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Old 25-09-2013, 11:42 AM   #151
VARSHNEY.009
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हिग्स बोसान: स्टैंडर्ड माडेल किसी कण के विशिष्ट द्रव्यमान की व्याख्या नही कर पाता है। उदाहरण के लिये w कण और फोटान दोनो बल वाहक कण है लेकिन फोटान शून्य द्रव्यमान का और w कण भारी क्यों है ?
भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार एक हिग्स क्षेत्र(Higs Field) का अस्तित्व होता है, जो सैधांतिक रूप से अन्य कणो के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हे द्रव्यमान देता है। इस हिग्स क्षेत्र के लिए एक कण चाहीये, जिसे हिग्स बोसान(Higs Bosan) कहते है। यह हिग्स बोसान अभी तक देखा नही गया है लेकिन भौतिक वैज्ञानिक इसकी खोज मे लगे हुये है। इस कण को ’ईश्वर कण(God Particle)’ भी कहते हैं।

Last edited by VARSHNEY.009; 25-09-2013 at 11:48 AM.
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Old 25-09-2013, 12:08 PM   #152
Dr.Shree Vijay
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आखिर वैज्ञानिकों ने ईश्वर के अस्तित्त्व को स्वीकार किया..................



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*** Dr.Shri Vijay Ji ***

ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे:

.........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :.........


Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread.



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Old 25-09-2013, 07:34 PM   #153
rajnish manga
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बेहद गूढ़ और रहस्यमय वैज्ञानिक विषय को आपने एक सामान्य जानकारी रखने वाले पाठक को समझ आने वाली भाषा में प्रस्तुत करने का जो महत्वपूर्ण काम किया है उसके लिये हम आपके आभारी हैं, मित्र वार्ष्णेय जी.
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Old 25-10-2013, 12:11 PM   #154
VARSHNEY.009
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34 सालों में दिखेगा क्लाइमेट चेंज

ग्लोबल वार्मिग के नतीजे पृथ्वी पर आए दिन की प्राकृतिक आपदाओं और मौसम में परिवर्तन के रूप में नजर आने ही लगे हैं। लेकिन अगले सिर्फ 34 सालों में पर्यावरण में इतने भीषण बदलाव देखने को मिलेंगे जिनकी अभी कल्पना करना भी मुश्किल है। इस वक्त में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप अधिक भीषण और विकराल होने वाला है। प्राकृतिक आपदाओं का विकट रूप सबसे अधिक कटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अधिक दिखेगा। विषवत रेखा के दोनों तरफ आने वाले क्षेत्रों में आने वाले इलाके सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हवाई यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता कैमिलो मोरा ने ताजा अध्ययन के निष्कर्षो के आधार पर बताया कि ग्लोबल वार्मिग के खराब नतीजे के तौर पर दुनिया भर के मौसमों में अमूल-चूल परिवर्तन में अब अधिक समय शेष नहीं है। क्लाइमेट चेंज या क्लामेट शिफ्ट का भीषण संकट हमारी यही पीढ़ी अपने आखों से देख सकेगी। उन्होंने कहा कि अन्य अध्ययनों में शोधकर्ता इस विभीषिका के आने अब तक एक सदी यानी वर्ष 2100 तक का वक्त लगना बताते रहे हैं। लेकिन विश्व का तापमान तेजी से बढ़ने से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लिहाजा उससे जनित प्राकृतिक आपदाएं भी वक्त के साथ और विकराल होती जाएंगी। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के मौजूदा स्वरूप को देखते हुए वर्ष 2047 तक पूरी पृथ्वी पर मौसम इतना अधिक बदल चुका होगा जितना इतिहास में कभी भी दर्ज नहीं किया गया। अगर जीवाश्म ईंधन जैसे पेट्रोलियम पदार्थो के उपयोग से पैदा होने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में किसी हद तक कमी की जा सकी तो क्लाइमेट चेंज की ये विभीषिका वर्ष 2069 तक पीछे खिसक सकती है। वैज्ञानिक अब प्रलयंकारी मौसम के उस छोर के आने के साल को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं जो वायु और समुद्र की सतह के तापमान से निर्धारित होता है। इसके अलावा इसका निर्धारण वर्षा और समुद्र व महासागरों में अम्लीय जल की मात्र से निर्धारित होगा। साइंस ग्लोबल इकोलाजी डिपार्टमेंट ऑफ कारनेज इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक केन क्लैडेला के मुताबिक मौसम में बदलाव बहुत जल्द होने वाले हैं। इसकी सबसे जल्द और बुरा असर कटिबंधीय (ट्रापिकल) क्षेत्रों में होने वाला है। कटिबंधीय इलाकों में ही पृथ्वी की सबसे अधिक जैव विविधता है। मनुष्यों की आबादी इसी इलाके में सर्वाधिक है। यहीं सबसे अधिक खाद्यान्न पैदा है। इसके अलावा, वनस्पति से लेकर जीव-जंतुओं तक के मामले में विषवत रेखा से कर्क रेखा और दक्षिणी गोलार्ध में विषवत रेखा से मकर रेखा तक के इलाके सबसे अधिक समृर्ध हैं। ऐसे में किसी भी प्राकृतिक आपदा से इनका विलोप होना शुरू हो जाएगा। कटिबंधीय इलाकों में ये प्रलयंकारी स्थिति धरती के अन्य स्थानों से तकरीबन दस साल पहले ही आ जाएगी। वर्ष 2050 से पहले ही इन इलाकों में कम से कम विकासशील देशों की एक अरब से अधिक आबादी प्रभावित होगी। करीब 5 अरब लोगों को अपनी संपलि और धन से हाथ धोना पड़ेगा। सह शोधकर्ता रायन लागमैन के अनुसार इससे खाद्यन्न और जल आपूर्ति बाधित होने के साथ ही मानव जाति को महामारियों का सामना करना पड़ेगा। अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन सामान्य रूप से चलता रहा तो भी क्लाइमेट चेंज की विभीषिका का सामना इंडोनेशिया के मानोक्वारी को 2020 में, नाइजीरिया के लागोस को 2029 में, मेक्सिको सिटी को 2031 में, आइसलैंड के रेकजेविक को 2066 में अमेरिकी क्षेत्र के अलास्का के एंकोरेज को 2071 में करना पड़ेगा। क्लाइमेट शिफ्ट या क्लाइमेट डिपारचर (मौसम पूरी तरह बदलने) की प्रक्रिया अतिवादी मौसम के पिछले 150 साल के रिकार्डो के हमेशा के लिए टूटने पर बनती है। इस अवधि में उपलब्ध मौसम के तथ्यपरक आकड़े ही उस मौसम का पैमाना बन जाते हैं। मौजूदा वातावरण में कार्बनडाइआक्साइड गैस की मात्र हर दस लाख घन हवा में 400 तक है जोकि 2100 तक 936 हो जाएगी। इस सदी के अंत तक विश्व का तापमान 3.7 डिग्री बढ़ जाएगा।
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Old 25-10-2013, 12:26 PM   #155
VARSHNEY.009
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बड़े पंजों वाले जीवाश्म में था मकड़ी की तरह दिमाग









