20-10-2012, 10:25 PM | #16101 |
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नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने पत्नी और नाबालिग गर्लफ्रैन्ड से छल करके दोनों के साथ रिश्ते बनाने के जुर्म में एक युवक को तीन साल की कैद की सजा सुनायी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने 23 वर्षीय संजय सिंह को तीन साल की कैद और बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाते हुये कहा कि उसका कृत्य नैतिकता की दृष्टि से अक्षम्य और कानूनी नजरिये से दंडनीय है क्योंकि पहले उसने 16 साल की नाबालिग लड़की की भावनाओं से खिलवाड़ किया और फिर अपने रिश्ते बरकरार रखते हुए एक अन्य महिला से विवाह कर लिया। अदालत ने कहा कि संजय सिंह अपने विवाह के बाद प्रेम के नाम पर नाबालिग लड़की से फिर से रिश्ते बनाना चाहता था। अदालत ने कहा, ‘‘दोषी ने दो युवा लड़कियों :इनमें से एक अभी भी नाबालिग है: से खिलवाड़ किया है और इसलिए वह किसी प्रकार की नरमी का हकदार नहीं है। नाबालिगों, विशेषकर लड़कियों, के हितों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य है।’’ अदालत ने इस मामले में संजय सिंह के तीन अन्य साथियों को बरी कर दिया। इस्तगासा के अनुसार 2011 में संजय सिंह और तीन अन्य आरोपियों के खिलाफ अपहरण, बलात्कार और धमकाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था लेकिन मुकदमे की सुनवाई के दौरान इसने नयी शक्ल ले ली। पुलिस का कहना था कि संजय और एक अन्य महिला सहित तीन अभियुक्त नाबालिग का अपहरण कर उसे मेरठ ले गये जहां उसके साथ बलात्कार किया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही पता चला कि यह नाबालिग लड़की और संजय एक दूसरे को तीन साल से जानते थे और दोनों प्रेम प्रसंग चल रहा था। यह लड़की पिछले साल संजय सिंह के साथ भाग गयी थी और कई दिन मेरठ में रही। इस दौरान उसने शारीरिक संबंध भी बनाया। नाबालिग लड़की से शारीरिक रिश्ते बनाने के बावजूद संजय ने एक अन्य महिला से विवाह कर लिया। लेकिन कुछ समय बाद उसने इस लड़की से फिर संपर्क किया और पत्नी से खुश नहीं होने का तर्क देते हुए नाबालिग लड़की से फिर अपने संबंध सुधारने का प्रयास किया। उसने कहा कि वह अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है। इस नाबालिग लड़की के घरवालों ने पुलिस में अपनी पुत्री की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी। इसके बाद सिंह को गिरफ्तार किया गया। लड़की को जब यह लगा कि अभियुक्त ने उसके साथ छल किया है तो उसने दो बार आत्महत्या की कोशिश की। अदालत ने कहा कि नाबालिग लड़की की गवाही से सही तथ्य सामने आये हैंै। इस लड़की की गवाही से ही खुलासा हुआ कि अभियुक्त सिंह ने छल या बेईमानी से नाबालिग लड़की को भागने के लिए प्रेरित किया। अभियुक्त ने पत्नी को तलाक देने के बाद नाबालिग लड़की से शादी करने का वायदा किया। अदालत ने कहा कि सिंह को दोषी ठहराते हुये कहा कि उसने अपने माता पिता, पत्नी और नाबालिग लड़की के भरोसे को ठेस पहुंचायी है।
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20-10-2012, 10:25 PM | #16102 |
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अमीरों को भ्रष्टाचार करने से रोक सकता है यूआईडी
