20-10-2012, 09:21 PM | #16091 |
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नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने हमले को तेज करते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज उनके स्वयंसेवी संगठन को विदेशों से धन मिलने के बारे में शक जताया और उनसे पूछा कि भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार के बारे में उन्होंने कभी सवाल क्यों नहीं उठाया। सिंह ने आज केजरीवाल को 27 प्रश्नों की एक सूची भेज कर उनसे पूरी स्पष्टता और ईमानदारी से इनके जवाब देने को कहा है । सिंह ने केजरीवाल को कल भी एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने केजरीवाल को अपने हितों की पूर्ति करने वाला महत्वाकांक्षी अहंकारोन्मादी व्यक्ति बताया था ।’’ सिंह ने केजरीवाल से पूछा है ‘‘आपके एनजीओ की किसी भी वेबसाइट पर व्यक्तिगत और कारपोरेट दानकर्ताओं का ब्यौरा क्यों नहीं हैं ...... क्या यह सही है कि एनजीओ कबीर, जिससे आप काफी करीब से जुड़े हैं, को फोर्ड फाउंडेशन से वर्ष 2005 और 2006 में क्रमश: 1,72000 रिपीट 1,72000 अमेरिकी डालर और 1,97000 अमेरिकी डालर प्राप्त हुए हैं ।’’ सिंह ने पूछा, ‘‘क्या इस विदेशी धन का इस्तेमाल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संगोष्ठी, चर्चायें, कार्यक्रम आयोजित करने, सोशल मीडिया अभियान चलाने और प्रचार सामग्री तैयार करने में किया गया ।’’ कांग्रस नेता ने अमेरिकी एनजीओ आवाज के साथ केजरीवाल के संबंधों के बारे में भी जानना चाहा जिसके बारे में उन्होंने कहा है कि इसने लीबिया, ट्यूनिशिया, मिस्र और सीरिया में सविनय अवज्ञा आंदोलन को धन दिया है । उन्होंने केजरीवाल से पूछा कि अवाज से उनके भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को क्या और किस तरह की मदद मिली है । सिंह ने यह भी पूछा कि अगर इंडिया अगेंस्ट करप्शन में उनके किसी स्टाफ सदस्य या सहयोगी किसी अनियमितता में संलिपत पाये जाते हैं तो क्या वे एक नेता के रूप में इसकी जिम्मेवारी स्वीकार करने को और आईएसी से इस्तीफा देने या सार्वजनिक जीवन छोड़ने को इच्छुक हैं । उन्होंने केजरीवाल से यह भी जानना चाहा कि उन्होंने भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार के मुद्दे को कभी क्यों नहीं उठाया जबकि स्थानीय प्रेस, राजनीतिक दलों और कैग ने वहां भ्रष्टाचार के मुद्दों की रिपोर्ट दी है । सिंह ने केजरीवाल और उनकी पत्नी के नौकरी के कार्यकाल और नियमों से जुड़े कुछ सवाल भी पूछे । उन्होंने सवाल किया, क्या यह सच है कि भारतीय राजस्व सेवा के अपने पूरे बीस साल के केरियर में आपने कभी दिल्ली से बाहर काम नहीं किया और यहां तक कि आपकी पत्नी भी कभी दिल्ली से बाहर तैनात नहीं रहीं । केजरीवाल की पत्नी भी भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी हैं । उन्होंने यह भी पूछा, क्या यह सही है कि अध्ययन अवकाश पर जाने वाले किसी भी सरकारी अधिकारी को अपने अध्ययन के बारे में पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होती है और आपने सिर्फ अंतरिम रिपोर्ट इस वादे के साथ सौंपी थी कि पूरी रिपोर्ट बाद में सौंपेंगे जो आपने कभी नहीं सौंपी ।’’ कांग्रेस नेता ने यह भी जानना चाहा कि क्या केजरीवाल ने सरकारी नौकरी में रहते हुए अपने एनजीओ के लिए निजी दान और विदेशी चंदे प्राप्त करने के लिए मंत्रालय से अनुमति ली थी और क्या नौकरी में रहते हुए उन्होंने अपना एनजीओ बनाने के लिए सरकार से अनुमति ली थी ।
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20-10-2012, 09:21 PM | #16092 |
