My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 04-01-2013, 12:27 PM   #151
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 15
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: लघु कथाएँ..........

व्यवस्था और कर्त्तव्य




एक राजा ने सुचारू रूप से राज्य संचालन के लिए कुछ नियम बनाए हुए थे, जिनका पालन सभी के लिए अनिवार्य था। उल्लंघन की दशा में दंड का प्रावधान भी था। इन्ही नियमों में से एक नियम यह था कि सूर्यास्त के बाद राजधानी का द्वार किसी के लिए भी नहीं खुलेगा। इसलिए राजमहल के लोग भी अपना कार्य समाप्त कर सूर्यास्त से पहले ही आ जाते थे।


एक बार राजा किसी कारणवश पड़ोसी राजा के यहां गया और लौटते समय काफी देर हो गई। सूर्यास्त हो चुका था। जब राजा राजधानी के द्वार तक पहुंचा तो द्वार बंद हो चुका था। राजा के मंत्री ने संतरी को द्वार खोलने के लिए कहा। लेकिन संतरी बोला- मैं अपने राजा की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करूंगा। मंत्री के बार-बार आग्रह करने पर भी संतरी ने द्वार नहीं खोला। विवश होकर राजा और उसके साथ गए मंत्रियों को पास के किसी गांव में रात बितानी पड़ी।
राजा ने सुबह संतरी को दरबार में बुलाया। सभी को लगा कि आज तो संतरी को फांसी की सजा सुनाई जाएगी। राजा ने संतरी से पूछा- तुमने रात को राजधानी का द्वार क्यों नहीं खोला? संतरी बिना डरे बोला- मैं तो आपके द्वारा बनाए गए नियम का पालन कर रहा था। मैं मानता हूं कि अपने कर्तव्य पालन में सदैव ईमानदारी और सजगता बरतनी चाहिए। मुझे इसके लिए जो भी दंड दिया जाएगा मैं स्वीकार करूंगा। राजा संतरी के पास आकर बोला- तुम दंड के नहीं, पुरस्कार के अधिकारी हो। कोई भी व्यवस्था तुम्हारे जैसे कर्त्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों से ही चलती है।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 12:28 PM   #152
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 15
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: लघु कथाएँ..........

कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं




एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाय कि कौन से जीव-जंतु निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद उसे जानकारी मिली कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी और मकड़ी बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा, क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।


इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया। शत्रु के सैनिक उसका पीछा करने लगे। काफ़ी दौड़-भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया। तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई। उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह एक गुफ़ा में जा छिपा। राजा के गुफ़ा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार पर जाला बुन दिया।
शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर घना जाला देख कर आपस में कहने लगे, “अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।”
गुफ़ा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए। उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी जान न बच पाती। इस संसार में कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 12:30 PM   #153
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 15
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: लघु कथाएँ..........

मां का मंत्र




रायगढ़ के राजा धीरज के अनेक शत्रु हो गए। एक रात उन शत्रुओं ने पहरेदारों को अपनी ओर मिला लिया और महल में जाकर राजा को दवा सुंघा कर बेहोश कर दिया। उसके बाद उन्होंने राजा के हाथ-पांव बांधकर एक पहाड़ की गुफा में ले जाकर बंद कर दिया। राजा को जब होश आया तो वह अपनी दशा देखकर घबरा उठा। तभी उसे अपनी मां का बताया हुए एक मंत्र ‘कुछ कर, कुछ कर, कुछ कर’ याद आ गया। राजा की निराशा दूर हो गई और उसने पूरी शक्ति लगाकर हाथ-पैरों का बंधन तोड़ डाला। तभी अंधेरे में उस का पैर सांप पर पड़ गया, जिसने उसे काट लिया।


