07-10-2012, 04:20 PM | #15431 |
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वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर अब तक लगभग 94 करोड़ 70 लाख डॉलर राशि जुटा ली है, जो रिकॉर्ड एक अरब डॉलर के आंकड़े से कुछ ही कम है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि छह नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए ओबामा के प्रचार अभियान में एक अरब डॉलर से भी अधिक राशि जुटा ली जाएगी। अगर यह संभव हो गया तो ऐसा पहली बार होगा कि अमेरिका में किसी उम्मीदवार ने चुनाव अभियान के दौरान एक अरब से अधिक डॉलर जुटाए हों। ओबामा ने ट्विटर पर लिखा कि अभियान के लिए सितंबर में 18 करोड़ 10 लाख डॉलर जुटाए गए हैं। उनके अभियान प्रबंधक जिम मेसीना ने समर्थकों को भेजे एक ईमेल में कहा कि हमने सितंबर में 18 लाख अमेरिकी नागरिकों से 18 करोड़ 10 लाख डॉलर जुटाए- इनमें से पांच लाख 67 हजार लोगों ने पहली बार अनुदान दिया। अभी तक एक महीने में हमारे लिए यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।
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07-10-2012, 04:21 PM | #15432 |
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भारतीय अमेरिकियों ने रोमनी के लिए लाखों डॉलर जुटाए
वाशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी का समर्थन कर रहे कुछ प्रमुख भारतीय अमेरिकियों ने उनके प्रचार अभियान के लिए डेढ़ से दो करोड़ डॉलर की रकम जुटाई है। रोमनी के प्रचार दल ने राजनीतिक चंदे को लेकर कोई आंकड़ा पेश नहीं किया है और उसने बड़े दाताओं की सूची भी जारी नहीं की है। इस सूची में भारतीय मूल के 200 से अधिक लोगों के नाम हैं। रोमनी के प्रचार अभियान दल की राष्ट्रीय वित्त समिति के प्रमुख स्पेंसर जाविक ने नवंबर, 2011 में ‘इंडियन अमेरिकी कोएलिशन’ की स्थापना की थी ताकि भारतीय मूल के अधिक लोगों को प्रचार अभियान से जोड़ा जा सके। रिपब्लिकन पार्टी के लोगों का मानना है कि भारतीय मूल के लोगों ने रोमनी के अभियान को डेढ़ से दो करोड़ डॉलर की रकम की मदद की है। रोमनी की वित्तीय समिति में शामिल सुए घोष ने कहा कि सबने पैसे का योगदान दिया है। राजनीतिक चंदा एकत्र करने से जुड़े हर कार्यक्रम में औसतन 10 लाख डॉलर की रकम एकत्र की गई। घोष ने कहा कि भारतीय मूल के लोग सर्वसम्मति के साथ मिट रोमनी का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि अमेरिका गलत ढर्रे पर है और उनके बच्चों का आर्थिक भविष्य दांव पर है। रिपब्लिकन समर्थक सम्पत सिंघवी ने कहा कि रिपब्लिकन भारत के अधिक नजदीकी हैं। रोमनी भारत के लिहाज से बेहतर राष्ट्रपति होंगे। भारतीय मूल के एक अन्य रिपब्लिकन राजू चिंताला ने कहा कि साल 2008 में भारतीय मूल के लोगों ने ओबामा का साथ दिया था, लेकिन 2012 में ऐसा नहीं होने वाला है।
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07-10-2012, 04:21 PM | #15433 |
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ओबामा और रोमनी के बीच ट्विटर पर छिड़ी चुनावी ‘जंग’
वाशिंगटन। ‘वी कैन चेंज’ के नारे के साथ एक बार फिर से राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार में उतरे बराक ओबामा और उनको बराबर की टक्कर दे रहे रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी के बीच ट्विटर पर ‘चुनावी जंग’ शुरू हो गई है और दोनों ‘महारथी’ एक दूसरे पर जोरदार ‘ट्वीट हमला’ बोल रहे हैं। डेनवर में हुए पहले ‘प्रेसिडेंशियल डिबेट’ में मैदान मारने वाले मिट रोमनी माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी ओबामा पर जोरदार हमला बोल रहे हैं। रोमनी ने अपने ताजा ट्वीट में दावा किया कि महिलाएं बराक ओबामा से ऊब