23-10-2012, 05:39 PM | #16261 |
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बेंगलूरु। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा है कि वह आगामी 10 नवम्बर को राज्य विधानसभा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। येदियुरप्पा ने यहां कहा कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे। वह नई पार्टी गठित करने की प्रक्रिया बुधवार से शुरूकरेंगे और 10 नवंबर को हावेरी में आयोजित होने वाली महारैली में इसकी घोषणा की जाएगी। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि फिलहाल में इस्तीफा दे रहा हूं और भाजपा सरकार को गिराने के लिए अभी कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। भाजपा ही राज्य में सत्ता में रहेगी। येदियुरप्पा ने जब भाजपा की राज्य इकाई के महासचिव प्रलाद जोशी के कल दिए बयान के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी उन्हें पार्टी में बने रहने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल एक अफवाह है। किसी ने कोई प्रयास नहीं किया और मैं भी किसी प्रकार की सुलह के लिए उनसे संपर्क नहीं कर रहा हूं। मैं नई पार्टी गठित करने के अपने फैसले पर अडिग हूं।
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23-10-2012, 05:42 PM | #16262 |
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रवि चोपड़ा अस्पताल में भर्ती
मुंबई। फिल्म निर्माता रवि चोपड़ा को शहर स्थित एक अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया है। दिवंगत निर्माता-निर्देशक बी. आर. चोपड़ा के 66 वर्षीय पुत्र रवि को कथित तौर पर फेफड़ों में बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है। ब्रीच कैंडी अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि रवि अस्पताल के आईसीयू में हैं। रवि ने कई फिल्मों का निर्देशन किया है। उन्होंने अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘भूतनाथ’ (2008) का भी निर्माण किया था। रवि के चाचा फिल्म निर्माता यश चोपड़ा का रविवार को डेंगू के कारण निधन हो गया था। यश चोपड़ा, बी. आर. चोपड़ा के छोटे भाई थे।
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23-10-2012, 05:44 PM | #16263 |
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त्वरित सुनवाई के लिए न्यायालय में गुहार लगाएगा फसीह का परिवार
दरभंगा। सऊदी अरब से प्रत्यर्पित कर भारत लाए गए इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादी फसीह महमूद का परिवार इस मामले की त्वरित सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाएगा, ताकि उसे जल्द से जल्द निर्दोष साबित किया जा सके। सऊदी अरब में बीते पांच महीने से हिरासत में रहने के बाद प्रत्यर्पण कर भारत लाए गए फसीह के पिता फिरोज अहमद ने बताया कि हम उच्चतम न्यायालय से त्वरित सुनवाई (स्पीडी ट्रायल) करने का अनुरोध करेंगे। फसीह दरभंगा जिले के केवटी के बर समैला गांव का रहने वाला है। उसे वर्ष 2010 के बेंगलूरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम बम विस्फोट और जामा मस्जिद दिल्ली के पास गोलीबारी मामले में आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली और कर्नाटक पुलिस को फसीह की तलाश थी। मधुबनी जिले में बेनीपट्टी प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा पदाधिकारी फिरोज ने कहा कि फसीह की पत्नी निकहत परवीन और मां अमरा जमाल त्वरित सुनवाई के अनुरोध के लिए अभी दिल्ली