वैज्ञानिकों ने एक बेहद पुराने जीवाश्म से अब तक के सबसे संरक्षित तंत्रिका तंत्र की खोज़ की है.
ईसा पूर्व करीब 52 करोड़ साल पहले के इस बड़े पंजों वाली मकड़ी के जीवाश्म से स्पष्ट तौर पर मस्तिष्क और तंत्रिका कॉर्ड के होने के साक्ष्य मिले हैं, जो उस जीव के धड़ में सक्रिय थे.
इस नमूने से अब यह स्पष्ट होता है कि मकड़ी और बिच्छू के पूर्वज एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, लेकिन क़रीब 50 करोड़ साल पहले ये अलग-अलग हो गए.
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस अध्ययन को नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया है. यह विलुप्त हो चुके ऐसे जीवों के जीवाश्म हैं जो आपस में जुड़े हुए थे.
लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के ग्रेग एजकॉम्बे का कहना है कि जीवों के मुख्य प्रजातियों में ऐसे ही तंत्रिका तंत्र के होने की संभावना है जिससे जीवाश्म वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में सहायता मिल सकती है कि ये कैसे जुड़े हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा, ''तंत्रिका तंत्र हमारे पास मौजूद एक सबसे विश्वसनीय टूल किट है. हम यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह जीवों के जीवाश्म से नेचुरल टिशू को संरक्षित करने का सबूत है.''


उन्होंने कहा, ''हम जिन जीवाश्मों के साथ काम कर रहे हैं वे कार्बन काल के दौरान के बेहतरीन शारीरिक संरक्षण हैं. इसने हमें दिमाग, यांत्रिकी कॉर्ड और नेचुरल टिशू के बारे में सूचनाएं दी हैं, जो आंखों में जाती हैं.''
इस जीवाश्म को हाल ही में दक्षिणी चीन से बरामद किया गया और यह 'अलालकोमेनेयस' का हिस्सा है. 'अलालकोमेनेयस' आपस में जुड़े हुए जीवों की एक प्रजाति होती है. इस समूह के जीवों में दर्जनों उपअंग होते हैं जिनके सहारे वे तैरते या रेंगते हैं.
इसकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए इसका सीटी स्कैन कर दूसरे ऐसे जीवों के साथ तुलना की गई. इसके बाद टीम ने इस जीव की बनावट को समझने के लिए 3डी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया.
डॉ. एजकॉम्बे ने कहा कि ऐसे जीवों के बारे में जानने के उत्सुक उनके जैसे लोग यह समझना चाहते हैं कि ये आज के इस प्रजाति के जीवों से कितना अलग थे.
उन्होंने कहा, ''तंत्रिका तंत्र तक पहुंचने के बाद हमने आज के जीवों के इस्तेमाल होने वाली सूचनाओं के आधार पर ही प्राचीन जीवाश्मों में रिश्तों का अध्ययन किया.''
इस अध्ययन की सह लेखक और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के ही जियाओया मा ने कहा, ''ईसा पूर्व 52 करोड़ साल पहले के जीवाश्म में एक पूर्ण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के बारे में सफलतापूर्वक अध्ययन के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना काफी शानदार रहा.''
उन्होंने कहा कि इस जीवाश्म के हाई रिज्योलुशन वाली बनाई गई तस्वीर के आधार पर टीम ने इस जीव के सिर वाले क्षेत्र में तंत्रिकीय बनावट देखी. वैज्ञानिकों ने इस जीव में मस्तिष्क से जुड़े कई और हिस्से भी दिखे.
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Old 25-10-2013, 12:29 PM   #156
VARSHNEY.009
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अफगानिस्तान के सिल्क रोड की खोज


अफगानिस्तान का बल्ख प्रांत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजे हुए है.


उत्तरी अफगानिस्तान का बल्ख प्रांत दुनिया की कुछ बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासतों को सहेजे हुए है. इसके कुछ प्राचीन शहरों को दुनिया के सभी शहरों का जनक कहा जाता है. अपनी पहली यात्रा के करीब 10 वर्षों के बाद लीनी ओ डोनेल ने एक पुरातत्वविदों के एक दल के साथ इस इलाके का दौरा किया.
उत्तरी अफ़गानिस्तान के मैदानों में गर्म हवाओं और धुंधले रंग की धूल और उसके बीच महिलाओं के लहराते हुए बुर्के.




ये बल्ख के तराई इलाकों की समतल भूमि है, जिसके प्राचीन व्यापारिक मार्ग ने खानाबदोशों, योद्धाओं, साहसी लोगों और धर्म प्रचारकों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
इन लोगों ने अपने पीछे यहां ऐसे रहस्यों को छोड़ा जिन्हें पुरातत्वविदों ने खोजना शुरू ही किया है.
शक्ति का केन्द्र

इस क्षेत्र के बदौलत हजारों सालों तक क्लिक करें अफगानिस्तान एशिया में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक शक्ति का केंद्र बना रहा.
पिछली बार साल 2001 में मैंने बैक्ट्रियन मैदान की यात्रा की. अमरीका में हुए 9/11 के हमले के बाद ब्रिटिश और अमरीकी फौजों की तालिबान के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने के कारण मुझे वापस लौटना पड़ा.
बल्ख के ख्वाजा परसा मस्ज़िद में मरम्मत का काम जारी है.