नई दिल्ली। एक नई किताब में कहा गया है कि विशिष्ट पहचान योजना का इस्तेमाल गरीबों को लूट से बचाने और अमीरों को भ्रष्टाचार से रोकने के लिये प्रभावी तरीके से किया जा सकता है । पत्रकार और विश्लेषक शंकर अय्यर ने अपनी किताब ‘एक्सीडेंटल इंडिया : ए हिस्ट्री आॅफ द नेशन्स पासेज थ्रू क्राइसिस एंड चेंज’ में लिखा, ‘गरीबों को लूट से बचाने और अमीरों को भ्रष्टाचार से रोकने के लिये एक तरीका विशिष्ट पहचान योजना को प्रभावी तरीके से अमल में लाना है।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि पहचान विकसित करने का यह एक बेहतरीन तरीका है फिर भी यह साधारण नंबर आधारित पंजीकरण और बायोमेट्रिक पहचान है और इससे एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाया जा सकता है।’ अय्यर ने कहा कि इस डेटाबेस का इस्तेमाल भविष्य के सुधार के आधार के रूप में किया जा सकता है । इसमें विपणन सेवाओं से लेकर गरीबों को नकद हस्तातंरण शामिल है ।
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20-10-2012, 10:26 PM | #16103 |
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मोदी ने कांग्रेस पर लोगों को ‘ठगने’ का आरोप लगाया
पोशीना (गुजरात)। कांग्रेस पर बरसते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पार्टी पर लोगों से ‘ठगी’ करने का आरोप लगाया । मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस विकास के नाम पर लोगों से ठगी कर रही है । हम उन लोगों को माफ कर देते हैं जो गलतियां करते हैं, लेकिन जो लोगों से ठगी करते हैं उन्हें हम कभी माफ नहीं करते।’ एलपीजी सिलेंडरों की संख्या छह सीमित करने के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों द्वारा तीन अतिरिक्त एलपीजी सिलेंडर का वादा करने की आलोचना करते हुए मोदी ने पूछा कि उस पार्टी के कितने मुख्यमंत्रियों ने वास्तव में लोगों को अतिरिक्त सिलेंडर मुहैया कराए हैं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने 2009 में वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो एक करोड़ युवकों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा । उन्होंने दावा किया कि किसी भी युवक को नौकरी नहीं मिली । उन्होंने लोगों से पूछा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि सौ दिनों में वह मूल्य वृद्धि पर लगाम कसेगी लेकिन ऐसा करने में वह विफल रही । क्या यह ठगी नहीं है ? सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वड्रा के कथित सौदे पर परोक्ष हमला करते हुए मोदी ने कहा कि उनके पास न तो बेटा है और न ही दामाद कि वह सौदा कर सके । मोदी ने कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य विकास और आदिवासियों का कल्याण है। साबरकंठा जिले के पोशीना तालुका में आदिवासियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘आदिवासियों को चिकित्सक और इंजीनियर बनने के लिए ऐसे स्कूल होने चाहिए जहां 11वीं और 12वीं (विज्ञान विषय) की पढाई हो। उमरपाड़ा (दक्षिण गुजरात) से अम्बाजी (उत्तर गुजरात) तक हमारी सरकार ने 93 स्कूलों की स्थापना की जहां 12वीं कक्षा (विज्ञान विषय) की पढाई होती है ।’ मोदी ने कहा कि 2007 में राज्य सरकार ने आदिवासियों के विकास एवं कल्याण के लिए वनबंधु कल्याण योजना (वीकेवाई) के तहत 15 हजार करोड़ रुपये मुहैया कराए थे । उन्होंने आरोप लगाया, ‘लेकिन कांग्रेस नेताओं ने आदिवासी इलाकों में तुरंत पर्चे बांटकर आरोप लगाए कि मोदी झूठ बोल रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विरोध के बावजूद भाजपा सरकार ने आदिवासियों के विकास के लिए 18 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए । मोदी ने कहा कि आदिवासियों को रिझाने के लिए 2007 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी छोटा उदयपुर आई थीं और काफी संख्या में भीड़ को इकट्ठा किया लेकिन चुनावों में बुरी तरह पराजित हुईं । मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस बार उन्होंने दिशा बदल दी (गुजरात कांग्रेस के प्रचार अभियान ‘दिशा बदलवो’) और रैली को संबोधित करने के लिए राजकोट आईं । लेकिन परिणाम जुदा नहीं होंगे ।’ मोदी तीन अक्तूबर को राजकोट में सोनिया गांधी की रैली का जिक्र कर रहे थे जहां उन्होंने किसानों की बड़ी भीड़ को संबोधित किया और किसानों की आत्महत्या से लेकर नर्मदा नहर परियोजना में विलंब सहित कई मुद्दों पर भाजपा सरकार पर हमला किया।