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दिग्विजय ने केजरीवाल के खिलाफ सवालों की झडी लगायी
गुना (म.प्र.)। इंडिया अंगेस्ट करप्शन प्रमुख अरविंद केजरीवाल को सवालों के घेरे में खडा करते हुए कांगे्रस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि केजरीवाल बतायें कि अमेरिका के फोर्ड फांउडेशन से उनके एनजीओ कबीर एवं परिवर्तन के लिये चार लाख डालर मिले थे और क्या धनराशि लेने के लिये केन्द्र सरकार से इजाजत ली गयी थी। सिंह ने अपने गृहनगर राघवगढ में संवाददाताओं से चर्चा करते हएु केजरीवाल से जानना चाहा कि उनके आवास नामक उस संस्था से क्या संबंध हैं, जो लीबिया, सीरिया, ट्यूनीशिया में .सिविल डिसओइबिएंट मूवमेंट, से जुडी है और इसको लेकर दिल्ली को तहरीर चौक बनाने के पूर्व के उनके कथन का आशय क्या था। उन्होने कहा कि केजरीवाल सभी को नियम एवं कायदे बताते नहीं थकते लेकिन अब उन्हें बताना चाहिये कि वर्ष 1992 में शासकीय सेवा में आने तथा तीन वर्ष में तबादला होने के नियम उन पर लागू क्यों नहीं हो पाया और तथा वह स्वंय और उनकी पत्नी लगातार दिल्ली में एक साथ सेवा कैसे करते रहे। उन्होने कहा कि केजरीवाल ने वर्ष 2002 में स्टडी-लीव ली थी। उस दौरान उन्हें एक रिपोर्ट बनाकर सरकार के पास प्रस्तुत करनी थी लेकिन अंतरिम रिपोर्ट देने के बाद अंतिम रिपोर्ट देने के नियम का पालन उन्होने क्यों नहीं किया। उन्होने कहा कि केजरीवाल का शासकीय सेवा में रहते हुए जब चंडीगढ स्थानांतरण हुआ तो उन्होने शासकीय आदेश मानने के नियम का पालन क्यों नहीं किया। सिंह ने कहा कि स्टडी लीव के बाद तीन वर्ष सेवा करने का नियम का उल्लंघन करते हुए केजरीवाल ने डेढ वर्ष में शासकीय सेवा त्यागकर कौन से नियम का पालन किया। सिंह यहीं नहीं रुके और उन्होने केजारीवाल से यह भी जानना चाहा कि वे यह भी बतायें कि शासकीय सेवा में रहते हुए एनजीओ बनाने के लिये सरकार की इजाजत लेने के नियम का पालन किया कि नहीं। सिंह ने कहा कि चाहे केजरीवाल हो या अन्ना हजारे हों, राष्ट्रीय स्ंवय सेवक संघ हो या बाबा रामदेव या उनके सहयोगी बालकिशन का मामला हो, इन सभी के बारे में उनके द्वारा कही गयी बातें सच साबित हुई हैं और अब केजरीवाल को उनके प्रश्नों का जवाब देना चाहिये। उन्होने कहा कि यदि सही प्रश्न पूछना पागलपन है तो मेंै पागल हूं। इंदौर उच्च न्यायालय द्वारा ट्रेजर आईलैण्ड के संबंध में सीबाआई जांच के आदेश का स्वागत करते हुए सिंह ने कहा कि उससे संबंधित किसी भी फाइल पर मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं।
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20-10-2012, 09:22 PM | #16093 |
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ब्रिटेन में सरकारी खर्च में कटौती के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों
लंदन। ब्रिटेन में सरकार के मितव्ययी कदमों के खिलाफ आज लंदन, ग्लासगो तथा बेलफास्ट शहरों में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। ये लोग ब्रिटेन सरकार द्वारा देश के रिण में कमी के लिए उठाये गये मितव्ययी कदमों का विरोध कर रहे थे। लंदन में हुए सबसे बड़े मार्च को जिन दर्जन भर नेताओं ने संबोधित किया उनमें लेबर नेता ई..मिलिबेंड शामिल हैं। प्रदर्शनकारी चाहते थे कि सार्वजनिक सेवाओं में खर्च कटौती को समाप्त करने के लिए गठजोड बने तथा ऐसी नीतियां बनें जो वृद्धि कर सकने वाली हों। सरकार का हालांकि यही कहना है कि मितव्ययता कदम घाटे को कम करने के लिए बहुत मायने रखते हैं। ट्रेड यूनियन कांग्रेस का कहना है कि ब्रिटेन भर से लोगों ने इन प्रदर्शनों में भग लिया। एक अनुमान के अनुसार 1,00,000 लोग शामिल हुए हालांकि सरकारी तौर पर अभी कोई अनुमान नहीं लगाया गया है। पिछले साल लंदन में मितव्ययता के खिलाफ प्रदर्शन में 2,50,000 लोगों ने भाग लिया था। ब्रिटेन पर एक हजार अरब पौंड से अधिक का कर्ज है और सरकार इसमें कटौती के लिए अनेक मितव्ययी कदम उठा रही है।