में हैं। अमरा जमाल दरभंगा में एक उर्दू स्कूल की प्रधानाध्यापिका है। इस वर्ष मई में निकहत ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने उसके पति को हिरासत में रखा है। केंद्र सरकार ने इस आरोप को खारिज किया था। अहमद ने कहा कि उनके परिवार और फसीह का पूर्व में कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं रहा है। उनके पिता महबूब बाबू 22 वर्ष तक केवटी ग्राम पंचायत के मुखिया रहे हैं। स्वच्छ छवि के कारण लोग उनकी और परिवार की बहुत इज्जत करते हैं। अहमद ने कहा कि उन्हें उच्चतम न्यायालय में पूरा विश्वास है कि उनके पुत्र के साथ न्याय होगा। फसीह ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई मिल्लत कॉलेज दरभंगा से पूरी की है, जबकि इंजीनियरिंग की पढ़ाई उसने कनार्टक के अंजुमन इंजीनियरिंग कॉलेज भटकल से किया है। फसीह पांच वर्ष पूर्व सऊदी अरब गया था, जहां उसका भाई पूर्व से काम करता है। वह एक सऊदी की कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत था।
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23-10-2012, 06:03 PM | #16264 |
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सूत्र के 1 लाख से भी अधिक व्यूज होने पर अलैक जी, आपको बहुत बहुत बधाई
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
23-10-2012, 06:09 PM | #16265 |
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माओ को अंतिम विदाई देने की तैयारी में चीन
बीजिंग। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने अपने पूर्व नेता माओ त्से तुंग को अंतिम विदाई देने की पूरी तैयारी कर ली है और अगले महीने होने वाले पार्टी के राष्टñीय अधिवेशन में इस बाबत कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। सीपीसी की सबसे ताकतवर संस्था पोलित ब्यूरो द्वारा जारी किए गए बयान में जहां पार्टी संविधान में संशोधन करने की बात कही गई, वहीं इस बयान में कहीं भी मार्क्सवाद, लेनिनवाद तथा माओवादी विचारधारा का जिक्र नहीं किया गया। ये तीनों शब्द अब तक कम्युनिस्ट पार्टी के हर सैद्धांतिक दस्तावेज के शुरू में ही लिखे जाते थे। इनसे पता चलता था कि कम्युनिस्ट पार्टी अब भी उन आदर्शों पर कायम है जिन्हें लेकर इसकी स्थापना की गई थी। चेयरमैन माओ का 1976 में निधन हो जाने के बाद से पार्टी के संविधान को निरंतर संशोधित करने की प्रक्रिया जारी है। माओ के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी देंग शाओपिंग ने देश में आर्थिक सुधारों की नींव रखी। इसके बाद दूसरे पार्टी अधिवेशनों के दौरान स्वीकार किए गए नए संविधान ने पार्टी में पूंजीवादी वर्ग के नुमाइंदों के चुने जाने की भी जगह तैयार की जिसने चीन को तीसरी दुनिया के विकासशील देश से उभार कर विश्व की चोटी की अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। तत्कालीन सोवियत संघ के राष्टñपति मिखाइल गोर्बाचोव द्वारा 80 के दशक के आमिर में ‘पेरेस्त्रोइका’और ‘ग्लासनोस्त’ नामक व्यापक राजनीतिक एवं आर्थिक सुधार अपनाए जाने के कुछ वर्षों बाद सोवियत संघ की साम्यवादी व्यवस्था चरमरा कर गिर पड़ी थी और उसका विघटन हो गया था। विशेषज्ञों ने पोलित ब्यूरो के इस रुख को बेहद महत्वपूर्ण करार दिया है। सिंगापुर विश्वविद्यालय के पूर्व एशिया संस्थान के निदेशक झेंग योंगनियान ने कहा कि बो शिलाई के सत्ताशीर्ष से गिरने से पहले पार्टी की दिशा स्पष्ट नहीं थी, लेकिन अब सब कुछ साफ नजर आ रहा है। मेरे कहने का मतलब है कि माओवाद की विदाई और देंग शाओपिंग के विचारों पर अधिक अमल। हालांकि चीन के अंदर मौजूद लोगों को अभी भी संशय है कि सीपीसी इसके जरिए व्यापक राजनीतिक सुधारों पर अमल करने की इच्छुक है। उनका यह भी कहना है कि यह मानना जल्दबाजी होगी कि सीपीसी इतनी आसानी से माओ को विदाई दे देगी, क्योंकि मौजूदा राष्टñपति हू जिन्ताओ स्वयं 2003 में घोषणा कर चुके हैं कि सीपीसी हर परिस्थिति में माओ के विचारों का परचम उठाए आगे बढ़ती रहेगी।
