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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07-10-2012, 04:13 PM | #15424 |
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वनस्थली विद्यापीठ के ताजा घटनाक्रम ने सवालिया निशान लगाए
जयपुर। राष्ट्रीय महिला आयोग, राजस्थान राज्य महिला आयोग और स्वयंसेवी संगठनों, राजनीतिक दलों का मानना है कि टोंक जिले में स्थित देश के ख्यातिलब्ध वनस्थली विद्यापीठ में अध्ययनरत छात्राओं का ताजा गुस्सा देखकर लगता है कि विद्यापीठ में सब कुछ सामान्य नहीं है। हालांकि प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी भी दबे स्वर से आयोग और स्वयंसेवी संगठनों की बात की पुष्टि कर रहे हंै, लेकिन जांच का हवाला देते हुए अधिकारी ‘आॅन रिकार्ड’ कमोबेश कुछ कहने से बच रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी वनस्थली विद्यापीठ में छात्राओं के कथित दुष्कर्म प्रकरण की कड़ी निंदा करते हुए शीघ्र से शीघ्र जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। नेशनल फैडरेशन आॅफ इंडिया वुमेन की राज्य इकाई की महासचिव निशा सिद्धू ने कहा कि एक बात तो स्पष्ट है कि वनस्थली विद्यापीठ में कुछ गड़बड़ जरूर हुई है। यदि गड़बड़ नहीं थी तो विद्यापीठ की वार्डन ललिता ने दो लड़कियों को एक कमरे में ताला लगाकर बंद क्यों रखा, जिसकी जानकारी किसी को नहीं दी। टोंक जिले के एक वाशिन्दे के अनुसार, देश के ख्यातिलब्ध आवासीय महिला शिक्षण संस्थानों में से एक वनस्थली विद्यापीठ मेंं एक साल में यह दूसरा मौका है जब वहां की छात्राओं ने अपना विरोध प्रदर्शित किया है। इससे पहले गत फरवरी में एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर विद्यापीठ में अध्ययनरत छात्राओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने वनस्थली विद्यापीठ में छात्राओं के साथ हुए कथित दुष्कर्म को लेकर कहा कि मुझे लगता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ है, वर्ना लड़कियां इतनी गुस्से में नहीं होती, असलियत जानने के लिए आयोग की तीन सदस्यीय टीम सोमवार को वनस्थली विद्यापीठ जाकर साक्ष्य जुटाएगी। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारी टीम इस बारे में पुख्ता साक्ष्य जुटाने में सफल होगी। आयोग के तीन सदस्यीय दल में एडवोकेट नवोदिता शर्मा, आयोग सदस्य हेमलता खेरिया और जयपुर से निधि शर्मा वनस्थली विद्यापीठ जाकर छात्राओं, विद्यापीठ प्रशासन और राज्य सरकार के अधिकारियों से बातचीत कर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि वनस्थली विद्यापीठ प्रशासन ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन किया है। मेरी जानकारी में आया है कि विद्यापीठ ने यौन शोषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किसी प्रकार की कमेटी का गठन ही नहीं कर रखा है। उन्होंने कहा कि कमेटी गठित होती तो छात्राओं द्वारा दुष्कर्म या छेड़छाड़ की शिकायत पर कमेटी सुनवाई करती और दोषी को दंडित करती, लेकिन विद्यापीठ ने कार्य स्थल पर यौन शोषण पर अंकुश लगाने के लिए कमेटी गठित करने की जरूरत ही महसूस नहीं की। राजस्थान मानवाधिकार आयोग के सदस्य एम. के. देवराजन ने कहा कि हमने पुलिस महानिरीक्षक अजमेर और टोंक जिला कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक को सम्पूर्ण प्रकरण की जांच करने और जांच में गड़बड़ आने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कारवाई करने के निर्देश दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी के रविशंकर प्रसाद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने वनस्थली विद्यापीठ में कथित दुष्कर्म की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए सम्पूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाने और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने की मांग की है। प्रसाद ने कहा कि बड़े शर्म की बात है, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। दूसरी ओर करात का कहना है कि विद्यापीठ प्रशासन को छात्राओं की शिकायत मिलने के बावजूद जांच में देरी क्यों हुई? इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है, तुरंत जांच होनी चाहिए। टोंक पुलिस अधीक्षक एस. परिमाला का कहना है कि फिलहाल वनस्थली विद्यापीठ में शान्ति है, पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज कर एक हॉस्टल वार्डन समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया था, इनमें वार्डन को जमानत पर छोड़ा जा चुका है। उन्होंने कहा कि मामलों की त्वरित जांच के लिए विशेष दल गठित किए गए हैं और इनमें महिला पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया है। इधर, वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री ने सम्पूर्ण प्रकरण को हल्केपन से लेते हुए कहा कि यह मात्र कोरी अफवाह है, जांच के लिए कमेटी गठित की है जिसमें उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश होंगे। भरोसेमंद सूत्रों का मानना है कि कमेटी में कुलपति की पत्नी भी एक सदस्य हैं। नेशनल फेडरेशन आॅफ इंडियन वुमेन की सचिव निशा सिद्धू ने कहा कि जिस कमेटी में कुलपति की पत्नी हों, उस जांच कमेटी पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है। एक अधिकारी ने कहा कि जांच का नतीजा जो कुछ निकले, लेकिन ताजा प्रकरण ने वर्ष 1927 में हीरा लाल शास्त्री द्वारा स्थापित वनस्थली विद्यापीठ में पढ़ने वाली छात्राओं के अभिभावकों को झकझोर कर रख दिया है।
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07-10-2012, 04:14 PM | #15425 |
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शहीद हुए सशस्त्र सैन्यकर्मियों के अभिभावकों को भी मिलेगा अनुग्रह राशि का हिस्सा
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कर्तव्य का पालन करते हुए शहीद हुए सशस्त्र सैन्यकर्मियों के अभिभावकों को बड़ी राहत देते हुए इन सेनाओं के लिए यह अनिवार्य कर दिया कि कर्मियों की पत्नी-पति के अलावा उनकी अनुग्रह राशि का एक हिस्सा अभिभावकों को भी दिया जाए। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने इस पर अमल करना शुरू भी कर दिया है। गृह मंत्रालय ने अब सभी सेनाओं को इस संदर्भ में एक बराबर तंत्र बनाने को कहा है। गौरतलब है कि अभी तक सिर्फ सैन्यकर्मियों की पत्नी-पति को ही इस तरह की राशि दिए जाने का प्रावधान है। सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी और एनएसजी सैन्यकर्मियों के अभिभावक और पत्नी-पति के बीच इस राशि पर विवाद के कई मामले सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है। सीआरपीएफ प्रमुख के. विजय कुमार की अगुआई में इस बल में अपनाए गए तंत्र के अनुसार 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि में से अभिभावकों को चार लाख रुपए और पत्नी या पति को 11 लाख रुपए मिलेंगे। दुर्घटना से हुई मौत के मामले में अभिभावकों को चार लाख रुपए जबकि पत्नी या पति को आठ लाख रुपए मिलेंगे। इसी तरह बीमारी या अन्य किसी वजह से हुई मौत के मामलों में अभिभावकों को ढाई लाख रुपए और पत्नी या पति को साढ़े पांच लाख रुपए मिलेंगे। सशस्त्र सीमा बल के एक अधिकारी ने बताया कि इस सम्बंध में अभिभावकों और पत्नी-पति के बीच अनुग्रह राशि पर कलह की काफी शिकायतें आ रही हैं। सीआरपीएफ की ओर से अपनाई जा रही प्रणाली के तहत इस कोष के लिए सभी अधिकारियों को हर महीने 300 रुपए देने होते हैं।