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20-10-2012, 09:22 PM | #16094 |
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एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान के यात्रियों का एक और कष्टदायी अनुभव
कोच्चि। बहरीन से कोच्चि आ रहे एयर इंडिया के एक विमान में यात्रियों को कष्टदायी अनुभव से गुजरना पड़ा। तकनीकी खराबियों और खराब मौसम के चलते विमान बहरीन से करीब 20 घंटों में कोच्चि पहुंचा। इससे क्षुब्ध होकर आज भी कुछ यात्रियों ने उतरकर प्रदर्शन किया। कोझीकोड़ पर उतरे बिना ही जब एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान कोच्चि पहुंचा तो इसके यात्रियों ने पार्किंग स्थल पर प्रदर्शन किया। सवार यात्रियों में से 47 यात्री यहां उतर गये पर 119 यात्रियों को कोझीकोड़ जाना था। यात्रियों को दोपहर करीब दो बजे कोझीकोड़ उतारा गया। एयर इंडिया के सूत्रों ने बताया कि बहरीन से दोहा, कोझीकोड़ होते हुये कोच्चि जाने वाले विमान में दोहा में तकनीकी खराबी आ गयी जिसे ठीक कर लिया गया। कोझीकोड़ आते समय विमान में एक और तकनीकी समस्या पैदा हो गयी और कॉकपिट में अलार्म बज उठा। इसी के चलते विमान को मुंबई के रास्ते पर मोड़ लिया गया। विमान को मुंबई उतारा गया जहां 163 यात्रियों को कोझीकोड़ जाने वाले विमान में बिठा दिया गया। खराब दृश्यता के कारण विमान कोझीकोड़ नहीं उतर पाया और इसे कोच्चि ले जाया गया। विमान में सवार एक यात्री नौफल ने पीटीआई को बताया कि एयर इंडिया एक्सपे्रस विमान मेें रात से पानी की एक बोतल और फ्रूट केक का एक टुकड़ा दिया गया। कोच्चि में नाश्ते और खाने के समय भी यात्रियों को यही दिया गया। नौफल ने बताया कि कुछ यात्रियों ने बहरीन और दोहा से कुछ चॉकलेट खरीदी थी जिसे विमान में उन्होंने आपस में बांट लिया गया। कल भी आबू धाबी से कोच्चि जाने वाले विमान में यात्रियों के हंगामे और कॉकपिट में घुस जाने के बाद महिला पायलट ने ‘हाईजैक’ बटन दबा दिया था। हवाई अड्डे के निदेशक ए के सी नायर ने आज कहा कि यात्रियों ने प्रदर्शन किया और एयर इंडिया एक्सपे्रस के अधिकारियों से मुलाकात की मांग की। एक अन्य यात्री इस्माइल ने बताया कि विमान में चार गर्भवती महिलाओं समेत कुछ बच्चे और विकलांग व्यक्ति भी सवार थे।
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20-10-2012, 09:22 PM | #16095 |
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मलाला की हालत स्थिर, इलाज का असर हो रहा है : चिकित्सक
लंदन। लड़कियों के लिए तालीम की हिमायत करने पर तालिबान के जानलेवा हमले में गंभीर रूप घायल पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई के बारे में ब्रिटेन के चिकित्सकों का कहना है कि उनकी हालत स्थिर और सामान्य है तथा उस पर इलाज का असर हो रहा है । डॉक्टरों ने एक दिन पहले ही कहा था कि वह सहारा लेकर खड़ी हो सकती है और लिख सकती है । बर्मिंघम स्थित क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल की ओर से आज जारी बयान के अनुसार, ‘कल जारी विस्तृत जानकारी के बाद से अभी तक मलाला की हालत में कोई विशेष परिवर्तन नहीं है । उनकी हालत स्थिर और सामान्य है तथा उस पर इलाज का असर हो रहा है।’ अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर डेव रोजर ने कल कहा था कि 14 वर्षीय मलाला को उनके अगले आॅपरेशन से पहले बहुत आराम की जरूरत है । उन्होंने संवाददाताओं से कहा था, ‘मलाला दूसरों की मदद से अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं।’ डा. रोजर ने कहा था, ‘मलाला में अभी भी संक्रमण के कुछ संकेत मिल रहे हैं... उस जगह पर जहां उसे गोली लगी थी । यह हमारी सबसे बड़ी चिंता है । यह बहुत स्पष्ट है कि अभी तक वह पूरी तरह खतरे से बाहर नहीं हैं। हालांकि उस पर इलाज का असर हो रहा है।’ स्कूल से वापस लौट रही मलाला को 11 दिन पहले स्वात घाटी में तालिबान ने गोली मारी थी । उसके सिर और गर्दन में गोली लगी है । इस हमले में मलाला की दो सहेलियां भी घायल हो गई थीं । मलाला को 15 अक्तूबर को रावलपिंडी के सैन्य अस्पताल से बेहतर और आगे के इलाज के लिए ब्रिटेन के बर्मिंघम स्थित क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल लाया गया था। क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर डेव रोजर ने कहा कि गोली मलाला के मस्तिष्क को छू कर निकली है । उन्होंने कहा, ‘स्पष्ट तौर पर अगर गोली कुछ इंच अंदर की तरफ लगी होती तो उसका बचना संभव नहीं था।’ गोली लगने के कारण मलाला के मस्तिष्क के बाहरी भाग में अभी भी सूजन है जिसके कारण डॉक्टर मस्तिष्क को पहुंची क्षति का पूरा अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं । डॉक्टर रोजर ने कहा कि मलाला को 16 अक्तूबर को होश आया । उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वह समझ गयीं हैं कि वह पाकिस्तान में क्यों नहीं हैं और उनके साथ क्या हुआ था । मलाला आराम से बात कर रही हैं ... वह लिख पा रही हैं और अपने हाथ-पैर हिला सकती हैं।’
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20-10-2012, 09:23 PM | #16096 |
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केवल संदेह के आधार पर किसी को सजा नहीं सुनाई जा सकती : उच्च न्यायालय
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि केवल संदेह के आधार पर किसी व्यक्ति को सजा नहीं सुनाई जा सकती । उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायालय के उस एक फैसले को दरकिनार कर दिया जिसने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप को पत्नी की हत्या के आरोप में तब्दील करके मुकदमे की सुनवाई की थी। अदालत सोलापुर निवासी सचिन सातपुते की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सचिन पर 2005 में अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने और उस पर अत्याचार करने का आरोप था । उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को आंशिक रूप से बहाल रखा और सातपुते और उसके परिवार के सदस्यों पर भादंसं की धारा 498 ए (अत्याचार) के तहत मुकदमा चलाने को अनुमति दे दी । सातपुते का विवाह 2002 में वैशाली से हुआ था । उसने अपनी जमीन पर पानी की पाइपलाइन लगाने के लिए पत्नी से 50 हजार रुपये की मांग की और अकसर उससे लड़ाई करता था । वैशाली ने दस फरवरी 2005 को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक की मां मीरा अंकुश गाडेकर का आरोप था कि उसे संदेह है कि आरोपी ने ही उनकी बेटी की हत्या की । न्यायमूर्ति वी. एम. कनाडे और पी. डी. कोडे ने कहा, ‘आरोपी को सिर्फ संदेह के आधार पर दोषी ठहराना संभव नहीं है । परिणामस्वरूप आरोपी को संदेह का लाभ देने के सिवा हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है।’ न्यायाधीशों ने कहा कि उनका मत है कि अभियोजन आरोपी के खिलाफ साक्ष्य साबित करने में पूरी तरह विफल रहा । पोस्टमार्टम होने के बाद चिकित्सक ने मौत के कारणों को सुरक्षित रखा । जांच अधिकारी का कर्तव्य था कि पहले वह चिकित्सक का विचार जानता और फिर जांच पूरी करता ।
