29-10-2012, 01:10 AM | #16701 |
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नई दिल्ली। किसी विशेष दुकान से पुस्तक, पोशाक और अन्य स्टेशनरी समग्री खरीदने के लिए छात्रों को शारीरिक दंड देने वाले शिक्षकों को तीन साल की सजा हो सकती है। स्कूलों में शैक्षणिक कदाचार रोकने से सम्बंधित विधेयक के मसौदे में यह बात कही गई है। स्कूलों में शैक्षणिक कदाचार रोकने से सम्बंधित विधेयक के मसौदे में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी स्कूल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कैपिटेशन फीस की मांग या किसी कक्षा में दाखिले के लिए चंदा नहीं मांग सकता है। मसौदा विधेयक एक नवंबर को होने वाले केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में पेश किया जाएगा। मसौदे में एचआईवी-एड्स या किसी अन्य गंभीर बीमारी की खबर होने पर किसी छात्र को दाखिला देने से इंकार करने की सख्त मनाही की गई है। शिक्षकों से स्कूलों में शारीरिक दंड देने या छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोकने जैसे कार्यों में शामिल नहीं होने को कहा गया है।
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29-10-2012, 01:16 AM | #16702 |
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आज आपका ये सूत्र देखा ..... मुझे लगता है अब मुझे न्यूज पेपर खरीदने की कोई आवश्यकता नही है .....!
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ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें ! आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....! love is life |
29-10-2012, 01:17 AM | #16703 |
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स्कूलों में नैतिक शिक्षा फिर से शुरू करने पर विचार करेगी एनसीईआरटी
नई दिल्ली। बच्चों को उम्र में अपने से बड़ों के प्रति जिम्मेदारी का अहसास दिलाने में नैतिक शिक्षा की सकारात्मक भूमिका को स्वीकार करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से कहा है कि वह प्रारंभिक स्तर पर नैतिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर विचार करे। मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि एनसीईआरटी के एक प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया गया है ताकि इस मुद्दे पर विचार किया जा सके। एनसीईआरटी के प्रतिनिधिमंडल के साथ मंत्रालय के अधिकारियों की बातचीत अगले महीने होने जा रहे ‘आयुवृद्धि पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ के दौरान होगी। अधिकारी ने कहा कि नैतिक शिक्षा का विषय स्कूलों में प्रारंभिक स्तर पर एक भाग हुआ करता था। इसके अलावा, उम्र में अपने से बड़े लोगों के प्रति आदर एवं संवेदनशीलता भी विषय का एक अहम हिस्सा हुआ करते थे। हमने एनसीईआरटी से कहा है कि वह स्कूलों में नैतिक शिक्षा फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर विचार करे। वरिष्ठ नागरिकों एवं उम्रदराज लोगों के प्रति नीतियां तैयार करने और नियम बनाने के लिए नोडल प्राधिकरण सामाजिक न्याय मंत्रालय ही है। वरिष्ठ जनों की देखभाल के लिए बनाए गए नियम सरकार की ओर से लागू कराए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह कार्यान्वित करने में समस्याएं आ रही हैं। अधिकारी ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल में सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि बच्चों और नौजवानों में उनके प्रति जागरूकता की कमी होती है। कुछ मूल्य आधारित शिक्षा की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन नैतिक मुद्दों को शुरू से ही बच्चों को पढ़ाया जाए। सम्मेलन के दौरान एनसीईआरटी की टीमें कई परिचर्चाओं में हिस्सा लेंगी जिसमें सरकारी विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करने वाले संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। दरअसल इसका मकसद यह है कि विचारों का उचित समावेश हो ताकि चीजें आगे बढ़ें और हमारा समाज बुजुर्गों के प्रति और ज्यादा संवेदनशील बने। सम्मेलन में उन सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बंधी मुद्दों को उठाया जाएगा जिनका सामना वरिष्ठ नागरिक करते हैं। मंत्रालय ने चार थीम के तहत सम्मेलन के आयोजन की योजना बनाई है जिनमें वृद्धजनों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पारिवारिक एवं सामुदायिक देखभाल और 80 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों की देखभाल शामिल है।