राजा फिर घबराया, किंतु फिर तत्काल ही उसे वही मंत्र ‘कुछ कर, कुछ कर, कुछ कर’ याद आ गया। उसने तत्काल कमर से कटार निकाल कर सांप के काटे स्थान को चीर दिया। खून की धारा बह उठने से वह फिर घबरा उठा। लेकिन फिर उसी मंत्र की प्रेरणा पाकर अपना कपड़ा फाड़कर घाव पर पट्टी बांध ली, जिससे रक्त बहना बंद हो गया। इतनी बाधाएं पार कर लेने के बाद उसे उस अंधेरी गुफा से निकलने की चिंता होने लगी, साथ ही भूख-प्यास भी व्याकुल कर रही थी। निकलने का कोई उपाय न देख वह सोचने लगा कि अब तो यहीं भूख-प्यास से तड़प-तड़प कर मरना होगा। वह उदास होकर बैठा ही था कि फिर उसे मां का बताया हुआ मंत्र याद आ गया और वह द्वार के पास आकर गुफा के मुंह पर लगे पत्थर को धक्का देने लगा।
लगातार जोर लगाने पर अंतत: पत्थर लुढ़क गया और राजा गुफा से निकल कर अपने महल में वापस आ गया। जिस समय उसकी मां ने उसे वह मंत्र दिया था, उस समय उसे वह बड़ा अजीब और बेकार लगा था। लेकिन उसी ने उसकी जान बचाई। वह समझ गया कि कभी भी निराश होकर बैठने के बजाय अपने पुरुषार्थ से संकट का हल निकालना चाहिए।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 12:33 PM   #154
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 15
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: लघु कथाएँ..........

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

जो लोग जीतने की इच्छा को मन में बैठाकर लगातार कोशिश करते हैं उन्हें एक न एक दिन जीत जरूर मिलती है वास्तव में लगातार कोशिश करना ही सफलता की कुंजी है। और जो असफलता से हार कर निराश हो जाते हैं उनसे सफलता कोसों दूर रहती है।
कर्म पुराण की एक कथा के अनुसार मध्य भारत के किसी प्रांत के एक राजा ने इस बार पूरी तैयारी से शत्रु सेना पर हमला किया। घमासान युद्ध हुआ। राजा और उसके सैनिक बहुत ही वीरता से लड़े, किंतु सातवीं बार भी हार गए। राजा को अपने प्राणों के लाले पड़ गए। वह अपनी जान बचाकर भागा। भागते-भागते घने जंगल में पहुंच गया और एक स्थान पर बैठकर सोचने लगा कि सात बार हार चुकने के बाद अब तो शत्रु से अपना राज्य फिर से प्राप्त करने की कोई आशा ही नहीं रह गई है। अब मैं इसी जंगल में रहकर एकांत जीवन बिताऊंगा। जीवन में अब क्या शेष रह गया है।इन्हीं निराशाजनक विचारों में खोया राजा थकान के मारे सो गया।
जब काफी देर बाद उसकी नींद खुली, तो सामने देखा कि उसकी तलवार पर एक मकड़ी जालाबना रही है। वह ध्यान से यह दृश्य देखने लगा। मकड़ी बार-बार गिरती और फिर से जाला बनाती हुई तलवार पर चढऩे लगती है। इस तरह वह दस बार गिरी और दसों बार पुन: जाल बनाने में जुट गई। तभी वहां एक संत आए और राजा की निराशा जानकर बोले देखों राजन। मकड़ी जैसा छोटा सा जीव भी बार-बार हारकर निराश नहीं होता। युद्ध हारने को हार नहीं कहते बल्कि हिम्मत हारने को हार कहते हैं। तुम फिर से प्रयास करों। अपने सैनिकों को इकठ्ठा कर, उनमें नया जोश भरकर युद्ध करो, देखना, इस बार जीत तुम्हारी होगी। राजा ने वैसा ही किया और इस बार वह जीत गया।
कथा का सार यह है कि असफलता पर निराश होकर बैठ जाने की जगह पर लगातार कोशिश करनी चाहिए। इससे एक दिन अवश्य ही सफलता मिलती है। इसलिए कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
hindi, hindi stories, nice stories, small stories, stories


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 06:09 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.