चुकी हैं और वे चाहती हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नया नेतृत्व कमान संभाले। इससे पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि ओबामा ने लंबे समय तक सेना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए अभियान चलाया, लेकिन रक्षा बजट में 500 अरब डॉलर की कटौती करने के कानून पर हस्ताक्षर कर दिया। रोमनी ने कहा कि ओबामा ने 500 अरब डॉलर की और कटौती का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि सेना के सम्बंध में राष्ट्रपति बराक ओबामा का रिकार्ड है कि वे कहते कुछ हैं, करते कुछ और हैं। रोमनी के इन हमलोें से विचलित हुए बिना ओबामा और उनकी टीम ने रिपब्लिकन उम्मीदवार रोमनी द्वारा मध्यम वर्ग के ऊपर लगाए जाने वाले कर प्रस्तावों पर सवाल खड़े किए हैं और आरोप लगाया है कि रोमनी की वास्तविक योजनाओं से मध्यम वर्ग को नुकसान पहुंचेगा। ओबामा ने अपने ट्वीट में जवाबी हमला बोला और कहा कि डेनवर में दिए अपने भाषण में रोमनी ने अमेरिकी लोगों के लिए पूर्व शर्तों के साथ कर प्रस्तावों पर अपनी योजनाओं को या तो गलत ढंग से बताया या पूरा ब्यौरा देने से मना कर दिया। ऐसा इसलिए था क्योंकि उनकी वास्तविक योजनाओं से मध्यम वर्ग को नुकसान पहुंचेगा। उनकी टीम ने आरोप लगाया कि रोमनी ने अपने 38 मिनट के भाषण के दौरान 27 झूठ बोले। पिछले चुनाव में ट्विटर का जमकर इस्तेमाल करने वाले ओबामा ने इस बार खास तैयारी की है। ओबामा का ट्विटर अकाउंट चुनावी रंग से रंग गया है। ट्विटर पर आधिकारिक रूप से ओबामा का चुनाव प्रचार खुद उनके, पत्नी मिशेल ओबामा, उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन, ओबामा2012, ‘ट्रुथ टीम2012’ अकाउंटों के जरिए किया जा रहा है। ओबामा के ट्विटर पर दो करोड़ 58 लाख फॉलोवर हैं। ट्विटर पर चुनाव प्रचार के मामले में मैसाचुसेट्स के गवर्नर मिट रोमनी भी पीछे नहीं हैं। रोमनी और उनके उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पॉल रेयान तथा उनकी चुनाव प्रचार टीम ओबामा की नीतियों की बखिया उधेड़ रही है तथा जवाबी हमला बोल रही है। ट्विटर पर रोमनी के करीब 13 लाख फॉलोवर हैं।
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07-10-2012, 04:32 PM | #15434 |
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बिग बॉस-6 नये अवतार में, आज से प्रसारण
मुंबई। रियलिटी टीवी शो ‘बिग बॉस’ का छठा सीजन पिछले पांच सीजनों से अलग होगा और एक नये तरह के परिवेश में बिग बॉस के घर में प्रतिभागियों के साथ एक तोता और एक मछली भी होंगे। बिग बॉस का सेट इस बार पुणे के लोनावाला में बनाया गया है। पिछले साल यह सेट करजत में सजाया गया था। ‘अलग छै’ की टैग लाइन के साथ आज से कलर्स चैनल पर शो का प्रसारण शुरू होगा जिसमें सेलिब्रिटी प्रतिभागी बाहरी दुनिया से कटे हुए यहां रहेंगे और करीब तीन महीने रहने के बाद विजेता का चयन होगा। शो के लिए 15 हजार वर्ग फुट पर तैयार किये गये घर को जानेमाने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कला निर्देशक साबू साइरिल ने सजाया है। शो में इस बार घर के सदस्यों पर करीब 70 कैमरे 24 घंटे अलग अलग कोण से नजर रखेंगे। बिग बॉस में तीसरी बार अभिनेता सलमान खान मेजबान होंगे। वह पिछले सीजन में संजय दत्त के साथ शो प्रस्तुत कर चुके हैं। इस बार 17 लोग बिग बॉस के घर में रह सकते हैं इनमें सर्वाधिक चर्चा जिन नामों की है उनमें भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू, गुलाबी गिरोह की पूर्व मुखिया संपत लाल, विवादास्पद कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी, टीवी अदाकारा उर्वशी ढोलकिया, हास्य कलाकार ब्रजेश हीरजी और भोजपुरी फिल्मों अभिनेता दिनेश लाल यादव के शो का हिस्सा बनने की संभावना जताई जा रही है।