अब मैं करीब 12 साल बाद अफ़गान और फ्रांसीसी पुरातत्वविदों के साथ दुनिया के कुछ बेहद पुराने और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की खोज में वापस लौटी हूं.
ये स्थल न सिर्फ अफ़गानिस्तान के अतीत के बारे में हमें बताते हैं बल्कि भारत और चीन में मानव सभ्यता के विकास पर भी रोशनी डालते हैं.
बैक्ट्रियन मैदान अफगानिस्तान के छिपे इतिहास का ख़जाना है. रेत के इन टीलों से सिकंदर की सेना गुजरी थी, उसने बल्ख के राजा को मारा और उसकी ख़ूबसूरत बेटी रोक्सेन से शादी की.
इसके करीब 1,500 साल बाद चंगेज़ खान का आगमन हुआ जिसने विविधता के केन्द्र रहे शहरों को धवस्त किया.
शहरी सभ्यता

करीब 3500 साल पहले एकेश्वरवादी धर्म की स्थापना करने वाले दार्शनिक ज़ोरास्टर यही रहते थे. 13वीं शताब्दी के महान कवि रूमी का जन्म भी बल्ख में ही हुआ था.
इन प्राचीन धरोहरों की उम्र का पता करने के लिए फ्रांसीसी पुरातत्वविद् अध्ययन कर रहे हैं.
दौलताबाद के पास एक छोटा सा गांव ज़ैदियां है. इस इलाके में तालिबान काफी सक्रिय हैं. इसलिए हम हथियारबंद सुरक्षा घेरे के साथ ही वहां जा सकते हैं.
हमारे सामने मिट्टी से बना हुआ एक अनाम टावर था. इसे 12 शताब्दी में बनाया गया था.
नौ गुंबदों वाली मस्ज़िद के अवशेष.


चश्मा-ए-शिफ़ा के मरु उद्यान में एन्विल के आकार की एक विशाल चट्टान शहरी सभ्यता का प्रमाण देती है, जहां ईसा से 600 साल पहले पारसी पुजारी हजारों लोगों की मौजूदगी में क्लिक करें धार्मिक कर्मकांड करते थे.
तालिबान का असर

फ्रांसीसी पुरातत्वविद् यहां करीब पिछले 100 वर्षों से काम कर रहे हैं, हालांकि युद्ध के कारण उनका काम बाधित होता रहा है.
अफगानिस्तान में क्लिक करें तालिबान का प्रभाव बढ़ने के कारण भी ऐतिहासिक खोजों में बाधा आई है क्योंकि तालिबान का मानना है कि अफगानिस्तान का इतिहास 7वीं सदी में इस्लाम के आगमन के साथ ही शुरू होता है.
हकीकत यह है कि अफगानिस्तान में इस्लाम ने बौद्ध धर्म की जगह ली. तालिबान ने साल 2001 में गौतम बुद्ध की प्रतिमा को गिराकर इतिहास के प्रति अपने निरादर को जताया था.
आज पुरातत्वविद् इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि अफगानिस्तान ने हजारों वर्षों तक दुनिया के बड़े हिस्से में समृद्धि और दर्शन को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उनके लिए अतीत की महानता भविष्य के लिए एक उदाहरण है, और बल्ख में अतीत अपने पूरे शबाब पर है.
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Old 25-10-2013, 12:33 PM   #157
VARSHNEY.009
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क्या एक सॉफ़्टवेयर से रोकी जा सकती है भगदड़?



सबसे ज़्यादा क्रूर और बेमतलब की मौत हो सकती है भीड़ में कुचलकर मर जाना लेकिन 21वीं सदी में भी इस तरह की मौतें हो रही हैं.
हाल ही में भारत में एक हिंदू त्यौहार के मौक़े पर मची भगदड़ में 115 लोग दुःखद हादसे में मारे गए.
इस पर पैदा हुआ दुःख जल्द ही ग़ुस्से में बदल गया क्योंकि मीडिया में इस तरह की ख़बरें आईं कि भीड़ का बेहतर प्रबंधन करके इस दुर्घटना को टाला जा सकता था.
सवाल ये है कि क्या तकनीक के इस्तेमाल से इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है?
हज यात्रा के लिए आयोजक अब भीड़ पर नज़र रखने के लिए एक सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं.
इसकी मदद से ना सिर्फ़ भीड़ में हो रही हरकतों का पता रहता है बल्कि यह भी पता चल सकता है कि कहाँ क्षमता से ज़्यादा लोगों के जुटने की आशंका है.
लाइव फ़ीड यानी किसी स्थान का सीधा वीडियो एक बड़े ऑपरेशन रूम में दिखता है, जिनका विश्लेषण सेना, पुलिस और भीड़ नियंत्रक करते हैं. ये सॉफ़्टवेयर भीड़ के आकार, उनके फैलाव और दिशा के बारे में सटीक डाटा तुरंत देता है.
इस तकनीक को विकसित करने वाली संस्था क्राउड विज़न की सह-संस्थापक फ़िओना स्ट्रेंस कहती हैं, ''भीड़ ख़तरनाक साबित हो सकती है. भीड़ में कुचलने, भगदड़ मचने और निकलने में असमर्थता का इतिहास पुराना है फिर चाहे वो भीड़ के किसी हिस्से ने अस्थिरता फैलाई हो, प्राकृतिक आपदा हो या फिर भीड़ नियंत्रकों की ग़लतफ़हमी की वजह से हो. यह तकनीक भीड़ के व्यवहार के बारे में जानकारी देती है जिससे संकेत मिलता है कि ज़्यादा संख्याबल, दबाव या गड़बड़ होने की संभावना कहां है. ''
चूंकि हज में बहुत बड़ी संख्या में लोग होते हैं, इसका इतिहास दुखद रहा है औऱ पिछले सालों के दौरान हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है.
सबसे बुरी घटनाओं में से एक थी साल 2006 की भगदड़ जिसमें हज के आख़िरी दिन 346 लोगों की जान गई और 200 घायल हो गए.
भीड़ का व्यवहार

