05-12-2012, 10:46 PM | #19081 |
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नई दिल्ली। भारत सरकार के पास संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की मौत से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है । सुनने में यह भले ही गलत लगे, लेकिन सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में केंद्र सरकार ने यही जवाब दिया है । आरटीआई अधिनियम के तहत दायर आवेदन के जवाब में केंद्र के दो मंत्रालयों और अंबेडकर प्रतिष्ठान ने अपने पास अंबेडकर की मौत से जुड़ी कोई भी जानकारी होने से इंकार किया है । एक मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी ने यह भी कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि मांगी गई सूचना किस विभाग से संबद्ध है । आरटीआई कार्यकर्ता आर एच बंसल ने राष्ट्रपति सचिवालय में आवेदन दायर कर पूछा था कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की मौत कैसे और किस स्थान पर हुई थी ? उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या मृत्यु उपरांत उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया था । पोस्टमॉर्टम की स्थिति में उन्होंने रिपोर्ट की एक प्रति मांगी थी । आवेदन में यह भी पूछा गया था कि संविधान निर्माता की मृत्यु प्राकृतिक थी या फिर हत्या । उनकी मौत किस तारीख को हुई थी, क्या किसी आयोग...समिति ने उनकी मौत की जांच की थी ? राष्ट्रपति सचिवालय ने यह आवेदन गृह मंत्रालय के पास भेज दिया जिस पर गृह मंत्रालय द्वारा आवेदक को दी गई सूचना में कहा गया है कि ‘डॉ. अंबेडकर की मृत्यु और संबंधित पहलुओं’ के बारे में मांगी गई जानकारी मंत्रालय के किसी भी विभाग, प्रभाग और इकाई में उपलब्ध नहीं है । मंत्रालय ने आगे कहा है कि क्योंकि यह सोचा गया कि इसकी जानकारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के पास होगी, इसलिए आपका आवेदन इस मंत्रालय को भेज दिया गया । जवाब में कहा गया है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने आवेदन डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन को भेज दिया और फाउंडेशन ने भी इस बारे में अपने पास कोई जानकारी नहीं होने की सूचना देकर आवेदन वापस गृह मंत्रालय को भेज दिया । अंत में गृह मंत्रालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी ने आवेदक को दिए जवाब में कहा है कि इससे आगे अब उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि यह सूचना किस विभाग से संबंधित है । वरिष्ठ पत्रकार एवं दलित चिंतक अनिल चमडिया का इस बारे में कहना है कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार डा अंबेडकर की मौत बीमारी से हुयी थी और इस बारे में एक तबके ने हाल में ही विवाद खड़ा किया है। दूसरी ओर महिर्ष दयानंद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रदीप सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा इस बारे में आरटीआई के तहत दिया गया जवाब अपने आप में आश्यर्चजनक है, क्योंकि अब तक पाठ्य पुस्तकों में यही पढ़ाया जाता रहा है कि डा अंबेडकर की मौत बीमारी से हुई थी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होने के बारे में कहना अपने आप में काफी चकित करने वाला है।
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05-12-2012, 10:47 PM | #19082 |
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मानहानि से जुडे प्रकरण में दिग्विजय सिंह ने बयान दर्ज कराए
भोपाल। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने यहां अदालत में उनकी ओर से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ मानहानि के मामले में लगाए गए मुकदमे को लेकर बयान दर्ज कराए। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) रामप्रसाद सोनकर की अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री सिंह लगभग दो घंटे रहे। अपने अधिवक्ता अजय गुप्ता के साथ मौजूद सिंह ने बयान दर्ज कराते हुए कहा कि उनके ऊपर भारतीय जनता पार्टी नेता उमा भारती ने नवंबर 2003 में पत्रकार वार्ता करके भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगाए थे, जो अखबारों में प्रकाशित हुए। इससे उनकी मानहानि हुई है। सिंह ने कहा कि उनके राजनीतिक जीवन में इस तरह के आरोप पहले कभी नहीं लगाए गए। इस मामले में वर्ष 2003 में ही सिंह ने यहां अदालत में भारती के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। सिंह ने अपने बयान में कहा कि वर्ष 2003 के अंत में राज्य में भाजपा की सरकार बन गई, लेकिन उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की न तो जांच कराई गई और न ही आरोप सिद्ध किए गए। उमा भारती की ओर से अधिवक्ता हरीश मेहता ने सिंह के बयानों पर प्रतिपरीक्षण किया। यह प्रक्रिया सुनवाई की अगली तिथि 17 दिसंबर को भी जारी रहेगी। अदालत ने अधिवक्ता मेहता से कहा कि उस दिन उमा भारती अदालत में उपस्थित रहें।