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20-10-2012, 10:26 PM | #16104 |
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देश के समक्ष परमाणु उर्जा एकमात्र विकल्प : अंसारी
देहरादून। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि सीमित उर्जा भंडार और उन पर बढते दबाव के कारण देश में एकमात्र विकल्प है परमाणु उर्जा । दून स्कूल के 77वें स्थापना दिवस पर छात्रों से वार्ता के दौरान अंसारी ने कहा, ‘‘देश की उर्जा जरूरतों और सीमित संसाधनों को देखते हुए परमाणु उर्जा ही उच्च प्राथमिकता पर है ।’’ इस अवसर पर भाषण देने के बजाए छात्रों द्वारा सवाल पूछने पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ओजस्वी लोकतंत्र से न केवल स्थिर सरकार बनती है बल्कि विपक्ष भी मजबूत होता है । यह पूछने पर कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर वह मजबूत विपक्ष को तरजीह देंगे या स्थिर सरकार को तो उन्होंने कहा कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो दोनों के बीच कोई विरोध नहीं है और ओजस्वी लोकतंत्र के वे अभिन्न अंग हैं । सचिन तेंदुलकर को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत करने संबंधी सवाल पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह महान क्रिकेटर हैं और खिलाड़ी के रूप में उनके पास अनुभव की दौलत है जिससे खेलों को बढावा देने में सरकार को मदद मिलेगी । उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश की जनसंख्या पर गौर करने पर यह प्रतीत होता है कि खेल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहां हमें होना चाहिए, वहां हम नहीं हैं । ऐसा इसलिए कि देश के रूप में हमने खेल की उपेक्षा की है और संसद में तेंदुलकर जैसे लोगों के आने से उन खामियों की ओर आसानी से ध्यान दिया जा सकता है और लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है ।’
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20-10-2012, 10:26 PM | #16105 |
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एनआईए की जांच पूरी होने पर गुजरात पुलिस को सौंपी गई जंदल की हिरासत
नई दिल्ली। मुम्बई आतंकवादी हमले के प्रमुख षड्यंत्रकर्ता अबु जंदल को आज उस समय गुजरात पुलिस के हवाले कर दिया गया जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उसे हिरासत में रखकर पूछताछ पूरी की जा चुकी है। देश में हमले करने के लश्करे तैयबा के षड्यंत्र में कथित रूप से शामिल होने के बारे में जंदल से पूछताछ करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आज दिल्ली की पटियाला हाउस में विशेष सीबीआई न्यायाधीश तलवंत सिंह की अदालत को बताया कि मुम्बई आतंकवादी हमले के जंदल को अब हिरासत में रखकर पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है। विशेष अदालत की ओर से जंदल को तीन नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद गुजरात एटीएस तीस हजारी अदालत स्थित मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट विद्या प्रकाश के समक्ष पेश हुआ और वर्ष 2006 में अहमदाबाद में हुए ट्रेन विस्फोट मामले में उसकी कथित भूमिका के बारे में सूचित किया। गुजरात एटीएस ने एनआईए मामले की प्रगति के बारे में भी सूचना दी और कहा कि चूंकि अब उसकी एनआईए को जरुरत नहीं है इसलिए जंदल को कर्णावती एक्सप्रेस विस्फोट मामले में उसकी हिरासत में सौंपा जाए।
