29-11-2012, 01:44 PM | #18621 |
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वाशिंगटन। अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और विदेश मंत्रालय के खिलाफ फलस्तीन प्राधिकरण के लिए तय अमेरिकी सहायता राशि का उपयोग हमास जैसे आतंकी संगठनों को करने की अनुमति देने के आरोप में मुकदमा दायर किया गया है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, यह मुकदमा वाशिंगटन में 24 अमेरिकी नागरिकों की ओर से तेल अवीव स्थित कानूनी समूह इसराइल लॉ सेन्टर ने दायर किया है। ये 24 अमेरिकी नागरिक इसराइल में रह रहे हैं। मुकदमा दायर करने वाला कानूनी समूह इसराइल लॉ सेंटर आतंकी संगठनों और उनका समर्थन करने वालों के खिलाफ आवाज उठाता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फलस्तीनी प्राधिकरण को बिना किसी नियंत्रण के धन मुहैया कराया गया और संघीय ढांचे ने इसकी अनदेखी की। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी करदाताओं की धनराशि हमास और पापुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन आॅफ फलस्तीन जैसे आतंकी समूहों और अन्य लोगों एवं उन समूहों को गई, जिन्हें संघीय सहायता दिए जाने पर रोक है। इस याचिका में हिलेरी, यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डवलपमेंट (यूएसएआईडी) तथा विदेश मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है और मांग की गई है कि फलस्तीनी प्राधिकरण, यूनाइटेड नेशन्स रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पैलेस्टाइन रिफ्यूजीज इन नियर ईस्ट (यूएनआरडब्ल्यूए) तथा अन्य समूहों को तब तक सहायता रोक देनी चाहिए, जब तक प्रतिवादी आतंकवाद के लिए समर्थन पर रोक के संघीय आदेश का पूरी तरह पालन नहीं करते।
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29-11-2012, 01:45 PM | #18622 |
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अफगानिस्तान में भारतीय सहायता की पेंटागन ने की सराहना
वाशिंगटन। पेंटागन ने अफगानिस्तान में सहायता के भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉर्ज लिटल ने कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा ने इस साल नई दिल्ली दौरे में, अफगानिस्तान में स्थिरता और उसके बेहतर भविष्य के लिए सहायता की खातिर भारत की इच्छा की सराहना की। हमें उम्मीद है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। मुझे लगता है कि भारत ने अफगानिस्तान में प्रशिक्षण और अन्य कार्यों के जरिए सहायता प्रदान की है। हम चाहेंगे कि भविष्य में भी ऐसा होता रहे।
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29-11-2012, 01:45 PM | #18623 |
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कोई भी मिशन अफगान सरकार की इच्छा के अनुसार ही
वाशिंगटन। पेंटागन ने कहा है कि अफगानिस्तान से वर्ष 2014 में गठबंधन सेना की वापसी के बाद, वहां कोई भी अमेरिकी मिशन का कार्यान्वयन या सैनिकों की उपस्थिति सिर्फ अफगान सरकार के कहने पर ही होगी। वर्ष 2014 के बाद वहां अमेरिकी बलों की उपस्थिति सिर्फ अफगान बलों को प्रशिक्षण तथा अलकायदा के बचे-खुचे उग्रवादियों के सफाए के लिए ही होगी। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉर्ज लिटल ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद कोई भी मिशन अफगान सरकार के आमंत्रण पर ही होगा। हम अफगान संप्रभुता का सम्मान करते हैं। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क की भी समीक्षा की जाएगी। हक्कानी समूह को गहरा नुकसान हुआ है। फिर भी वह अफगानिस्तान में आईएसएएफ बलों के लिए खतरा बना हुआ है। वर्ष 2014 में अफगानिस्तान से वापसी के बाद हक्कानी सम्बंधी फैसले क्या होंगे, इस बारे में अभी से कुछ नहीं कहा जा सकता। इस सवाल पर निश्चित रूप से समीक्षा के दौरान चर्चा होगी।’ पेनेटा ने अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो बलों के कमांडर जनरल जॉन एलेन के साथ टेलीकॉन्फ्रेन्स की और देश में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में प्रगति की समीक्षा की। लिटल ने कहा कि अफगानिस्तान में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अगर आप अफगानिस्तान में प्रगति के संकेतकों को देखें तो पाएंगे कि बड़ी संख्या में अफगान नागरिक उन इलाकों में रह रहे हैं, जहां की सुरक्षा अब अफगान सैनिकों के जिम्मे है। हिंसा भी कम हुई है। एशिया फाउंडेशन ने हाल ही में एक रायशुमारी की है। हम इस समग्र रायशुमारी के परिणामों का स्वागत करते हैं। रायशुमारी में जिन लोगों से बातचीत की गई, उनमें से आधे से अधिक ने कहा कि अफगानिस्तान सही दिशा में बढ़ रहा है। बेहतर सुरक्षा, लड़कियों सहित सभी के लिए शिक्षा में सुधार, पुनर्निर्माण और एक सक्रिय अफगान राष्ट्रीय सेना तथा अफगान राष्ट्रीय पुलिस सहित कई कारण हैं जिनकी वजह से उम्मीद जगी है। लिटल ने कहा कि यह एएनएसएफ की क्षमता तेजी से बढ़ने और मजबूत होने का एक बड़ा उदाहरण है। एएनएसएफ अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों में शत्रुओं का मुकाबला कर रहा है। अमेरिका और अफगानिस्तान वर्तमान में एक द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर बातचीत कर रहे हैं जो युद्ध प्रभावित देश के साथ बलों सम्बंधी समझौते की वर्तमान स्थिति से कहीं आगे होगा। अमेरिकी बलों की भावी मौजूदगी और अभियानों के संदर्भ में हम बीएसए से अपेक्षा करेंगे कि इसमें एसओएफए के वही प्रावधान शामिल किए जाएं जिनके बारे में हमने दूसरे देशों से चर्चा की है। इन समझौतों में सेना सम्बंधी मुद्दों के साथ कराधान, प्रवेश और निकासी मुद्दे, आयात-निर्यात तथा राष्ट्रीय जरूरत से जुड़े मुद्दे भी होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या बीएसए में अमेरिकी सैनिकों के लिए छूट शामिल होगी, लिटल ने कहा कि ऐसा हो सकता है क्योंकि अमेरिकी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा निश्चित रूप से किसी भी एसओएफए सम्बंधी वार्ता का हिस्सा है। इसलिए मुझे उम्मीद रहेगी कि यह बीएसए पर बातचीत के एजेंडे में हो।
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29-11-2012, 01:47 PM | #18624 |
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चीन को अलग-थलग करना नहीं चाहता भारत : राव
वाशिंगटन। भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को एक शक्ति माना है, लेकिन इस क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने का उसका कोई मकसद नहीं है। वाशिंगटन स्थित विचार समूह ‘फॉरेन पॉलिसी इनीशिएटिव’ की ओर से आयोजित एक परिचर्चा में अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की पूरी प्रक्रिया में हमारा मकसद चीन को अलग-थलग करने का नहीं है। जहां तक एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए सुरक्षा ढांचे का सवाल है, तो हम मानते हैं कि इसे खुला, समग्र और नियम आधारित होना चाहिए। हमें किसी भी कारण को लेकर टकराव के बजाय संवाद की प्रक्रिया मजबूत करनी चाहिए। इस परिचर्चा में अमेरिका में आस्ट्रेलियाई राजदूत किम बेजले, फिलीपीनी दूतावास की वरिष्ठ अधिकारी मारिया आस्ट्रिया आदि मौजूद थे। निरुपमा ने कहा कि शक्ति का केंद्र अब एशिया प्रशांत क्षेत्र की ओर स्थानांतरित हो रहा है। भारत हमेशा से इस क्षेत्र का हिस्सा रहा है। एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रिश्तों का हमारा इतिहास रहा है। भारत-अमेरिका रिश्ते पर उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ता आज रणनीतिक साझेदारी के रूप में परिभाषित हुआ है। राष्ट्रपति ओबामा इसे अद्वितीय साझेदारी करार देते हैं। मेरा मानना है कि उनका यह कथन काफी उचित है। भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों की बात आती है तो हम सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह से जुड़ते हैं। हमारा इतिहास रहा है। यह बात सही है कि शीत युद्ध और उसके कुछ बाद तक हमारे बीच दूरियां रही हैं, लेकिन पिछले कई वर्षों से रिश्ते में बहुत सुधार हुआ है। आज दोनों देशों के बीच में बहुआयामी साझेदारी है। दोनों नेताओं के बीच न केवल राजनीतिक वार्ता होती है, बल्कि दोनों देशों के बीच बहुत अच्छे और मजबूत व्यापार तथा कारोबारी रिश्ते हैं। अमेरिका में 30 लाख भारतीय-अमेरिकी हैं। हमारे रक्षा प्रतिष्ठानों का एक-दूसरे के साथ नजदीकी संपर्क है। हम किसी और देश के मुकाबले अमेरिका के साथ कहीं ज्यादा युद्धाभ्यास करते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा तथा कई अन्य मुद्दों पर संवाद चल रहा है। भारत ने हमेशा से माना है कि अमेरिका प्रशांत क्षेत्र में शक्ति रहा है और आगे भी रहेगा। चीन के बारे में उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक रिश्ते का निर्माण किया है, जिसमें वे अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हुए हैं। सीमा विवाद के निपटारे के लिए हमारे पास बातचीत की प्रणाली है। दोनों देशों के नेताओं ने इस संदर्भ में विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है। चीन के साथ हमारी व्यापक व्यापारिक साझेदारी है। आज चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। बीजिंग में अभी चौथे दौरे की रणनीतिक आर्थिक वार्ता संपन्न हुई है। हमने निवेश को लेकर 5.3 अरब डॉलर के समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।
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29-11-2012, 07:29 PM | #18625 |
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26/11 के अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए
पाकिस्तान पर दबाव बनाने की जरूरत वाशिंगटन। वर्ष 2008 के मुंबई हमले को ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ करार देते हुए सदन की विदेश मामलों की समिति के अगले अध्यक्ष एड रॉयस ने कहा है कि इस अपराध के दोषियों पर मुकदमा चलाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने की जरूरत है। रॉयस ने भारतीय पत्रकारों के एक समूह से कहा कि इन आतंकवादियों ने मानवता के खिलाफ अपराध किया है। उन पर मुकदमा चलाने की जरूरत है और मेरा मानना है कि इसके लिए दबाव बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन पर मुकदमा हेग की अंतर्राष्ट्रीय अपराध अदालत में चले या पाकिस्तान में, लेकिन जो अपराध उन्होंने किया है उसके लिए उन पर मुकदमा चलना चाहिए। हमें न्याय के लिए पाकिस्तान की सरकार पर दबाव बनाना होगा क्योंकि आप इस तरह का अपराध नहीं कर सकते, व्यापक पैमाने पर निर्दोष लोगों की हत्या नहीं कर सकते और अन्याय नहीं होते हुए भी नहीं देख सकते। रॉयस इंडियन अमेरिकन फोरम फॉर पॉलीटिकल एजुकेशन द्वारा कैपिटल हिल में आयोजित वार्षिक ‘यूएस-इंडिया कांग्रेसनल कॉकस एप्रिसिएशन डिनर’ में बोल रहे थे। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में बहुमत वाली रिपब्लिकन पार्टी ने घोषणा की कि सदन की विदेश मामलों की समिति में रॉयस अध्यक्ष होंगे। वह एलिएना रॉस लेहतिनेन का स्थान लेंगे। रॉयस फिलहाल प्रतिनिधि सभा में भारत एवं भारतीय अमेरिकी समर्थक समूह के सह अध्यक्ष हैं। रॉयस ने कहा कि पाकिस्तान पर 26/11 के षड्यंत्रकारियों और अन्य आतंकवादी हमलों के दोषियों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाने के अलावा वह दोनों देशों के बीच व्यापार सम्बंधों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। वह आतंकवाद निरोधक क्षेत्र में भारत-अमेरिका के बीच और सहयोग पर ध्यान देंगे। कई बार भारत का दौरा करने वाले और अमेरिकी कांग्रेस में भारत के अच्छे मित्रों में से एक रॉयस ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों को वाणिज्य एवं निवेश में उदारता बरतने की जरूरत है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों को व्यवसाय को उदार करने में काम करने की जरूरत है। भारत में सुधार की आवश्यकता है और यहां भी जरूरत है। रॉयस ने कहा कि चार वर्ष पहले मुंबई जैसे हमले के बारे में सोचना भी कठिन है। उन्होंने आतंकवाद निरोधक क्षेत्र में मजबूत सहयोग की वकालत की। अमेरिका और भारत के सामने चुनौती है। इन हमलों के बारे में हम नहीं सोच सकते। हमें खुफिया समुदाय के साथ मिलकर काम करना होगा और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए सूचना और आंकड़े साझा करना होगा।
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29-11-2012, 07:30 PM | #18626 |
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भारत के साथ सम्बंध मजबूत करने का संकल्प
वाशिंगटन। पार्टी लाइन से इतर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने ‘नैसर्गिक सहयोगी’ भारत के साथ अमेरिका के सम्बंध मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है। नेबरास्का से सीनेटर बेन नेल्सन ने यूएस-अमेरिका कांग्रेसनल कॉकस एप्रेसिएशन डिनर को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमेरिका अपने एशिया प्रशांत सम्बंधों को संतुलित कर रहा है, इसलिए हम साझेदारी के लिए भारत पर गौर कर रहे हैं। हमें क्षेत्र एवं दुनियाभर में आर्थिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर साझेदारी करने की जरूरत है। डेमोक्रेट नेल्सन ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ आर्थिक सहयोग मजबूत करने की जरूरत है जो दोनों देशों के लिए लाभप्रद है। कांग्रेस के करीब 20 सदस्यों ने कैपिटल हिल में आयोजित वार्षिक बैठक को सम्बोधित किया जिसे इंडियन अमेरिकन फोरम फॉर पॉलीटिकल एजुकेशन ने आयोजित किया था। इसके अध्यक्ष संपत शिवांगी हैं। बैठक में शामिल होने वालों में प्रमुख हैं सीनेटर मार्क वार्नर, कांग्रेसी जॉय क्रावले एवं एड रॉयस। इसके अलावा फ्रैंक पैलोन, डाना रोहराबाशेर, डफ लैम्बोर्न और ग्रेग हार्पर भी बैठक में शामिल हुए। सदन की विदेश मामलों की समिति के आगामी अध्यक्ष ईड रॉयस ने याद किया कि किस तरह प्रारंभिक वर्षों में भारत से अमेरिकी प्रतिबंध हटाने के लिए उन्होंने काम किया। उन्होंने कहा कि हमें हक्कानी नेटवर्क को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। हमें आईएसआई को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। भारत और अमेरिका नैसर्गिक सहयोगी हैं। डेमोक्रेट सीनेटर वार्नर ने कहा कि अमेरिकी सांसदों के अगले एजेंडे में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि है। आर्थिक सम्बंधों को सुधारने में यह अगला कदम है। उन्होंने वीजा सुधारों की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि हाल में भारत में ब्लैकआउट को देखते हुए मेरा मानना है कि हम दोनों के समक्ष ऊर्जा क्षेत्र में काम करने की अपार संभावनाएं हैं। सहयोग के क्षेत्र में रक्षा गठबंधन एक और क्षेत्र है। यह निहायत जरूरी है कि हमारे राष्ट्रीय हित एक जैसे हों। कांग्रेस सदस्य जॉय क्राउले ने कहा कि आगामी सौ वर्षों में भारत अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बनने जा रहा है। वह और अन्य सांसद न्याय विभाग और एफबीआई के साथ काम कर रहे हैं ताकि हिंदुओं और सिखों के खिलाफ अपराध को घृणित अपराध सूची में शामिल किया जा सके।