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05-12-2012, 10:47 PM | #19083 |
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भेदिया कारोबार मामले में गुप्ता को जमानत
न्यूयार्क। भारतीय मूल के गोल्डमैन साक्स के पूर्व निदेशक रजत गुप्ता को अपीलीय अदालत से राहत मिली है। गुप्ता को एक करोड़ डालर के मुचलके पर जेल से बाहर रहने की इजाजत दी गई है और इस दौरान वह भेदिया कारोबार के मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ मुकदमा लड़ सकेंगे। गुप्ता की जेल की सजा आठ जनवरी से शुरू होनी थी। उन्होने इस आदेश के खिलाफ अपील अदालत में अर्जी लगा कर जमानत पर बाहर बने रहने की छूट मांगी थी। 64 साल के गुप्ता इस आपको दोषी ठहराए जाने को चुनौती देंगे। दो न्यायाधीशों की पीठ ने कल गुप्ता पक्ष में सुनवाई की और अपने आदेश में कहा, ‘इस याचिका को मंजूर किया जाता है।’ पीठ ने अपने आदेश में आत्मसमर्पण की तारीख पर स्थगन आदेश जारी किया है और वह मुचलके पर जेल से बाहर रहेंगे।
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05-12-2012, 10:47 PM | #19084 |
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अब्बास ने कहा कि यह वक्त है हमास के साथ फलस्तीनियों की एकता का
रमल्ला। फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा है कि समय आ गया है जब फलस्तीनियों को गाजा पर शासन करने वाले कट्टरपंथी हमास के साथ एकजुट हो जाना चाहिए। अब्बास ने कल फलस्तीनी नेतृत्व की एक बैठक में यह आह्वान किया, जिसमें हमास के उप प्रधानमंत्री नसीरूद्दीन अल शाएर भी शामिल हुए। अब्बास ने कहा कि यह वक्त गंभीरता से सुलह-सफाई के गंभीर प्रयास और इसके लिए मिस्र की मध्यस्थता के लिए सम्पर्क करने का है। प्रतिद्वन्द्वी फतह पार्टी के प्रमुख अब्बास ने कहा कि हमें लम्बे समय से चले आ रहे सवाल के हल के लिये मिस्र में नेतृत्व के साथ बैठक पर सहमति की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि फलस्तीनी विधायी चुनाव में इस्लामियों की जीत के बाद सन् 2006 से हमास और फलस्तीनियों के बीच तनाव व्याप्त है।
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05-12-2012, 10:53 PM | #19085 |
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महर्षि अरविंद को 62वीं पुण्यतिथि पर देशभर के अनुयायियों ने श्रद्धांजलि दी
पुडुचेरी। संत एवं दार्शनिक कवि महर्षि अरविंद को उनकी 62 वीं पुण्यतिथि पर आज देशभर में श्रद्धांजलि दी गयी। आश्रम सूत्रों ने बताया कि अनुयायी आश्रम परिसर में आज तड़के से ही महर्षि अरविंद और उनकी आध्यात्मिक सहयोगी मदर (मीरा अलफासा) की समाधि के निकट ध्यान लगाकर बैठे। इस आश्रम की स्थापना 1926 में की गई थी। अनुयायी उस कमरे में भी गए, जहां अरविंद ने अपने आध्यात्मिक प्रयोग किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। महर्षि अरविंद की 78 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई थी।
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05-12-2012, 10:55 PM | #19086 |
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शिक्षकों की पिटाई के कारण मौत की सूचना के बाद सभी स्तब्ध
बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के पाथाखेड़ा के एक प्राथमिक स्कूल के सात वर्षीय छात्र असलम की शिक्षकों की पिटाई के बाद कल राजधानी भोपाल में इलाज के दौरान मौत की सूचना के बाद यहां सभी स्तब्ध रह गए। सारणी थाना पुलिस के अनुसार इस घटना के सिलसिले में एक शिक्षक बिरजू सोनारिया को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि विजयराम भगत की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। सारणी थाना पुलिस का कहना है कि यहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर पाथाखेड़ा में कक्षा चौथी के छात्र असलम के साथ 16 नवंबर को शिक्षकों द्वारा की गई मारपीट की रिपोर्ट तीन दिसंबर को थाने में दर्ज कराई गई। इस बीच रीढ की हड्डी में चोट का इलाज पहले बैतूल और फिर नागपुर में कराया गया। प्रारंभिक तौर पर इलाज कराने की पहल शिक्षकों ने ही की, लेकिन मामला गंभीर होता देख वह भाग निकले। मामला मीडिया में आया और बालक को हाल में इलाज के लिए भोपाल के प्रमुख हमीदिया अस्पताल में भेजा गया। कल वहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। उसके परिजनों का आरोप है कि उसे बेहतर इलाज नहीं मिला। इस बीच पुलिस ने सोमवार को शिक्षकों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज किया था। बालक की मौत के बाद आरोपियों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जा रहा है। वहीं स्कूल प्रबंधन ने आज छात्र के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही उसके सम्मान में अवकाश कर दिया। इस घटना से स्कूल के प्राचार्य जुगलकिशोर सरयाम, सभी शिक्षक और छात्र भी दुखी हैं। बताया गया है कि स्कूल परिसर में एक बाल्टी क्षतिग्रस्त होने की घटना के बाद छात्र की बेरहमी से पिटाई की गई थी।