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20-10-2012, 11:48 PM | #16106 |
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देश ने पहली बार 1962 की जंग के शहीदों को दी श्रद्धाजंलि
रक्षा मंत्री व सेना प्रमुखों ने अर्पित किए पुष्पचक्र नई दिल्ली। 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धाजंलि देते हुए रक्षामंत्री ए. के. एंटनी ने दोनों देशों के बीच दोबारा युद्ध छिड़ने की आशंका से इन्कार किया और कहा कि ऐसे किसी भी खतरे से निपटने के लिए सेनाएं देश की सुरक्षा के लिए आश्वस्त हैं। ऐसा पहली बार है जब भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान ने वर्ष 1962 की जंग में शहीद हुए और भाग लेने वाले सैनिकों को आधिकारिक रूप से सम्मानित किया है। एंटनी ने भारत-चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर यहां आयोजित सैनिकों के सम्मान समारोह से इतर कहा कि मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आज का भारत, 1962 का भारत नहीं है। समय के साथ एक के बाद एक आई सरकारों ने पिछले अनुभवों से सीखते हुए हमारी क्षमता को मजबूत किया और सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि किसी भी खतरे की सूरत में हमारी सेनाएं देश की सुरक्षा कर सकेंगी। रक्षामंत्री से चीन के खतरे के आकलन और इससे निपटने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में सवाल पूछा गया था। उल्लेखनीय है कि भारत-चीन युद्ध में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा था और चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया। रक्षामंत्री एंटनी, रक्षा राज्यमंत्री एम. एम. पल्लम राजू, मार्शल आॅफ दि एयरफोर्स अर्जुन सिंह, तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने वर्ष 1962 के शहीदों को श्रद्धाजंलि दी और अमर जवान ज्योति पर पुष्पचक्र अर्पित किया। रक्षामंत्री ने माना कि भारत, चीन के साथ बातचीत कर रहा है ताकि लंबे समय से लंबित सीमा विवाद का निपटारा किया जा सके। इसके अलावा सीमा पर किसी भी तनाव के ‘तत्काल समाधान’ के लिए एक तंत्र बनाया गया है। यह पूछे जाने पर कि वर्ष 1962 की जंग में शहीद हुए लोगों को सरकार द्वारा सम्मानित करने में 50 साल क्यों लग गए, रक्षामंत्री ने कहा कि कुछ भी नहीं बदला है। यह 50वां साल है और हमें लगा कि यही ऐसा समय है जब पूरे देश को आवश्यक रूप से सीमा की सुरक्षा करते शहीद हुए अधिकारियों और जवानों को श्रद्धाजंलि देनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि सरकार वर्ष 1962 के युद्ध पर हेंडर्सन ब्रूक्स रिपोर्ट को कब सार्वजनिक करेगी, इस पर रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें इस पर फैसला लेना है। इंडिया गेट पर एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाए जाने सम्बंधी सभी मुद्दे सुलझ गए हैं और सरकार की ओर से इसे अनुमति दिए जाने की प्रकिया अंतिम चरण में है।
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20-10-2012, 11:49 PM | #16107 |
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80 फीसद चीनियों को नहीं सन् 62 के युद्ध की जानकारी