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29-11-2012, 07:33 PM | #18627 |
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हेडली, राणा को जनवरी में सुनाई जाएगी सजा
शिकागो। लश्कर-ए-तैयबा के अमेरिका में जन्मे आतंकी एवं मुम्बई हमलों में संलिप्तता के आरोपी डेविड कोलमैन हेडली को अगले साल 17 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी, जबकि उसके साथी तहव्वुर हुसैन राणा की सजा की घोषणा अब चार दिसंबर के बजाय 15 जनवरी को होगी। शिकागो अदालत के प्रवक्ता रैंडल सैम्बोर्न के अनुसार, अमेरिकी जिला न्यायाधीश हैरी लीनेनवेबर दोनों आतंकियों की सजा की घोषणा करेंगे। उन पर 26 नवम्बर, 2008 के मुम्बई हमलों तथा डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश में शामिल होने का आरोप है। राणा की सजा की घोषणा की तारीख में बदलाव किया गया है। उसे अब चार दिसंबर के बजाय 15 जनवरी, 2013 को सजा सुनाई जाएगी। 15 और 17 जनवरी को दोनों को सजा सुनाए जाने सम्बंधी सुनवाई डिरकसन संघीय अदालत के जिला न्यायाधीश हैरी लीनवेबर के समक्ष सुबह नौ बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। हेडली (52) ने मुम्बई हमलों से सम्बंधित ठिकानों की टोह लेकर लश्कर-ए-तैयबा की मदद की थी। वह एफबीआई द्वारा लगाए गए सभी आरोपों में अपना गुनाह कबूल कर चुका है। हेडली को एफबीआई ने कोपनहेगन के एक अखबार के कर्मियों पर हमले की साजिश में शामिल होने का आरोपी बनाया था। बाद में उस पर मुम्बई में बम हमलों की साजिश रचने, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को साजो-सामान सम्बंधी मदद मुहैया कराने और मुम्बई हमलों में अमेरिकी नागरिकों की हत्या से सम्बंधित आरोप लगाए गए। उसने 18 मार्च, 2010 को इन सभी आरोपों में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। इस आतंकी को भारत में सार्वजनिक स्थानों पर बम हमलों की साजिश रचने और भारत में अमेरिकी नागरिकों की हत्या से सम्बंधित छह आरोपों में सजा-ए-मौत मिल सकती थी, लेकिन उसने एफबीआई के साथ सजा में छूट सम्बंधी समझौता कर लिया। इस समझौते के तहत उसने कहा था कि वह आतंकी गतिविधियों से सम्बंधित जांच में मदद करेगा। राणा को जूरी ने 10 जून, 2011 को दोषी ठहराया था। उसे डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश रचने तथा लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के जुर्म में दोषी ठहराया गया था, लेकिन मुम्बई हमलों की साजिश के मामले में उसे बरी कर दिया गया। राणा ने खुद को सभी मामलों में बरी किए जाने तथा फिर से मुकदमा चलाए जाने का आग्रह किया था, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसे सजा सुनाए जाने के लिए चार दिसंबर, 2012 की तारीख तय की गई। इस तारीख को बदलकर अब 15 जनवरी, 2013 कर दिया गया है।
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29-11-2012, 07:34 PM | #18628 |
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पुलिस के साथ झड़प में 200 से ज्यादा लोग घायल