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05-12-2012, 11:27 PM | #19087 |
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खुदरा एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव लोकसभा में गिरा
सपा और बसपा के मतदान के बहिष्कार ने सरकार को बचाया नई दिल्ली। मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के खिलाफ लोकसभा में पेश विपक्ष का प्रस्ताव आज गिर गया। प्रस्ताव पर मत विभाजन से पहले ही सरकार को राहत देते हुए सपा और बसपा सदस्य सदन से वाकआउट कर गये। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की ओर से रखे गये इस प्रस्ताव कि ‘ये सभा सरकार से सिफारिश करती है कि वह मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देने संबंधी अपने निर्णय को तत्काल वापस ले,’ के पक्ष में 218 जबकि विरोध में 253 मत पडे। सदन ने इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय की ओर से रखे गये विदेशी मुद्रा प्रबंध कानून (फेमा) में कुछ संशोधन किये जाने संबंधी प्रस्ताव को भी 254 के मुकाबले 224 मतों से नामंजूर कर दिया। विपक्ष का प्रस्ताव गिरने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सदन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले को अब सदन की मंजूरी भी मिल गयी है। विपक्ष के इस प्रस्ताव को परास्त करने में 22 सदस्यों वाली सपा और 21 सदस्यों वाली बसपा की बडी भूमिका रही। दोनों पार्टियों ने हालांकि एफडीआई का विरोध किया, लेकिन मत विभाजन से पहले ही सदन से वाकआउट कर गये। इससे पहले खुदरा एफडीआई पर दो दिन चली चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि सरकार की ओर से सदन में दिए गए इस आश्वासन का उल्लंघन किया गया है कि एफडीआई के बारे में अंतिम निर्णय करने से पूर्व सभी राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों और अन्य संबद्ध पक्षों से विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में सभी राजनीतिक दलों से बातचीत या पत्र व्यवहार किया गया। देश भर के किसानों के 12 मान्य संगठनों तथा उपभोक्ताओं के 17 संगठनों को इस बारे में पत्र लिखा गया और इन सभी किसानों और उपभोक्ता संगठनों ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर सरकार के फैसले का समर्थन किया था। शर्मा ने कहा कि इसके अलावा 21 राज्यों में से 11 कृषि प्रधान राज्यों ने सरकार के एफडीआई फैसले का समर्थन किया तथा केवल सात राज्यों ने विरोध किया। सुषमा ने चर्चा का जवाब देते हुए सरकार से सवाल किया कि जब मुख्य विपक्षी दल भाजपा एफडीआई के सरकार के फैसले से सहमत नहीं हुआ तो वह आम सहमति बनने का दावा कैसे कर सकती है। उन्होंने दलील दी कि सदन में इस दो दिन की चर्चा में भी जिन 18 दलों ने हिस्सा लिया उनमें से सपा और बसपा सहित 14 ने एफडीआई का विरोध किया है और अगर उन 14 दलों के सदस्यों की संख्या जोड़ ली जाए तो उनकी संख्या 282 हो जाती है जो बहुमत से कहीं अधिक है जबकि जिन दलों ने इसका समर्थन किया है उनकी संख्या केवल 224 होती है। निर्दलीय हसन खान ने भी फेमा पर पेश अपना संशोधन वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि वह सरकार के जवाब से संतुष्ट हैं। अपना प्रस्ताव गिरने के बाद संसद परिसर में प्रतिक्रिया देते हुए सुषमा ने कहा कि जोड तोड से सरकार ने संसद में संख्या जरूर जुटा ली और अब चुनाव में उनको असली जवाब देगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी दृष्टि से सरकार सदन में जीती है लेकिन नैतिक रूप से उसकी हार हुई है। इससे पहले सुबह चर्चा को आगे बढाते हुए माकपा ने बासुदेव आचार्य ने सरकार के इस दावे को गलत बताया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से किसानों और खुदरा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत एफडीआई से किसानों और छोटे दुकानदारों का ही सबसे अधिक अहित होगा। जद यू के शरद यादव ने एफडीआई के विरोध में हुए बंद में शामिल होने वाले कुछ दलों की ओर से अब सदन में इस मुद्दे पर सरकार का साथ दिए जाने की स्थिति में उन्हें आगाह किया कि इतिहास इसके लिए उन दलों को माफ नहीं करेगा। एफडीआई के मसले पर सरकार द्वारा सर्वसम्मति कायम नहीं किए जाने पर एतराज जाहिर करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने सत्ता पक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि भाजपा ने कभी खुद केंद्र की सत्ता में रहते हुए एफडीआई का समर्थन किया था। उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र की शुरूआत से ही भाजपा मत विभाजन वाले नियम के तहत एफडीआई पर चर्चा कराने की मांग पर अड गयी और लगातार पांच दिन दोनों ही सदनों की बैठक बाधित रही। अंतत: सरकार ने विपक्ष की मांग मान ली। राज्यसभा इस मुद्दे पर छह और सात दिसंबर को चर्चा करेगी। उच्च सदन में मत विभाजन सात दिसंबर को होगा।