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07-10-2012, 04:15 PM | #15426 |
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12वीं पंचवर्षीय योजना में इसरो के होंगे 58 अंतरिक्ष मिशन
नई दिल्ली। इसरो ने अगले पांच साल के दौरान 58 अंतरिक्ष मिशन अंजाम देने की योजना बनाई है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए चंद्रमा और मंगल पर अंतरिक्ष यान भेजना, देश पर 24 घंटे नजर रखने वाले एक उपग्रह का प्रक्षेपण और 500 ट्रांसपोंडर तैनात करना इसरो की नीतियों का हिस्सा हैं। अंतरिक्ष एजेंसी का उद्देश्य ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम का अपना संस्करण तैनात करना भी है। इसके लिए एजेंसी कक्षा में सात उपग्रहों का एक समूह स्थापित करेगी जो भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) बनाएगा। मंत्रिमंडल ने 12वीं पंचवर्षीय योजना को पिछले सप्ताह मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की योजना वर्तमान में तैनात 187 ट्रांसपोंडरों में 400 ट्रांसपोेंडर और जोड़ने की है ताकि डीटीएच आॅपरेटरों, उपग्रह मोबाइल संचार (सैटेलाइट मोबाइल कम्युनिकेशन्स) और नई पीढ़ी के ब्रॉडबैंड वीएसएटी सिस्टम्स की बढ़ती मांग पूरी की जा सके। 12वीं पंचवर्षीय योजना में अंतरिक्ष विभाग के लिए 39,750 करोड़ रुपए का परिव्यय रखा गया है। योजना के दस्तावेज में कहा गया है कि कुल मिला कर 12वीं योजना अवधि में 59 मिशन अंजाम देने की योजना है जिसमें 33 उपग्रह मिशन और 25 प्रक्षेपण यान मिशन शामिल हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ‘जियो इमेजिंग सैटेलाइट’ (जीआईएसएटी) का डिजाइन भी तैयार कर रही है जो एक तरह से ‘आसमान में आंख’ का काम करेगा। इसे 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाएगा ताकि 24 घंटे निगरानी की जा सके, प्रशासन की प्राकृतिक आपदा, बाढ़ और वन में आग की स्थिति से निपटने में मदद की जा सके और देश की संवेदनशील सीमाओं पर नजर रखी जा सके। 11वीं पंचवर्षीय योजना में शुरू किए गए मिशन जैसे चंद्रयान द्वितीय, एस्ट्रोसैट प्रथम और आदित्य प्रथम के भी अगले पांच साल में अंतरिक्ष में अपने-अपने लक्ष्य पूरे करने की उम्मीद है। चंद्रयान द्वितीय के तहत इसरो ने चंद्रमा की सतह पर एक रोवर उतारने और पृथ्वी के इस एकमात्र उपग्रह की कक्षा में एक उपग्रह स्थापित करने की योजना बनाई है। समझा जाता है कि चंद्रयान द्वितीय का प्रक्षेपण 2014 में किया जाएगा। पहियों वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर चलेगा, उसकी मिट्टी और पत्थरों के नमूने रासायनिक विश्लेषण के लिए एकत्र करेगा और चंद्रयान द्वितीय आॅर्बिटर का उपयोग कर आंकड़े पृथ्वी पर भेजेगा। इस मिशन की सफलता विकसित किए जा रहे स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन पर निर्भर करेगी। इसके विकास में विलंब हो रहा है। आदित्य प्रथम सूर्य सम्बंधी अध्ययन के लिए होगा और इसमें ‘कोरोनल डायनेमिक्स’ के अध्ययन के लिए मुख्य भारवाहक ‘विजिबल एमीसन लाइन स्पेस सोलर कोरोनाग्राफ’ होगा। एस्ट्रोसैट प्रथम खगोल शास्त्र को समर्पित भारत का प्रथम उपग्रह है जो एक्स रे, पराबैंगनी किरणों और दृश्य प्रकाश बैंड को स्कैन करेगा। 