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Old 27-12-2012, 05:50 AM   #151
bindujain
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

जितनी बुरी कही जाती है
उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद
तुमसे मिली नहीं है दुनिया

चार घरों के एक मुहल्ले
के बाहर भी है आबादी
जैसी तुम्हें दिखाई दी है
सबकी वही नहीं है दुनिया

घर में ही मत इसे सजाओ,
इधर-उधर भी ले के जाओ
यूँ लगता है जैसे तुमसे
अब तक खुली नहीं है दुनिया

भाग रही है गेंद के पीछे
जाग रही है चाँद के नीचे
शोर भरे काले नारों से
अब तक डरी नहीं है दुनिया


-निदा फ़ाज़ली
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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Old 27-12-2012, 08:06 PM   #152
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बहुत ही आकर्षक संग्रह है सिकंदर भाई। हार्दिक अभिनन्दन बन्धु।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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Old 27-12-2012, 08:39 PM   #153
abhisays
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सिकंदर जी, बहुत अच्छा सूत्र है, इसको आगे बढ़ाइए।
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Old 28-12-2012, 07:14 PM   #154
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उसे तो खो ही चुके, फिर क्या ख़याल उसका
ये फ़िक्र किसे कि अब होगा क्या हाल उसका

वो एक शख्स जिसे खुद ही छोड़ बैठे थे
करके करना अब किस खातिर मलाल उसका

ये सोच कर न मिले फिर उसे कभी 'खालिद'
ना जाने होगा शर्मोहया से क्या हाल उसका

-खालिद शरीफ
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Old 28-12-2012, 07:28 PM   #155
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वो क्या दिन थे जब इक लडकी मेरे ख़्वाबों में रहती थी
वह मेरे साथ रोती थी, वह मेरे साथ हँसती थी

लिपट जाती थी मुझसे वह, मैं जब घर में कदम रखता
कहीं भी जब मैं जाता तो, वह रास्ता रोक लेती थी

वो कहती थी मोहब्बत का कोइ मौसम नहीं होता
वो सुबहोशाम मुहब्बत के सुनहरे ख्वाब बुनती थी

हम अक्सर चाँदनी रातों में सहरा की तरफ जाते
वो भीगी रेत पर मेरा और अपना नाम लिखती थी

वो दरिया के किनारे बैठ जाती थी कभी जाकर
मुझे उस वक्त सोहणी की तरह वो सच्ची लगती थी

बिछड़ जाने का उसके दिल में इक धड़का सा रहता था
वो मेरा हाथ गहरी नींद में भी थामे रखती थी

-हसन अब्बासी
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Old 28-12-2012, 07:35 PM   #156
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

एक बराह्मण ने कहा कि ये साल अच्छा है
ज़ुल्म की रात बहुत जल्द टलेगी अब तो
आग चुल्हों में हर इक रोज़ जलेगी अब तो
भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोएगा
चैन की नींद हर इक शख्स़ यहां सोएगा
आंधी नफ़रत की चलेगी न कहीं अब के बरस
प्यार की फ़सल उगाएगी जमीं अब के बरस
है यहीं अब न कोई शोर-शराबा होगा
ज़ुल्म होगा न कहीं ख़ून-ख़राबा होगा
ओस और धूप के सदमें न सहेगा कोई
अब मेरे देश में बेघर न रहेगा कोई

नए वादों का जो डाला है वो जाल अच्छा है
रहनुमाओं ने कहा है कि ये साल अच्छा है

दिल के ख़ुश रखने को गा़लिब ये ख़याल अच्छा है
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Old 28-12-2012, 07:39 PM   #157
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा,

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह,
याद थे मुझको जो पैगाम-ऐ-जुबानी की तरह,
मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह,

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे,
सालाहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे,

तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे,
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे,

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ,
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Old 28-12-2012, 10:05 PM   #158
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं ,
जिसको देखा ही नहीं उसको खुदा कहते हैं !

फासले उम्र के कुछ और बड़ा देती है ,
जाने क्यों लोग उसे फिर भी दावा कहते हैं !

चंद्द मासूम से पत्तों का लहू है `फाकिर',
जिसको महबूब के हाथों की हीना कहते हैं !


सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं ,
जिसको देखा ही नहीं उसको खुदा कहते हैं !


- सुदर्शन फाकिर
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Old 29-12-2012, 06:42 PM   #159
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

क्या खबर थी इस तरह से वो जुदा हो जाएगा,
ख्वाब में भी उसका मिलना ख्वाब सा हो जाएगा,

ज़िन्दगी थी क़ैद हम-में क्या निकालोगे उसे,
मौत जब आ जायेगी तो खुद रिहा हो जाएगा,

दोस्त बनकर उसको चाहा ये कभी सोचा न था,
दोस्ती ही दोस्ती में वो खुदा हो जाएगा,

उसका जलवा होगा क्या जिसका के पर्दा नूर है,
जो भी उसको देख लेगा वो फ़िदा हो जाएगा..
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Old 29-12-2012, 06:43 PM   #160
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे,
के अपने सिवा कुछ दिखाई न दे,

खतावार समझेगी दुनिया तुझे,
के इतनी जियादा सफाई न दे,

हंसो आज इतना के इस शोर में,
सदा सिसकियों की सुनायी न दे,

अभी तो बदन में लहू है बहुत,
कलम छीन ले रोशनाई न दे,

खुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे..
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