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23-10-2012, 06:09 PM | #16266 |
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विपक्ष के नेता ने प्रधानमंत्री से मांगी माफी
केनबरा। आस्ट्रेलिया में विपक्ष के नेता ने प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड से यह कहने के कारण माफी मांग ली कि उनकी सरकार परिवार नीति के मामले में अनुभवहीन है। कुछ लोग उनकी इस टिप्पणी को ओछी मान रहे थे, क्योंकि जूलिया के कोई बच्चा नहीं है। टोनी एबोट की इस माफी से दो हफ्ते पहले आस्ट्रेलिया की पहली महिला प्रधानमंत्री जूलिया ने संसद में दिए अपने भाषण में उन्हें महिला विद्वेषी करार दिया था। जूलिया ने उस समय बुरा माना जब एबोट ने सरकार की एक घोषणा पर हमला किया। इस घोषणा के तहत प्रत्येक नवजात के लिए अभिभावकों को दी जाने वाली सार्वजनिक राशि में कटौती की गई है। फिलहाल प्रत्येक बच्चे के जन्म पर अभिभावकों को पांच हजार आस्ट्रेलियाई डॉलर दिए जाते हैं, लेकिन 2013 मध्य से प्रत्येक दूसरे एवं उसके बाद होने वाले बच्चे पर अभिभावकों को महज 3000 आस्ट्रेलियाई डॉलर मिलेंगे। सरकार का तर्क है कि ऐसे परिवारों में बच्चों के पलंग और उन्हें ले जाने वाली गाड़ी का फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। एबोट ने कहा कि अभिभावकों को कई बार दूसरा पलंग और बड़ी गाड़ी खरीदनी पड़ती है, ताकि दो बच्चों को ले जाया जा सके। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यदि सरकार इस बारे में ज्यादा अनुभवी होती तो वह इस तरह की स्पष्टीकरण वाली पंक्तियां नहीं कहती।
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23-10-2012, 11:42 PM | #16267 |
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पाकिस्तान से पांच साल बाद रिहा होगा भवेश
मुंबई। पिछले पांच वर्ष से पाकिस्तान की जेल में कैद मुंबई के भवेश परमार को गुरुवार को रिहा किया जाएगा। पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी ने कांग्रेस विधायक कृष्णा हेगड़े को भेजे ई मेल में बताया कि भवेश को गुरुवार को वाघा-अटारी सीमा पर रिहा किया जाएगा। हेगडेþ ने बताया कि भवेश को यात्रा सम्बंधी सभी आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने के लिए उचित इंतजाम किए गए हैं। भवेश वर्ष 2007 में अपने पिता की बीमारी के कारण मौत हो जाने से मानसिक रूप से काफी परेशान था। वह इसी अवस्था में समझौता एक्सप्रेस में बैठ गया जो उसे पाकिस्तान ले गई। इसके बाद उसे जरूरी दस्तावेज न होने के कारण अक्टूबर, 2007 में गिरफ्तार करके लाहौर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया था।
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23-10-2012, 11:45 PM | #16268 |
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विदेश नीति पर ओबामा, रोमनी में टकराव