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08-10-2012, 05:06 AM | #15435 |
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स्वतंत्र फिल्मों को समर्थन नहीं दे रहा एशिया
बुसान (दक्षिण कोरिया)। वर्ष के सर्वश्रेष्ठ एशियाई फिल्मकार कोजी वाकामत्सु का कहना है कि एशिया में युवा निर्देशकों को सरकार की ओर से सहयोग में कमी के चलते इस क्षेत्र में कलात्मक स्वतंत्रता दम तोड़ रही है। वाकामत्सु को बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह सम्मान दिया गया। उन्हें यह सम्मान स्वतंत्र फिल्मों के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया। वाकामत्सु ने कहा कि एशिया में सरकारी आर्थिक मदद सिर्फ व्यावसायिक फिल्मों को ही मिल रही है, इसलिए युवा फिल्मकार सिर्फ व्यावसायिक फिल्में ही बना रहे हैं। इस जापानी निर्देशक ने बताया कि ताकत मल्टीप्लेक्स थिएटरों के हाथ में है जो कि छोटी फिल्मों को नहीं चलाते। उन्होंने कहा कि युवा फिल्मकारों को यह आजादी होनी चाहिए कि वे अपनी पसंद की फिल्में बना सकें। अपने छह दशकीय फिल्मी कॅरियर में वाकामत्सु सौ से भी ज्यादा फिल्में बना चुके हैं। 2010 में आई ‘कैटरपिलर’ को बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में सिल्वर बियर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। बुसान समारोह के इस 17वें सत्र में दस दिनों में 300 से भी ज्यादा फिल्में दिखाई जानी हैं। समारोह का समापन आगामी 13 अक्टूबर को होगा।
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08-10-2012, 05:07 AM | #15436 |
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सरकार की खनन नीति से भारत की समृद्ध जैवविविधता खतरे में : ग्रीनपीस
नई दिल्ली/हैदराबाद। सरकार की खनन नीति से देश की जैवविविधता और बाघों के पर्यावासों को नुकसान पहुंचने का आरोप लगाते हुए एक गैर सरकारी संगठन ने आज वन्य क्षेत्रों में कोयला खदानों की विस्तार योजना पर फिर से विचार करने की मांग सरकार से की। हैदराबाद में संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता सम्मेलन शुरू होने से कुछ घंटे पहले एनजीओ ग्रीनपीस ने सरकार से कहा है कि देश की सीमाओं के अंदर मौजूद समृद्ध जैवविविधता को बचाने के लिए नेतृत्व दर्शाने की जरूरत है। ग्रीनपीस ने एक बयान में कहा, ‘‘कोयला खनन बढाने की सरकार की मौजूदा नीति पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है और संकटग्रस्त भारतीय बाघों के पर्यावासों पर भी असर डाल रही है। इससे हजारों नागरिकों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।’’ जैवविविधता पर समझौते में शामिल पक्षों के कल से शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र के 11वें अधिवेशन से पहले संगठन ने अपने बयान में कहा है, ‘‘भारत सरकार को महत्वपूर्ण जैवविविधता के विनाश को रोकना चाहिए।’’ सम्मेलन का उद्घाटन कल पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन करेंगी। धरती पर घट रही जैवविविधता को रोकने के मकसद से दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण अधिवेशन में कुल 193 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। ग्रीनपीस के एक प्रवक्ता ने पीटीआई से कहा कि वे पर्यावरण को नुकसार पहुंचा रहीं सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ हैदराबाद में प्रदर्शन करेंगे। संगठन ने कहा कि उसके अध्ययन के अनुसार अकेले मध्य भारत में 13 कोयला क्षेत्रों से 11 लाख हेक्टेयर से अधिक प्राचीन वन्यभूमि को नुकसान पहुंचेगा।
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08-10-2012, 05:07 AM | #15437 |