मक्का में तकनीक के इस्तेमाल से प्रशासन ने भगदड़ पर क़ाबू पाया है


अपने पीएचडी शोध के तहत क्राउड विज़न के सह संस्थापक डॉक्टर ऐंडर्स जोहैंसन ने 2006 में मची भगदड़ से पहले और बाद में सीसीटीवी कैमरे की फ़ुटेज का अध्ययन किया. इससे पता चला कि भीड़ का निश्चित व्यवहार था जिसे अगर पहले से समझा जाता तो हादसा रोका जा सकता था.
साल 2007 से ये प्रणाली मक्का में लगाई गई और तब से हर साल इसके ज़रिए भीड़ का नियंत्रण किया जा रहा है और तब से किसी हादसे या मौत की ख़बर नहीं है. हालांकि स्ट्रेंस ये नहीं मानतीं कि यह पूरी तरह से तकनीक पर निर्भर है.
वह कहती हैं, ''हाल के वर्षों में मक्का प्रशासन ने हाजियों की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे, योजना और तकनीक को बेहतर बनाया है लेकिन हम त्वरित आंकड़े और जानकारी देने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं ताकि फ़ैसले लेने में मदद मिल सके.''
सऊदी प्रशासन अपने तकनीकी सहयोगी को पाकर काफ़ी ख़ुश है. शहरी और ग्रामीण मामलों के मंत्रालय में भीड़ प्रबंधन विशेषज्ञ डॉक्टर सलीम अल बोस्ता कहते हैं कि भीड़ का सजीव विश्लेषण यात्रियों की सुरक्षा बेहतर बनाता है.
हालांकि 2001 से 2005 हज यात्रा के लिए विशेष सलाहकार रहे वैज्ञानिक कीथ स्टिल इस बात पर को लेकर शंकित हैं कि इन जगहों पर तकनीक का कितना इस्तेमाल मदद कर सकता है. उन्होंने बीबीसी से कहा, ''किसी भी तकनीक को भीड़ प्रबंधन योजना के साथ ही इस्तेमाल किया जा सकता है.''
उन्हें इस बात पर भी भरोसा नहीं है कि क्राउड विज़न की तकनीक 'लाइव' स्थिति में काम कर सकती है. वह कहते हैं, ''ये भीड़ में पैदा हुई हलचल का पता लगा सकती है लेकिन अगर ऐसी हलचल हो रही है तो आप पहले से ही उस परिस्थिति पर पहुंच चुके हैं जहां लोग कुचले जा सकते हैं या गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं. जो भी नियंत्रण कर रहा है वह तो बुनियादी तौर पर स्थिति पर अपना क़ाबू खो चुका है. ये एक बेकार की कसरत बन सकती है.''
कीथ मानते हैं कि क्राउड विज़न की तकनीक सिर्फ़ भीड़ की संख्या मापने के काम आ सकती है. ''अगर आप क्षमता नापना चाहते हैं तो ये बढ़िया है लेकिन जोखिम प्रबंधन प्रणाली बनने में इसे अभी वक्त लगेगा.''
भीड़ और प्रदर्शन

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तकनीक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से सहमति नहीं है.