बीजिंग। चीन की 80 फीसद से अधिक आबादी को वर्ष 1962 में भारत के साथ हुए युद्ध की जानकारी नहीं है और वह चाहते हैं कि दोनों देश टकराव की छाया से बाहर निकलें। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स द्वारा सात बड़े शहरों में भारत चीन युद्ध के 50 बरस पूरे होने पर किए गए सर्वे में कहा गया है कि मात्र 15 फीसदी प्रत्युत्तरदाताओं को 1962 के युद्ध की जानकारी है। सर्वे यह पता लगाने के लिए किया गया कि इस युद्ध को चीनी किस तरह याद करते हैं और अब भारत के बारे में उनका क्या नजरिया है। समाचार पत्र के अनुसार सर्वे पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली जबकि एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा इसी तरह के कराए गए सर्वे में नकारात्मक परिणाम मिले थे। सर्वे में कहा गया है कि 80 फीसदी चीनियों ने भारतीयों के बारे में तटस्थ या सकारात्मक राय जाहिर की जबकि ज्यादातर चीनी मानते हैं कि दोनों पड़ोसी देश युद्ध की आशंका से दूर हो सकते हैं। अखबार में कहा गया है कि भारत के बारे में धारणा पूछने पर 78 फीसदी चीनियों ने कहा कि इस पर उनका रुख तटस्थ है और केवल 16.4 ने इस देश के प्रति अरुचि जताई। सर्वे में यह भी कहा गया कि 50 फीसदी से थोड़े ज्यादा प्रत्युत्तरदाताओं को लगता है कि चीन और भारत की सीमाओं पर सैन्य टकराव की आशंका है जबकि 39 फीसदी से अधिक ने सर्वे में कहा कि ऐसे टकराव की आशंका बहुत ही कम है। करीब 17 फीसदी लोगों ने टकराव की आशंका को खारिज कर दिया। 61 फीसदी से अधिक लोगों ने चीन भारत सम्बन्धों को सामान्य या अच्छा बताया, जबकि 34 फीसद लोगों की राय में दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। इस सर्वे और वाशिंगटन स्थित पेव एजेंसी के सर्वे के हाल ही में प्रकाशित नतीजों में गहरा विरोधाभास है। पेव एजेंसी के सर्वे में कहा गया है कि मुश्किल से 23 फीसदी लोगों की ही राय भारत के बारे में सकारात्मक है जबकि 62 फीसदी लोग इस देश के बारे में नकारात्मक राय रखते हैं। अमेरिकी सर्वे में कहा गया कि वर्तमान में मात्र 44 फीसद चीनी ही कहते हैं कि उनके दक्षिणी पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि चीन के लिए सकारात्मक है। यह संख्या वर्ष 2010 की तुलना में कम है जब हर दस में से छह चीनी ऐसा मानते थे। पेव के सर्वे में यह भी कहा गया कि इसी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि को खराब मानने वाले चीनियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। दिलचस्प बात यह है कि एक और चीनी अखबार ने आज चेतावनी दी है कि अमेरिकी मीडिया समूहों के प्रयास भारत और चीन के सुधरते रिश्तों को फिर से तनावपूर्ण कर सकते हैं। परिणामों का विश्लेषण करते हुए चाइना इंस्टीट्यूट्स आॅफ कॅन्टेम्प्रेरी इंटरनेशनल रिलेशंस के एक शोधार्थी मा ली ने कहा कि 1962 के युद्ध की पराजय भारतीयों के मन में गहरे तक चुभी हुई है। भारतीयों की तुलना में बहुत ही कम चीनियों को इसकी जानकारी है। सर्वे में चीन-भारत रिश्तों के अवरोधों के बारे में पूछे जाने पर चीनी प्रत्युत्तरदाताओं ने कहा कि सीमा विवाद की वजह से सुरक्षा सम्बन्धी चिंता, दोनों शक्तियों के उदय के दौरान एक-दूसरे के प्रति अविश्वास और दलाई लामा का मुद्दा, यह तीन मुख्य कारण हैं जो दोनों देशों के रिश्तों पर असर डालते हैंं। मा के मुताबिक, करीब 75 फीसदी लोगों ने कहा कि चीन और भारत अपने बीच छाई युद्ध की छाया से बाहर निकल सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा उत्साहजनक है क्योंकि इससे पता चलता है कि चीन और भारत के बीच विवादों की तुलना में कहीं ज्यादा मिलती-जुलती समझ है।
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20-10-2012, 11:50 PM | #16108 |
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चीन और भारत ‘रणनीतिक साझेदार’ : चीनी मीडिया