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डीएलएफ की सफाई ‘आधे सच और झूठ से भरी’ :केजरीवाल
नई दिल्ली। भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चला रहे अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा को रियल इस्टेट कंपनी डीएलएफ की ओर से सरकार की कृपादृष्टि के ऐवज में फायदा पहुंचाये जाने के आरोपों पर कंपनी की सफाई को आधा सच और झूठा करार दिया है। केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘डीएलएफ ने प्रतिक्रिया दी है। यह आधे सच और झूठ से भरी हुई है। काफी जानकारी दबाई गयी है।’’ उन्होंने लिखा ‘‘हम कल एक विस्तृत जवाब देंगे। लेकिन क्या वाड्रा डीएलएफ की प्रतिक्रिया से सहमत हैं या उनकी दूसरी कोई राय है। अगर वह बयान देंगे तो हम सराहेंगे।’’ डीएलएफ ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था कि उसने 43 वर्षीय वाड्रा को सरकार से फायदों के ऐवज में बिना गारंटी के धन दिया था। कंपनी ने कहा कि उसका वाड्रा के साथ एक उद्यमी के तौर पर पारदर्शी सौदा हुआ था। केजरीवाल और प्रशांत भूषण के आरोपों को खारिज करते हुए डीएलएफ ने कहा कि ना तो उसने राज्य सरकार से कोई अनुचित फायदा उठाया है और ना ही उसे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों की ओर से कोई जमीन आवंटित की गयी। डीएलएफ ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया है कि कंपनी ने बहुत कम दामों पर वाड्रा और उनकी कंपनियों को संपत्तियां बेचीं।
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08-10-2012, 05:30 AM | #15438 |
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‘रावण’ पर भी चढ़ा महंगाई का रंग, कुंभकर्ण और मेघनाद की पूछ घटी
नई दिल्ली। महंगाई की मार से ‘रावण’ भी परेशान है। देशभर में विजयदशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस बार भी पुतले बनाने के काम में दिल्ली और आसपास के राज्यों से आए कारीगर दिनरात जुटे हुए हैं, लेकिन वे पुतला बनाने में काम आने वाले सामग्री की उंची कीमतों से परेशान हैं। पश्चिमी दिल्ली का तातारपुर क्षेत्र बरसों से रावण के पुतलों के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां कई दशक पहले एक मुस्लिम व्यक्ति ने पुतले बनाने का काम शुरू किया था। इससे बाद में उनका नाम ही रावण वाला बाबा पड़ गया। आज रावण वाला बाबा के काफी शार्गिद इस परंपरा को आगे बढा रहे हैं। पिछले 20 साल से हरियाणा के करनाल से यहां आकर पुतले बनाने वाले सुभाष ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘इस बार पुतला निर्माण में काम आने वाली सभी सामग्रियां महंगी हो गई हैं। 20 बांस का एक गठ्ठर पिछले साल 300 रुपये का था, जो इस साल 700 रुपये हो चुका है। इसी तरह लकड़ी बांधने वाली तार जहां पिछले वर्ष 40 रुपये किलो थी, वह आज 80 से 100 रुपये किलो हो चुकी है। कागज का दाम भी 50 फीसद से ज्यादा बढ चुका है। इसी तरह मजदूरी भी पिछले साल की तुलना में काफी बढ चुकी है। ऐसे में इस बार पुतलों के दाम 50 से 75 फीसद तक बढ गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस बार रावण के पुतलों का दाम 300 से 325 रुपये प्रति फुट है, जबकि पिछले साल यह 200 रुपये प्रति फुट था। यानी 50 फुट के पुतले के लिए 15,000 रुपये से अधिक के दाम चुकाने होंगे। सुभाष कहते हैं कि यहां पुतला बनाने के लिए दिल्ली के आसपास के इलाकों के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड से हजारों कारीगर हर साल आते है। इन दो तीन माह में उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है। एक अन्य कारीगर नितिन कहते हैं कि महंगाई की वजह से अब पुतलों का कद घट रहा है। पहले जहां आमतौर पर 50 फुट के पुतलों की मांग अधिक रहती