12वीं पंचवर्षीय योजना में अगली पीढ़ी के उपग्रह प्रक्षेपक जीएसएलवी एमके तृतीय का विकास भी शामिल है। इससे इसरो को भारी उपग्रह कक्षा में पहुंचाने में मदद मिलेगी। इसरो की एक और महत्वपूर्ण योजना मंगल पर अंतरिक्ष यान भेजने की है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में की थी। योजना दस्तावेज में कहा गया है कि वर्ष 2013 के दौरान मंगल पर भारत का पहला मिशन अपने पूरे डिजाइन, नियोजन, प्रबंधन, संचालन और करीब 40 करोड़ किलोमीटर की दूरी से संचार को देखते हुए तकनीकी संदर्भ से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होगा। इसरो ने मंगल के आसपास कक्षा में एक उपग्रह स्थापित करने की योजना तैयार की है जो अपने साथ करीब 25 किलोग्राम वैज्ञानिक भार ले जाएगा। 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान अंतरिक्ष एजेंसी मिशन पीओएलआईएक्स को भी आगे बढ़ाएगी ताकि चमकीले एक्स-रे उत्सर्जन करने वाले पिंडों से एक्स-रे के धु्रवीकरण का अध्ययन किया जा सके।
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07-10-2012, 04:15 PM | #15427 |
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खुलेगा आर्यभट्ट की वेधशाला का रहस्य, पुरातात्विक अन्वेषण शुरू
पटना। पाटलीपुत्र के इतिहास के पन्नों में दर्ज महान गणितज्ञ आर्यभट्ट की वेधशाला का रहस्य खोलने के लिए पुरातात्विक विशेषज्ञों और इतिहासविदों ने एक अभियान शुरू कर दिया है। शोध और अनुसंधान की प्रतिष्ठित संस्था काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना के निदेशक डॉ. विजय कुमार चौधरी ने बताया कि आर्यभट्ट की वेधशाला के प्रसिद्ध स्थल बिहटा, खगोल और मसौढ़ी से पुरातात्विक अन्वेषण शुरू किया गया है। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट की पुस्तक आर्यभट्टियम में पाटलीपुत्र की वेधशाला का उल्लेख है। कालांतर में इसके स्थल का नाम बदल गया। उसी स्थल का सटीक पता लगा कर पुरातात्विक अन्वेषण के माध्यम से रहस्य पर से पर्दा हटाने का प्रयास शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि पुरातात्विक अन्वेषण के तहत पटना जिले में खगोल, मसौढ़ी और बिहटा के पास के स्थल का अध्ययन किया जा रहा है। स्थलों के नाम के कारण उनके खगोलीय महत्व के अनुरूप वहां तीन प्रमुख वेधशालाएं मिलने की संभावना है। उल्लेखनीय है मसौढ़ी में जुलाई, 2009 में पूर्ण सूर्यग्रहण देखने के लिए विश्वभर के खगोलविद, वैज्ञानिक और खगोल घटनाओं के प्रेमी जुटे थे। बिहार में खगोलीय घटनाओं के कई प्रमुख स्थान हैं जिसमें मसौढ़ी का तारेगना, औरंगाबाद का सूर्य मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं। इसे देखते हुए विधानसभा में सदस्यों ने पर्यटन की संभावनाओं को बल देने के लिए सौर सर्किट विकसित करने की राज्य सरकार से मांग की थी। चौधरी ने बताया कि मसौढ़ी, खगोल और बिहटा के पास स्थित तारेगनाओं में त्रिकोणीय सम्बंध है। तीनों स्थल 25-25 किलोमीटर की समान दूरी पर स्थित हैं और बिंदुओं को मिलाकर देखा जाए तो एक त्रिभुज बनता है। बिहटा के पास स्थित तारेगना का टीला अब सोन नदी में चला गया है जो पानी कम होने पर दिखता है। उन्होंने बताया कि आस पास उत्खनन से सूर्य की प्रतिमाएं आदि बरामद हुई हैं। कोलकाता के टकसाल पदाधिकारी डॉ. रेहान अहमद के अनुसार 1926 में यहां खुदाई हुई