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20-10-2012, 09:23 PM | #16097 |
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पूर्व जनरलों पर सुप्रीमकोर्ट का आदेश मुश्किलें खड़ी कर सकता है राष्ट्रपति के लिए
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में वर्ष 1990 में हुए आम चुनावों में धांधली के लिए दो पूर्व जनरलों को जिम्मेदार ठहराने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की राजनीति की दिशा बदल सकता है और सक्रिय राजनीति में रहने की राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की योग्यता पर भी असर डाल सकता है। ‘डॉन’ अखबार की खबर में कहा गया है कि 16 साल पुराने मामले में प्रधान न्यायमूर्ति इफ्तिखार चौधरी की अगुवाई वाली पीठ का फैसला खुफिया एजेंसियों द्वारा राजनीतिज्ञों को धन दिए जाने के खिलाफ है। यह फैसला देश के राजनीतिक इतिहास की दिशा बदल सकता है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सैन्य या असैन्य कानून के तहत जनरल के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। अखबार के अनुसार, यह फैसला राष्ट्रपति कार्यालय में राजनीतिक गतिविधियों का हमेशा के लिए अंत भी कर सकता है। ‘द न्यूज’ ने खबर दी है कि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था ने जरदारी के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष पद पर बने रहना या अपनी राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखना असंभव बना दिया है। अखबार के अनुसार, जरदारी के ऐसी गतिविधियों को रोकने से इंकार के बाद उनके खिलाफ संविधान और कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कल सरकार को पूर्व सेना प्रमुख जनरल मिर्जा असलम बेग और पूर्व आईएसआई प्रमुख असद दुरानी के खिलाफ 1990 में हुए चुनावों में धांधली के लिए राजनीतिज्ञों को लाखों रूपये के भुगतान में भूमिका के लिए कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। प्रधान न्यायमूर्ति इफ्तिखार चौधरी के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रपति भवन, आईएसआई, सैन्य गुप्तचर या गुप्तचर ब्यूरो में कार्यरत किसी भी ‘राजनीतिक इकाई’ को तत्काल बंद किया जाए क्योंकि ऐसी कोई भी संस्था असंवैधानिक है। पीठ ने कहा कि ऐसी किसी इकाई के गठन के लिए जारी कोई भी अधिसूचना अमान्य होगी। पीठ ने साथ ही संघीय जांच एजेंसी को नेताओं के बीच राशि वितरण की जांच करने का निर्देश दिया ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। शीर्ष न्यायालय ने यह निर्देश वर्ष 1996 में वायुसेना के पूर्व प्रमुख असगर खान की ओर से दायर उस याचिका की सुनवायी करते हुए दिया जो उन्होंने वर्ष 1990 के चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की जीत रोकने के लिए आईएसआई की ओर से नेताओं में राशि बांटे जाने के खिलाफ दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवायी 12 वर्ष के अंतराल के बाद इस वर्ष के शुरू में शुरू की। पीठ ने बेग और दुर्रानी की निभायी गई भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने राजनीति में दखल देकर संविधान और कानून का उल्लंघन किया है। उसने कहा कि उनके कदमों से देश और सशस्त्र बलों की छवि प्रभावित हुई है। यद्यपि दोनों जनरल