दुनिया भर के शहरों में जनसंख्या बढ़ती जा रही है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2050 तक दुनिया भर की कुल जनसंख्या का 70 फ़ीसदी शहरों में होगा और लोग ज़्यादा वक्त भीड़ में बिताएंगे.
संगीत और खेल कार्यक्रमों में भीड़ तो आम बात है लेकिन सोशल मीडिया और स्मार्टफ़ोन तकनीक ने भीड़ के प्रदर्शनों को भी आम बना दिया है. विश्लेषक जो डिगनैन कहते हैं कि आने वाले दिनों में भीड़ नियंत्रक तकनीक बहुत अहम होने जा रही है.
भीड़ भले ही प्रदर्शन के लिए इकट्ठी हो, पार्टी के लिए या फिर मनोरंजन के लिए. परिस्थितियां कभी भी ख़राब हो सकती हैं.
क्राउड विज़न ने एक बहुमंज़िला इमारत से लोगों को निकाले जाने की रिहर्सल के समय पैदा हुई ख़तरनाक स्थितियों का हीट मैप बनाया है जिससे ये पता चलता है कि अगर भीड़ आराम से निकल रही हो तब भी कैसे ख़तरे के मौक़े पैदा हो सकते हैं.
मैप ने ये दिखाया कि जब भीड़ दोबारा बिल्डिंग में घुस रही थी तो कैसे ख़तरनाक तरह से पंक्तियां बनने लगीं. किसी संगीत कार्यक्रम में सबसे बड़ी ग़लती हो सकती हैं भीड़ प्रबंधकों को आगे खड़ा करना.
क्राउड विज़न की फ़िऔना स्ट्रेंस कहती हैं कि मैप से पता चलता है कि समस्याएं दरअसल भीड़ के बीच से शुरू होती हैं. अगर नियंत्रकों के पास उस वक्त की सूचना हो तो वो तुरंत पता लगा सकते हैं कि उनकी ज़रूरत कहां पर है.
इस तरह की बातें शायद मध्य प्रदेश के लिए वास्तविक साबित ना हों जहां हाल ही में भगदड़ हुई थी. जिस पुल से भीड़ गुज़र रही थी उसके गिरने की अफ़वाह फैली और अफ़रा-तफ़री मच गई जबकि ये पुल सात साल पहले हुए एक हादसे की वजह से ही बनाया गया था जब लोग नदी पार करते वक्त मारे गए थे.
प्रोफ़ेसर कीथ स्टिल मानते हैं कि तकनीक मदद भले ही कर सकती है लेकिन ये हल का एक हिस्सा हो सकती है. 'इससे बचने का सबसे बेहतर तरीक़ा है भीड़ की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना.'
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Old 02-05-2014, 04:41 PM   #158
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अच्छा सूत्र है
मनोरंजन और ज्ञान एक साथ
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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Old 17-07-2014, 04:11 PM   #159
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एमपी३ प्लेयर के संबंध में
विश्व का सबसे महँगा एमपी३ प्लेयर जिसके केस को १८ कैरेट के सोने से बना कर १ कैरेट वज़न के ६३ हीरों से जड़ा गया है।
आप अपने लिए एक बढ़िया-सा नन्हा सा पोर्टेबल, पर्सनल एमपी३ प्लेयर ख़रीदना चाहते हैं? या ख़रीद चुके हैं? आइए, आज आपको कुछ युक्तियाँ बताते हैं ताकि आपकी ख़रीद बढ़िया हो और अगर आप ख़रीद चुके हों तो आप अपने प्लेयर का सर्वोत्तम इस्तेमाल कर सकें।
पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर ख़रीदने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें-
  • आईपॉड नाम सबको ललचाता है। परंतु उससे बेहतर ख़रीद एक दो नहीं, कई कई हैं।
  • एमपी३ प्लेयर ऐसा ख़रीदें जिसमें बैटरी इनबिल्ट न हो। इनबिल्ट बैटरी युक्त प्लेयर में हो सकता है कि आप कोई बढ़िया-सी ग़ज़ल सुन रहे हों और उसके दूसरे शेर में बैटरी ख़त्म हो जाए और आस-पास उसे चार्ज करने का साधन भी न हो। बदली जा सकने वाली बैटरी युक्त सेट में कम से कम आप पाँच रुपए की बैटरी पास के पान दुकान या ड्रगस्टोर से ख़रीद कर काम तो चला ही सकते हैं। साथ ही, कोई भी रीचार्जेबल बैटरी अनंत काल तक रिचार्ज कर इस्तेमाल में नहीं ली जा सकती। अंतत: रीचार्जेबल बैटरी का भी नया सेट लेना ही पड़ता है।
  • हार्डडिस्क युक्त एमपी३ प्लेयर कतई नहीं ख़रीदें। साल भर के भीतर ही फ्लैश मेमोरी कार्ड ३२ गी.बातक की क्षमता में मिलने लगेगा और सस्ता ही मिलने लगेगा। अभी ही १-२ गीबाय़ुक्त मेमोरी, फ्लैश कार्ड हज़ार-पंद्रह सौ रुपए में मिलने लगे हैं। मशीनी घूमने वाले उपकरणों युक्त हार्डडिस्क में घर्षण व क्षरण से अंतत: ख़राबी उत्पन्न होती ही है, जबकि स्टैटिक फ्लैश कार्ड मेमोरी में ख़राबी की संभावना तुलनात्मक रूप से अत्यंत कम होती है। ये कम बैटरी भी खाते हैं।
  • एमपी३ प्लेयर ऐसा ख़रीदें जिसमें अलग से या अतिरिक्त मेमोरी कार्ड डाली जा सकती हो। इससे आप अपनी मर्ज़ी के गानों युक्त दो-चार मेमोरी कार्ड भी साथ रख सकते हैं और इस तरह से आपके एमपी३ प्लेयर की मेमोरी कभी भी फुल नहीं होगी। साथ ही आपके पास विकल्प रहेगा कि आने वाले वर्षों में अधिक क्षमता युक्त तुलनात्मक रूप से सस्ते मेमोरी कार्ड के ज़रिए अपने पोर्टेबल संगीत भंडार को और विशाल बना सकें। आजकल ५००-६०० रुपयों में बिना मेमोरी कार्ड युक्त पोर्टेबल पर्सनल एमपी३ प्लेयर बिक रहे हैं। अगर इनके ऑडियोफ़ाइल पर ज़्यादा ज़ोर न दें तो यह सर्वोत्तम ख़रीद होगी।
  • नए पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर में वीडियो प्लेबैक की भी सुविधा मिल रही है और अंतर्निर्मित छोटे से वीडियो स्क्रीन के ज़रिए रंगीन वीडियो का भी आनंद लिया जा सकता है। ऐसा प्लेयर बेहतर तब होता है जब उसमें अंतर्निर्मित स्पीकर भी हो तथा टीवी आउट का भी फंक्शन हो।
