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Old 29-12-2012, 06:44 PM   #161
bindujain
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

ना मुहब्बत ना दोस्ती के लिए,
वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए,


दिल को अपने सज़ा न दे यूं ही,
सोच ले आज दो घडी के लिए,


हर कोई प्यार ढूढता है यहाँ,
अपनी तन्हा सी ज़िंदगी के लिए,


वक़्त के साथ साथ चलता रहे,
यही बेहतर है आदमी के लिए..
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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Old 29-12-2012, 11:08 PM   #162
bindujain
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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Old 02-01-2013, 05:00 PM   #163
bindujain
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

रंजिश ही सही , दिल ही दुखाने के लिए आ ,

आ फिर से मुझे छोर के जाने के लिए आ .

पहले से मरासिम न सही , फिर भी कभी तो

रस्मो रही दुनिया ही निभाने के लिए आ .

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम ?

तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ .

जैसे तुझे आते हैं , न आने के बहाने ,

वैसे ही किस i रोज़ न जाने के लिए आ .
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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Old 19-08-2014, 02:05 PM   #164
jai_bhardwaj
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

इबादतों की तरह मैं ये काम करता हूँ
मेरा वसूल है, पहले सलाम करता हूँ
मुखालफत से मेरी शख्सियत निखरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतेराम करता हूँ
मैं डर गया हूँ बहुत सायादार पेड़ों से
ज़रा सी धूप बिछा कर कय्याम करता हूँ
मुझे खुदा ने ग़ज़ल का दयार बख्शा है
ये सल्तनत मैं मुहब्बत के नाम करता हूँ
-बशीर बद्र
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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Old 19-08-2014, 02:07 PM   #165
jai_bhardwaj
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अब तेरी याद से वहशत नहीं होती मुझको
ज़ख्म खुलते हैं, अज़ीयत नहीं होती मुझको

अब कोई आये चला जाए, मैं खुश रहता हूँ
अब किसी शख्स की आदत नहीं होती मुझको

ऐसे बदला हूँ तेरे शहर का पानी पी कर
झूठ बोलूं तो नदामत नहीं होती मुझको

है अमानत में खयानत जो किसी की खातिर
कोई मरता है तो हैरत नहीं होती मुझको

इतना मसरूफ हूँ जीने की हवस में "मोहसिन"
सांस लेने की भी फुर्सत नहीं होती मुझको

-मोहसिन नक़वी
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Old 19-08-2014, 02:08 PM   #166
jai_bhardwaj
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उसका चेहरा भी सुनाता है कहानी उसकी
चाहती हूँ कि सुनूं उस से जबानी उसकी

वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी
ये सितम करना भी आदत है पुरानी उसकी

उस जफ़ाकार को मालुम नहीं कि वो क्या है
बे-मुरव्वत को तस्वीर है दिखानी उसकी

एक वो है नज़र अंदाज करे है मुझको
इक मैं हूँ कि दिलोजान से दीवानी उसकी

तुझको उल्फत है "क़मर" उससे तो अब कह देना
सामने सब के सुना देना कहानी उसकी

- रेहाना क़मर
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Old 19-08-2014, 02:09 PM   #167
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लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं

मैं न जुगनू हूँ न दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं

नींद से मेरा त'आल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं

मोड़ होता है जवानी का सम्भलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यों हैं

- राहत इन्दोरी
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Old 20-08-2014, 12:03 AM   #168
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ग़ ज़ ल
शायर: कैसर-उल-जाफ़री

जहां शिकस्ते-मुसाफ़त है पाँव धरना भी
मुझे वहीँ पे उतरना पड़ा – ठहरना भी

दुआ करो, मिरी खुशबू पे तब्सिरा न करो
कि एक रात में खिलना भी था, बिखरना भी

तुम इतनी देर लगाया करो न आने में
कि भूल जाये कोई इंतज़ार करना भी

तेरी गली से जो गुज़रे तो आँख भर आई
भुला चुके हैं दरीचे सलाम करना भी

तुम इतने दिन तो मुहब्बत से जी लिए ‘कैसर’
जो हो सके तो सलीके के साथ मरना भी

(शिकस्ते-मुसाफ़त = सफ़र रोकना / तबसिरा = समीक्षा / दरीचे = खिड़कियाँ)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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Old 20-08-2014, 12:10 AM   #169
rajnish manga
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

ग़ज़ल
अदम गोंडवी

हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये


हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये


ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये


हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये


छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
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Old 22-08-2014, 12:40 PM   #170
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Default Re: !! कुछ मशहूर गजलें !!

छोटी सी बे-रूखी पे शिकायत की बात है
और वो भी इसलिए कि मुहब्बत की बात है

मैंने कहा कि आये हो कितने दिनों के बाद
कहने लगे, हुज़ूर ये फुरसत की बात है

मैंने कहा कि मिल के भी हम क्यों न मिल सके
कहने लगे, हुज़ूर ये किस्मत की बात है

मैंने कहा कि रहते हो हर बात पर ख़फ़ा
कहने लगे, हुज़ूर ये ग़ुरबत की बात है

मैंने कहा कि देते हैं दिल, तुम भी लाओ दिल
कहने लगे कि यह तो तिज़ारत की बात है

मैंने कहा कभी है सितम और कभी करम
कहने लगे कि ये तो तबियत की बात है

(तिज़ारत = व्यापार/लेनदेन)

-क़मर जलालाबादी
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