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29-10-2012, 01:26 AM | #16704 |
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हिमाचल में बागियों के सहारे तृणमूल कांग्रेस
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में वामदलों को उखाड़ फेंकने और मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम एवं उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा एवं कांग्रेस के बागियों को टिकट देकर इन दो प्रमुख दलों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। राज्यसभा सदस्य और तृणमूल के प्रदेश प्रभारी के. डी. सिंह ने कहा कि राज्य में चुनाव लड़ने का मकसद भ्रष्टाचार और महंगाई के विषय को उठाना और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करना है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेकर तृणमूल आम आदमी के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करना चाहती है जो कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की नीतियों से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 25 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं जो भाजपा और कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन गया है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने अधिकांश टिकट इन दोनों दलों के बागियों को दिए हैं। बहरहाल, सिंह ने कहा कि पार्टी ने मजबूत उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। राज्य में भाजपा और कांग्रेस दोनों को टिकट बंटवारे में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। जिन प्रमुख नेताओं को टिकट नहीं मिला, उन्हें तृणमूल कांग्रेस ने न केवल शरण दी, बल्कि टिकट भी दिया। राज्य के कई क्षेत्रों में वामदलों के बढ़ते प्रभाव और शिमला नगर निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन और मेयर पद पर माकपा के कब्जा करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने इस पर्वतीय राज्य पर जोर लगाया है। राजनीतिक विश्लेषक तृणमूल की इस कवायद को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने का प्रयास बता रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में युवाओं को दो हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने, हर साल एक लाख बेरोजगारों को नौकरी देने, इंटरमिडिएट छात्रों को लैपटॉप देने का वायदा किया है। पार्टी ने कई लोक लुभावने वादे भी किए हैं, जिसमें रेल सेवाओं एवं सुविधाओं के विस्तार, लघु उद्योग विकास की ठोस नीति, बड़े उद्योग आकर्षित करने, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा एवं बुजुर्गों के कल्याण से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चार नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का संघर्ष होने की उम्मीद है। लोकहित पार्टी के संयोजन में भाकपा, माकपा एवं कुछ अन्य छोटे दल भी इसे त्रिकोणीय मुकाबला बनाने का प्रयास कर रहे हैं। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, वहीं बसपा ने 66, माकपा ने 16, भाकपा ने 7, तृणमूल कांग्रेस ने 25, सपा ने 15, हिमाचल लोकहित पार्टी ने 36, लोक जनशक्ति पार्टी ने 18 और हिमाचल स्वाभिमान पार्टी ने 15 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, वहीं 105 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 459 उम्मीदवारों का भाग्य दांव पर लगा है, जिसमें 34 महिला प्रत्याशी हैंं। प्रदेश में 46,08,359 मतदाताओं में 23,76,587 पुरुष और 22,31,772 महिला मतदाता हैं। राज्य के मतदाताओं में 74,646 सैन्यकर्मी भी शामिल हैं। राज्य में मतदान इलेक्ट्रिॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से होगा, इसके लिए कुल 7252 मतदान केंद्रों पर 9191 ईवीएम मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। लाहौल स्पीति (सुरक्षित) क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य में सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है, जबकि सूलाह मतदाताओं की संख्या के हिसाब से सबसे बड़ा क्षेत्र है। मतदाताओं की संख्या के हिसाब से लाहौल स्पीति सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र है।
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29-10-2012, 01:27 AM | #16705 |
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फिजा की संपत्ति पर बहनों का दावा
चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व उप-मुख्यमंत्री चंद्रमोहन की दूसरी पत्नी रही अनुराधा बाली उर्फ फिजा की तीन बहनों ने मोहाली की एक अदालत का दरवाजा खटखटाकर उनकी संपत्ति पर दावेदारी जताई है । गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले फिजा मृत पाई गई थी। मोहाली स्थित अपने आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में फिजा के मृत पाए जाने के करीब दो महीने बाद उनकी बहनों अदिति आर्य, मोनिका शर्मा और अंजलि रामसुंदर ने मोहाली की जिला अदालतों में दीवानी मुकदमा दायर कर फिजा की चल एवं अचल संपत्तियां उन्हें देने की मांग की है। हरियाणा की सहायक महाधिवक्ता रह चुकीं फिजा उस वक्त सुर्खियों में आई थी, जब साल 2008 में उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन से शादी की और कुछ ही महीने बाद दोनों की शादी टूट भी गई। चारों बहनों में फिजा सबसे बड़ी थीं और मोहाली के सेक्टर 48-सी में उनका एक मकान है, जिसकी अनुमानित कीमत करीब दो करोड़ रुपए है। फिजा तीन करोड़ रुपए नकद और आभूषण भी छोड़ गई थी। फिजा ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी। उनकी बहनों ने अदालत में खुद को ‘कानूनी उत्तराधिकारी’ करार देकर फिजा की संपत्ति पर दावेदारी जताई है। तीनों बहनों ने अदालत से यह गुजारिश भी की है कि फिजा के मोहाली स्थित आवास का मालिकाना हक भी उन्हें दे दिया जाए। मोहाली के दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) वरुण नागपाल की अदालत में इस दीवानी याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई होगी। अनुराधा और चंद्रमोहन ने अपनी शादी के लिए इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था और अपना नाम बदलकर क्रमश: फिजा और चांद मोहम्मद कर लिया था। मोहाली पुलिस अब भी इस बात की जांच कर रही है कि फिजा ने खुदकुशी की या उसकी हत्या हुई थी ।
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29-10-2012, 01:28 AM | #16706 |
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अंडमान में भूकंप के झटके
नई दिल्ली। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आज सुबह मध्यम दर्जे के भूकंप के झटके महसूस किए गए। सुबह आठ बजकर 39 मिनट पर आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.3 थी। भूकंप का केंद्र 10.4 उत्तरी अक्षांश और 92.4 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था। इसकी गहराई जमीन से 10 किलोमीटर नीचे थी।
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29-10-2012, 01:29 AM | #16707 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
महंगाई बड़ी समस्या, पेट्रोलियम पदार्थो की मूल्यवृद्धि जरूरी थी: दिग्विजय
भोपाल। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बढती महंगाई को एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय हालात की वजह से पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत बढाना आवश्यक था। मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस द्वारा आज यहां आयोजित ‘स्वयंसिद्धा’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘बढती महंगाई एक बड़ी समस्या है और इसकी वजह से हमें विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। लेकिन लोगों को समझना होगा कि केन्द्र सरकार रसोई गैस, डीजल एवं केरोसिन पर अपने स्त्रोतों से जितनी सब्सिडी देती है, उसकी तुलना में उसे कम राजस्व प्राप्त होता है।’ उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थो पर केन्द्र को 85 हजार करोड़ रूपये का राजस्व मिलता है, जबकि वह 1. 40 लाख करोड़ रूपये की सब्सिडी देती है। दूसरी ओर, राज्य सरकारें, इन पदार्थो पर 1.10 लाख करोड़ रूपये का वैट वसूलती है और जनता को कोई सब्सिडी नहीं देती है। सिंह ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यों से पेट्रोलियम पदार्थो पर अपने स्त्रोतों से सब्सिडी देने का आग्रह किया है, लेकिन कांग्रेस शासित राज्य सरकारों के अलावा अन्य किसी राज्य सरकार ने जनता को राहत नहीं दी है, जिसके परिणाम स्वरूप केवल कांग्रेस शासित राज्यों में ही लोगों को तीन और रसोई गैस सिलेण्डरों पर सब्सिडी मिल रही है और उन्हें सब्सिडी वाले कुल नौ सिलेण्डर मिल रहे हैं। दिग्विजय ने आरोप लगाया कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थो पर सबसे