रायशुमारियों में ओबामा जीते बोका राटोन (फ्लोरिडा)। राष्ट्रपति पद के लिए हुई तीसरी और आखिरी प्रेसिडेन्शियल डिबेट में बराक ओबामा और मिट रोमनी के बीच विदेश नीति से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर जहां तीखा टकराव हुआ, वहीं पाकिस्तान के साथ अमेरिका के विश्वास में कमी भी साफ नजर आई। बहस के दौरान राष्ट्रपति ओबामा ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वन्द्वी को उनके ‘गलत और लापरवाह नेतृत्व’ के लिए आड़े हाथ लिया। अमेरिका में छह नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इस सिलसिले में 90 मिनट की यह बहस दोनों प्रत्याशियों के लिए मतदाताओं को लुभाने का आखिरी मौका था। प्रतीत होता है कि व्हाइट हाउस के लिए दौड़ में दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए दो प्रेसिडेन्शियल डिबेट हो चुकी हैं। यह बहस विदेश नीति के मुद्दों पर केंद्रित थी। ओबामा बहस के शुरू से ही आक्रामक नजर आए। सीएनएन की रायशुमारी के अनुसार, पहली प्रेसिडेन्शियल डिबेट में ओबामा जीते थे। सीबीएस न्यूज और अन्य रायशुमारियों में भी उन्होंने ही बाजी मारी। सीएनएन की रायशुमारी में जहां 48 फीसदी लोगों ने ओबामा के लिए मतदान किया वहीं रोमनी का पक्ष लेने वालों की संख्या 40 फीसदी थी। बहस के दौरान अमेरिकी विदेश नीति के व्यापक संदर्भ में ओबामा और रोमनी दोनों ही इस बात पर सहमत हुए कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, अगर ईरान तेल अवीव पर हमला करता है तो अमेरिका को अपने मुख्य सहयोगी इसराइल की रक्षा करनी चाहिए, वर्ष 2014 तक अफगानिस्तान से सेनाओं की वापसी होनी चाहिए और चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है। बहरहाल अमेरिकी सेना, पश्चिम एशिया खास कर लीबिया और सीरिया के वर्तमान हालात पर दोनों ने एक-दूसरे को करारे जवाब दिए, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बहस में बेनगाजी स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हुए आतंकी हमले का जिक्र नहीं हुआ। पहले हुई बहस में यह मुद्दा मुख्य रूप से उठा था। भारत के साथ रिश्तों को अमेरिका में द्विदलीय समर्थन है। विदेश नीति पर हुई बहस में भारत का भी जिक्र नहीं हुआ। बहस का संचालन सीबीएस पर ‘फेस द नेशन’ के प्रस्तोता बॉब शिफर ने किया। अमेरिका के राष्ट्रपति ने शायद पहली बार जनता को यह बताया कि ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अपने कमांडो ऐबटाबाद भेजने से पहले उन्होंने पाकिस्तान की अनुमति क्यों नहीं मांगी। 51 वर्षीय ओबामा ने कहा कि अगर वह ऐसी अनुमति मांगते तो बिन लादेन कभी मारा नहीं जाता। 65 वर्षीय रोमनी ने पाकिस्तान को सशर्त सहायता देने के लिए तर्क दिया, लेकिन वह इस अस्थिर देश के साथ रिश्ते तोड़ने के किसी भी कदम के पूरी तरह खिलाफ थे। एक सवाल के जवाब में रोमनी ने दलील दी कि पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद अमेरिका उससे सम्बंध तोड़ नहीं सकता, जहां 100 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र के लिए, दुनिया के लिए और हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के पास 100 परमाणु हथियार हैं और वह और अधिक हथियार बनाने की दिशा में लगा हुआ है। निकट भविष्य में उसके पास ग्रेट ब्रिटेन से अधिक परमाणु हथियार होंगे। बहस के दौरान रोमनी रक्षात्मक दिखे और पाकिस्तान तथा यमन जैसे देशों में आतंकवादियों को मारने के लिए ड्रोनों का उपयोग करने एवं वर्ष 2014 तक अफगानिस्तान से सेनाओं की वापसी के ओबामा के फैसले का समर्थन किया। ओबामा ने ईरान को चेतावनी दी कि हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि अगर वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बात नहीं मानता है तो हम उसे परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए सभी आवश्यक विकल्प अपनाएं। रोमनी ने ईरान के प्रति और अधिक कठोर रुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि परमाणु संपन्न ईरान अमेरिका के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने इस्लामिक गणराज्य को दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा घोषित किया। रिपब्लिकन प्रत्याशी ने व्यापार और मुद्रा सम्बंधी मुद्दों पर चीन के प्रति भी कड़े रुख का इरादा जताया, लेकिन इससे व्यापार युद्ध शुरू होने की चेतावनी के बाद उनका रवैया नर्म हुआ। तीसरी बहस के अंत में दोनों प्रत्याशियों ने निर्वाचन के लिए खुद को बेहतर बताते हुए मजबूत तर्क पेश किए। ओबामा ने रोमनी से कहा कि जब भी आपने विकल्प दिए हैं, आप गलत रहे हैं। उन्होंने मैसाचुसेट्स के पूर्व गवर्नर और संपन्न कारोबारी रोमनी पर कटाक्ष किया कि जब हमारी विदेश नीति की बात होती है तो लगता है कि आप 1980 के दशक की विदेश नीतियां लाते हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे 1950 के दशक की सामाजिक नीतियां और 1920 के दशक की आर्थिक नीतियां थीं। सीबीएस न्यूज की रायशुमारी के अनुसार, गैर प्रतिबद्ध मतदाताओं में से 53 फीसदी ने ओबामा को विजयी बताया जबकि 23 फीसदी की राय में रोमनी जीते। ओबामा ने रोमनी के लिए कहा कि गवर्नर हमें ऐसी नीतियों की ओर वापस ले जाना चाहते हैं जो गलत और लापरवाह हैं, आर्थिक नीतियां जिनसे रोजगार सृजित नहीं होंगे, हमारी मुद्रास्फीति नहीं घटेगी। रोमनी ने पूरे अभियान के दौरान अलग रास्ता चुना। घर और बाहर उन्होंने गलत तथा लापरवाह नीतियों का प्रस्ताव दिया। वह अच्छे अर्थशास्त्री के तौर पर बुश की और दूरदर्शी नेता के तौर पर डिक चेनी की तारीफ करते रहे।
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23-10-2012, 11:46 PM | #16269 |
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ईरान को ओबामा ने दी चेतावनी
रोमनी ने जताया कड़े रुख का संकल्प बोका राटोन (फ्लोरिडा)। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तीसरी और आखिरी प्रेसिडेन्शियल डिबेट के दौरान ईरान को चेतावनी दी कि ‘समय निकलता जा रहा है’, वहीं उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वन्द्वी मिट रोमनी ने तेहरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाने का संकल्प जताया। अमेरिका मेंं अगले माह होने जा रहे राष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए दो प्रेसिडेन्शियल डिबेट हो चुकी हैं। मंगलवार को संपन्न बहस दोनों प्रत्याशियों के लिए लाखों मतदाताओं को लुभाने का आखिरी मौका था। यह बहस विदेश नीति के मुद्दों पर केंद्रित थी। ओबामा बहस के शुरू से ही आक्रामक नजर आए। उन्होंने कहा कि हम ईरान को ऐसी वार्ता नहीं करने देंगे जिसका कोई नतीजा न निकले। मैं उनके मामले में बिल्कुल साफ हूं और इसराइल सहित विभिन्न देशों से हमारा खुफिया समन्वय है। हमें अहसास है कि वह कब ऐसी क्षमता हासिल करेगा, जिसका मतलब है कि उस समय हम उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे और यही समय निकलता जा रहा है। बहस के दौरान 51 वर्षीय ओबामा ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि अगर ईरान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बात नहीं मानता है तो हम उसे परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए सभी आवश्यक विकल्प अपनाएं। बहस के दौरान रिपब्लिकन प्रत्याशी 65 वर्षीय मिट रोमनी ने ईरान के प्रति और अधिक कठोर रुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि परमाणु संपन्न ईरान अमेरिका के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने इस्लामिक गणराज्य को दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा घोषित किया। रोमनी ने कहा कि इससे हमारे मित्रों और हमारे लिए खतरा है। ईरान के पास परमाणु सामग्री और परमाणु हथियार हों तो वह उनका उपयोग हमारे खिलाफ कर सकता है या हमें धमकाने के लिए कर सकता है। यह समझना भी हमारे लिए जरूरी है कि ईरान में हमारा मिशन क्या है और यह मिशन है ईरान को शांतिपूर्ण तथा कूटनीतिक तरीके से परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए समझाना। राष्ट्रपति पद के दोनों प्रत्याशी इस बात पर सहमत हुए कि अगर ईरान तेल अवीव पर हमला करता है तो अमेरिका को अपने मुख्य सहयोगी इसराइल की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन रोमनी ने कहा कि वह उन प्रतिबंधों को और अधिक कड़ा कर देंगे जिनकी वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था पहले ही प्रभावित हो चुकी है। रोमनी ने यहूदी नरसंहार पर सवाल उठाने वाली टिप्पणियों के लिए ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र नरसंहार घोषणापत्र के तहत अभियोग चलाए जाने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि दुनियाभर में ईरानी राजनयिकों के साथ ‘परित्यक्त’ की तरह व्यवहार किया जाए। ईरान पर प्रतिबंधों ने असर दिखाया है। उसकी अर्थव्यवस्था इसकी गवाह है। यह पूरी तरह सही है जो हमने किया। हमने पहले भी उन्हें इस स्थिति में पहुंचाया, लेकिन अभी भी यह अच्छा है। इन प्रतिबंधों को और अधिक कठोर बनाने की जरूरत है। हम कहेंगे कि ईरानी तेल ले कर आ रहे पोत हमारे बंदरगाहों पर नहीं आ सकते। मुझे विश्वास है कि यूरोपीय संघ हमसे सहमत होगा। न केवल पोत, बल्कि मैं कहूंगा कि हमारे यहां उनके तेल का कारोबार करने वाली कंपनियों और लोगों के लिए भी जगह नहीं होगी। मैं प्रतिबंधों को और कठोर करूंगा। हमें ईरान पर दबाव बार-बार बढ़ाने की जरूरत होगी, क्योंकि परमाणु हथियारों की ओर बढ़ रहे ईरान को रोकने वाले समाधान के अलावा हमें कुछ भी स्वीकार नहीं होगा। बेशक, सैन्य कार्रवाई अंतिम विकल्प है। इस पर हम तब विचार करेंगे जब अपने दूसरे प्रयासों पर पूरा जोर लगा चुके होंगे। सवालों के जवाब में ओबामा ने इन खबरों को खारिज कर दिया कि उनका प्रशासन चुनावों के बाद ईरान के साथ आमने-सामने की बातचीत के लिए सहमत हो गया है। उन्होंने कहा कि अखबारों में प्रकाशित ऐसी खबरें सही नहीं हैं, लेकिन हमारा उद्देश्य ईरान को यह अहसास कराना है कि उसे अपना परमाणु कार्यक्रम त्यागने तथा संयुक्त राष्ट्र के संकल्पों का पालन करने की जरूरत है। ईरान के लोगों की भी बेहतर जीवन के लिए वैसी ही महत्वाकांक्षा है, जैसी महत्वाकांक्षा दुनिया के लोगों की है। हमें उम्मीद है कि उनका नेतृत्व सही फैसला करेगा, लेकिन हम वह समझौता ही स्वीकार करेंगे जिससे वह अपना परमाणु कार्यक्रम बंद कर दे।
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बहस में झलका पाक के साथ रिश्तों में तनाव
