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#181 |
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![]() वाकई बडी ही अजीबोगरीब खबरें हें.....................
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#182 |
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इस चमत्कारी बाबा ने कांग्रेस को 'चुनाव चिह्न' दे इंदिरा को संकट से उबारा!
![]() विचित्रता के लिए मशहूर भारत को साधु-संतों की भूमि के रूप में जाना जाता है। अपनी साधना, अलौकिक शक्ति और चमत्कार के लिए कई संत पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इनमें देवराहा बाबा का नाम सम्मान से लिया जाता है।
जनश्रुति के मुताबिक, देश में आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गांधी हार गईं तो वह भी देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने गईं। उन्होंने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया। वहां से वापस आने के बाद इंदिरा ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित कर दिया। इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं। वहीं, यह भी मान्यता है कि इन्दिरा गांधी आपातकाल के समय कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती से आर्शीवाद लेने गयीं थी। वहां उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर आर्शीवाद दिया और हाथ का पंजा पार्टी का चुनाव निशान बनाने को कहा। बताते चलें कि बाबा यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे। मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में संशय है। कहा जाता है कि वह करीब 250 साल तक जिन्दा थे। (बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग उनका जीवन 900 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं।) |
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#183 |
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![]() ![]() हिमालय में अनेक वर्षों तक अज्ञात रूप में रहकर उन्होंने साधना की। वहां से वे देवरिया पहुंचे। वहां निवास करने के कारण उनका नाम देवरहा बाबा पड़ा। उन्होंने देवरिया के सलेमपुर तहसील में मइल से लगभग एक किमी की दूरी पर सरयू नदी के किनारे एक मचान पर अपना आसन डाल कर धर्म-कर्म करने लगे। |
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#184 |
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![]() ![]() अवतारी व्यक्ति वह अवतारी व्यक्ति थे। उनका जीवन बहुत सरल और सौम्य था। वह फोटो कैमरे और टीवी जैसी चीजों को देख अचंभित रह जाते थे। वह उनसे अपनी फोटो लेने के लिए कहते थे, लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि उनका फोटो नहीं बनता था। वह नहीं चाहते तो रिवाल्वर से गोली नहीं चलती थी। उनका निर्जीव वस्तुओं पर नियंत्रण था। |
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#185 |
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![]() ![]() कुंभ के मेले में करते थे प्रवास कुंभ मेले के दौरान बाबा अलग-अलग जगहों पर प्रवास किया करते थे। गंगा-यमुना के तट पर उनका मंच लगता था। वह 1-1 महीने दोनों के किनारे रहते थे। जमीन से कई फीट ऊंचे स्थान पर बैठकर वह लोगों को आशीर्वाद दिया करते थे। जनश्रूति के मुताबिक, वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे। उनके आस-पास उगने वाले बबूल के पेड़ों में कांटे नहीं होते थे। चारों तरफ सुंगध ही सुंगध होता था। |
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#186 |
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![]() ![]() मन की बातें जान लेते थे बाबा बाबा सभी के मन की बातें जान लेते थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ नहीं खाया। सिर्फ दूध और शहद पीकर जीते थे। श्रीफल का रस उन्हें बहुत पसंद था। |
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#187 |
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![]() ![]() सेलीब्रिटी भी झुकाते थे सिर देवराहा बाबा के भक्तों में कई बड़े लोगों का नाम शुमार है। डॉ राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालू प्रसाद, मुलायम सिंह और कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता हर समस्या के समाधान के लिए बाबा की शरण में आते थे। |
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#188 |
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![]() ![]() बिना सांस लिए रह जाते थे पानी में मार्कण्डेय सिंह के मुताबिक, वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे। |
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#189 |
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![]() ![]() जीवन भर रहे निर्वस्त्र देवरहा बाबा के साथ करीब 10 सालों तक रहने वाले मार्कण्डेय महराज के मुताबिक, पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के लिए आते थे। इनके भक्त पूरी दुनिया में फैले हैं। राजनेता, फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े अधिकारी उनके शरण में रहते थे। |
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#190 |
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एंटोमोफैगी
![]() इंसानों की आबादी 7 अरब का आंकड़ा पार कर चुकी है। अगर जनसंख्या का बढ़ना इसी तरह जारी रहा तो जल्द ही वह समय आएगा, जब हर भूखे मुंह के लिए निवाला जुटा पाना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक निकट भविष्य में इंसानों के पास कीड़े-मकौड़े खाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। खबरों के अनुसार मॉन्ट्रियल स्थित मैकगिल यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक समूह ने इस साल अनोखे प्रोजेक्ट के लिए हल्ट पुरस्कार जीता था। उन्हें कीड़े-मकौड़ों से प्रोटीन युक्त आटा तैयार करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। बतौर पुरस्कार राशि उन्हें 1 मिलियन डॉलर की सहायता राशि दी गई है, ताकि वे अपने रिसर्च और प्रयोगों को आगे बढ़ा सकें। 30 सितंबर को एबीसी न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में इस ग्रुप के मुख्य स्टूडेंट रिसर्चर मोहम्मद एशोर ने बताया कि अब उनकी टीम खाद्य पदार्थ के लिए टिड्डे पर एक्सपेरीमेंट करेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले भी यूनाइटेड नेशन की फूंड एंड एग्रीकच्लर ऑर्गेनाशजेशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका शीर्षक था, 'खाने योग्य कीड़े: भविष्य का खाद्य विकल्प।' इस रिपोर्ट में खाने योग्य कीड़े-मकौड़ों के बारे में विस्तृत विवरण है। आपको बता दें कि कीटों को खाने की इस टर्म को विज्ञान की भाषा में 'एंटोमोफैगी' कहा जाता है। |
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