  • अगर आप व्यावसायिक या अपने पेशे के कारण आमतौर पर दौरे पर रहते हैं तो अच्छा यह होगा कि आप ऐसा एमपी३ प्लेयर पसंद करें जो कि आपके मोबाइल फ़ोन में अंतर्निर्मित हो। अनावश्यक रूप से एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गजेट लेकर घूमना तो मूर्खता है। परंतु ध्यान रहे कि एमपी३ युक्त मोबाइल फ़ोन में अतिरिक्त फ्लैश मेमोरी कार्ड जोड़ने की सुविधा हो, अन्यथा स्थिर मेमोरी युक्त पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर तो एक तरह से बेकार ही होता है।
  • इयरबड वाले इयरफ़ोन जो अकसर एमपी३ प्लेयर के साथ आते हैं, हो सकता है कि वे आपके कानों के आकार के अनुरूप न हों। इससे हो सकता है कि आपके कानों में दर्द या इन्फैक्शन की समस्या पैदा हो जाए। इसलिए बेहतर यह होगा कि अपने कान के लिए योग्य आकार वाले उच्च गुणवत्ता के इयरफ़ोन ख़रीदें। जहाँ तक संभव हो बड़े कान को ढँकने वाले इयरफ़ोन प्रयोग करें। इनसे बाहरी शोर से भी एक हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
  • अगर आपके पास कार है और उसमें पहले से ही म्यूज़िक सिस्टम लगा है जिसमें एफएम रेडियो भी है, तो ऐसा पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर ख़रीदें जिसमें स्टीरियो एफएम ट्रांस्मीशन की भी सुविधा हो। इससे आप अपने पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर के ज़रिए बजाए जा रहे संगीत को बिना किसी तार के अपने कार के म्यूज़िक सिस्टम में भी सुन सकते हैं।
  • अब अंतत: आपने अपने लिए कोई बढ़िया, धाँसू पोर्टेबल, पर्सनल एमपी३ पसंद कर ही लिया। आपके पास एमपी३ प्लेयर ख़रीदने का जो बजट अभी है, उसे दो बराबर हिस्से में बाँटें। इसके आधे हिस्से से अभी कोई दूसरा सस्ता-सा पोर्टेबल पर्सनल एमपी३ प्लेयर ख़रीदें। बाकी बचे दूसरे आधे हिस्से से दो साल बाद आप जैसा धाँसू प्लेयर ख़रीदना चाह रहे थे, उससे दस गुना ज़्यादा क्षमता और ख़ासियत वाला प्लेयर ख़रीदें।
  • और अगर आपने अपना पसंदीदा पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर ख़रीद ही लिया है तो इसका बेहतर और सर्वोत्तम इस्तेमाल के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
  • एमपी३ फॉर्मेट में गानों के डाटा को संपीडित किया जाता है जिसके कारण उसमें सुनने में ऑडियो सीडी जैसी गुणवत्ता नहीं आ पाती। अत: घर पर जहाँ अन्य सुविधाएँ उपलब्ध हों, ऑडियोफ़ाइल ग्रेड सीडीप्लेयरों युक्त म्यूज़िक सिस्टम से गीत संगीत सुनने का आनंद अलग ही होता है।
  • एमपी३ फॉर्मेट में गानों को अलग-अलग बिटरेट पर संपीड़ित किया जाता है। न्यूनतम ३२ केबीप्रसे (kbps) से लेकर ३२० केबीप्रसे तक संपीडन आमतौर पर प्रचलित है। वैसे सामान्य रूप में उपलब्ध एमपी३ फॉर्मेट में संगीत प्राय: १२८ केबीप्रसे पर एनकोडिंग किया हुआ होता है। ३२ केबीप्रसे से एनकोडित फ़ाइल के संगीत की गुणवत्ता न्यूनतम होती है, वहीं ३२० केबीप्रसे से एनकोडित फ़ाइल में उच्च गुणवत्ता का संगीत मिलता है। अत: यदि आप चाहते हैं कि संगीत की गुणवत्ता में कोई समझौता न हो तो उच्च बिटरेट वाली एमपी३ फ़ाइलें इस्तेमाल करें। वैसे, वेरिएबल बिटरेट भी कुछ मामलों में बेहतर होता है।
  • अगर आप लंबे समय के लिए बाहर जा रहे हैं और चाहते हैं कि आपके पोर्टेबल एमपी३ प्लेयर (या फ्लैश मेमोरी कार्ड) में ज़्यादा से ज़्यादा संगीत आए तो आप अपने संगीत फ़ाइलों को न्यूनतम बिटरेट पर एनकोडिंग करें। यह भी देखें कि क्या आपका एमपी३ प्लेयर डब्ल्यूएमए फॉर्मेट को समर्थित करता है। अगर आपका प्लेयर डब्ल्यूएमए फॉर्मेट को समर्थित करता है तो आप डीबीपावरएंप के ज़रिए १२८ केबीप्रसे से एनकोडित अपने एमपी३ संगीत फ़ाइलों को २० केबीप्रसे युक्त डब्ल्यूएमए फॉर्मेट में एनकोडिंग कर रूपांतरित करें। इस तरह से सामान्य १२८ केबी मेमोरी युक्त एमपी३ प्लेयर में जहाँ २० से २५ एमपी३ गाने ही आ पाते हैं, आप १२५ से अधिक गाने भर सकते हैं। १२८ केबीपीएस वाला ५ मिनट का एमपी३ संगीत फ़ाइल लगभग ५ मेबाका होता है वहीं २० केबीपीएस का डब्ल्यूएमए संगीत फ़ाइल ०६ मेबाज़गह घेरता है। ठीक है, कम केबीपीएस एनकोडिंग से गुणवत्ता में थोड़ी-सी कमी आएगी, परंतु जब आप सफ़र पर हों, गाड़ी घोड़ों की आवाज़ें हों, तो वैसे भी संगीत सुनने में इतनी गुणवत्ता में कमी कोई ख़ास तौर पर नज़र नहीं आती। डीबीपावरएंप से संगीत को कम बिटरेट पर रूपांतरित करना अत्यंत आसान है। डीबीपावरएंप अपने कंप्यूटर पर संस्थापित करिए, तमाम आवश्यक एनकोडिंग इसकी साइट से उतार कर संस्थापित करिए, फिर किसी भी संगीत फ़ाइल को दायाँ क्लिक करिए। संगीत फ़ाइल को रूपांतरित करने के लिए पूछा जाएगा। हाँ करिए और वांछित जानकारी भरिए। बस हो गया।
  • कम बिट रेट से सहेजे गए संगीत फ़ाइलों को बजाने में आपके एमपी३ प्लेयर को कम ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। अत: यह ज़्यादा देर तक और ज़्यादा संगीत फ़ाइलों उतनी ही बैटरी में बजा सकता है। इसीलिए जब आप सफ़र पर हों तो कम बिटरेट वाली संगीत फ़ाइलें ही लोड कर साथ ले जाएँ। और जैसा कि ऊपर के अनुच्छेद में बताया गया है, कम बिटरेट वाली फाइलें कम जगह घेरती हैं, दुहरा फ़ायदा - यानी आपके एमपी३ प्लेयर में ज़्यादा गाने समाएँगे।