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06-12-2012, 12:08 AM | #19088 |
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विपक्ष ने कहा : एफडीआई पर तटस्थ रहने वालों दलों को इतिहास माफ नहीं करेगा
नई दिल्ली। लोकसभा में मत विभाजन के तहत मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कल शुरू हुई चर्चा को आज आगे बढ़ाते हुए विपक्ष ने सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया और इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाने वाले राजनीतिक दलों को आगाह किया कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा। माकपा ने बासुदेव आचार्य ने सरकार के इस दावे को गलत बताया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से किसानों और खुदरा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत एफडीआई से किसानों और छोटे दुकानदारों का ही सबसे अधिक अहित होगा। उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से अगर रोजगार के अवसर बढें, उत्पादन बढे या देश में नयी तकनीक आए तो वाम दल भी इसका समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चूंकि इसका उल्टा होने जा रहा है, इसीलिए वे इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। माकपा नेता ने सरकार के इस आरोप को गलत बताया एफडीआई मुद्दे पर वामपंथी दलों में असंगति है। उन्होंने कहा कि इस मामले में असंगति सरकार में है। उन्होंने याद दिलाया कि राजग के शासन के समय जब एफडीआई लाने का प्रयास किया गया था तब राज्यसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत से वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसकी मुखालफत करते हुए पत्र तक लिखा था। यही नहीं उस समय लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक प्रियरंजन दासमुंशी ने एफडीआई लाने के राजग के प्रयास को ‘राष्ट्र-विरोधी’ तक करार दिया था।
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06-12-2012, 12:36 AM | #19089 |
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गांधी के पत्रों की नीलामी रोकने को सोनिया गांधी को पत्र
कानपुर। विदेशों में महात्मा गांधी की वस्तुओं की नीलामी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले गांधीवादी लेखक और पदमश्री से सम्मानित गिरिराज किशोर ने लंदन में गांधी के पत्रों की 12 दिसंबर को होने वाली नीलामी रोकने के लिये हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और केन्द्रीय संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा है । उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि इंग्लैंड में नीलामी करने वाली एजेन्सी सोदबी एक बार फिर गांधी जी के दो पत्र और भारतीय संविधान की एक प्रति की नीलामी कर रही है। इनमें से एक पत्र गांधी जी ने रविन्द्र नाथ टैगोर के बड़े भाई को लिखा था। किशोर ने आज बताया कि इंग्लैंड में महात्मा गांधी के पत्रों और संविधान की प्रति की 12 दिसंबर को होने वाली नीलामी के विरोध में उन्होंने 19 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह इस नीलामी को रोकने का प्रयास करें। उन्होंने संस्कृति विभाग को लिखे पत्र में कहा है कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय को चाहिये कि वह इस संबंध में कोई कार्रवाई करें ताकि महात्मा गांधी की यह बहुमूल्य वस्तुयें किसी विदेशी के हाथ न लग सकें । कानपुर में रहने वाले लेखक गिरिराज किशोर का कहना है कि 19 नवंबर को सोनिया गांधी और संस्कृति मंत्री को भेजे गए पत्र का अभी तक उन्हें कोई जवाब नही मिला है और वह पत्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। किशोर इससे पहले 10 जुलाई 2012 को गांधी कैलनबाख के लिखे पत्रों की इंग्लैंड में होने वाली नीलामी के बारे में भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख चुके है और उनसे इस नीलामी को रोकने को कहा था। किशोर का दावा है कि उनके पत्र के बाद सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से देश के संस्कृति मंत्रालय ने कैलनबाख के परिवार से संपर्क कर उस नीलामी को रोक दिया था। उनका कहना है कि उसके बाद सोनिया गांधी ने 10 जुलाई को मुझे पत्र लिखकर सूचित किया कि संस्कृति मंत्रालय इस प्रकार की स्थाई नीति बना रहा है ताकि भविष्य में होने वाली ऐसी नीलामियों को रोका जा सके। गौरतलब है कि इससे पहले लंदन में 17 अप्रैल 2012 को बापू के खून से सनी मिट्टी और घास तथा कुछ अन्य सामान नीलाम किये जाने की खबर के बाद गिरिराज किशोर ने पद्मश्री सम्मान वापस करने और सत्याग्रह करने को भी कहा था और इस संबंध में राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखे थे। किशोर ने आज कहा, ‘मेरी पुस्तक पहला गिरमिटिया के लिये मैंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की और उन स्थानों पर जाकर शोध किया, जहां महात्मा गांधी ने भारतीय मजदूरों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ संघर्ष किया था। बाद में इसको किताब के रूप में लिखा और उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था।’ वर्ष 2007 में ‘पहला गिरमिटया’ के लेखक गिरिराज किशोर को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पद्मश्री से नवाजा गया था। इस पुस्तक का अंग्रेजी में ‘द गिरमिटिया सागा’ शीर्षक से अनुवाद हुआ है।
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06-12-2012, 12:54 AM | #19090 |
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सरकार नहीं चाहती कि राज्यसभा चले : भाजपा
नई दिल्ली। राज्यसभा में आज मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि उच्च सदन की कार्यवाही ढंग से चले, क्योंकि पिछले कई दिनों से विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और बसपा सदस्यों के हंगामे के चलते कामकाज अवरूद्ध हो रहा है। पार्टी ने मांग की कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस मामले में सफाई देनी चाहिए। पार्टी ने मांग की कि इस मुद्दे पर सभापति सभी दलों के नेताओं की बैठक बुला कर गतिरोध दूर करने के लिए बातचीत करें। उच्च सदन में आज शून्यकाल के दौरान जब उपसभापति पी. जे. कुरियन ने विपक्ष के नेता अरूण जेटली को इंडियन ओलंपिक संघ से जुड़ा एक मुद्दा उठाने को कहा, तो सपा के सदस्य आसन के समक्ष आकर सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर विरोध जताते हुए नारेबाजी करने लगे। इस कारण जेटली अपनी बात नहीं शुरू कर सके। हंगामे का विरोध करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले कई दिनों से सरकार के समर्थक दलों के हंगामे के कारण गतिरोध बना हुआ है और ढंग से कामकाज नहीं हो पा रहा है। सदन में कामकाज नहीं होने के लिए पूरी तरह से सरकार ही जिम्मेदार है। नायडू की बात का समर्थन करते हुए जेटली ने कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के कुछ सदस्यों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सदस्यों की नारेबाजी के चलते सदन में सामान्य ढंग से कामकाज नहीं हो पाना बेहद अफसोस की बात है। उन्होंने कहा, ‘क्या सरकार ने तय कर लिया है कि वह सदन में कामकाज नहीं होने देगी?’ जेटली ने कहा कि सभापति को सदन के नेता प्रधानमंत्री सिंह को निर्देश देना चाहिए कि वह सदन में आ कर इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करें। उल्लेखनीय है कि सदन में जिस समय सपा के सदस्य आसन के समक्ष आ कर सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर विरोध कर रहे थे, कांग्रेस के कुछ सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर इस मुद्दे के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे। आज सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर बसपा प्रमुख मायावती सहित उनके दल के सदस्यों ने मुंबई में संविधान निर्माता डॉ बी आर अंबेडकर का स्मारक बनाए जाने के मुद्दे पर भारी हंगामा किया, जिसके कारण प्रश्नकाल नहीं चल सका और बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की बैठक दोपहर बारह बजे फिर शुरू होने पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा की ओर से मुंबई में अंबेडकर का स्मारक बनाए के मुद्दे पर एक बयान पढ़ा, जिसके बाद बसपा सदस्य शांत हो गए, लेकिन इसके फौरन बाद ही सपा के सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे थे। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से सपा और बसपा सदस्यों के विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण उच्च सदन में लगातार गतिरोध बना हुआ है और शीतकाल में केवल एक बार ही प्रश्नकाल हो पाया है।
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