थी तो छठी ईसा पूर्व के सील लगे हुए सिक्के बरामद किए गए थे। आर्यभट्ट पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व जन्मे थे। बिहटा और खगौल के आसपास खुदाई में छठी शताब्दी ईसापूर्व के बर्तन, मृदभांड आदि उत्खनन में प्राप्त हुए हैं। मसौढ़ी तारेगना को वैज्ञानिकों ने खगोलीय नजारे को देखने के लिए सबसे उपयुक्त माना था। चौधरी कहते हैं कि पुरातात्विक अन्वेषण कार्यक्रम में परिकल्पना खगोल, तारेगना, मसौढ़ी आदि नामों के आधार पर बनाई गई है। खगोल मतलब ब्रह्मांड और तारेगना का अर्थ तारों की गिनती होती है। सारा अध्ययन होने के बाद उत्खनन की प्रक्रिया आगे बढेþगी। शुरुआत में खगोल वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय और पटना स्थित इंदिरा गांधी तारामंडल के निदेशक अमिताभ घोष इस परियोजना में साथ दे रहे हैं। आर्यभट्ट का लिखा ग्रंथ आर्यभट्टियम संस्कृत में है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डब्ल्यू. यू. क्लार्क ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद भी किया था। तारेगनाओं के आस पास उत्खनन से बहुत से रहस्य पर से पर्दा उठेगा। भारत के पहले कृत्रिम उपग्रह का नाम भी महान गणितज्ञ और खगोलविद के नाम पर आर्यभट्ट रखा गया था। चौधरी के अनुसार इस कार्य में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का भी स्वागत रहेगा। अभी हमने शुरुआत की है। लंबा सफर तय करना है। सौर सर्किट के विकास के सम्बंध में पूछे जाने पर राज्य के पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने बताया कि इसके बारे में जानकारी जुटाने और विस्तृत योजना रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें तारेगना, औरंगाबाद का प्रसिद्ध सूर्यमंदिर शामिल हैं। इससे पर्यटकों को भी आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
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हिमालयी भाषाओं के संरक्षण की वकालत
वाराणसी। नेपाली समुदाय ने हिमालयी भाषाओं की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए इनके सरकारी संरक्षण की वकालत की है। बीएचयू के राधाकृष्णन सभागार में दो दिवसीय हिमालयी भाषा साहित्य एवं संस्कृति विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं भारत में नेपाली दूतावास के शीर्ष अधिकारी के. एन. अधिकारी ने कहा कि हिमालय एक विशाल पर्वत है। यह 2400 किलोमीटर लंबी और 250 से 300 किलोमीटर चौड़ी पर्वत शृंखला है। यह महादेव के घुंघराले बालों की तरह चार देशों में फैली है और यहां की हजारों दुर्गम घाटियों में काफी आबादी निवास करती है। अतीत में इन मानवों को बसाने वाली भाषाएं अपने एकांत में सैकड़ों वर्षों तक जस की तस बनी रही हैं। वर्तमान परिवेश में इनके विकास की आवश्यकता है। नेपाली दूतावास के वाणिज्य दूत अर्जुन राज ने कहा कि सभ्यता के विकास के साथ देश-देशांतरों से लोगों का आगमन हुआ। रोजगार के लिए दूर-दूर तक लोगों का प्रवास आरंभ हुआ। ऐसे में हिमालयी क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाओं को सरकारी संरक्षण मिलना चाहिए। काठमाण्डू स्थित एमीनेंट भाषा संस्थान में प्रो. माधव पोखरियाल ने कहा कि 40 साल पहले चीनी, तिब्बती परिवार की दुरा, कुसुंद, वालिंग नेपाल की भाषाएं और ताई, कड़ाई परिवार की अहोम और तुरुंग असम की भाषाएं कब की विलुप्त हो चुकी हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कला संकाय के प्रमुख प्रो. महेंद्रनाथ राय ने की एवं बीएचयू के नेपाल अध्ययन केंद्र विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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ललित कला अकादमी विवाद
राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका खारिज नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ललित कला अकादमी के तीन शीर्ष पदों पर व्यक्तियों के चयन के लिए गठित समिति के सदस्यों में सरयू वी. दोषी को शामिल किए जाने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला ने कहा कि ...क्योंकि अंतिम फैसला भारत के राष्ट्रपति पर छोड़ा जाता है, इस तरह का फैसला तब तक गलत नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि नामित व्यक्ति चयन समिति में नामित किए जाने के अयोग्य न हो। अदालत का फैसला अकादमी में पिछले 10 साल से काम कर रहे कलाकार प्रशांत कालिता द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर आया। कालिता ने दावा किया था कि नियमों के तहत अकादमी के पूर्व अस्थाई अध्यक्ष दोषी को राष्ट्रपति द्वारा तीन व्यक्तियों के नामों के चयन के लिए गठित समिति का सदस्य नियुक्त नहीं किया जा सकता। जनहित याचिका में कहा गया कि संविधान-मेमोरेंडम आॅफ एसोसिएशन के नियमों के तहत केवल पूर्व अध्यक्ष को ही राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति के सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया कि दोषी अकादमी के सिर्फ अस्थाई अध्यक्ष थे। चयनित तीन उम्मीदवारों में से एक को अकादमी का अध्यक्ष पद मिलेगा। मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन ने यह कहते हुए तर्क को खारिज कर दिया कि मेमोरेंडम आॅफ एसोसिएशन ऐसे अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति की शक्ति प्रदान करता है, जो अध्यक्ष के सभी कार्यों को अंजाम देने का अधिकार रखता हो। चयन समिति द्वारा जिन तीन नामों का चयन किया जाना है, उनमें से एक अशोक वाजपेयी की जगह लेगा। दोषी के नाम को चयन समिति में इस आधार पर चुनौती दी गई कि वह सिर्फ अस्थाई अध्यक्ष थे। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि चयन समिति की भूमिका सिर्फ वर्णक्रम के हिसाब से तीन लोगों के नामों की सूची तैयार कर इसे राष्ट्रपति के पास भेजना है, जो तीन लोगों की सूची में से किसी एक को अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त करेंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
07-10-2012, 04:20 PM | #15430 |
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नष्ट हो चुका रेलवे नेटवर्क फिर होगा स्थापित
जाफना। कई दशक तक लिट्टे के साथ चले गृह युद्ध के गवाह उत्तरी श्रीलंका के 252.5 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को भारत की मदद से फिर से स्थापित किया जाएगा। भारत इसके लिए 80 करोड़ डॉलर की मदद मुहैया कराएगा। तत्कालीन तमिल चीतों ने श्रीलंकाई सेना को अपने नियंत्रण वाले उत्तरी क्षेत्र में प्रवेश से रोकने के लिए यहां पर बिछाए गए विशाल रेल नेटवर्क को बमबारी के जरिए तबाह कर दिया था। तमिल छापामारों ने न केवल स्टेशनों, पटरियों पर बमबारी की बल्कि पटरियों को उखाड़ कर फेंक दिया था। भारतीय सरकार का उपक्रम इरकोन उत्तरी श्रीलंका में रेलवे के इस नेटवर्क के पुनर्निर्माण में 80 लाख डॉलर की मदद देगा। इस परियोजना को दिसंबर 2013 में पूरा किया जाएगा और यह भारत-श्रीलंका विकास सम्बंधों का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा।
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