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Old 17-07-2014, 04:12 PM   #160
VARSHNEY.009
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दाएं क्लिक का कमाल
-रविशंकर श्रीवास्तव
अपने कंप्यूटर पर कार्य करने के दौरान विंडोज़ एक्सप्लोरर (या विंडोज़ डेस्कटॉप) की किसी वस्तु को जब आप अपने माउस के ज़रिए क्लिक या दोहरा क्लिक करते हैं (डिफ़ॉल्ट रूप में क्लिक का अर्थ दाएं हाथ वाले माउस के बाएं बटन को दबाकर क्लिक करने से होता है।), तो आप अपने विंडोज़ को कुछ कार्य करने के निर्देश देते हैं।
जैसे कि संबद्ध अनुप्रयोगों के ज़रिए फ़ाइल खोलना या किसी ध्वनि फ़ाइल को बजाना इत्यादि, और यह निर्देश माउस संकेतक के स्थान और स्थिति पर निर्भर करता है। परंतु जब आप उसी स्थान और स्थिति की उसी वस्तु को दायां क्लिक (डिफ़ॉल्ट रूप में दाएं हाथ वाले माउस के दाहिने बटन को दबाकर क्लिक करना) करते हैं तो विंडोज़ आपको कार्य निष्पादन के लिए चुने जाने योग्य कई विकल्पों को प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए, जब आप अपने डेस्कटॉप पर कहीं रिक्त स्थान पर दायां क्लिक करते हैं तो विंडोज़ यह समझता है कि आप डेस्कटॉप की सेटिंग बदलना चाहते हैं और तदनुसार, अन्य सामान्य मौजूद रहने वाले विकल्पों के साथ ही विंडोज़ आपको डेस्कटॉप सेटिंग बदलने के अतिरिक्त विकल्प को भी मुहैया कराता है। यदि आप डेस्कटॉप पर किसी प्रोग्राम प्रारंभ करने वाले शॉर्टकट के प्रतीक को दायां क्लिक करेंगे तो आपको कार्य निष्पादन हेतु अन्य प्रकार के विकल्प मिलेंगे, जिनमें डेस्कटॉप सेटिंग बदलने के विकल्प, ज़ाहिर है नहीं होंगे।
दायां क्लिक के ज़रिए फ़ाइलों व फ़ोल्डरों पर कार्य करने के लिए चयन किए जाने योग्य बहुत से विविध, उपयोगी विकल्प प्राप्त होते हैं जिनके ज़रिए आप अपने दैनंदिनी कंप्यूटरी कार्यों र्में अधिक उत्पादकता प्राप्त कर सकते हैं। दाएं क्लिक से प्राप्त इन मैन्यू को कॉन्टैक्स्ट (संदर्भित या संबद्ध) मैन्यू कहा जाता है। विंडोज़ में स्वयं के ही अंतर्निर्मित बहुत से उपयोगी, खूबसूरत कॉन्टैक्स्ट मैन्यू हैं जो आपके लिए विविध अवसरों पर, दैनंदनी कंप्यूटरी कार्यों को तत्परता, आसानी तथा प्रभावी ढंग से निपटाने में मदद करते हैं।
अपने स्वयं के अंतर्निर्मित शैल मैन्यू के अतिरिक्त, विंडोज़ के कुछ अन्य कॉन्टैक्स्ट मैन्यू 'कॉन्टैक्स्ट मैन्यू हैंडलर्स' द्वारा प्रदर्शित होते हैं। दायां क्लिक करने से लेकर प्रोग्राम प्रारंभ होने तक की संपूर्ण प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है। प्रथम चरण में, जब आप अपने कंप्यूटर पर कहीं दायां क्लिक करते हैं, तो विंडोज़ एक्सप्लोरर अपना स्वयं का आंतरिक शैल कमांड तो लोड करता ही है, साथ ही वह कॉन्टैक्स्ट मैन्यू हैंडलर्स भी लोड करता है। साथ ही साथ वह प्रत्येक हैंडलर्स को क्वैरी भी करता है कि वर्तमान में किए गए दाएं क्लिक के कारण कोई कार्य निष्पादित तो नहीं करना है। फिर दूसरे चरण में विंडोज़ एक्सप्लोरर, चुने जाने योग्य विविध कमांड के विकल्प युक्त कॉन्टैक्स्ट मैन्यू सृजित करता है जिसे आप दायां क्लिक करने के बाद स्क्रीन पर देखते हैं। इस मैन्यू में विंडोज़ के आंतरिक शैल कमांड तो होते ही हैं, कॉन्टैक्स्ट मैन्यू हैंडलर्स द्वारा बताए गए कमांडों के विकल्प भी होते हैं। तीसरे व अंतिम चरण में जब आप आगे की क्रिया के लिए दाएं क्लिक में उपलब्ध किसी विकल्प को माउस क्लिक के ज़रिए चुनते हैं तो विंडोज़ एक्सप्लोरर उस निर्देश को कॉन्टैक्स्ट मैन्यू हैंडलर (या चुना गया हो, तो आंतरिक शैल को) को वह क्रिया निष्पादित करने का निर्देश देता है।
आप अपने कॉन्टैक्स्ट मैन्यू को विंडोज़ के द्वारा और बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं। रजिस्ट्री विन्यासों में परिवर्तन कर दाएं क्लिक के प्राय: सभी विकल्पों में वांछित बदलाव किए जा सकते हैं। कॉन्टैक्स्ट मैन्यू प्रत्येक कंप्यूटर उपयोक्ता के लिए बहुत ही उपयोगी औज़ार है और इसके बगैर बहुत से विंडोज़ कार्यों र्को संपन्न कर पाना अत्यंत कठिन होता है। खुशी की बात यह है कि आप अपने विंडोज़ के कॉन्टैक्स्ट मैन्यू में मनमाफ़िक, मनवांछित बदलाव कर सकते हैं और अपने कंप्यूटिंग कार्यों में उत्पादकता के साथ कलात्मकता भी ला सकते हैं। नीचे बताए गए कुछ चरणों पर चल कर देखें तो आप पाएंगे कि आपने दायां क्लिक करने में कितनी जल्दी कलात्मकता हासिल कर ली है।
विंडोज़ एक्सप्लोरर के ज़रिए कॉन्टैक्स्ट मैन्यू का प्रबंधन :