सेवानिवृत्त हो गए हैं लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उनके खिलाफ संविधान और कानून के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि दिवंगत राष्ट्रपति गुलाम इशहाक खान ने राष्ट्रपति भवन में एक ‘चुनाव इकाई’ का गठन किया था जिसने वर्ष 1990 के चुनाव में गड़बड़ी की और राजनीतिक व्यवस्था को दूषित किया। राष्ट्रपति भवन या सेना प्रमुख दोनों ही ऐसी किसी इकाई का गठन या राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सुनवायी के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि राष्ट्रपति भवन में ‘चुनाव इकाई’ को चुनाव में गड़बड़ी करने के लिए बैंकर यूनिस हबीब से 14 करोड़ रुपये मिले थे। फैसले के कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने कहा कि उनकी सरकार यह पता लगाने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष जांच कर धन लेने वालों का पता लगाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि जनरलों के खिलाफ विधि विशेषज्ञों से परामर्श कर संविधान और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर का शीर्ष ‘द सागा एंड्स : एक्सपोज्ड’ है। असगर खान के वकील सलमान अकरम राजा ने तर्क दिया कि अदालत के फैसले का मतलब संविधान के अनुच्छेद छह का उपयोग किया जाना है ताकि जनरलों और अन्य आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाया जा सके। सेना के मुख्य प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा ने कहा कि अदालत के विस्तृत फैसले का इंतजार किए बिना प्रतिक्रिया देना जल्दबाजी होगी।
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20-10-2012, 09:24 PM | #16098 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
पत्र को लेकर ममता ने रमेश की आलोचना की
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के उस पत्र पर गंभीर रोष जताया जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘दिल्ली की दिमागी तौर पर मृत सरकार’ राज्य के लोगों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रमेश ने अपने पत्र में ममता को साल 2012-13 के लिए मनरेगा कोष की चौथी किश्त के रूप में 601.2 करोड़ रुपये की राशि जारी करने की सूचना देते हुए कहा, ‘संयोगवश, क्या मैं जोड़ सकता हूं कि यह दर्शाता है कि दिल्ली की तथाकथित दिमागी तौर पर मृत सरकार पश्चिम बंगाल के लोगों की आवश्यकताओं के प्रति कितना संवेदनशील है।’ उन्होंने उन्हें यह भी सूचित किया कि इसके साथ पश्चिम बंगाल को अब तक कुल 2655.2 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। पत्र में एक पैराग्राफ की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बनर्जी ने कहा कि वक्तव्य साफ तौर पर प्रतिशोधी, अनैतिक और असंवैधानिक है।’ उस पैरा में दिल्ली में ‘दिमागी तौर पर मृत सरकार’ का उल्लेख था। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘मैं वाकई देखकर आश्चर्यचकित हूं कि कोई केंद्रीय मंत्री इस तरह का खराब पत्र किसी राज्य सरकार को लिख सकता है। यह गलत मिसाल पेश करता है और हमारे देश के स्वस्थ लोकतांत्रिक ताने-बाने पर कलंक है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के 19 अक्तूबर 2012 के पत्र को साझा कर रही हूं। आप पश्चिम बंगाल के प्रति केंद्र सरकार के रुख को देखकर आश्चर्यचकित होंगे।’ उन्होंने रमेश को याद दिलाया कि मनरेगा जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत केंद्रीय धन सभी राज्यों को योजनाओं को लागू करने के लिए जारी किए जाते हैं। बनर्जी ने कहा, ‘केंद्रीय योजनाओं के लिए धन जारी करना दान का मामला नहीं है। यह विशुद्ध सरकारी गतिविधि है।’ संप्रग की पूर्व सहयोगी बनर्जी ने कहा, ‘संघीय ढांचे में, केंद्र सरकार और राज्य सरकार जनहित में संविधान के अनुसार अपनी भूमिकाओं का निर्वहन करते हैं।’