अधिक कर जनता पर थोपे गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महिला कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वह अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को इस वास्तविकता से अवगत कराएं। उन्हें अपने इलाके के लोगों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए भी संघर्ष करना चाहिए, यदि उन्होंने ऐसा किया तो पार्टी को यहां सत्ता में लौटने से कोई रोक नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए पार्टीजनों को गुटबाजी एक किनारे रखनी होगी, तभी हम सब एकजुट होकर भाजपा का सामना कर सकेंगे। भाजपा ने जिस बिजली और सड़क के मुद्दे को लेकर उनकी पूर्व राज्य सरकार के खिलाफ अभियान चलाया था, लेकिन इसके बारे में भाजपा सरकार ने नौ सालों में कुछ नहीं किया है। इस अवसर पर कांग्रेस महासचिव मोहसिना किदवई ने कहा कि केवल कांग्रेस पार्टी ही देश को सही दिशा और नई बुलंदियों पर ले जा सकती है, जबकि भाजपा सांप्रदायिकता फैलाकर लोगों को विभाजित कर रही है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने केन्द्र सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान केवल इन योजनाओं का नाम बदलकर इनका श्रेय लेने में लगे हुए हैं। महिला कार्यकर्ताओं को पूरे दमखम के साथ भाजपा सरकार के इस कृत्य को जनता के सामने उजागर करना चाहिए। विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ‘राहुल’ ने महिला कांग्रेस के इस आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि बिना महिला शक्ति को साथ लिए मिशन 2013 में सफलता हासिल नहीं की जा सकती है। उन्होंने कुपोषण एवं बलात्कार की बढती घटनाओं के लिए भी राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया।
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29-10-2012, 01:29 AM | #16708 |
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भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों के खिलाफ दिग्विजय के दावों की जांच हो : वर्मा
नई दिल्ली। पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे एस वर्मा ने आज दिग्विजय सिंह के भाजपा नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत होने के दावे की यह कहते हुए जांच कराने की मांग की कि यह ‘बहुत परेशान करने वाला’ है तथा इससे शीर्ष स्तर पर ‘चुप्पी के षड्यंत्र’ का संकेत मिलता है। न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि यदि राजनीतिक पार्टियां एकदूसरी की गलतियों को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं लाती तो वे अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रही हैं। न्यायमूर्ति वर्मा ने टेलीविजन चैनल सीएनएन आईबीएन पर करन थापर के साथ साक्षात्कार में कहा कि उन्हें भारतीय नेताओं में नैतिकता की कमी पर ‘बहुत निराशा’ होती है। न्यायमूर्ति वर्मा से पूछा गया कि वह कांग्रेस नेता सिंह के उस बयान में बारे में क्या सोचते हैं कि उनके पास भाजपा नेताओं के परिवारिक सदस्यों के बारे में ऐसे मामलों के बारे में सूचना है जो भ्रष्टाचार के बराबर हैं लेकिन वह उसके बारे में खुलासा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘खैर यह बहुत ही परेशान करने वाला बयान है। चाहे यह सही हो या गलत। इसका हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव है। यदि यह सही है तो इससे भ्रष्टाचार की लड़ाई के खिलाफ एक षड्यंत्र का खुलासा होता है जिसके बारे में लोग हर समय बात कर रहे हैं तथा यह दिखाता है कि राजनीतिक नैतिकता सबसे निचले स्तर पर है।
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जैव-शौचालयों के लिए रेलवे तीन कीटाणु संयंत्र लगाएगी
नई दिल्ली। अधिक से अधिक ट्रेनों में जैव-शौचालय के जरिए पर्यावरण के अनुकूल कचरा प्रबंधन के लिए रेलवे तीन कीटाणु उत्पादन संयंत्र लगाएगा। रेलवे ने इस वित्त वर्ष के दौरान 2500 बोगियों में डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान) की ओर से बनाए गए जैव-शौचालय लगाने का लक्ष्य रखा है। जैव-शौचालय परियोजना में शामिल रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये कीटाणु संयंत्र कपूरथला, चेन्नई और नागपुर में स्थापित किए जाएंगे। इस अधिकारी ने बताया, ‘अभी हम डीआरडीओ के कीटाणुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन सभी बोगियों की जरूरत पूरी करने के लिए हमें खुद इनका उत्पादन करना होगा।’ उन्होंने बताया कि कपूरथला रेल कोच कारखाने में बन रही सभी एलएचबी बोगियों में जैव-शौचालय लगाए जा रहे हैं और परंपरागत बोगियों में भी चरणबद्ध तरीके से ये शौचालय लगाए जाएंगे। गौरतलब है कि जैव शौचालयों में ऐनऐरोबिक कीटाणु इंसान के मल को पानी और गैसों(मीथेन एवं कार्बन डाइआॅक्साइड) में तब्दील कर देते हैं। इस तरह के शौचालय सबसे पहले पिछले साल जनवरी में ग्वालियर-वाराणसी बुंदेलखंड एक्सप्रेस में लगाए गए थे और हाल ही में कोचुवेली-बेंगलूर एक्सप्रेस में ये शौचालय लगाए गए हैं। रेल मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में कई ट्रेनों में इन्हें परीक्षण स्तर पर लगाया गया है और ये परीक्षण सफल रहे हैं। ये ट्रेनें हैं: जम्मूतवी-इंदौर मालवा एक्सप्रेस, चेन्नई-गुवाहाटी एगमोर एक्सप्रेस, निजामुद्दीन-इंदौर इंटरसिटी एक्सप्रेस, इंदौर-ग्वालियर एक्सप्रेस, मुंबई-वाराणसी महानगरी एक्सप्रेस, लखनउ-मुंबई पुष्पक एक्सपे्रस और कोचुवेली-बेंगलूर एक्सप्रेस। रेलवे को पटरियों में जंग लगने से हर साल 350 करोड़ रुपए से भी अधिक का नुकसान होता है। रेलवे ने लगभग 50 हजार बोगियों में जैव-शौचालय लगाने के लिए एक कोर समिति बनाई हुई है।
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पोलियो : अभी खतरा टला नहीं, टीकाकरण पर देना होगा पूरा जोर
नई दिल्ली। जनवरी 2011 के बाद देश में पोलियो का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि खतरा अभी टला नहीं है और पंगु बना देने वाली इस बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण पर पूरा ध्यान देना होगा। मैक्स हॉस्पिटल में शिशु रोग विभाग में सीनियर कन्सल्टेंट डॉ. पी. एस. नारंग ने कहा, ‘यह सच है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल के शुरू में भारत का नाम पोलियो की महामारी वाले देशों की सूची से हटाया था। लेकिन दूसरा सच यह भी है कि जब तक दुनिया में पोलिया का वायरस रहेगा, इस बीमारी का खतरा बना रहेगा। इससे बचाव के लिए टीकाकरण अभियान पर पूरा जोर देना होगा।’ डॉ नारंग ने कहा, ‘देश में अभी भी बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के साथ साथ दोहरी सुरक्षा की खातिर इसका टीका लगाना भी जरूरी है ताकि बच्चों को पूर्ण सुरक्षा मिल सके। हमें यह भी देखना होगा कि ग्रामीण इलाकों में और शहरी इलाकों के निम्न वर्ग के लोग भी टीकाकरण पर ध्यान दें। यह बहुत जरूरी है।’ कॉलरा अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव सूरी ने कहा, ‘पोलियो का वायरस तीन प्रकार का होता है ... टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3। पोलियो उन्मूलन अभियान के लिए शुरू से ही ओरल पोलियो वैक्सीन दी गई जिसमें जीवित लेकिन निष्क्रिय पोलियो वायरस का उपयोग हुआ। इससे पोलियो का वायरस तो नष्ट होता है लेकिन वैक्सीन एसोसिएटेड पैरालिटिक पोलियो और वैक्सीन डेराइव्ड पोलियो का खतरा होता है जो स्वीकार्य नहीं है।’ डॉ सूरी ने कहा, ‘आईपीवी (इनएक्टीवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन) के टीके और इसकी खुराक से दोहरी सुरक्षा मिलती है क्योंकि इसमें जीवित वायरस नहीं होते और इससे वैक्सीन एसोसिएटेड पैरालिटिक पोलियो का खतरा भी नहीं होता। कई देशों ने पोलियो की खुराक के बजाय टीके को प्राथमिकता दी है और इन देशों में पोलियो का वायरस नष्ट करने में सफलता मिली है।’ डॉ नारंग के अनुसार, पोलियो का अंतिम मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल में सामने आया था। तब से इस बीमारी के किसी नए मामले की खबर नहीं है। यही वजह है कि भारत को फरवरी में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियोग्रस्त देशों की सूची से हटा दिया था। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि थी। ‘लेकिन अभी खतरा टला नहीं है। हम निश्चिंत नहीं रह सकते। अगर जनवरी 2014 तक इसका कोई नया मामला सामने आता है तो भारत पोलियो मुक्त देश होने का दर्जा खो देगा।’ देश में पोलियो से प्रभावित दो मुख्य राज्यों उत्तर प्रदेश से अप्रैल 2010 तथा बिहार से सितंबर 2010 के बाद से इस बीमारी के किसी मामले की खबर नहीं है। डा सूरी ने बताया कि पोलियो ग्रस्त देशों की सूची से भारत का नाम हटाए जाने के बाद अब प्रवासी नागरिकों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि प्रवासियों पर ध्यान केंद्रित करे ताकि पूर्ण पोलियो उन्मूलन सुनिश्चित किया जा सके।
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