बोका राटोन (फ्लोरिडा)। अगर अमेरिका अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए पाकिस्तान की इजाजत मांगता तो कभी उसे नहीं मार पाता। इस बयान से ओबामा ने पाकिस्तानी नेतृत्व और खासकर उसकी सेना के साथ विश्वास की कमी दर्शाई। अमेरिका में छह नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से महज दो हफ्ते पहले आखिरी तीसरी महत्वपूर्ण बहस के दौरान ओबामा ने कहा कि अगर हमने पाकिस्तान से इजाजत मांगी होती तो हम उसे नहीं खोज पाते। यह उसे खोजने के लिए आकाश और धरती की खाक छानने जैसा था। उन्होंने अल कायदा और ओसामा बिन लादेन को लेकर जो वादा किया था, उसे निभाया। उन्होंने कहा कि जब ओसामा बिन लादेन के पीछे पड़ने की बात थी तो आपने कहा कि ठीक है, यह काम तो कोई भी राष्ट्रपति करेगा, लेकिन जब आप 2008 में उम्मीदवार थे जैसे कि मैं भी था तो मैंने कहा था कि अगर ओसामा हमारी नजरों में आ गया तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं। तब आपने कहा था कि हमें एक आदमी के पीछे आसमान और धरती की खाक नहीं छाननी चाहिए और हमें पाकिस्तान से इजाजत लेनी चाहिए। हालांकि रोमनी ने इस बात पर सहमति जताई कि पाकिस्तान की इजाजत के बिना ओसामा की तलाश करना सही था। बहस में अफ-पाक विषय पर राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार ने कहा कि पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के लिए मैं प्रशासन को जिम्मेदार नहीं ठहराता। हमें पाकिस्तान में जाना पड़ा। हमें ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए ऐसा करना पड़ा। यह सही तरीका था। एक सवाल के जवाब में रोमनी ने दलील दी कि पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद अमेरिका उससे सम्बंध तोड़ नहीं सकता, जहां 100 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। रोमनी ने कहा कि यह समय उस देश के साथ सम्बंध खत्म करने का नहीं है, जिसके पास सौ परमाणु हथियार हैं और जो इन्हें दोगुना करने की राह पर है। एक ऐसा देश जिसे उसके भीतर मौजूद आतंकवादी संगठनों से, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क से खतरा है। यह ऐसा देश है जो अन्य की तरह नहीं है। पाकिस्तान क्षेत्र के लिए, दुनिया के लिए और हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के पास 100 परमाणु हथियार हैं और वह और अधिक हथियार बनाने की दिशा में लगा हुआ है। निकट भविष्य में उसके पास ग्रेट ब्रिटेन से अधिक परमाणु हथियार होंगे। रोमनी ने कहा कि उनके देश में हक्कानी नेटवर्क और तालिबान हैं। बंटा हुआ पाकिस्तान एक नाकाम देश होगा जो अफगानिस्तान और हमारे लिए बड़ा खतरा होगा। इसलिए हमें पाकिस्तान को और अधिक स्थिर सरकार बनाने में तथा हमारे साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए मदद करते रहनी होगी। इसका मतलब है कि पाकिस्तान को हमारी ओर से दी जाने वाली सहायता कुछ निश्चित मानकों पर आधारित होगी। उन्होंने कहा कि आईएसआई संभवत: फिलहाल पाकिस्तानी सेना का सबसे ताकतवर हिस्सा है। रोमनी ने कहा कि तकनीकी तौर पर पाकिस्तान सहयोगी है और फिलहाल वह सहयोगी की तरह काम नहीं कर रहा है, लेकिन हमें कुछ काम करना होगा। हमारे लिए यह मानना अहम होगा कि हम पाकिस्तान से दूरी नहीं बना सकते। उन्होंने आतंकवादियों को मार गिराने के लिए ड्रोनों के इस्तेमाल का समर्थन करते हुए कहा कि ओबामा इस तकनीक के इस्तेमाल के मामले में सही हैं और हमें इसे जारी रखना चाहिए। हम दुनिया को आतंकवाद और इस्लामी उग्रवाद से दूर करने में मदद करने के लिहाज से अधिक प्रभावी एवं व्यापक रणनीति हासिल करने की दिशा में काम करेंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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