थी, वहीं अब 20 से 30 फुट के पुतलों की मांग ज्यादा है। यही नहीं पहले किसी एक स्थान पर रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी जलाए जाते थे, जबकि आज लोग सिर्फ एक पुतला यानी रावण ही जलाते हैं। कारीगरों का कहना है कि रावण के पुतलों की तो आज भी मांग आती ही है, लेकिन धीरे-धीरे कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की पूछ घट रही है। एक अन्य कारीगर पवन के मुताबिक, तातारपुर में हर साल 2,000 के करीब पुतले बनाए जाते हैं। हालांकि, कभी यहां 4,000 से 5,000 तक पुतले बनते थे। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या घट रही है। सुभाष बताते हैं कि तातारपुर से रावण दिल्ली के अलावा हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश भेजे जाते हैं। इस बार सबसे ज्यादा आर्डर राजस्थान से आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कभी तातारपुर का रावण का पुतला आस्टेñलिया तक जाता था, लेकिन अब विदेशों से आर्डर नहीं मिलते। पुतला कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि आमतौर पर उनके सभी पुतले बिक जाते हैं। यदि कभी कुछ पुतले बिकने से बच जाते हैं, तो उनको नुकसान होता है। बचे पुतलों को वे खुद जला देते हैं।
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08-10-2012, 05:30 AM | #15439 |
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‘रावण’ पर भी चढ़ा महंगाई का रंग, कुंभकर्ण और मेघनाद की पूछ घटी
नई दिल्ली। महंगाई की मार से ‘रावण’ भी परेशान है। देशभर में विजयदशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस बार भी पुतले बनाने के काम में दिल्ली और आसपास के राज्यों से आए कारीगर दिनरात जुटे हुए हैं, लेकिन वे पुतला बनाने में काम आने वाले सामग्री की उंची कीमतों से परेशान हैं। पश्चिमी दिल्ली का तातारपुर क्षेत्र बरसों से रावण के पुतलों के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां कई दशक पहले एक मुस्लिम व्यक्ति ने पुतले बनाने का काम शुरू किया था। इससे बाद में उनका नाम ही रावण वाला बाबा पड़ गया। आज रावण वाला बाबा के काफी शार्गिद इस परंपरा को आगे बढा रहे हैं। पिछले 20 साल से हरियाणा के करनाल से यहां आकर पुतले बनाने वाले सुभाष ने कहा, ‘‘इस बार पुतला निर्माण में काम आने वाली सभी सामग्रियां महंगी हो गई हैं। 20 बांस का एक गठ्ठर पिछले साल 300 रुपये का था, जो इस साल 700 रुपये हो चुका है। इसी तरह लकड़ी बांधने वाली तार जहां पिछले वर्ष 40 रुपये किलो थी, वह आज 80 से 100 रुपये किलो हो चुकी है। कागज का दाम भी 50 फीसद से ज्यादा बढ चुका है। इसी तरह मजदूरी भी पिछले साल की तुलना में काफी बढ चुकी है। ऐसे में इस बार पुतलों के दाम 50 से 75 फीसद तक बढ गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस बार रावण के पुतलों का दाम 300 से 325 रुपये प्रति फुट है, जबकि पिछले साल यह 200 रुपये प्रति फुट था। यानी 50 फुट के पुतले के लिए 15,000 रुपये से अधिक के दाम चुकाने होंगे। सुभाष कहते हैं कि यहां पुतला बनाने के लिए दिल्ली के आसपास के इलाकों के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड से हजारों कारीगर हर साल आते है। इन दो तीन माह में उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है। एक अन्य कारीगर नितिन कहते हैं कि महंगाई की वजह से अब पुतलों का कद घट रहा है। पहले जहां आमतौर पर 50 फुट के पुतलों की मांग अधिक रहती थी, वहीं अब 20 से 30 फुट के पुतलों की मांग ज्यादा है। यही नहीं पहले किसी एक स्थान पर रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी जलाए जाते थे, जबकि आज लोग सिर्फ एक पुतला यानी रावण ही जलाते हैं। कारीगरों का कहना है कि रावण के पुतलों की तो आज भी मांग आती ही है, लेकिन धीरे-धीरे कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की पूछ घट रही है। एक अन्य कारीगर पवन के मुताबिक, तातारपुर में हर साल 2,000 के करीब पुतले बनाए जाते हैं। हालांकि, कभी यहां 4,000 से 5,000 तक पुतले बनते थे। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या घट रही है। सुभाष बताते हैं कि तातारपुर से रावण दिल्ली के अलावा हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश भेजे जाते हैं। इस बार सबसे ज्यादा आर्डर राजस्थान से आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कभी तातारपुर का रावण का पुतला आस्टेñलिया तक जाता था, लेकिन अब विदेशों से आर्डर नहीं मिलते। पुतला कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि आमतौर पर उनके सभी पुतले बिक जाते हैं। यदि कभी कुछ पुतले बिकने से बच जाते हैं, तो उनको नुकसान होता है। बचे पुतलों को वे खुद जला देते हैं।
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महीनों से अजमेर दरहगाह कमेटी का गठन और नाजिम की नियुक्ति नहीं कर पाया अल्पसंख्यक मंत्रालय
नई दिल्ली। अजमेर शरीफ दरगाह के शीर्ष प्रबंधन के पद बीते कई महीनों से खाली पड़े हैं, लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अब तक इन पदों पर नियुक्ति नहीं कर पाया है। नाजिम :सीईओ: का पद बीते एक साल से खाली पड़ा है तो नयी दरगाह कमेटी का गठन भी बीते ढाई महीने से नहीं हो सका है। इस बारे में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद अफजल ने कहा, ‘‘नाजिम की नियुक्ति और नयी कमेटी के गठन की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर कोई समयसीमा बताना अभी संभव नहीं है।’’ सरकार पर इस स्थल की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबिदीन अली खान ने कहा कि प्रबंधन में किसी के नहीं होने से दरगाह की स्थिति खराब होती जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी समझ नहीं आता कि सरकार अजमेर शरीफ का क्या करना चाहती है। प्रबंधन का कोई आदमी यहां नहीं है। दरगाह की हालत खराब होती जा रही है। इस बारे में सरकार से पूछा जाना चाहिए।’’ बीते साल जुलाई में अब्दुल मजीद का कार्यकाल खत्म होने के बाद से अब तक किसी नाजिम की नियुक्ति नहीं हो पाई है। नाजिम का अतिरिक्त प्रभार मोहम्मद अफजल ही देख रहे हैं, हालांकि वह दिल्ली में रहकर की दरगाह के प्रबंधन के ज्यादातर कामों को देखते हैं। उधर, बीते 24 अगस्त को नौ सदस्यीय दरगाह कमेटी का कार्यकाल भी खत्म हो गया, लेकिन अब तक नयी कमेटी का गठन नहीं किया गया है। पिछली कमेटी में शामिल रहे सुहैल मोहियुद्दीन तिरमिजी ने कुछ महीने पहले कमेटी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और इस संबंध में उन्होंने मंत्रालय को पत्र भी लिखा था। इस साल की शुरुआत में मंत्रालय ने नाजिम के पद पर रक्षा विभाग के एक अधिकारी की नियुक्ति कर दी थी, लेकिन उन्होंने निजी कारणों का हवाला देकर कार्यभार संभालने से मना कर दिया। इसके बाद इसी साल जुलाई की शुरुआत में मंत्रालय की ओर से नाजिम पद के लिए आवेदन मंगाए हैं। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि करीब छह बड़े अधिकारियों के आवेदन आए हैं, हालांकि अभी इन लोगों का इंटरव्यू नहीं लिया गया है। उधर, नयी कमेटी पर मंत्रालय ने भले ही कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन इसके लिए पूरी जोड़तोड़ चल रही है। खबर है कि पिछली कमेटी में शामिल रहे कुछ सदस्य राजनीति गलियारे में अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए फिर से कमेटी में आने की जुगत में हैं।
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