बीजिंग। भारत और चीन के बीच युद्ध के 50 साल बाद चीनी मीडिया ने आज सकारात्मक रुख अपनाते हुए कहा कि दोनों देशों ने ‘विस्तृत रणनीतिक साझेदारी’ के लिए लंबी दूरी तय की है। चीनी मीडिया ने भारत और चीन के सम्बंधों पर दुर्लभ टिप्पणी करते हुए कहा कि युद्ध को पीछे छोड़ देना चाहिए और दोनों देशों ने अनसुलझे सीमा विवादों के कारण पैदा मतभेदों के बावजूद प्रगति हासिल की है। चीनी मीडिया ने चेताया कि अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया दो ताकतवर एशियाई देशों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि दोनों पड़ोसी देश गतिरोध की दिशा में आगे बढ़ जाएं। ‘भारत-चीन रिश्तों में विसंगति किसने पैदा की’ (हू सोस डिसकोर्ड इन इंडिया चाइना रिलेशंस) शीर्षक लेख में लिबरेशन डेली ने भारत और चीन के बीच मजबूत रिश्तों के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण का हवाला दिया। इस प्रभावशाली अखबार ने कहा कि भारत किसी भी ‘चीन विरोधी क्रियाकलाप’ के लिए अपने क्षेत्र के उपयोग की अनुमति नहीं दे रहा है और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को चीन के अधिकार क्षेत्र में मानता है, ये सकारात्मक संकेत हैं। भारतीय मीडिया में युद्ध के 50 साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर ‘युद्ध को पीछे छोड़ा जाए’ के आह्वान वाले लेखों के संदर्भ में कहा गया कि चीन के साथ बेहतर रिश्तों के लिए भारतीय नेतृत्व द्वारा अपनाया गया विवेकपूर्ण रुख सराहनीय है। अखबार ने कहा कि यह स्वीकार करना होगा कि दोनों देशों के बीच अब भी ऐसे कई मुद्दे और गतिरोध हैं जिन्हें सुलझाना है। इसमें कहा गया कि भारत का बड़े स्तर पर सेना विस्तार कार्यक्रम और महाशक्तियों की कूटनीति दो कारक हैं, जिनके द्विपक्षीय सम्बंधों पर प्रभाव से इन्कार नहीं किया जा सकता। इन सबके बावजूद दोनों देशों के बीच समानताएं उनके मतभेदों से काफी ज्यादा हैं।
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20-10-2012, 11:52 PM | #16109 |
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रागेश्वरी ने बिखेरी अनाथालय के बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट
भारतीय गायिका ने पाकिस्तान में अनाथालय का दौरा किया इस्लामाबाद। भारतीय गायिका और अभिनेत्री रागेश्वरी लूंबा ने इन दिनों अनाथ बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने का भरसक जतन कर रहीं हैं। इसी कड़ी में रागेश्वरी ने यहां के एक सरकारी आश्रय स्थल में करीब 300 अनाथ बच्चों से मुलाकात की और उनके लिए गीत, नृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया। चालीस वर्षीय रागेश्वरी फिलहाल पाकिस्तान के निजी दौरे पर हैं। वह शुक्रवार को इस्लामाबाद में बैतुल मल द्वारा संचालित ‘स्वीट होम’ अनाथालय में गईं और अनाथ बच्चों से मिलीं। बच्चों ने उनके कार्यक्रम का खूब आनंद लिया और उनके साथ झूम उठे। बच्चों से बात करते हुए रागेश्वरी ने कहा कि उन्होंने भारत में इस तरह के कई अनाथालयों का दौरा किया है, लेकिन यहां के बच्चों जैसा दृढ़विश्वास नहीं देखा। उन्होंने कहा कि मैं यहां प्यार साझा करने आई हूं और मैं बच्चों के लिए भारतीय जनता की शुभकामनाएं और सद्भावना का संदेश लेकर आई हूं। हम अपनी नई पीढ़ी को प्रेम और शांति का संदेश देकर विश्व में शांति सुनिश्चित कर सकते हैं। रागेश्वरी ने कहा कि कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अनाथ बच्चों के लिए काम करने वाले संगठनों के विकास में भूमिका निभानी चाहिए। बच्चों ने भी रागेश्वरी के लिए गीत, नृत्य एवं कविताएं प्रस्तुत कीं। इस दौरान आश्रय स्थल पर बने वृत्तचित्र का प्रदर्शन भी किया गया।
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बांग्लादेश ने गुजराल, जगजीवन राम समेत 61 विदेशी मित्रों को सम्मानित किया