विंडोज़ आपके माउस क्लिक के परिणाम को स्वयं, स्वचालित तो प्रबंधित करता ही है, विशेष परिस्थितियों में आपको भी प्रबंधित करने देता है। उदाहरण के लिए, जब आप कोई ग्राफ़िक अनुप्रयोग अपने विंडोज़ में संस्थापित करते हैं तो यह अनुप्रयोग जेपीईजी जैसे कुछ फ़ाइल प्रकारों को डिफ़ॉल्ट रूप में संबद्ध कर लेता है। जब आप जेपीईजी फ़ाइल को क्लिक करते हैं तो विंडोज़ उस संबद्ध, ग्राफ़िक अनुप्रयोग के ज़रिए उस फ़ाइल को खोलने की कोशिश करता है। यदि आपका अनुप्रयोग ख़राब हो गया है या अनइंस्टाल किया जा चुका है, और फ़ाइल संबद्धता ठीक नहीं की गई है तो यह उस प्रोग्राम को विंडोज़ की संस्थापना में ढूंढता है तथा उपयोक्ता को स्वयं ढूंढने के विकल्प भी प्रदान करता है। यदि उपयुक्त प्रोग्राम का पता नहीं लग पाता है तो आपकी फ़ाइल संबद्ध प्रोग्राम के ज़रिए खुल नहीं पाती है। तब विंडोज़ आपको अन्यत्र रखे प्रोग्राम या अन्य प्रोग्राम के ज़रिए उस फ़ाइल को खोलने का विकल्प देता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी ग्राफ़िक फ़ाइल को आप उसके संबद्ध चित्र संपादक जैसे कि फ़ोटोशॉप में खोलने के बजाए, अन्य, असंबद्ध चित्र प्रदर्शक प्रोग्राम जैसे कि इरफ़ान व्यू में खोलना चाहते हैं। ऐसी परिस्थितियों में आप डिफ़ॉल्ट रूप में निर्दिष्ट फ़ाइल संबद्धता, क्लिक तथा दाएं क्लिक द्वारा प्राप्त होने वाली कॉन्टैक्स्ट मैन्यू के ज़रिए हो सकने वाली क्रियाआें की संबद्धता को भी संपादित कर सकते हैं।
इन सेटिंग्स को बदलने के लिए, विंडोज़ एक्सप्लोरर प्रारंभ करें, 'व्यू' (विंडोज़ ९८) या 'टूल्स' (विंडोज़ एक्सपी) पर क्लिक करें तथा - 'फ़ोल्डर ऑॅप्शन्स' चुनें। फिर 'फ़ाइल टाइप' टैब पर क्लिक करें। आपको आपके तंत्र में पंजीकृत समस्त फ़ाइल प्रकारों के लिए प्रविष्टियां दिखाई देंगीं। ये प्रविष्टियां सैकड़ों की संख्या में हो सकती हैं जो इस बात पर निर्भर करती हैं कि आपने अपने तंत्र में कितने अनुप्रयोगों को संस्थापित किया हुआ है। किसी भी विशिष्ट फ़ाइल के सामने उससे संबद्ध अनुप्रयोग का नाम दिया गया होता है। यह संबद्ध अनुप्रयोग ही उस फ़ाइल को खोलता है, जब वह फ़ाइल, एक्सप्लोरर पर डबल क्लिक होता है। अब आप उस विशिष्ट फ़ाइल किस्म को चुनें जिसके लिए उस पर क्लिक होने पर डिफॉल्ट कार्य को या कॉन्टैक्स्ट मैन्यू को आप बदलना चाहते हैं। तत्पश्चात 'चेंज' अथवा 'एडवांस्ड' बटन क्लिक करें। वहां उपलब्ध विकल्पों 'एडिट' (विंडोज़ ९८) या 'एडवांस्ड' (विंडोज़-एक्सपी) का चुनाव कर या 'न्यू' टैब चुन कर नये कार्यों या प्रोग्राम को संबद्ध कर सकते हैं। यहां एक नया विंडो खुलेगा जिसमें दिए गए 'एक्शन' बॉक्स में, यदि फ़ाइल मीडिया किस्म की नहीं है, तो प्राय: हमेशा ही फ़ाइल खोलने के तथा यदि मीडियाफ़ाइल हुआ तो उसे बजाने के लिए प्रविष्टि दी हुई होती है। आप इन प्रविष्टियों का भी संपादन कर सकते हैं, इनमें कुछ प्रविष्टियां जोड़ सकते हैं या पूरी प्रविष्टि ही मिटा सकते हैं।
कॉन्टैक्स्ट मैन्यू संपादित करने के लिए विंडोज़ द्वारा उपलब्ध नये चाइल्ड विंडो में आपको निम्न इनपुट बक्से मिलेंगे:
क्रिया (अच्तिेन्): यहां पर आप की जाने वाली क्रिया या निष्पादित किए जाने वाले कमांड का नाम दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि यह मीडिया फ़ाइल है, और यदि आप इसे विंडोज़ मीडिया प्लेयर के ज़रिए खोलना चाहते हैं, तो टाइप करें 'ैपएन् द्धतिह द्वन्दिेद्धस् ंएदिा प्लय्एर'। (विंडोज़-एक्सपी में आप इसे हिंदी में भी लिख सकते हैं जैसे कि - 'विंडोज़ मीडिया प्लेयर के साथ खोलें') इस कार्य के लिए, लिखे गए किसी भी अक्षर के पहले 'ज्ञ' लगाकर उस अक्षर को शॉर्टकट कुंजी के रूप में भी आप आबंटित कर सकते हैं - जैसे कि ज्ञंएदिा। अब अक्षर 'ं' मेन्यू में रेखांकित प्रकट होगा जिसे आप कमांड के रूप में ऑॅल्ट+ ं कुंजी को दबाकर चला सकते हैं। यह टीप लें कि उसी फ़ाइल के अन्य कॉन्टैक्स्ट मेन्यू की प्रविष्टियों में शॉर्ट कट हेतु एक जैसे ही अक्षर न हों, अन्यथा बाद में वास्तविक कार्य के समय कार्य निष्पादन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
क्रिया को निष्पादित करने हेतु अनुप्रयोग (अपपलिचतिेन् ुस्एद ते पएरफेरम् ाच्तिेन्): यहां पर आपको उस एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम का पथ निर्धारित करना होता है जहां वह प्रोग्राम भंडारित होता है, और जिसे ऊपर दी गई क्रिया को निष्पादित करने हेतु चलाया जाना होता है। यदि एकाधिक एक्जीक्यूटेबल तथा डीएलएल फ़ाइलों को निर्दिष्ट किया जाता है तो यहां लिखी गई प्रविष्टि के सिंटेक्स सही रहने चाहिए। हांलाकि, आमतौर पर उद्धरण चिह्नों में दिया गया प्रोग्राम पथ ही भलीभांति कार्य करता है।
__________________
Disclamer :- Above Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed.
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