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20-10-2012, 09:24 PM | #16099 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
मोदी ने बिहार के पार्टी नेताओं को गुजरात चुनाव प्रचार करने से मना नहीं किया : भाजपा
नई दिल्ली। भाजपा ने आज इस बात से इंकार किया कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के पार्टी नेताओं को अपने प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिये आने से मना किया है। उसने कहा कि बिहार के प्रमुख नेता गुजरात में चुनाव प्रचार करने जाएंगे। पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने यहां कहा, ‘ये खबरें बेबुनियाद हैं। मोदी ने कहीं यह नहीं कहा कि बिहार के नेता गुजरात नहीं आएं। गुजरात में बड़ी संख्या में बिहार के लोग रहते हैं और भाजपा के लिए प्रचार भी कर रहे हैं। बिहार के हमारे प्रमुख नेता भी गुजरात चुनाव प्रचार करने जाएंगे।’ इससे पहले भी उन्होंने कहा था, ‘मैं आश्वासन देना चाहती हूं कि बिहार भाजपा का हर नेता गुजरात विधानसभा के चुनाव प्रचार के लिए वहां जाएगा।’ गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने वाले भाजपा नेताओं की चुनाव आयोग को पार्टी की ओर से दी गई सूची में न तो उसके किसी प्रमुख मुस्लिम नेता और न ही बिहार के किसी नेता का नाम शामिल है। सीतारमण ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन और हरियाणा के सूरजकुंड में हाल में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और परिषद की बैठकों में मोदी ने खुद सबको गुजरात आकर चुनाव प्रचार करने का न्यौता दिया था।
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20-10-2012, 09:24 PM | #16100 |
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ईशनिंदा के मामले में बरी व्यक्ति की गोली मारकर हत्या
लाहौर। पंजाब प्रांत में ईशनिंदा के आरोप से बरी एक पाकिस्तानी व्यक्ति की दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस अधिकारियों ने आज कहा कि लाहौर से 80 किलोमीटर दूर गुजरांवाला जिले के खान मुस्लिम गांव के रहने वाले सज्जाद हुसैन की कल गोली मारकर हत्या कर दी गई। हुसैन के पडोसी सनाउल्लाह ने उन पर एक निजी वार्तालाप के दौरान पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा करने का आरोप लगाया था जिसके बाद हुसैन को फरवरी 2011 में गिरफ्तार किया गया था। हुसैन पर कठोर ईशनिंदा कानून और पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295 सी के तहत मामला दर्ज किया गया था। एक जिला एवं सत्र न्यायालय ने पिछले महीने सबूतों के अभाव में हुसैन को बरी कर दिया था। शुक्रवार को हुसैन जब अपनी दुकान पर बैठे थे कि तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलियां चला दीं। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। दोनों बंदूकधारियों ने बाद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। हमलावरों की पहचान शेख जीशान और अवैस अहमद के रूप में हुई है जो हुसैन के पड़ोसी हैं। इन लोगों ने पुलिस से कहा कि उन्होंने ‘ईशनिंदा करने वाले’ की हत्या की और उन्हें अपनी कार्रवाई का कोई पछतावा नहीं है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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