ढाका। बांग्लादेश ने अपने मुक्ति संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान के लिए आज पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल, दिवंगत रक्षा मंत्री जगजीवन राम और वर्ष 1971 में युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराने वाले कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा समेत 61 ‘विदेशी मित्रों’ को सम्मनित किया । कई बुजुर्ग मित्र व्हीलचेयर पर बैठकर समारोह में आए थे जहां राष्ट्रपति जिल्लुर रहमान और प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उन्हें सम्मानित किया । कई मित्रों के परिजन समारोह में आए थे क्योंकि उन्हें मरणोंपरांत सम्मानित किया जा रहा था । भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला को ‘बांग्लादेश लिबरेशन वार आनर’ सम्मान से और अन्य सभी लोगों को ‘फ्रेंड्स आफ लिबरेशन वार’ पुरस्कार से सम्मनित किया गया । तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम और कर्नल (सेवानिवृत) अशोक तारा सहित वर्ष 1971 का युद्ध लड़ने वाले भारतीय सेना के कई अधिकारियों को एक विशेष समारोह में ‘फ्रेंड्स आफ लिबरेशन वार’ सम्मान से सम्मानित किया गया । बांग्लादेश द्वारा आयोजित यह अपने तरह का तीसरा समारोह है । सम्मानित होने वाले कुल 61 विदेशी मित्रों में से 51 भारतीय थे । इनमें से कुछ लोगों ने बांग्लादेश को बतौर सहायताकर्मी, नेता, पत्रकार, कलाकार और राजनयिक सहायता दी थी । अभिनेत्री और राज्यसभा की पूर्व सदस्य शबाना आजमी ने अपने दिवंगत पिता कैफी आजमी की ओर से सम्मान ग्रहण किया और जगजीवन राम की ओर से सम्मान उनके नाती और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अभिजीत ने ग्रहण किया । पूर्व रक्षा मंत्री के प्रशस्ति पत्र में लिखा था, ‘‘(पाकिस्तानी सेना के विरूद्ध) अंतिम युद्ध के लिए बांग्लादेश और भारत की सेना की संयुक्त कमान बनाने में उन्होंने (जगजीवन राम) महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।’’ बंगबंधु अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में आयोजित इस समारोह में बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त पंकज शरण ने कई भारतीयों का प्रतिनिधित्व किया । स्वयं अपना सम्मान ग्रहण करने पहुंचे 70 वर्षीय अशोक तारा को अनुभवी युद्ध सैनिक माना जाता है जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कई युद्ध लड़े । वर्तमान में भारतीय सेना के सेवानिवृत कर्नल और तत्कालीन मेजर तारा को सबसे ज्यादा वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के अंतिम दौर में हसीना, उनका मां बेगम फजीलातुन्निसा मुजीब, बहन शेख रेहाना और भाई शेख रसेल को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराने के लिए जाना जाता है । समारोह से पहले मुक्ति संग्राम मामलों के राज्य मंत्री कैप्टन एबी ताजुल इस्लाम ने कहा, ‘‘प्रारंभिक दौर में हमारे पास ऐसे 500 से ज्यादा विदेशी मित्रों की सूची है जिन्होंने बांग्लादेश के जन्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । हम उन सभी को चरणबद्ध तरीके से सम्मानित करना चाहते हैं ।’’ विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा ही सम्मान समारोह इस वर्ष दिसंबर में ढाका में आयोजित किया जाएगा । इस समारोह का आयोजन विजय दिवस के मौके पर किया जाएगा । विदेशी मित्र पुरस्कार से बांग्लादेश ने पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सम्मानित किया था । इंदिरा के लिए यह पुरस्कार उनकी बहू और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ग्रहण किया था ।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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