सिलियाना (ट्यूनीशिया)। ट्यूनीशिया के दक्षिण पश्चिमी शहर सिलियाना में सुरक्षा बलों और हजारों प्रदर्शनकारियों के बीच दूसरे दिन हुई झड़प में 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए। सिलियाना के एक अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लगभग 206 लोग झड़प में घायल हुए हैं और उनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। इनमें से 19 लोगों की आंखों में चोट आई है और उनमें से कुछ को ट्यूनिश के एक क्लीनिक में इजाज के लिए भेजा गया है। हजारों प्रदर्शनकारी सिलियाना शहर के गवर्नर अहमद एज्जिन महजौबी के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। सिलियाना ट्यूनिश से दक्षिण में 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला गरीब इलाका है। प्रदर्शनकारी साथ ही आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए धनराशि और पिछले साल अप्रेल में अशांति के दौरान हिरासत में लिए गए 14 लोगों की रिहाई की मांग कर रहे थे। इसी तरह की आर्थिक शिकायतों ने ट्यूनीशिया में अरब क्रांति को हवा दी थी, जिससे वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति जेन अल अबिदीन बेन अली को पिछले साल सत्ता छोड़नी पड़ी थी।
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29-11-2012, 07:35 PM | #18629 |
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ओबामा ने रोमनी को लंच पर बुलाया
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी रहे रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार मिट रोमनी को व्हाइट हाउस में भोजन पर आने की दावत दी है। व्हाइट हाउस ने एक बयान में बताया कि गत छह नवम्बर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब ओबामा और रोमनी एक-दूसरे से सीधे बातचीत करेंगे। चुनाव नतीजे आने के बाद ओबामा ने कहा था कि वह जल्द ही रोमनी से मुलाकात करेंगे और देश को आगे ले जाने के लिए उनसे विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करेंगे। व्हाइट हाउस प्रवक्ता जे. कार्नी ने बताया कि भोजन कक्ष में केवल दो लोग होंगे और उन्हें पूरा यकीन है कि दोनों के बीच बहुत लाभदायक बातचीत होगी। इस बैठक की कोई प्रेस कवरेज नहीं होगी।
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नाटो और रूस में राजदूत संपर्क बहाल
ब्रसेल्स। तुर्की में मिसाइल की तैनाती की योजना के बाद उपजे तनाव के बाद रूस और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने आखिर एक वर्ष के अंतराल के बाद राजदूत स्तरीय संपर्क बहाल कर लिया है, जिससे दोनों पक्षों के बीच मंत्रिस्तरीय वार्ता का रास्ता साफ हो गया है। 28 सदस्यीय नाटो के राजदूतों और नाटो में रूस के राजदूत अलेक्सांद्र ग्रुश्को ने पहली बैठक की। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ग्रुश्को को पिछले महीने नाटो में अपना राजदूत नियुक्त किया था। नाटो ने रूस को आश्वस्त किया है कि तुर्की में पेट्रियट मिसाइलों की तैनाती की योजना एक ऐहतियाती कदम है। नाटो ने इस मामले पर रूस की आशंकाओं को दूर करने की पूरी कोशिश करते हुए कहा कि तुर्की ने अपने यहां जमीन से हवा में मार करने वाली पेट्रियट मिसाइलों को तैनात करने का अनुरोध किया था क्योंकि उसे सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध की आंच में झुलसने का डर था। नाटो के एक अधिकारी ने बताया कि जिन देशों ने अपने यहां मिसाइल तैनात करने का अनुरोध किया था, उन्होंने रूस को इस बात को समझाया है कि यह महज एक ऐहतियाती कदम है और इसका मकसद तनाव को दूर करना है। नाटो के अगले कुछ दिनों में तुर्की के अनुरोध को मानने की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा कि गुश्को ने रूस की इस चिंता को जाहिर किया कि मिसाइलों की तैनाती से सीमा पर तनाव व्याप्त हो सकता है। दोनों पक्षों ने लगभग एक वर्ष बाद कोई बैठक की है जिससे अगले सप्ताह होने वाली मंत्रिस्तरीय बातचीत का रास्ता साफ हो गया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव आगामी मंगलवार को ब्रसेल्स पहुंचकर नाटो के विदेश मंत्रियों के साथ वार्ता करेंगे।
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